RE: Kamukta Kahani मेरी बहन कविता
“ओह… हो…..मतलब किसी के साथ भी किसी तरह का मजा नहीं लिया है…..”
“हाय…नहीं दीदी….कभी किसी के साथ…..नहीं”
“कभी किसी औरत या लड़की को नंगा नहीं देखा है…..”
मैं दीदी की इस बात पर शर्मा गया और हकलाते हुए बोला ” जी कभी नहीं…”
“हाय तभी तू इतना तरस रहा है….और छुप कर देखने की कोशिश कर रहा था….कोई बात नहीं राजू….मुझे भी माँ को मुंह दिखाना है….चिंता मत कर….पहले मैं ये तेरा चूस कर इसकी मलाई एक बार निकल देती हूँ…फिर तुझे दिखा दूंगी…..” मैं ज्यादा कुछ समझ नहीं पाया की क्या दिखा दूंगी. मेरा ध्यान तो मेरे तन्नाये हुए लौड़े पर ही अटका पड़ा था. मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चुंका था और अब किसी भी तरह से लण्ड का पानी निकलना चाहता था. मैंने अपने लण्ड को हाथ से पकड़ा तो दीदी ने मेरा हाथ झटक दिया और अपनी चूची पर रखती हुई बोली “ले इसको पकड़” और मेरे लण्ड को अपनी मुठ्ठी में भर कर ऊपर निचे करते हुए सुपाड़े को अपने मुंह में भर कर चूसने लगी. मैं सीसीयाते हुए दोनों हाथो में दीदी की कठोर चुचियों को मसलते हुए अपनी गांड बिस्तर से उछालते हुए चुसाई का मजा लेने लगा. मेरी समझ में नहीं आ रहा था की मैं क्या क्या करू. सनसनी के मारे मेरा बुरा हाल हो गया था. दीदी मेरे सुपाड़े के चारो तरफ जीभ फ़िराते हुए मेरे लण्ड को लौलीपौप की तरह से चूस रही थी. कभी वो पुरे लण्ड पर जीभ फ़िराते हुए मेरे अंडकोष को अपनी हथेली में लेकर सहलाते हुए चूसती कभी मेरे लौड़े के सुपाड़े के अपने होंठो के बीच दबा कर इतनी जोर-जोर से चूसती की गोल सुपाड़ा पिचक का चपटा होने लगता था. चूची छोड़ कर मैं दीदी के सर को पकड़ गिरगिड़ाते हुए बोला “हाय दीदी मेरा….निकल जाएगा….ओह…सी सी….दीदी अपना मुंह….हटा लो…ओह दीदी….बहुत गुदगुदी हो रही है…प्लीज दीदी….ओह मुंह हटा लो….देखो मेरा….पानी निकल रहा है…..” मेरे इतना कहते ही मेरे लण्ड ने एक तेज पिचकारी छोड़ी. कविता दीदी ने जल्दी से अपना मुंह हटाया मगर तब भी मेरे लण्ड की तेज धार के साथ निकली हुई वीर्य की पिचकारी का पहला धार तो उनके मुंह में ही गिरा बाकी धीरे-धीरे पुच-पुच करते हुए उनके पेटिकोट एवं हाथ पर गिरने लगा जिस से उन्होंने लण्ड पकड़ रखा था. मैं डरते हुए दीदी का मुंह का मुंह देखने लगा की कही वो इस बात के लिए नाराज़ तो नहीं हो गई की मैंने अपना पानी उनके मुंह में गिरा दिया है. मगर मैंने देखा की दीदी अपने मुंह को चलाती हुई जीभ निकल कर अपने होंठो के कोने पर लगे मेरे सफ़ेद रंग के गाढे वीर्य को चाट रही थी. मेरी तरफ मुस्कुरा कर देखते हुई बोली “हाय राजू…बहुत अच्छा पानी निकला…. बहुत मजा आया…तेरा हथियार बहुत अलबेला है….भाई….बहुत पानी छोड़ता है….मजा आया की नहीं…बोल…कैसा लगा अपनी दीदी के मुंह में पानी छोड़ना….हाय…तेरा लण्ड जिस बूर में पानी छोड़ेगा वो तो…एक दम लबालब भर जायेगी….”. दीदी एकदम खुल्ल्लम खुल्ला बोल रही थी. दीदी के ऐसे बोलने पर मैं झरने के बाद भी सनसनी से भर शरमाया तो दीदी मेरे झरे लण्ड को मुठ्ठी में कसती हुई बोली “अनचुदे लौड़े की सही पहचान यही है…की उसका औजार एक पानी निकालने के बाद कितनी जल्दी खड़ा होता…. ” कहते हुए मेरे लण्ड को अपनी हथेली में भर कर सहलाते हुए सुपाड़े पर ऊँगली चलाने लगी. मेरे बदन में फिर से सनसनाहट होने लगी. झरने के कारण मेरे पैर अभी भी काँप रहे थे. दीदी मेरी ओर मुस्कुराते हुए देख रह थी और बोली “इस बार जब तेरा निकलेगा तो और ज्यादा टाइम लगाएगा….