Kamukta Kahani मेरी बहन कविता
07-15-2017, 12:50 PM,
#17
RE: Kamukta Kahani मेरी बहन कविता
दीदी ने मुझे अपने बदन से कस कर चिपका लिया और आंखे बंद करके अपनी दोनों टांगो को मेरे चुत्तरों पर लपेट मुझे बाँध लिया. जिन्दगी में पहली बार किसी चुत के अन्दर लण्ड को झारा था. वाकई मजा आ गया था. ओह दीदी ओह दीदी करते हुए मैंने भी उनको अपनी बाँहों में भर लिया था. हम दोनों इतनी तगड़ी चुदाई के बाद एक दम थक चुके थे मगर हमारे गांड अभी भी फुदक रहे थे. गांड फुद्काती हुई दीदी अपनी चुत का रस निकल रही थी और मैं गांड फुद्काते हुए लौड़े को बूर की जड़ तक ठेल कर अपना पानी उनकी चुत में झार रहा था. सच में ऐसा मजा मुझे आज के पहले कभी नहीं मिला था. अपनी खूबसूरत बहन को चोदने की दिली तम्मन्ना पूरी होने के कारण पुरे बदन में एक अजीब सी शान्ती महसूस हो रही थी. करीब दस मिनट तक वैसे ही परे रहने के बाद मैं धीरे से दीदी के बदन निचे उतर गया. मेरा लण्ड ढीला हो कर पुच्च से दीदी की चुत से बाहर निकल गया. मैं एकदम थक गया था और वही उनके बगल में लेट गया. दीदी ने अभी भी अपनी आंखे बंद कर रखी थी. मैं भी अपनी आँखे बंद कर के लेट गया और पता नहीं कब नींद आ गई. सुबह अभी नींद में ही था की लगा जैसे मेरी नाक को दीदी की चुत की खुसबू का अहसास हुआ. एक रात में मैं चुत के चटोरे में बदल चूका अपने आप मेरी जुबान बाहर निकली चाटने के लिए…ये क्या…मेरी जुबान पर गीलापन महसूस हुआ. मैं ने जल्दी से आंखे खोली तो देखा दीदी अपने पेटिकोट को कमर तक ऊँचा किये मेरे मुंह के ऊपर बैठी हुई थी और हँस रही थी. दीदी की चुत का रस मेरे होंठो और नाक ऊपर लगा हुआ था. हर रोज सपना देखता था की दीदी मुझे सुबह-सुबह ऐसे जगा रही है. झटके के साथ लण्ड खड़ा हो गया और पूरा मुंह खोल दीदी की चुत को मुंह भरता हुआ जोर से काटते हुए चूसने लगा. उनके मुंह से चीखे और सिसकारियां निकलने लगी. उसी समय सुबह सुबह पहले दीदी को एक पानी चोदा और चोद कर उनको ठंडा करके बिस्तर से निचे उतर बाथरूम चला गया. फ्रेश होकर बाहर निकला तो दीदी उठ कर रसोई में जा चुकी थी. रविवार का दिन था मुझे भी कही जाना नहीं था. कविता दीदी ने उस दिन लाल रंग की टाइट समीज और काले रंग की चुस्त सलवार पहन रखी थी. नाश्ता करते समय पैर फैला कर बैठी तो मैं उसकी टाइट सलवार से उसके मोटे गुदाज जांघो और मस्तानी चुचियों को देखता चौंक गया. दोनों फैली हुई जांघो के बीच मुझे कुछ गोरा सा, उजला सफ़ेद सा चमकता आया नज़र आया. मैंने जब ध्यान पूर्वक देखा तो पाया की दीदी की सलवार उनके जांघो के बीच से फटी हुई. मेरी आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा. मैं सोचने लगा की दीदी तो इतनी बेढब नहीं है की फटी सलवार पहने, फिर क्या बात हो गई. तभी दीदी अपनी जांघो पर हाथ रखते अपने फटी सलवार के बीच ऊँगली चलाती बोली “क्या देख रहा है बे….साले…..अभी तक शान्ती नहीं मिली क्या….घूरता ही रहेगा….रात में और सुबह में भी पूरा खोल कर तो दिखाया था….” मैं थोरा सा झेंपता हुआ बोला “नहीं दीदी वो…वो आपकी…सलवार बीच से…फटी…” दीदी ने तभी ऊँगली दाल फटी सलवार को फैलाया और मुस्कुराती हुई बोली “तेरे लिए ही फारा है….दिन भर तरसता रहेगा…सोचा बीच-बीच में दिखा दूंगी तुझे…” मैं हसने लगा और आगे बढ़ दीदी को गले से लगा कर बोला “हाय…दीदी तुम कितनी अच्छी हो….ओह…तुम से अच्छा और सुन्दर कोई नहीं है….ओह दीदी….