RE: Chudai Kahani ये कैसा परिवार !!!!!!!!!
थक हार कर रत्ना को रमःश् के ब्लॉक मैं और भाभी को सुरेश के ब्लॉक मैं जाना ही पड़ा ..... खैर जो भी हुआ हो लेकिन रत्ना का दिल बल्लियों उछाल रहा था और शायद कुछ एसा ही हॉल था रमेश का भी...............
रमेश और सुरेश को भी ये बात हाज़ाम न्ही हो रही थी एसा कैसे हो सकता है .....लगता है कि स्टाफ कुछ उपरी कमाई चाहता है सो रमेश ने ऑफर भी दिया कि भाई 100-200 लेकर मामला निपताओ लेकिन स्टाफ ने ये कहकर इनकार कर दिया कि अज्ज बीडीई साहब [ र्राइव. ऑफीसर] की स्पेशल विज़िट है इसलिए हम कोई रिस्क न्ही ले सकते
रमेश- अरे यार तो कॉन सा बड़े साब यहा आ जाएँगे फिर ये भी तो सोचो कि ये मेरी बहू है मैं कैसे रह सकता हू इसके साथ
स्टाफ- सर हम लोग बहुत मामूली नौकर है प्लीज़ आप हम पर प्रेशर ना दे .आप टीटी से कॉंटॅक्ट करे तो वो अपपकी हेल्प ज़रूर कर सकते है बट मैं न्ही कर सकता ..आइ आम वेरी सॉरी सर
रमेश- ये टीटी साहब कहा मिलेंगे
स्टाफ- सर वो अभी विज़िट पर आते ही होंगे लेकिन प्लीज़ तब तक आप लोगो को अपनी तय सीट पर ही बैठना होगा प्लीज़ ! दिस ईज़ माइ हंबल रिक्वेस्ट टू यू
सुरेश- वो बात ठीक है ..हम समझते है लेकिन प्लीज़ अप जल्दी से टीटी साहब को भेजे
स्टाफ- वो बस नेक्स्ट 20 मिनूट मैं ही राउंड पर आ रहे होंगे
रमेश- ठीक है 20 मिनूट मैं कोई फ़र्क न्ही पड़ता
लेकिन रत्ना की सारी खुशी काफूर हो गई थी ये बात सुनकर.उसने तो इन 10 मिनूट मैं अगले 8 घंटो का प्रोग्राम ब्ना लिया था लेकिन सुरेश ने सब चौपट कर दिया
लेकिन तब तक टीटी न्ही आया तब तक रमेश और सुरेश अपपने कॉमपार्टमेंट से बाहर ही खड़े रहे थे.तभी टीटी आता हुआ दिखाई दिया वो कोई 55 बरस का बुड्दा आदमी था जो बहुत खुश मिज़ाज़ लगता था .जब रमेश ने अपपनी कहानी बताई तो वो भी बहुत परेशान हुआ
टीटी- माफ़ किगिएगा साहब और कोई दिन होता तो मैं अपपकी रिक्वेस्ट पर ज़रूर ध्यान देता लेकिन आज ही बड़े साहब की स्पेशल विज़िट है इसलिए कोई रिस्क न्ही लेना चाहते है हम . भाई अब 4-5 साल की नौकरी है इसलिए दाग न्ही लगवाना चाहते है
रमेश- लेकिन साहब प्लीज़ आप सोचिए तो आख़िर बहू अपपने जेठ के साथ कैसे रह पाएँगी !!
टीटी- मैं समझता हूँ इस बात को लेकिन.........
रमेश- प्लीज़ सर प्लीज़ रिश्तो का कुछ तो ख्याल करिए ..एक बार को ये ठीक भी था अगर उसका पति साथ ना होता लेकिन जब उसका पति उसके साथ है तो मैं कैसे रह सकता हूँ और फिर सीट तो हम लोग खुद ही इंटरचेंज कर रहे है इसमें रेलवे का क्या नुकसान
टीटी- लेकिन सीट तो आदमी के नाम से अलॉट होती है ना ...अपपने देखा है कि टिकेट चेक करते वक़्त मैने अपपके वॅलिड आइडेंटिटी कार्ड देखे या न्ही ..केवल इसलिए कि किसी और के नाम से कोई और आदमी यात्रा ना करे ..सो प्लीज़
रमेश- ओह्ह्ह्ह.....माइ गॉड ....
टीटी- लेकिन एक रास्ता है .........
रमेश- क्या सर क्या प्लीज़ टेल मे सून
टीटी- अगर अप लोग अपपने अपपने जगह पर ही रहे और अगर कोई पूछे तो वो ही नाम ब्ताईएएगा जो की रिज़र्वेशन मैं लिखवाए थे ...वैसे तो इसकी संभावना ही ना के बराबर है लेकिन फिर भी रमेश अपपना नाम सुरेश और सुरेश को रमेश बताना होगा
रमेश- ठीक है ये हम कर सकते है
टीटी- ओके ! और कोई मदद
रमेश- नो सर! थॅंक यू वेरी मच
ट्रेन अपपनी द्रुत गति से चली जा रही थी और अब तक ग्वालिएर पहुच चुकी थी अब केवल 2 घंटे का सफ़र शेष था लेकिन ग्वालिएर से आगे बढ़ते ही गाड़ी अचानक रुक गई ..पता न्ही क्या हुआ था सभी लोग गहरी नींद मैं थे रत्ना उस वक़्त टाय्लेट मैं थी और उसे भी कोई रीज़न न्ही समझ आ रा था ट्रेन रुकने का तभी ट्रेन के अंदर कुछ लोग मूह पर कपड़ा बँधे हुए धड़-धड़ते हुए घुस आए सब के हाथ मैं दुनाली बंदूके थी और सभी के काले कपड़े पहन रखे थे दूसरे सबदो मैं कहे तो देखने मैं एक से एक ख़तरनाक डकैत थे वो लोग
तभी उनमे से एक आदमी बोला जो बातों से उनका सरदार लगा
सरदार- भाई जित्तेउ लोग है जे डिब्बा मैं सब लोग बाहर आ जाओ
लोग सो रहे थे किसी को न्ही सुनाई पड़ा जब 2 मिनूट तक कोई बाहर न्ही निकला तो सरदार ने 1 गोली चलाई जिसकी आवाज़ से ही सब कोप के भीतर हड़बदा उठे कि क्या हो गया है लेकिन कोई बाहर ना निकला और टाय्लेट मैं रत्ना कातो डर के मारे पेशाब ही रुक गया
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