RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
महक जब नीचे पहुँची तो देखा की उसका पति अजय गुस्सा हो रहा
था... वो बहोत ज़्यादा नाराज़ था और ये जानना चाहता था की वो
कहाँ गयी थी... महक शांत रही और उसने उसे याद दिलाया की वो
रजनी की मदद करने उसकी ऑफीस मे गयी थी. तब उसने बताया की
उसके बॉस का फोन आया था और उसे सुबह की फ्लाइट से ही बाहर
जाना है इसलिए वो घर जाना चाहता है ताकि महक उसका समान पॅक
कर दे जिससे वो सुबह की पहली फ्लाइट पकड़ सके.
मियाँ बीवी दोनो घर पहुँचे और महक ने उसका समान पॅक कर
दिया... उसके पति ने फोन पर अपनी टिकेट बुक कराई.. फिर हर
बार की तरह उसे जल्दी जल्दी चोद और सो गया... लेकिन वो एक बार
फिर महक को प्यासा चोद गया.. उसकी प्यास थी की बुझती ही नही
थी... वो तड़प रही थी..
महक का पति उसे अक्एएला और प्यासा छ्चोड़ चला गया था.. उसे अब
अपने यार के लंड की ज़रूरत थी और वो भी अभी.. उसकी चूत सुलग
रही थी.. आग लगी हुई थी उसके अंदर... उसने अपना फोन उठाया और
राज का नंबर मिलाया.... हर बार की तरह उसने जवाब नही दिया तो
उसने उसके वाय्स मैल पर मेसेज छ्चोड़ दिया.
"है जान कहाँ हो तुम... मुझे तुम्हारी ज़रूरत है.. अभी मेरी
चूत तुम्हारे लंड के लिए तड़प रही है.... जल्दी आ जाओ में
तुम्हे एक सर्प्राइज़ देना चाहती हूँ.." उसने बड़ी कामुक आवाज़ मे
मेसेज बोल फोन रख दिया.
पलंग पर लेट कर वो पीचली रात रजनी के साथ बीताए समय को
याद करने लगी.. रजनी कितनी आची थी.. वो उसे कितना खुश करती
थी.. और उसके साथ होने पर उसकी चूत पानी भी बहोत छोड़ती थी...
उन पलों को याद कर वो अपनी चूत को मसल्ने लगी.. और अपनी
चुचियों को भींचने लगी.
तभी फोन की घंटी बाजी.. महक ने उठ कर फोन उठा लिया.
"हेलो?" उसने जवाब दिया.
"है मेरी जान कैसी हो? उसे रजनी की आवाज़ सुनाई दी.. कल रत तुम
इतनी जल्दी और बिना बताए चली गयी... में कितनी देर तुम्हे
ढूंडती रही... मेना कितना कुछ सोच रखा था तुम्हारे लिए."
रजनी ने कहा.
महक ने रजनी को बताया की किस तरह उसके पति का बाहर जाने का
प्रोग्राम बन गया और उसे घर जाना पड़ा...
"तुम अपना वादा तो नही भूली हो ना... " रजनी ने पूछा.
"नही रजनी में बिल्कुल भी नही भूली." उसने जवाब दिया.. उसे याद
था की उसने रजनी को राज से मिलवाने का वादा किया था.. "मेने अभी
उसे फोन किया था.. उमीद है की आज की रात वो यहाँ मेरे पास
आएगा.. उसका फोन आने पर में तुम्हे फोन करती हूँ."
"ठीक.. है हम बाद मे बात करते है. हां मुझे ज़्यादा इंतेज़ार
मत कराना मेरी छीनाल गुड़िया.." कहकर रजनी ने फोन रख दिया.
आख़िर शाम को राज ने फोन किया.. हर बार की तरह उसने महक से
कहा की वो थोड़ा काम निबटा कर उसके पास आ जाएगा.... महक को पता
था की उसे चुदाई पसंद है खास तौर पर जॉब वो दो तीन ड्रिंक ले
लेता है... उसने तुरंत रजनी को फोन कर के बता दिया की राज रात
को आने वाला है. रजनी ने पूछा की कब तो उसने कहा की उसे पता
नही... पर वो आएगा ज़रूर.... इसलिए उसने रजनी को रात के खाने
पर बुला लिया.... उसके बाद दोनो मिलकर राज का इंतेज़ार करेंगे..
खाने की टेबल पर दोनो बात करने लगे की किस तरह महक राज से
उसका परिचय कराएगी.. सबसे अछा तरीका यही होगा की वो राज से ये
कहे की वो दोनो को चुदाई करते देखना चाहती है फिर सही समय
देख कर रजनी अपने आप को उसे पेश करेगी.. उसे विश्वास था की
दूसरी औरत को देख राज नाराज़ नही बल्कि खुश होगा.. वो तो खुद
बहोत बड़ा चोदु है.. भला उसे क्या तकलीफ़ हो सकती है...
खाना खाने के बाद दोनो ने मिलकर सफाई की और फिर हॉल मे आकर
टीवी देखते हुए राज का इंतेज़ार करने लगे... समय बीतता जा रहा था
और रजनी बैचाईन होती जा रही थी. वो बार बार राज के विषय मे
पूछती क्या वो सही मे आने वाला है.. हर बार महक उसे विश्वास
दिलाती की वो ज़रूर आएगा...
आख़िर रात के 12.00 बजने को आ गये.. अब महक को भी शक़ होने
लगा की शायद वो नही आएगा..... आख़िर 12.30 रजनी खड़ी हुई और
बोली की वो घर जा रही है.
"प्लीज़ मत जाओ ना.. राज नही आया तो क्या हुआ में तो हूँ ना.. "
महक ने बड़े प्यार से कहा.. "वैसे भी में अकेली नही रहना
चाहती."
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