RE: Chudai Kahani ये कैसा परिवार !!!!!!!!!
फिर ये बोले मिल ली सब से . मैने कहा अभी कहा मूह दिखाई तो कल होगी
रमेश: अच्छा ..तो आज मेरा कोई चान्स है मेरा
मैं : जी..............आपका चान्स
रमेश : हाँ भाई हमने भी तो कई साल से आज के दिन का इंतज़ार किया था जब मैं मेरी दुल्हन का घूँघट उठाउँगा
मैं शांत रही क्योंकि मैं बोलती भी तो क्या बोलती...पहली बात तो किसी मर्द के पास बैठी थी
रमेश: लगता है कि तुम बहुत शर्मा रही हो..
मैं : जी...........
फिर रमेश ने मेरे घूँघट को उठाने के लिए जैसे ही हाथ बढ़ाया कि किसी ने दरवाज़ा खटखटा दिया वो रूबी थी अपपने चंडीगढ़ वाले मामा की बेटी ..ये बोले कोन है तो रूबी ने कहा हम मैं भैया रूबी..
हाँ रूबी ब्ताओ क्या है तो रूबी ने कहा क्या आप भाभी को रिज़र्व करके बैठ गये हमे भी भाभी से बात करने दो...
रत्ना: अरे क्या दीदी छ्चोड़ो ये सब... काम की बातें ब्ताओ केवल...
भाभी : बदी उतावली हो रही है जैसे तू तो कुँवारी ही है अभी तक तुमने तो करवाया न्ही होगा
रत्ना: मैने कब कहा कि मैं कुँवारी हूँ और शादी शुदा कुँवारी कैसे रह सकती है...और आदमी सुरेश जैसा हो तो फिर कहने ही क्या
भाभी: हाँ तो फिर दिन भर मशीन चलती है
रत्ना: तेल पानी का टाइम भी न्ही देते...बहुत ठोकू है ये
भाभी: है तो सब एक ही बाप की औलाद
रत्ना: यानी की तुम भी दिनभर
भाभी: अब न्ही बिटिया के होने के बाद से थोड़ा कम किया है न्ही तो ये तो दिन दिन भर बाहर न्ही निकलने देते थे मुझे
रत्ना: हइई.... कैसे भाभी प्लीज़ बताओ...कैसे करते थे....
भाभी: क्या मतलब...कैसे करते थे
रत्ना: क्या वो गंदी शन्दि बातें भी करते है करने के टाइम
भाभी: न्ही करते वक़्त बिल्कुल चुप रहते है
रत्ना: क्या भैया का कही और भी कोई चक्कर है
भाभी: मुझे न्ही लगता ..वो तो मेरे मैं ही जूते रहते है इनके पास फ़ुर्सत कहा है
रत्ना: अक्चा पीछे से भी करवाती होगी तब तो
भाभी: पीछे से.......वो भी कोई जगह है...करवाने की
रत्ना: और क्या मैं तो बहुत मना करती हूँ लेकिन ये कभी न्ही मानते
भाभी : हाए राम...................पीछे से कैसे होता होगा..
रत्ना :आज ट्राइ कर लेना
भाभी: धत्त्त...............
इतने मैं खाना बन कर तैयार हो जाता है . और भाभी खाना लगाने के बाद किचन की सफ़ाई मैं जुट जाती है रत्ना बाहर आकर टेबल पर पानी व्गारह लगाने लगती है सुरेश की पीठ रत्ना की तरफ थी और रत्ना के बिल्कुल सामने रमेश बैठे थे रत्ना ने जानबूझ कर अपपना पल्लू नीचे गिरा लिया ताकि उसके उरजो के दर्शन रमेश को हो जाए और वो उसकी तरफ आकर्षित हो जाए. पानी रखते समय एक बार रत्ना इतना झुकी कि उसकी पूरी ब्रा दिखने लगी लेकिन रमेश ने उधर देखना भी गंवारा न्ही किया पानी लगा कर वो किचन मैं फिर चली गई और भाभी के साथ आई
फिर सब लोग एक साथ खाना खाने बैठ गये.... और खाना खाकर वो दो नो अपपने रूम मैं चले गये सोने के ल्लिइईईई............
भैया भाभी अपपने कमरे मैं सो चुके थे ... सुरेश भी आज दिन मैं ही 2 बार करके कोटा पूरा कर चुका था इसलिए वो भी सो गया था लेकिन नींद रत्ना की आँखो से कोसो दूर थी ..रत्ना के कान बराबर वाले कमरे पर लगे थे कि वाहा क्या हो रहा है लेकिन कोई आहट ना मिलने से वो बहुत खुश नज़र आ रही थी ..10 मिनूट तक छत पर ल्गे पंखे को देखते देखते जब उसकी आँखे तक गई तो बेड से दबे पाँव उठी और दरवाज़ा खोलकर बाथरूम गई वाहा अपनी मूतने की मधुर आवाज़ के साथ उसने पेशाब करना सुरू किया और इस तरह से बैठ गई कि जैसे अभी सुरेश पीछे से आकर उसे पकड़ लेगा और एक बार फिर से मस्ती का खेल स्टार्ट हो जाएगा लेकिन उसका सोचना केवल सोचने तक ही सीमित रहा करीब 10 मिनूट उसी पोज़िशन मैं बैठे रहने के बाद भी सुरेश न्ही आया थोड़ी देर के लिए रत्ना को आश्चर्य हुआ कि आज सुरेश आया क्यों न्ही आज तक एसा न्ही हुआ था कि सुरेश घर पर हो और वो बाथरूम से अकेले ही बाहर निकली हो हालाँकि वो गई तो हमेशा अकेले थी लेकिन आती डबल होकर थी यानी सुरेश के साथ .. लेकिन आज उसे अपपनी "सीटी"[पेशाब के समय निकलने वाली आवाज़] बहुत बुरी लगी थी और उसे बहुत बुरा लग रहा था आज रमेश को देखकर उसकी भावनाए मचल गई थी ..सुरेश उसके लिए मौज़ूद था लेकिन आज उसका दिल सुरेश के लिए तैयार न्ही था लेकिन रमेश के लिए वो तैयार न्ही थी क्योंकि रमेश ने उसे कभी भाव ही न्ही दिया था वो बाथरूम से उठी और बाहर निकली और अपपने कमरे की तरफ बढ़ चली लेकिन रूम खोलने से पहले ही उसके दिल ने उसको अपपने रूम का दरवाज़ा खोलने से मना कर दिया और वो पलट कर भाभी के रूम की तरफ चली गई .रूम अंदर से बंद था और कोई आवाज़ भी न्ही आ रही थी
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