RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
महक खड़ी हुई और राज के पास आ गयी.. राज रजनी की टांगो के
बीच झुका हुआ था.. महक ने उसके लंड को पकडा और उसे पहले तो
थोड़ी देर मसाला फिर उसे रजनी की चूत के मुँह पर लगा दिया...
जब लंड रजनी की चूत पर टीका था राज ने एक बार फिर रजनी से
कहा.
"म्र्स सहगल से कहो की तुम्हे क्या चाहिए? साली छीनाल रांड़ भीक
माँग." राज ने ज़ोर से कहा.
"ओह्ह्ह महक प्लीज़ मुझे दे दो ना... इसके लंड को मेरी चूत मे
घुसा दो." वो गिड़गिदने लगी.. उसे विश्वास नही हो रहा था की ये
एक जवान लड़का जो उससे आधी उम्र का था इस तरह उस पर हावी हो
सकता है.. हमेशा से वो ही दूसरों पर हावी होती आई थी लेकिन
आज इस लड़के ने उसे अपना गुलाम बना लिया था.. वो किसी रंडी की
तरह लंड की भीक माँग रही थी... अब उसकी समझ मे आया की महक
क्यों इसके लंड के लिए पागल रहती है... कुछ बात तो है इस लड़के
राज मे.
महक ने राज के लंड को पहले तो रजनी की चूत पर थोड़ी देर घिसा
फिर ठीक से लगा अपना हाथ हटा लिया.. उसकी चूत इतनी गीली थी
राज के एक ही झटके मे पूरा लंड अंदर चला गया. ..
रजनी खुशी से चिल्ला पड़ी.. उसे विश्वास नही हो रहा था की कोई
लंड इतना सख़्त और मोटा हो सकता है. उसे लगा की उसकी चूत की
दीवारें फट गयी.... बुड्ढे मर्दों के लंड से चुडा चुडा कर
वो किसी जवान लंड का स्वाद ही भूल चुकी थी.. और एक जवान मोटा
लंड उसे चोद रहा था.. वो पागल हो रही थी... सिसक रही थी ..
राज उसकी चूत मे धक्के मारता रहा.. "बुद्धी है तो क्या हुआ साली की
चूत है जोरदार कितनी गरम है अंदर से मज़ा आ गया" उसने अपने
आप से कहा... कितना गॅतीला बदन है इस रंडी का और लंड तो ऐसे
चूस्ति है जैसे की कोई छोटा बचा कॅंडी आइस क्रीम चूस्ता हो...
सोचते हुए राज झपाक झपाक धक्के मार उसे चोद रहा था... अब दो
बुढ़ियाँ उसकी रंडियां बन चुकी थी.. वो जब चाहे इन दोनो को चोद
सकता था.. अपने इशारों पर नाचा सकता था...
महक वहीं कुर्सी पर बैठ अपने यार को अपनी प्यारी सहेली की
चुदाई करते देख रही थी.. वो खुद गरम होती जा रही थी.. उसने
अपनी चूत मे उंगली डाल अंदर बाहर करना शुरू कर दिया...
थोडी ही देर मे रजनी को महसूस हुआ की उसकी चूत के अंदर से कोई
लावा फूटने वाला है.. उसे लगा की चूत की सभी नसे तन गयी...
उसका पूरा बदन कांप उठा और .. निढाल पड़ गयी.. उसकी गर्मी शांत
हो चुकी थी.
राज दोनो रंडियों की चूत को पानी छोड़ता देखता रहा उसका लंड खुद
तन कर रजनी की चूत मे मचल रहा था..
"हां रांड़ ले मेरे लंड को और ले. हाआँ ळे ओ मेरा भी छूटने
वाला है.." राज ने कहा.
"हां चोडो मुझे और ज़ोर से ओह चोडो श छोड दो अपने पानी को
मेरी चूत मे भर डो इसे अपने रस से.." रजनी सिसक पड़ी.
राज के दिल मे तभी एक शैतानी ख़याल आ गया उसने अपनी रफ़्तार
धीमी की और रजनी को देखने लगा... "नही तुम जैसी रंडियन को
मेरे लंड का पानी नही मिल सकता..." फिर वो महक की और घुमा...
और अपना लंड रजनी की चूत से बाहर निकाल बोला.
"मेरी छीनाल रॅंड ज़रा मेरे पास आना और मेरे लंड को ज़ोर ज़ोर से
मसल और मेरे पानी को इस दूसरी रॅंड के बदन पर छुड़ा दे. "
महक ने उसके लंड को पकडा और ज़ोर ज़ोर से मसालने लगी.. लंड रजनी
की चूत के रस से गीला और किसी लोहे की सलाख की तरह सख़्त
था... वो उसे अपनी मुति मे भर ज़ोर ज़ोर से मुठियाने लगी... राज ने
एक हुंकार भरी और उसका लंड पिचकारी पर पिचकारी रजनी के बदन
पर छोड़ने लगा.. महक असचर्या से उसके वीर्या को डेक्ति रही थी...
उसे विश्वास नही हो रहा था की कोई लंड इतना पानी भी छोड़ सकता
है.. रजनी का बदन उसके वीर्या से नहा गया.
जब उसके लंड ने एक एक बूँद रजनी के चेहरे पर, बालों पर और उसकी
चुचियों पर छोड़ दी तो राज ने महक को उसका लंड चूस कर सॉफ
करने को कहा... महक ने झुक कर उसके लंड को अपने मुँह मे लिया...
रजनी और राज के रस से भीगा लंड का स्वाद उसे अछा लगने लगा.
राज को जब लगा की उसका लंड सॉफ हो गया है तो वो खड़ा हो गया
और अपने कपड़े पहने लगा और बोला, "म्र्स शर्मा आप मेरा नंबर म्र्स
सहगल से ले सकती.. है और जब भी आपकी इस चूत मे खुजली मचे
तो मुझे याद कर सकती है." फिर वो चला गया.
दोनो औरतें सूखा का परम आनंद प्राप्त पर सोफे पर लेती थी..
तभी रजनी को लगा की शायद उसने महक पर अपना प्रभाव कम कर
दिया हो.. इसलिए अपना वर्चस्वा साबित करने के लिए उसने महक से
कहा.
"महक आओ और ज़रा मेरी चुचियों को चूसो."
महक राज के वीर्या से भरी उसकी चुचियों को चूसने लगी.. उसके
वीर्या को अपनी जीब से चाटने लगी.. उसके निप्पेल को मुँह ले चूसी तो
उन मे फिर से जान आ गयी वो फिर तन कर खड़े हो गये."
"तुम मेरी बहोत ही प्यारी छीनाल हो.... हां क्या मुँह पाया है
तुमने..
"चूवसो मेरी चुचियों कू.. हां मेरे निपल को चूसो." महक
फिर गमने लग गयी थी.
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