RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
बुझाए ना बुझे ये प्यास--3
क्लब पहुँच कर वो प्रोग्राम की तयारि करने लगी.. तभी उसने देख
की रजनी आ रही है तो वो रुक गयी. उसे देखते ही उसके बदन मे
सिरहन सी दौड़ गयी... रजनी के साथ बीताए पल वो भूली नही
थी... सूकी चूत मे हलचल होने लगी.... उसने देखा की रजनी रूम
के बीचों बीच खड़ी होकर सबको हुकुम दे रही थी.
रजनी एक काले रंग की ड्रेस पहन रखी तो जो काफ़ी छोटी थी..
उसके जन्घे तक बड़ी मुस्किल से ढाकी हुई थी.... उसके चूतड़ की
गोलाइयाँ दीखाई पड़ रही थी... महक का दिल कर रहा था की वो उसी
समय रजनी पर टूट पड़े.. लेकिन महॉल नही था...
थोडी देर बाद रजनी महक के पास आई और उसे गले लगा 'हेलो'
कहा. महक भी उसे जवाब दे वापस अपने काम मे लग गयी. पूरी रात
प्रोग्राम के बीच रह रह कर महक रजनी को घूरती रही.. वो अपने
ख़यालों मे सोचती रही की अगर मौका लगेगा तो रजनी के साथ ये
करूँगी.. वो करूँगी..
थोडी देर बाद महक लॅडीस रूम मे गयी जिससे थोड़ी शांति मिल
सके... वो वॉश बेसिन पर खड़ी थी की उसने दरवाज़ा खुलने की आवाज़
सुनी... उसने ध्यान नही दिया और अपनी गर्दन को टवल से पाहुँचती
रही.. तभी उसने निगाह उठाई तो देखा रजनी उसके पीछे खड़ी थी.
"है मेरी जान कैसी हो?" रजनी उसके कन मे धीरे से बोली और अपनी
चुचियों को उसकी पीठ से रगड़ने लगी. .. में देख रही थी की
तुम्हारी निगाहें मुझ पर ही टिकी हुई थी.. लगता है कुछ दिन पहले
जो तुम्हे मुझसे मिला था वो तुम्हे फिर से चाहिए?
महक कोई जवाब नही दे पाई.. रजनी के छूते ही उसकी चूत गीली
होने लग गयी थी.. रजनी के शब्द उसके जज्बातों को भड़का रहे
थे... वो वैसे ही वहाँ खड़ी रही.. रजनी ने अपना हाथ आगे किया
और उसकी स्कर्ट के अंदर डाल उसकी जांघों को सहलाने लगी.. फिर उसका
हाथ महक की चूत तक पहुँच गया.
"पेंटी नही पहनी हो ना? बड़ी शैतान हो... क्या करूँ में तुम्हारा?"
महक बिना हीले दुले वैसे ही खड़ी रही.. कोई भी किसी भी समय
टाय्लेट मे आ सकता थ....वो पकड़े जाएँगे.. और उसका पति ज़रूर
उसे चोद देगा... लेकिन उसे कहाँ अपने पति की पड़ी थी....
रजनी ने धीरे से अपनी उंगली उसकी चूत मे घुसा दी... महक सिसक
पड़ी.... और उसका सर पीछे होकर रजनी के कंधों पर झुक गया.
"तुम तो पूरी तरह से गीली हो गयी हो... क्या बात है मेरे बारे मे
सोच रही थी क्या.. क्या में तुम्हारी चूत को गीला कर देती हूँ."
महक ने अपनी गर्दन हिला दी और सीस्सकने लगी.
अचानक दरवाज़ा खुला... रजनी ने घबरा कर अपनी उंगली उसकी चूत
से बाहर निकाल ली और उसके स्कर्ट को चोद दिया... वो महक के बगल
मे वॉश बेसिन पर खड़ी हो गयी और अपना मेक उप ठीक करने
लगी... थोड़ी देर बाद जो अंदर आया था वो वापस चल गया... तो
रजनी ने अपनी उंगली महक के होठों पर रख दी. . महक अपने ही रस
से भीगी उंगली को चूस अपने रस का स्वाद लेने लगी.
"कोई भी बहाना कर मुझे मेरे ऑफीस मे पाँच मिनिट मे मिलो..
मुझे इंतेज़ार मत करवाना.." कहकर रजनी वहाँ से, महक की गीली
चूत को तड़प्ता छ्चोड़ वहाँ से चली गयी.
महक अपने कपड़े ठीक कर वापस भीड़ मे आ गयी.. वो अपने पति से
बोली की उसे रजनी की ऑफीस मे कुछ उसकी मदद करनी है.. इसलिए
थोड़ी देर मे आएगी.. वो हॉल से निकाल रजनी की ऑफीस की और चल
दी. दरवाज़े पर दस्तक देकर वो अंदर आ गयी... तो देखा की रजनी
ने अपने कपड़े उत्तर दिए थे और टेबल का सहारा लिए खड़ी थी.
"अपने कपड़े उतारो." रजनी ने महक से कहा.
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