RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
बुझाए ना बुझे ये प्यास--4
रजनी को एहसास हुआ की उसका कितना प्रभाव था महक पर. वैसे भी
वो यहाँ चुड़वाने आई थी... उसने सोचा क्यों ना महक के साथ ही...
कम से कम चूत का पानी तो चूतेगा... उसने अपनी स्कर्ट को कुल्हों से
उपर तक उठाया और वापस बैठ गयी.
"यहाँ मेरे पास आ छीनाल और मुझे बता की में तुम्हारे पास क्यों
रुकु. ऐसा क्या दोगि तुम मुझे." रजनी ने कहा.
महक उसके पास आई और उसकी टॅंगो के बीच बैठ गयी.. रजनी ने
कोई पॅंटी नही पहन रखी थी.. उसने अपना मुँह उसकी चूत पर रखा
और बड़े प्यार से चाटने लगी. फिर अपने मुँह मे भर धीरे धीरे
चूसने लगी....
"हां अब तुम सही मे छिनालों की तरह चूस रही हो... हां मेरी
गरम और गीली चूत को चूस चूस कर मेरा पानी छूडाडे.. साली ."
रजनी बड़बड़ा उठी.
महक खुशी खुशी उसकी चूत को जोरों से चूसने लगी.. वो ज़ोर ज़ोर
से अपनी जीब चला रही थी.... रजनी को मज़ा आता जा रहा था..
उसने महक के सिर को पकड़ अपनी छूट पर दबा दिया... महक ने उसकी
चूत को खोल अपनी जीब अंदर बाहर करने लगी..
"श हां चूस चूस और ज़ोर से चूस ओःःः तुम कितना अछा चूस्टी
हो ओःःः छुड़ा दो मेरा पानी और पी जा उस पानी को...." रजनी सिसक
उठी.
रजनी के इन शब्दों ने महक के शरीर मे एक ताक़त सी भर दी वो और
ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी.. अपनी जीब से चाटने लगी.. खुद अपने
हाथों से अपनी चूत को मसालने लगी.. रगड़ने लगी.. थोड़ी ही देर
मे रजनी चल्ला उठी..
"ऑश में तो गयी.. ओह हाआँ मेरा छूटा." और उसकी चूत ने महक
के मुँह मे पानी छोड़ दिया. महक की खुद की साँसे उखड रही थी..
चूत अपने पूरे उबाल पर थी.. उसका भी पानी छूटने वाला था... वो
ज़ोर ज़ोर से अपनी चूत को मसालने लगी.. तभी दोनो के कानो मे किसी
मर्द की आवाज़ सुनाई पड़ी.
"क्या बात है क्या कर रही हो तुम दोनो?" राज ने एक बड़ी कातिल
मुस्कान के साथ पूछा.. "म्र्स सहगल क्या यही वो सर्प्राइज़ है जो तुम
मुझे देना चाहती थी... "
महक वैसे ही चुप चाप रजनी की टॅंगो के बीच बैठी रही.. उसे
नही पता था की राज की तरह पेश आएगा उसे इस हालत मे देख
कर... शायद वो नाराज़ हो जाए की वो किसी और के साथ भी अपना दिल
बहलाती है.. या फिर.. वो उसकी प्रतिक्रिया का इंतेज़ार करने लगी.
वहीं रजनी खुस थी... उसकी चूत ने अभी अभी पानी छोड़ा था और
वो एक अची चुदाई के लिए तय्यार थी.. वो अपनी जगह से हिली भी
नही... ना ही उसने अपने कपड़े ठीक कर अपने आप को ढकने की
कोशिश की.. उसे बिल्कुल भी शरम नही आ रही थी.. उसने राज की
और देख कर आँख मारी और अपना हाथ अपनी चूत पर रख उसे
मसालने लगी.
राज थोड़ी देर तक तो दोनो को देखता रहा फिर महक से बोला, "लगता
है की तुम अपनी जैसी ही किसी छीनाल रांड़ को साथ लाई हो खेलने के
लिए... और तुमने इसे गरम भी कर रखा है."
महक की समझ मे नही आया की वो क्या कहे इसलिए उसने वही किया
जिससे की राज खुश होता था.. वो खिसक कर राज के पास आई और
उसकी पॅंट की ज़िप खोलने लगी.... उसके ढीले लंड को बाहर निकल वो
बोली.
"ये रजनी है.. जब मेने इसे बताया की तुम मुझे कितना खुश करते
हो तो इसने कहा की वो देखना चाहती है.." महक उसके लंड को
मसालने लगी थी...
"अरे ये देखेगी ही नही बहोत कुछ करेगी भी.. लेकिन वो सब बाद
मे." राज ने कहा, "पहले तुम किसी अछी रांड़ की तरह मेरे लंड को
अपने मुँह मे लेकर चूसो."
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