वैसे भी तेरा काफी देर में निकलता है…..साला बहुत दमदार लौड़ा है तेरा….” मैं शरमाते हुए दीदी की तरफ देखा और बोला “हाय….फिर से…मत करो…हाथ से…”. इस पर दीदी बोली “ठहर जा…पहले खड़ा कर लेने दे…हाय देख खड़ा हो रहा है लौड़ा….वाह….बहुत तेजी से खड़ा हो रहा है तेरा तो….”. कहते हुए दीदी और जोर से अपने हाथो को चलाने लगी. “हाय दीदी हाथ से मत करो….फिर निकल जाएगा….” मैं अपने खड़े होते लण्ड को देखते हुए बोला. इस पर दीदी ने मेरे गाल पकड़ खींचते हुए कहा “साले हाथ से करने के लिए तो मैंने खुद रोका था…हाथ से मैं कभी नहीं करुँगी….मेरे भाई राजा का शरीर मैं बर्बाद नहीं होने दूंगी….” फिर मेरे लण्ड को छोड़ कर अपने हाथ को साइड से अपनी पेटिकोट के अन्दर ले जा कर जांघो के बीच पता नहीं क्या, शायद अपनी बूर को छुआ और फिर हाथ निकाल कर ऊँगली दिखाती हुई बोली “हाय देख… मेरी चूत कैसे पनिया गई….बड़ा मस्त लण्ड है तेरा…जो भी देखेगी उसकी पनिया जायेगी….एक दम घोड़े के जैसा है…अनचुदी लौंडिया की तो फार देगा तू….मेरे जैसी चुदी चुतो के लायक लौड़ा है….कभी किसी औरत की नंगी नहीं देखी है….”. दीदी के इस तरह से बिना किसी लाज शर्म के बोलने के कारण मेरे अन्दर भी हिम्मत आ रही थी और मैं भी अपने आप को दीदी के साथ खोलना चाह रहा था. दीदी के ये बोलने पर मैंने शर्माने का नाटक करते हुए कहा “हाय दीदी किसी की नहीं…बस एक बार वो ग्वालिन बाहर मुनिसिप्लिटी के नल पर सुबह-सुबह नहा रही थी….तब….” दीदी इस चहकती हुई बोली “हाँ..तब क्या भाई…तब…”. मैं गर्दन निचे करते हुए बोला “वो..वो…तो…दीदी कपड़े पहन कर नहा रही थी…बैठ कर…पैर मोड़ कर…..तो उसकी साड़ी बीच में से हट…हट गई…पर…काला…काला दिख रहा था….जैसे बाल हो….” दीदी हँसने लगी और बोली “अरे…वो तो झांटे होंगी….उसकी चूत की….बस इतना सा देख कर ही तेरा काम हो गया….मतलब तुने आजतक असल में किसी की नहीं देखी है…” मैं शरमाते हुए बोला “अब पता नहीं दीदी….मुझे….लगा वही होगी…इसलिए…” दीदी इस पर मुस्कुराते हुए बोली “ओह हो…मेरा प्यारा छोटा भाई…..बेचारा….फिर तुझे और कोई नहीं मिली देखने के लिए जो मेरे कमरे में घुस गया….” मैं इस पर दीदी का थोड़ा सा विरोध करते हुए बोला “नहीं दीदी….ऐसी बात नहीं है….वो तो….तो मैं….मेरे ऑफिस में भी बहुत सारी लड़कियाँ है मगर…..मगर….मुझे नहीं पता….ऐसा क्यों है….मगर मुझे आप से ज्यादा सुन्दर…कोई नहीं…..कोई भी नहीं….लगती….मुझे वो लड़कियाँ अच्छी नहीं…लगती प्लीज़ दीदी मुझे माफ़ कर दो… मैं…मैं…आगे से ऐसा…..नहीं…” इस पर दीदी हँसने लगी और मुझे रोकते हुए बोली “अरे…रे…इतना घबराने की जरुरत नहीं है….मैं तो तुमसे इसलिए नाराज़ थी की तुम अपना शरीर बर्बाद कर रहे थे….मेरे भाई को मैं इतनी अच्छी लगती हूँ की उसे कोई और लड़की अच्छी नहीं लगती….ये मेरे लिए गर्व की बात है मैं बहुत खुश हूँ….मुझे तो लग रहा था की मेरी उम्र बहुत ज्यादा हो चूँकि है इसलिए…..पर….इक्कीस साल का मेरा नौजवान भाई मुझे इतना पसंद करता है ये तो मुझे पता ही नहीं था…” कहते हुए आगे बढ़ कर मेरे होंठो पर एक जोरदार चुम्मा लिया और फिर दुबारा अपने होंठो को मेरे होंठो से सटा कर मेरे होंठो को अपने होंठो के दबोच कर अपना जीभ मेरे मुंह में ठेलते हुए चूसने लगी. उसके होंठ चूसने के अंदाज से लगा जैसे मेरे कमसिन जवान होंठो का पूरा रस दीदी चूस लेना चाहती हो. होंठ चूसते चूसते वो मेरे लण्ड को अपनी हथेली के बीच दबोच कर मसल रही थी.
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