RE: Chudai Kahani ये कैसा परिवार !!!!!!!!!
रत्ना ने विभा के लिए नाश्ता तैयार किया और सुरेश को भी जगाया
रत्ना : सुरेश विभा घर जा रही है उसे स्टेशन छ्चोड़ आइए जाकर
सुरेश : इतनी जल्दी आज तो उसका इंटरव्यू है ना
रत्ना: न्ही इंटरव्यू कॅन्सल हो गया है वो घर जा रही है
सुरेश: उसको बोलो कि आज रुक जाए
रत्ना: आप क्यों न्ही कहते
सुरेश: न्ही तुम्ही कहो मैं न्ही कहता
रत्ना: विभा आज रुक जा 1 -2 दिन बाद जाना
विभा: न्ही दीदी आज मुझे जाना ही है .मैं और न्ही रुक सकती
रत्ना: सुरेश आप प्लीज़ चले जाओ स्टेशन तक .विभा अकेले कैसे जा पाएगी
सुरेश : ओके
दो नो लोग तैयार हो कर स्टेशन चले जाते है और सुरेश विभा को ट्रेन मैं बैठा देता है और वॉटर बोत्तेल वगीरह लाकर दे देता है ट्रेन अपपने टाइम पर रवाना हो जाती है . मज़े की बात ये कि पूरे रास्ते दोनो के बीच कोई बात न्ही होती है. जो की इश्स बात का सबूत था क़ि विभा कितना ज़्यादा नाराज़ हो कर गई थी
सुरेश घर वापस आ रहा होता है तभी मोबाइल की रिंग बाज़ती है . सुरेश को लगता है की विभा ने कॉल किया है शायद कोई बात करना चाहती है ,शरम की वज़ह से रास्ते मैं बात न्ही की होगी...मोबाइल स्क्रीन देखी तो उसमे उसके बड़े भाई रमेश का नंबर चमक रहा था . रमेश सुरेश से केवल 2 साल ही बड़ा था लेकिन सुरेश रमेश का बहुत आदर करता था रमेश की एक लड़की की जिसकी एज 5 साल थी जिसका नाम ऋतु था और रमेश की वाइफ अलका रत्ना की तरह ही रूप की देवी थी . सुरेश ने कॉल आक्सेप्ट की और
सुरेश एंड: हल्लो भैया, कैसे है
रमेश एंड: हम भाभी बोल रही है , भैया न्ही
सुरेश *: अरे मेरी लाइफ ... कैसी हो और बहुत दिन बाद याद किया
रमेश *: क्या करे तुम याद ही न्ही करते
सुरेश: आओ दिल्ली भी आ जाओ दर्शन करवा जाओ
रमेश: दर्शन करने है तो यही आ जाओ
सुरेश: चलो और बताओ भैया कहा है
रमेश : भैया तो आने वाले है ये बताने के लिए फ़ोन किया था कि हम लोग अबी ही देल्ही के लिए निकल रहे है और साम तक पहुचेंगे . तुम्हे कोई प्राब्लम तो न्ही है अगर हम लोग 3 -4 दिन रुकेंगे तो..
सुरेश: भाभी तुम भी ...तुम्हारा ही तो घर है और तुम थोड़ा तो मेरी भी हो नीचे से ना सही उपर से तो हो ही
रमेश : अच्छा अब मैं फोन रखती हूँ ओके साम को स्टेशन आ जाना............
स्टेशन से लौटते ही सुरेश ने रत्ना से बताया कि भाभी और भैया आ रहे है आज साम को .
सुरेश: रत्ना जानती हो आज क्या है ?
रत्ना : क्या आआआआ?
सुरेश : अज्ज कुछ स्पेशल है तुम्हारे लिए .
रत्ना : क्या स्पेशल है मेरे सेरू जी
सुरेश :अरे आज शाम को भैया और भाभी आ रहे है हामहरे यहा करीब 1 हफ्ते के लिए
रत्ना तो झूम उठी क्योंकि रत्ना की फॅंटेसी उसके " जेठ जी " के लिए बहुत गहरी थी क्योंकि उसके जेठ रमेश बिल्कुल उसके सुरेश जी जैसे लगते थे . इसलिए कई बार तो मर्यादा भी टूटते टूटते बची थी . लेकिन इन्ही टूटतने और मर्यादा बचाने के चक्कर मैं कब वो उसकी तरफ आकर्षित हो गई थी उसे पता ही न्ही चला लेकिन जेठ जी तो जैसे पुरुष न्ही बल्कि "महापुरुष " थे. कई बार स्थितिया गंभीर सी बन गई लेकिन रमेश जी ने अपपने रिश्ते का ख्याल रखते हुए कभी नाज़ुक हो चली स्थितियों का फ़ायदा न्ही उठाया . आज रत्ना को वो दिन याद आ रहा था जब अचानक ही रमेश जी उसके कमरे मैं अचानक आ गये थे जब वो बाथरूम गई हुई थी वो कोई फाइल देख रहे थे और बाथरूम से रत्ना बेहद रोमॅंटिक मूड मैं निकली और पीछे से जाकर रमेश से सुरेश समझ कर चिपक गई थी और अपपनी छातियो का भरपूर दबाव सुरेश {रमेश} की पीठ पर डाल रही थी
रत्ना: जान प्लीज़ चलो ना अभी एक बार और ............
सुरेश [रमेश] :...................................
रत्ना: कल तो बड़े मज़े से घुमा-घुमा कर ले रहे थे ये करो एसे खोलो... साफ क्यों की ...चौड़ी करके खोलो
सुरेश[रमेश] :.....................................
रत्ना: प्लीज़ आऊओ.......
सुरेश का लिंग पकड़ कर खीचते हुए बेड पर ले जाती है और नीचे लेट कर सुरेश [रमेश] को अपपने अप्पर गिरा लेती है लेकिन चेहरे को गौर से देखते ही उसके होश उड़ जाते है और शरम की वज़ह से पानी पानी हो जाती है और अपपना चेहरा अपपनी हथेलियों मैं छिपा लेती है. रमेश जी तुंरंत उठते है और अपपना पसीना पोछ्ते हुए बिना कुछ कहे बाहर निकल जाते है ... रत्ना ने डर की वज़ह से ये बात किसी को न्ही बताई थी ना सुरेश को और ना ही अपपनी जेठानी जी को. किचन मैं पहुचते ही वो अपपनी जेठानी से नज़र भी न्ही मिला पा रही थी लेकिन जब जेठानी ने उससे कुछ कहा ही न्ही तो उसकी जान मैं जान आई...........शायद रमेश जी ने जेठानी जी को कुछ बताया ही न्ही था .......... इस तरह से एक बार न्ही बल्कि कई बार हो चुका था...
पुरानी बात याद करते ही रत्ना के शरीर मैं झुरजुरी आ गई थी . और उसके आँखो के आगे अपपने जेठ जी का चेहरा घूम रा था
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