RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
5.00 बजते ही अजय अपनी ऑफीस से भागा और रजनी के घर की और
रवाना हो गया... उसके घर पहुँच उसने घंटी बजाई तो रजनी ने
दरवाज़ा खोला. रजनी को देखते ही अजय चौंक पड़ा.. उसने आज बड़ा
जान लेवा लीबस पहन रखा था.. वो सिर्फ़ टू पीस बिकनी मे थी..
उसकी पेंटी इतनी छोटी थी की चूत बाहर तक निकल आई थी.. वो
समझ गया की आज रजनी काफ़ी मूड मे है... वो नज़रे झुका कर उसके
आदेश का इंतेज़ार करने लगा.
"साले देख क्या रहा है.. नीचे बैठ." रजनी ने हुक्म दिया.
"हां मालकिन." उसने जवाब दिया.. और फिर अपने घुटनो के बाल उसके
सामने बैठ गया.
रजनी ने पहले दरवाज़ा बंद किया और फिर अपनी चूत उसके चेहरे के
सामने कर डी.. "अब चातो इसे."
अजय ने अपनी जीब निकाली और उसकी चूत को कपड़े के उपर से ही
चाटने लगा .. महीन कपड़े के नीचे से रजनी को अपनी चूत पर अजय
की जीब का एहसास हो रहा था..
"तुम मेरे गुलाम हो वो बहोत अछा है." रजनी ने कहा, उसकी चूत
काफ़ी गरम हो चुकी थी... उसने उसके सिर को पकडा और अपनी चूत
पर दबा दिया....
"तुम्हे मेरी चूत अची लग रही है ना?" रजनी ने पूछा.
"ऊह...उह्ह" वो सिर्फ़ गुण गुण कर के रह गया.. वो ज़ोर ज़ोर से उसकी
चूत चाटने मे लगा हुआ था.. उसका लंड पॅंट फाड़ कर बाहर आने को
तय्यार था.
रजनी की चूत रस से लबालब भर चुकी थी उसे अजय का लंड
चाहिए था... उसने अपनी चूत उसके मुँह से हटाई और उसका हाथ
पकड़ उसे अपने बेडरूम मे ले आई.. कमरे मे आते ही अजय ने बिना
कहे अपने कपड़े उत्तर दिए.. वो उसे लेका पलंग पर आ गयी और उसके
हाथ पावं उसने पलंग के चारों कोने से बाँध दिए.. वो असहाय सा
पलंग पर पसरा पड़ा था.. हाथ उपर को और टाँगे फैली हुई सब
बँधे हुए.. लेकिन उसे ये सब अछा लगता था... रजनी ने अपनी पनटी
निकाली और उसे अजय के पास आ गयी .. और फिर उसके
चेहरे के उपर अपनी जांघों को रख चढ़ गयी और उसे अपनी चूत
चूसने के लिए कहा.
"हरामी साले मेरी चूत चूस.. " उसने हुक्म दिया.. "मेरी चूत का
पानी छुड़ा.. फिर में तुझे मेरी मखमल सी चूत दूँगी चोदने के
लिए.. " कहते हुए उसने अपनी चूत उसके मुँह पर दबा डी.
अजय ने जीब निकाली और उसकी चूत के अंदर तक घुसा दी.. और उसकी
चूत से बहते शहद को चाटने लगा... रजनी अपनी चूत को उसकी
जीब पर घिसने लगी.. वो और ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत को चूसने लगा
चाटने लगा.
"साले आज क्या हो गया है तुझे.. हरामी साले ज़रा ज़ोर ज़ोर से
चूस.... में तेरे मुँह पर अपनी चूत का पानी छोड़ना चाहती
हूँ... तुम्हे मेरे रस का स्वाद अछा लगता है ना?" रजनी ने अपनी
चूत को और उसके मुँह पर घिसते हुए कहा.
"हां हाआँ" वो इतना ही कह पाया.
अपने प्रभाव और ताक़त को देख रजनी खुश हो गयी और उसकी चूत ने
पानी छोड़ना शुरू कर दिया.. वो चिल्ला उठी.
"श हां ऐसे ही चूस ओह मेरा छूट रहा है चाट मेरे रस
को.. ऑश पी जा सारा सारा का" रजनी ने फिर उसे हुकुम दिया.
अजय खुशी खुशी उसकी चूत से बहते अमृत को पीने लगा.
रजनी अपनी चूत को और उसके मुँह पर दबा पानी छोड रही थी.. जब
उसकी चूत की गर्मी थोडी शांत हुई तो वो घूम कर उसके पेट पर
बैठ गयी.
रजनी ने फिर अपनी ब्रा भी निकाल उस पर झुक गयी.... उसके चुचि
के निपल अजय के मुँह से कुछ ही दूरी पर थे.
"साले हमेशा मेरी चुचि को देख फुदकता रहता है. अब क्या सोच
रहा हाई. चूस इसे भी." रजनी ने अपना एक निपल उसके मुँह मे
डालते हुए कहा.
अजय अपनी जीब से उसकी चुचि को चाटने के लिए आगे बढ़ायी तो
रजनी ने अपनी चुचि को पीछे कर लिए.
"तुझे मेरी चुचि बहोत पसंद है है ना?"
"हां"
"तो गिड़गिदा भीक माँग मुझसे" रजनी ने कहा.
"प्लीस मालकिन मुझे आपकी चुचि चूसने दीजिए ना... कितनी प्यारी
है... हां में इन्हे पीना चाहता हूँ." अजय ने गिड़गिदते हुए
कहा.
रजनी ने अपनी चुचि उसके मुँह मे दे दी.. और वो सुके निपल को अपनी
जीब से चाटने लगा... रजनी मदमस्त हो अपनी गीली चूत को उसके
खड़े लंड पर घिस रही थी.. वो फिर अपने पूरे वर्चस्वा पर थी..
किसी को अपना गुलाम बनाना उसे अछा लगता था.. उसने एक बार फिर अपनी
चुचि को उसके मुँह से निकाला और थोड़ा उपर हो उसके खड़े लंड को
अपनी चूत से लगा लिया.
"अब अपनी मालकिन को अची तरह चोदोगे ना?" रजनी ने उसके लंड पर
धीरे धीरे उछलते हुए कहा.
"हां हां मालकिन" अजय ने जवाब दिया.
"मुझसे पहले मत झड़ना .. हम दोनो साथ साथ पानी छोड़ेंगे..
समझे" रजनी ने फिर उससे कहा.
|