RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
बुझाए ना बुझे ये प्यास--5
रजनी सिसक रही थी... उसने राज के दोनो कुल्हों को पकड़ उसके लंड को अपने
गले तक लेने लगी... उसका लंड और अकड़ रहा था.. वो समझ गया
की अब उससे रुकना मुस्किल है.. .
"ळे और ळेएए.. मेरी शैतान रांड़ ळेए अपने गले मईए ळे चूस मेरा
छूटने वाला है.. ऑश हां ये ळेएएए ये आय्याअ."
रजनी और जोरों से चूसने लगी.. उसके हाथों का कसाव राज की गॅंड
पर और बढ़ गया.... राज ने अपने लंड को पूरा उसके गले तक घुसा
वीर्या छोड़ दिया.... गरम वीर्या की धार जैसे ही रजनी के गले से
टकराई वो उसे पी गयी.... राज ने अपने लंड को थोड़ा बाहर खींचा
और एक ज़ोर का धक्का मार वापस उसके गले तक डाल दिया.... उसके लंड
ने फिर पिचकारी छोड़ी... दो तीन बार राज ने ऐसा ही किया.... जब
सारा वीर्या निकल गया तो उसने रजनी को हटा दिया और सोफे पर बैठ
गया.
रजनी अपने होठों पर लगे राज के वीर्य को चाटते हुए राज के बगल
मे सोफे पर पसर सी गयी.
"सच मे तुम बहोत अछा लंड चूस्ति हो ठीक किसी 200/- रुपये की
रंडी की तरह.. " राज ने रजनी से कहा, "हम जल्दी ही मिलेंगे."
"में चाहती हूँ की तुम मुझे चोदो." रजनी ने उसे कहा.
राज जवान था इसलिए उसका लंड तुरंत ही वापस अपने पूरे आकार मे आ
गया... वो भी रजनी को चोदना चाहता था लेकिन इतनी आसानी से
नही...
"अगर तुम चाहती हो की में तुम्हे चोदु तो तुम्हे साबित करना होगा
की तुम्हारी चूत को कितनी मेरे लंड की ज़रूरत है.. मेरे लंड का
भी ख़याल करो... में चाहता हूँ की तुम अपने साथ खेलो... फिर
तुम जैसे कहोगी में तुम्हे चोदुन्गा." राज ने कहा.
रजनी तुरंत अपनी चूत को मसालने लगी.. उसने दो उंगलियाँ अपनी
चूत मे डाली और अंदर बाहर करने लगी..... दूसरे हाथ से अपनी एक
चुचि को पकड़ मसालने लगी.. कभी चुचि को उठा अपने मुँह के
पास लाती और निपल पर अपनी जीब घूमने लगती.. वो ठीक किसी
रंडी की तरह कर रही थी और राज को रिझाने की कोशिश कर रही
थी...
महक चुपचाप तमाशा देख रही थी.. जो रजनी उसके साथ इतने
प्रभावी रूप से पेश आ रही थी वही इस वक्त राज के सामने गिड़गिदा
रही थी.. राज ने उसे भी छीनाल और रंडी बना डाला था...
"तुम भी मिसिस सहगल की तरह एक रंडी एक छीनाल हो.. है ना? अपनी
चूत मे लंड लेने के लिए तुम कुछ भी कर सकती हो... मेरा लंड
तुम्हे अछा लगता है है.. इसे अपनी चूत मे लेना चाहती हो...? राज
ने रजनी से पूछा.
"हां मेरी चूत को तुम्हारे लंड की ज़रूरत है.. ये तड़प रही
है." रजनी ने जवाब दिया.
"कितना तड़प रही है.. कितनी ज़रूरत है तुम्हारी चूत को मेरे
लंड की..." राज ने फिर पूछा.
"बहोट सख़्त ज़रूरत है... अंदर जैसे आग लगी हुई है.. अंदर
चीटियाँ चल रही है.. और इस तड़प इस जलन को तुम्हारा लंड ही
बुझा सकता है.. अपने लंड इस तड़प को मिटा दो." रजनी ने कहा.
"तुम भी एक ख़ास बूढ़ी रांड़ हो... जो हर समय लंड के लिए
तड़पति रहती है.. बताओ मुझे की इस रंडी को मेरा लंड कितना अछा
लगता है.. ." राज ने फिर कहा.
रजनी की चूत ने फिर उबाल खाना शुरू कर दिया था.. वो पानी
छोड़ने वाली थी.. लंड के लिए वो कुछ भी कहने और करने को तय्यार
थी.. जैसा राज ने कहा वो कहने लगी.
"हाआँ ... हाआँ.. में वो रॅंड हूँ जिसे लंड की हर वक्त ज़रूरत
रहती है.. मुझे लंड बहोत आछे लगते है.. मुझे तुम्हारा ये मोटा
गधे जैसा लंड अपनी छूट मे चाहिए.. ओह्ह्ह्ह्ह मेरा पानी छ्छूता
कहते हुए वो सिसक पड़ी और उसकी चूत ने तीसरी बार पानी छोड़
दिया.
राज के चेहरे पर कोई प्रतिक्रिया नही थी.. वो वैसे ही खड़ा रहा
जैसे की कुछ हुआ ही ना हो.. उसने महक की और देखा और कहा.. "म्र्स
सहगल क्या तुम अपनी इस रंडी किस्म की सहेली की चुदाई देखना पसंद
करोगी?" उसने पूछा.
महक ने अपनी गर्दन हां मे हिला दी.
"इसका पूरा नाम क्या है?" राज ने पूछा.
"शर्मा, रजनी शर्मा." उसने जवाब दिया.
"ठीक है फिर यहाँ आओ और मेरे लंड को अपने हाथों से म्र्स शर्मा
की चूत मे डाल दो." राज ने कहा.
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