मैं सच में तुम्हारे प्यार में पागल हो जाऊंगा…” कहते हुए दीदी के गाल को चूम उनकी चूची को हलके से दबाया. दीदी ने भी मुझे बाँहों में भर लिया और अपने तपते होंठो के रस का स्वाद मुझे दिया. उस दिन फिर दिन भर हम दोनों भाई बहन दिन भर आपस में खेलते रहे और आनंद उठाते रहे. दीदी ने मुझे दिन में दुबारा चोदने तो नहीं दिया मगर रसोई में खाना बनाते समय अपनी चुत चटवाई और दोपहर में भी मेरे ऊपर लेट कर चुत चटवाया और लण्ड चूसा. टेलिविज़न देखते समय भी हम दोनों एक दुसरे के अंगो से खेलते रहे. कभी मैं उनकी चूची दबा देता कभी वो मेरा लण्ड खींच कर मरोर देती. मुझे कभी माधरचोद कह कर पुकारती कभी बहनचोद कह कर. इसी तरह रात होने पर हमने टेलिविज़न देखते हुए खाना खाया और फिर वो रसोई में बर्तन आदि साफ़ करने चली गई और मैं टीवी देखता रहा थोड़ी देर बाद वो आई और कमरे के अन्दर घुस गई. मैं बाहर ही बैठा रहा. तभी उन्होंने पुकारा “राजू वहां बैठ कर क्या कर रहा है…भाई आ जा….आज से तेरा बिस्तर यही लगा देती हूँ….” मैं तो इसी इन्तेज़ार में पता नहीं कब से बैठा हुआ था. कूद कर दीदी के कमरे में पहुंचा तो देखा दीदी ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठ कर मेकअप कर रही थी और फिर परफ्यूम निकाल कर अपने पुरे बदन पर लगाया और आईने अपने आप को देखने लगी. मैं दीदी के चुत्तरों को देखता सोचता रहा की काश मुझे एक बार इनकी गांड का स्वाद चखने को मिल जाता तो बस मजा आ जाता. मेरा मन अब थोरा ज्यादा बहकने लगा था. ऊँगली पकड़ कर गर्दन तक पहुचना चाहता था. दीदी मेरी तरफ घूम कर मुझे देखती मुस्कुराते हुए बिस्तर पर आ कर बैठ गई. वो बहुत खूबसूरत लग रही थी. बिस्तर पर तकिये के सहारे लेट कर अपनी बाँहों को फैलाते हुए मुझे प्यार से बुलाया. मैं कूद कर बिस्तर पर चढ़ गया और दीदी को बाँहों में भर उनके होंठो का चुम्बन लेने लगा. तभी लाइट चली गई और कमरे में पूरा अँधेरा फ़ैल गया. मैं और दीदी दोनों हसने लगे. फिर उन्होंने ने कहा “हाय राजू….ये तो एक दम टाइम पर लाइट चली गई…मैंने भी दिन में नहीं चुदवाया था की….रात में आराम से मजा लुंगी….चल एक काम कर अँधेरे में बूर चाट सकता है….देखू तो सही…..तू मेरी चुत की सुगंघ को पहचानता है या नहीं….सलवार नहीं खोलना ठीक है….” इतना सुनते ही मैं होंठो को छोर निचे की तरफ लपका उनके दोनों पैरों को फैला कर सूंघते हुए उनकी फटी सलवार के पास उनके चुत के पास पहुँच गया. सलवार के फटे हुए भाग को फैला कर चुत पर मुंह लगा कर लफर-लफर चाटने लगा. थोड़ी देर चाटने पर ही दीदी एक दम सिसयाने लगी और मेरे सर को अपनी चुत पर दबाते हुए चिल्लाने लगी ” हाय राजू….बूर चाटू…..राजा….हाय सच में तू तो कमाल कर रहा है….एक दम एक्सपर्ट हो गया है….अँधेरे में भी सूंघ लिया….सीईईईइ बहनचोद….साला बहुत उस्ताद हो गया….है…..है मेरे राजा…..सीईईईइ” मैं पूरी चुत को अपने मुंह में भरने के चक्कर में सलवार की म्यानी को और फार दिया, यहाँ तक तक की दीदी की गांड तक म्यानी फट चुकी थी और मैं चुत पर जीभ चलाते हुए बीच-बीच में उनकी गांड को भी चाट रहा था और उसकी खाई में भी जीभ चला रहा था. तभी लाइट वापस आ गई. मैंने मुंह उठाया तो देखा मैं और दीदी दोनों पसीने से लथपथ हो चुके थे. होंठो पर से चुत का पानी पोछते हुए मैं बोला “हाय दीदी देखो आपको कितना पसीना आ रहा है…जल्दी से कपरे खोलो….” दीदी भी उठ के बैठते हुए बोली “हाँ बहुत गर्मी है….उफ्फ्फ्फ्फ्फ….लाइट आ जाने से ठीक रहा नहीं तो मैं सोच रही थी…..साली …” कहते हुए अपने समीज को खोलने लगी.
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