RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
बुझाए ना बुझे ये प्यास--7
राज ने अपने लंड को थोड़ा बाहर खींचा और फिर एक ज़ोर का धक्का
मार अंदर घुसा दिया... महक सिसक पड़ी... राज उससे बात करने
लगा.
"साली रंडी की चूत तो पहले से ही गीली है.. क्या मेरे लिए रुक
नही सकती थी.." राज ने गुस्से मे ज़ोर का धक्का मार कहा.
"हां... नही रुक सकती.. कितना तड़प रही थी तुम्हारे लंड के
लिए.. इसलिए अपनी उंगलियों को चूत मे डाल तुम्हारा इंतेज़ार करती
रही." महक ने जवाब दिया.
"तो तुम मेरे लंड के बिना नही रह सकती... उसका इंतेज़ार नही कर
सकती..." राज ने फिर कहा.
"क्या करूँ में अपने आप को रोक नही पाती.. तुम्हारे लंड के ख़याल
से ही मेरी चूत गीली हो जाती है.. तुम्हारा लंड मेरी चूत मे है
ये सोचते ही मेरी चूत मचल पड़ती है.. मुझे तुम्हारे लंड बहोत
अछा लगता है.... हां चोदो मुझे ज़ोर ज़ोर से चूदूओ और बुझा दो
इस चूत की प्यास." महक बोली.
जैसे कोई भॉदबी कपड़ों को मूसल मार मार धोता है वैसे ही राज अपने
लंड से उसकी चूत को रौंदने लगा... वो खुद बहोत उत्तेजित था और
वो झड़ना चाहता था... हर धक्के के साथ उसके मुँह से ज़ोर की
हुंकार निकाल पड़ती.. वो उछाल उछाल कर किसी घोड़े की तरह उसकी
चूत मरने लगा... जब भी उसका लंड चूत के अंदर तक घुसता तो
उसके भरी अंडकोष महक की गॅंड से जोरों से टकराते..... महक
खुशी से सिसक पड़ती...
"ऑश हाआं ऐसे ही छोओओ डोओओ ऑश ओह ज़ोर से चोडो ऑश."
"म्र्स सहगल अछा लग रहा है ना? मेरा लंड तुम्हारी चूत के अंदर
बाहर होता है तो उतमहे मज़ा आता है ना? राज ने उससे पूछा.
"हाआँ बहोट अछा लगता है.. ओह हां चोदते ज़ाआओओ रूको मत... ऑश
में तो गयी..." उसकी चूत फड़फदाई.. . और आनंद की एक मीठी
लेहायर दौड़ी उसकी चूत मे... "ओओओः छूट गया मेरा..." वो जोरों से
सिसकी.
राज उसकी सिस्काइयाँ सुन रहा था.. उसका खुद का लंड पानी छोड़ने को
तय्यार था... उसने अपना लंड बाहर निकाला और उसे घूमने
कहा... "में तुम्हारी इस ब्रा को आपने पानी से नहलाना चाहता हूँ."
महक घूमी और उसके सामने घूटने के बाल बैठ गयी.. राज ज़ोर ज़ोर
से अपने लंड को मुठियाने लगा.. की उसका लंड पिचकारी छोड उसकी
नही काली ब्रा को भीगोने लगा.... गरम गरम वीर्या उसकी ब्रा के
अंदर से उसकी चूसी तक पहुँचा तो महक को मज़ा आने लगा...
जब उसका लंड पूरी तरह झाड़ गया तो उसने महक से कहा, "चल रांड़
अब मेरे लंड को सॉफ कर.."
महक तो खुश हो गयी.. मानो उसे मन की मुराद मिल गयी. उसने उसके
लंड को अपने मुँह मे लिया और ज़ोर ज़ोर से भींहति हुई चूसने लगी..
अपनी चूत और राज के वीर्या का मिश्रण उसे अछा लग रहा था.. वो
चटकारे ले उसके लंड को साफ कर चूस रही थी... थोडी देर के लिए
तो उसका लंड ढीला पड़ा लेकिन तुरंत ही उसमे जान आने लगी और वो
एक बार फिर तन कर खड़ा होने लगा.... उसने अपना हाथ नीचे किया
और अपनी चूत को रगड़ने लगी.. उसे एक बार फिर राज का लंड चाहिए
था.. वो इतनी जल्दी उसे जाने देने वाली नही थी... वो अपनी चूत को
रगड़ते हुए उसके लंड को चूस्ति रही.
"तो तुम्हे मेरा लंड चूसना बहोत अछा लगता है.. है ना म्र्स
सहगल?" राज ने उसे चिढ़ाते हुए पूछा.
महक ने कोई जवाब नही दिया और उसके लंड को चूस्ति रही.
"मेरी छीनाल रांड़ मेरे लंड को चूस तय्यार कर रही है.. वापस
मेरे लंड से चुदवाना चाहती है.. है ना मेरी बूढ़ी रांड़?" राज ने
पूछा.
महक ने अपनी नज़रिएन उठाई और उसके लंड को अपने मुँह से बाहर
निकाल दिया... "हां लेकिन इस बार में तुम्हारे लंड को अपनी गॅंड मे
लेना चाहती हूँ."
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