RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
बुझाए ना बुझे ये प्यास--6
"हां" उसने जवाब दिया.
"और मेरी चूत गीली हो गयी है जिसे में अपनी उंगलियों से चोद
रही हूँ." उसने कहा.
वो अपने लंड को ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगा और भींचने लगा.
"क्या तुम्हे नही लगता की मेरी उंगलियों की जगह तुम्हारा लंड मेरी
चूत मे होना चाहिए?' उसने फिर पूछा.
"हां... हां.. " उसने अपने लंड को जोरों से मसल्ते हुए कहा.
"तो फिर बताओ मुझे तुम मेरी ये फल जैसी चूत का रस पीने कब
आ रहे हो." उसने पूछा.
"में अपनी जीब तुम्हारी चूत मे घुसा चाटना चाहता हूँ." वो
सिसकते हुए बोला.
"क्या तुम मेरा ये रस पीना पसंद करोगे?" उसने पूछा.
"हां"
"तो फिर रात को आ जाओ." उसने कहा.
"नही... मेरी पत्नी.." उसने जवाब देना चाहा और अपने लंड को
मसलना बंद कर दिया.
रजनी को पता था की वो अपने आप को रोक नही पाएगा.. उसकी हालत ही
ऐसी थी.. उसने फिर कहा, "अपनी पत्नी से कह देना की तुम्हे ऑफीस
मे काम है.. तुम्हे मेरी चूत पसंद है ना.. तुम इसे चूसने के
लिए तरस रहे हो है ना?" उसने कहा.
रजनी सही थी.. उसे अपनी ताक़त का अंदाज़ा था. अपनी मादक और
उत्तेजञात्मक हरकतों से वो आछे आछे मर्द को बहका सकती थी.. उसकी
पत्नी एक सुखी और शांत औरत थी.. रजनी उसके अंदर एक नई जान
डाल देती थी.. उसके लंड को एक नया आकार देती थी.. और जो कुछ वो
रजनी के साथ कर सकता था वो सब कुछ उसकी पत्नी के साथ नही कर
सकता था... साथ ही ना वो अपने लड़के की मा को वो सब कुछ करने के
लिए कह सकता था.. थोडी देर बाद उसने कहा.
"ठीक है में शाम 6.30 तक आ जौंगा."
"ये हुई ना मेरे आछे सनम वाली बात.." रजनी ने कहा, "अब आछे
बचे की तरह अपने लंड को वापस पॅंट मे डालो और अपनी ताक़त मेरे
लिए बचा कर रखो.. ठीक है शाम को मिलते है."
उस शख़्स ने फोन रख दिया और फिर अपने घर अपनी पत्नी को फोन
मिलने लगा...
"हेलो?" महक ने जवाब दिया.
"हाय जान.. मुझे ऑफीस मे टूर की कुछ रिपोर्ट्स तय्यार करनी है..
इसलिए थोडी देर हो जाएगी.. इसलिए तुम खाना खा लेना और सो
जाना.. ठीक है बाद मे मिलते है."
"ठीक है डियर.. अपना ख़याल रखना," महक अपने पति की बात
सुनकर खुश हो गे थी. वो राज को बुलाने की सोचने लगी... उसने
तुरंत राज का नंबर मिलाया.
अजय ने फोन रख दिया.. उसका लंड अभी भी खड़ा था... वो अपने
लंड को मसलना चाहता था अपना पानी छोड़ना चाहता था लेकिन वो डर
रहा था की कहीं रजनी को पता चल गया तो.. वैसे भी ऑफीस मे
कोई जगन नही थी जहाँ वो पानी छोड सके. उसने अपने लंड को वापस
पॅंट के अंदर किया... और रजनी को अपने दीमग से झटक वो अपने
काम मे लग गया.
अजय से फोन पर बात करने के बाद उसने फोन रख दिया. हंसते हुए
वो किचन मे कुछ खाना बनाने चली गयी.. वो नंगी नही थी वो
पूरे कपड़े पहने हुए थी... सिर्फ़ अजय के साथ मज़ाक कर खेल रही
थी.
अजय को अपने वश मे किए रजनी को करीब एक साल हो गया था.. वो
तो उसके हुक्म का गुलाम था.. जब भी उसे किसी की ज़रूरत होती तो वो
अजय को बुला लेती.. वो एक तरह से उसकी पूजा करता थ.ऽउर रजनी
को उसके साथ खेल खेलने मे मज़ा आता था.. अजय का लंड इतना बुरा
भी नही था.. अछा ख़ासा था जो रजनी को पसंद था.. सबसे बड़ी
बात की वो चूत बहोत अची चूस्ता था...
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