RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
राज महक की पीठ पर लेट सा गया और अपने हाथ नीचे कर एक बार
फिर उसकी चुचियों को पकड़ मसल्ने लगा. अब वो उसकी चुचियों को
मसल्ते हुए धक्के मार रहा था.
महक को विश्वास नही हो रहा था की एक जवान लड़का जिसने अभी अपनी
ग्रॅजुयेशन भी पूरी नही की थी इस कदर किसी औरत को खुश कर
सकता था. उसकी चुदाई की हर कला उसके बदन मे ईक नई उत्तेजना
पैदा कर रही थी. आज वो एक नये अनुभव से गुज़र रही थी, उसके
पति ने कभी इस कदर उसे नही चोद था उसकी चूत जहाँ सनसनी
पैदा कर रही थी तो उसकी चुचियाँ एक मीठी लेहायर दौड़ा रही थी
उसके बदन मे.
"तुम्हे तुम्हारी चूत मे मेरा लंड अक्चा लग रहा है ना? उसने
पूछा. "चोदते ःऊए जब में तुम्हारी चुचियों को भींचता हूँ तो
तुम्हे मज़ा आता है ना?"
राज की ये गंदी बातें और उत्तेजञात्मक बातें उसे और उकसा रही
थी, उत्तेजना अपनी चरम सीमा पर आ चुकी थी.
"हां" वो इतना ही कह पाई.
राज खड़ा हो गया और अपने लंड को करीब करीब उसकी चूत से बाहर
खींच लिया फिर उसके छूतदो को पकड़ एक ज़ोर का धक्का मार फिर
से लंड को उसकी चूत मे घुसा दिया. फिर अपने धक्कों की रफ़्तार
बढ़ाते हुए वो उसे चोदने लगा.
महक बड़ी मुश्किल से अपनी सिसकियों को राक रही थी. उसने अपने होंठ
दाँतों से भींच लिए थे और उसकी सिसकियाँ गले मे ही घूट कर
रह गयी. उसकी चूत पानी छोड़ने वाली थी. वो अब अपने कूल्हे आगे
पीछे कर राज के धक्कों का साथ देने लगी. राज ज़ोर के धक्के मार
कर उसे चोद रहा था और वो हर धक्के मे अपने चूतड़ हिला उसका
साथ दे रही थी.
महक को अचानक लगा की उसके शरीर मे उबाल आ रहा था. जो एहसास
उसने इतने बरसों मे महसूस नही किया था आज वो उसके साथ हो रहा
था. खुशी मे उसकी साँसे तेज हो गयी और वो सिसक पड़ी..'ऑश आआआः
ओह"
अचानक जैसे की कोई बाँध टूट गया हो. उसकी चूत ने पानी छोड
दिया....'श शायद इसी को झड़ना कहते है' वो सोचने लगी... कितना
कुछ खोया है मेने इन सालों मे....' वो सोचने लगी..... राज के
हर धक्के पर उसकी चूत ज़ोर से पानी छोड देति...उस्ने अपनी चूत की
मासणपेशियों को कड़ा कर राज के लंड को जाकड़ लिया. अब राज का लंड
उसकी चूत की दीवारों को भेदते हुए अंदर बाहर हो रहा था.
महक ने जैसे ही उसके लंड को अपनी चूत मे जकड़ा राज समझ गया
की उसकी चूत पानी छोड चुकी है. उसके भी लंड मे उबाल आना शुरू
हो गया. उसने उसके दोनो छूतदों को पकडा और ज़ोर ज़ोर के धक्के
मारने लगा. उसे लगा की उसका लंड पानी छोड़ने वाला है तो उसने अपने
लंड को उसकी चूत के गहराई तक पेलते हुए अपने वीर्या की पिक्खरी
छोड दी.
राज उकी पीठ पर फिर झुक गया और उसके कान मे फुसफुसते हुए
बोला, "कैसा लगा म्र्स सहगल.?"
"बहोट अक्चा." वो बस इतना ही कह पाई.
राज ने अपने लंड को उसकी चूत से बाहर निकाला और अपनी पॅंट उपर
चढ़ा पहन ली फिर अपने जेब से अपना विज़िटिंग कार्ड, जिसपर उसका
फोन नंबर और पता छापा था निकाल कर महक को पकडा दिया.
"अगर ऐसी चुदाई की फिर इक्चा हो तो मुझे याद कीजिएगा." कहकर
राज चला गया.
महक वहीं किचन मे काउंटर का सहारा लिए खड़ी थी, उसकी टाँगे
अभी फैली हुई थी और चूत से दोनो का मिश्रित पानी तपाक रहा
था. उसे अपने आप पर शरम आ रही थी की उसने ये क्या कर डाला
फिर भी वो खुश थी की आज इतने बरसों बाद उसकी चूत की प्यास
बुझी थी और वो खुल कर झड़ी थी. उसने अपने कपड़े उठाए और
बाथरूम की और चल दी.
महक दूसरे दिन सो कर उठी और पीछले दिन की घटनाओं को याद
करने लगा. उसे आत्मा ग्लिलनी हो रही थी की उसे वो सब नही करना
चाहिए था. वो एक शादी शुदा औरत थी और एक जवान लड़के की मा
भी. वो नही चाहती थी की अपनी इस हरकत की वजह से उसकी शादी
शुदा जिंदगी मे कोई दरार पड़े.
उसे याद आया की राज ने उसे अपना बुसीनीस कार्ड दिया था, उसने देखा
की वो कार्ड उसके बेड की साइड मे टेबल पर रखा था. उसने वो कार्ड
उठाया और अपने हाथों मे ले मसल कर फैंक दिया. वो उसे फोन नही
करेगी ये उसने सोच लिया था. वो वकति तौर पर बहक गयी थी, ये
बार का मज़ा था जो ख़त्म हो चुका था. अब वो पहले की तरह एक
आक्ची बीवी और एक आची मा बनकर रहेगी.
महक ने अपने आपको घर के काम मे जुटा लिया जिससे उसका मन और
ख़याल ना भटके. लेकिन फिर भी राज का खड़ा लंड उसकी हरकतें
उसके ख़याल मे आ ही जाते. कई बार तो ऐसा हुआ ही राज के लंड का
ख़याल आते ही उसकी चूत मे एक सनसनी दौड़ने लगी, उसके हाहत खुद
बा खुद उसकी चुचियों पर चले गये और वो उन्हे मसल्ने लगी.
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