RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
महक के माथे पर पसीना आ गया... उसे डर लगने लगा की अगर
अजय को पता चल गया की वो जहाँ खड़ा है उससे दस कदम की दूरी
पर ही उसने रजनी के साथ सेक्स किया है तो क्या हॉंगा.. घबराई हुई
सी उसने कुर्सी खींची और उसे बैठ कर खाना खाने के लिए कहा.
अगले दिन सुबह महक जब सो कर उठी तो तो खुश थी और अपने यार
राज के स्वागत मे तय्यार होने लगी.. दोपहर के थोड़ी देर बाद ही
दरवाज़े पर दस्तक हुई.... महक ने लगभग दौड़ कर दरवाज़ा खोला
और राज को खींच कर घर के अंदर ले आई.. राज महक को उत्तेजित
कपड़े पहेने देख खुश हो गया..
"ओह्ह्ह मेरी छिनाल रांड़ आज अपने यार को खुश करने के लिए मरी
जा रही है...." राज ने कहा.
"हाआँ और क्या... कितना तड़पाते हो तुम.. कितना तदपि हूँ तुम्हारे इस
लंड के बिना..." महक ने उसके लंड को पॅंट के उपर से ही पकड़ा और
उसके सामने घुटनो के बल बैठ उसकी पॅंट की ज़िप नीचे कर उसके लंड
को बाहर निकल लिया... फिर अपने मुँह को 'ओ" का आकार दे उसे मुँहे मे
लिया और चूसने लगी... राज की शैतानी भारी बातें जारी थी.
"तुम्हे अपने पति से डर लगता है ना? इसीलिए मुझे दिन मे बुलाया
है..." राज ने पूछा.
महक ने उसके सवाल को नज़र अंदाज़ कर दिया और उसके लंड को ज़ोर ज़ोर
से चूस्ति रही...
"मेने तुम्हसे कुछ पूछा है... क्या तुम्हे डर लगता है की तुम्हारा
पति घर आकर तुम्हे इस तरह मेरा लंड चूस्ते पकड़ लेगा."
महक ने उसके लंड को अपने मुँह से निकाला और उसे मुट्ही भर के मसल्ने
लगी... फिर अपनी नज़रें उठा उसकी तरफ देख कर बोली, "मेरा पति
अभी शाम से पहले घर आने वाला नही है."
"हो सकता है नही आए... लेकिन ये भी तो हो सकता है की आज वो
घर जल्दी आ जाए... मुझे लगता है की हमे आगे नही बढ़ना
चाहिए... वरना तुम्हे परेशानी का सामना करना पड़ सकता है... "
इतना कहकर राज उससे पीछे खिसक गया और उसका लंड महक के
हाथों से फिसल गया.
महक राज की इस व्यवहार सा तोड़ा डर गयी.. "प्लीज़ मुझे तुम्हारा
लंड दे दो..... मुझे तुम्हारा लंड चाहिए अभी... मत रूको.."
"फिर तो इसका ये मतलब हुआ की तुम्हे तुम्हारे पति से बिल्कुल डर नही
लगता और तुम उसकी परवाह नही करती अगर वो आए तो आए." राज ने
फिर कहा.
महक के लिए तो राज का लंड प्राणो से बढ़कर था... उसके लंड के
लिए वो कुछ भी कह सकती थी कुछ भी कर सकती थी.. "हां मुझे
अपने पति की कोई परवाह नही.... बस तुम मुझे अपना लंड दे दो.."
राज ने अपने एक हाथ से उसके बालों को पकड़ अपने करीब खींचा और
दूसरे हाथ से अपने लंड को पकड़ उसके मुँह मे घुसा दिया.... फिर
ज़ोर ज़ोर तब तक उसके मुँह को चोदता रहा जब तक की उसका लंड किसी
सलाख की तरह सख़्त नही हो गया.
"चलो तुम्हारे बेडरूम मे चलते है.. में तुम्हे उसके पलंग पर
चोदना चाहता हूँ." राज ने कहा.
"नही हम वहाँ नही जा सकते हुए." महक ने कहा.
"में तो समझा था की तुम अगर पकड़ी भी गयी तो तुम अपने पति से
नही डॅरोगी." राज ने जवाब दिया.
महक अपनी ही बातों मे फँस गयी थी... उसे पता था की अगर उसने
राज की बात नही मानी तो वो वहाँ से चला जाएगा.... पर वो अपने
पति के ही पलंग पर उससे चुड़वाना नही चाहती थी... फिर उसे
ख़याल आया की दोनो को चुदाई के लिए कितनी जगह लगेगी.. इसलिए
उसने हां कर दी. कमरे मा आकर राज पलंग पर पीठ के बल लेट
गया.. उसका लंड हवा मे तन कर खड़ा था.
"अब मेरे उपर आ जाओ और आज तुम मुझे चोदो" राज ने उसे अपनी और
खींचते हुए कहा.
महक ने अपना गाउन उत्तारा और राज की टाँगों के बीच आ गयी... फिर
अपनी दोनो टाँगो को उसके अगल बगल रख वो उसके पॅट पर तोड़ा सा
खड़ी हुई.. उसके लंड को पकड़ा और अपनी चूत के मुँह पर लगा उसपर
बैठती चली गयी.. राज का लंड उसकी चूत की दीवारों को चीरता
हुआ अंदर घुस गया. महक की गॅंड जब राज के अंडकशों से टकराई तो
वो गोल गोल घूम उसके लंड को अपनी चूत मे महसूस करने लगी.
राज ने उसके दोनो कुल्हों को पकड़ा और आगे पीछे करते हुए अपने लंड
को अंदर बाहर कर रहा था.... थोड़ी ही देर मे महक की उत्तेजना
बढ़ने लगी.. वो उछाल उछाल कर धक्के मारने लगी... वो उपर उठती
और ज़ोर से नीचे बैठते उसके लंड को अपने चूत मे अंदर तक ले
लेती.
"हां चोडो मुझे अपने इस घोड़े जैसे लंड से .. ओह हाआँ और मुझे
बताओ किटिनी बड़ी रंडी हूँ मे.. ओह हां चोडो... जब तुम मुझे
रांड़ कहते हो तो में और गरम हो जाती हूँ."
राज को भी महक के मुँह से ऐसी बातें सुनने मे मज़ा आता था.. वो
उससे कुछ कहने ही वाला था की तभी फोन की घंटी बाज उठी..
महक ने उसके लंड पर उछालना बंद किया और अपना सेल फोन उठा
कर आइडी देखने लगी.
"हे भगवान नही... " मेरे पति का फोन है. " उसने डरी हुई आवाज़
मे कहा.
राज की आँखों मे शैतानी चमक आ गयी.. "उसे जवाब दो.. उससे
बात करो.. तुम उससे बात करो उस वक्त में तुम्हे चोदना चाहता
हूँ ." राज ने उससे कहा.
तभी फोन की घंटी फिर बाज उठी..
|