RE: Chudai Kahani ये कैसा परिवार !!!!!!!!!
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गतांक से आगे ...............................................
विभा: न्ही ये न्ही हो सकता ..तुमने वादा किया था
सुरेश ने तब तक हाथ फिराना सुरू कर दिया था. विभा तड़प रही थी लेकिन विभा ने भी कसम का ली थी कि आज वो सुरेश को इससे आगे न्ही बढ़ने देगी. लेकिन अपपनी कंडीशन देखकर विभा को शरम आ रही थी कि आख़िर वो रोकेगी कैसे वो पहले ही इतना आगे बढ़ चुकी थी कि अब वो सुरेश को रोके तो रोके कैसे ...केवल एक ही रास्ता था कि रत्ना इस वक़्त जाग जाए तो इस खेल का अंत हो सकता था लेकिन विभा को कोई उम्मीद न्ही दिख रही थी कि अभी रत्ना उठेगी. विभा को रुलाई आने लगी लेकिन वो अपपनी रुलाई रोके हुए थी..
सुरेश का उसके मादक और निजी अंगो पर स्पर्श उसे अब लिज़लीसा और बहुत खराब लग रहा था सुरेश का हाथ अपपनी जाँघो के बीच पाकर एक बार उसका मन डॉल गया लेकिन फिर उसने सोच लिया कि एसा न्ही होने देगी वो और उसने अपपनी जाँघो को ज़ोर से भींच लिया क केवल 2 सेकेंड की ही देर हो गई विभा के जाँघ सिकोड़ने से पहले ही सुरेश अपपना हाथ जाँघो के बीच डाल चुका था जिसके कारण विभा के जाँघ सिकोडते ही सुरेश का हाथ उसकी योनि मैं जाकर फँस गया . लेकिन सुरेश को उसके आँसुओ की तो जैसे परवाह ही न्ही थी . उसने आसानी से अपपनी उंगलियाँ अंदर घुमानी सुरू कर दी विभा का हॉल बुरा था . वो समझ न्ही पा रही थी क्या क्या करे समर्पण कर दे या फिर एक जोरदार तमाचा मार कर सब यही पर ख़तम कर दे लेकिन सुरेश तो जैसे एक मशीन ही था. हाथ रुक ही न्ही रहे थे लेकिन विभा को अब जैसे सेक्स का कोई मतलब ही न्ही था बल्कि सुरेश की उंगलियाँ विभा की उत्तेजना को बढ़ाने की ब्ज़ाए उसे दर्द दे रही थी कि 2 मिनूट के पश्चात ही विभा ने एक जोरदार थप्पड़ सुरेश के गाल पर जमा दिया .सुरेश हक्कबाक्का रह गया कि आख़िर ये क्या हो गया और विभा
विभा: अपपको ज़रा सी भी चिंता न्ही कि कोई रो रहा है या उसके दिल मैं क्या है अपपको बस अपपने काम से मतलब है . कैसे इंसान है आप सेक्स इंसान की खुशी के लिए होता है या उसे तक़लिएफ़ देने के लिए
सुरेश: लेकिन तुम तो अपपनी मर्ज़ी से तैयार हुई थी. फिर ये तमाचा.......
विभा: ये तुम्हे ब्ताने के लिए लड़की केवल चुदाई करवाने की मशीन न्ही है जिसे आप जब मर्ज़ी आए चोद ले
विभा मैं कैसे इतनी शक्ति आ गई कि वो इतनी बात बोल पाई तब तक सुबह के 4 बज चुके थे विभा अपपने कपड़े उठाकर टाय्लेट मैं चली गई और नाहकार लगभग 5 बजे बाहर निकली . आकर उसने देखा की सुरेश सो चुका था फिर उसने रत्ना को उठाया
विभा: दीदी , उठो दीदी मुझे जाना भी है आज
रत्ना: कहा जाना है विभु तुंझे अभी कहा तेरा इंटरव्यू होने वाला है सुबह के 5 बजे
विभा: दीदी मुझे आज घर जाना है , मैं इंटरव्यू देने न्ही जा रही हूँ कंपनी से ईमेल आया था कि इंटरव्यू कॅन्सल हो चुका और अब अगले मोन्थ है
रत्ना : लेकिन विभु रात तक तो एसा कुछ न्ही था
विभा: न्ही मेरी फ्रेंड का फोन आया था कह रही थी मैने ईमेल देखी है इंटरव्यू कॅन्सल हो गया है और अब अगले मोन्थ होगा , तुम जल्दी से उठो मुझे जाना भी है
रत्ना : तू भी पागल है बचपन से परेशान करती चली आ रही है मुझे
विभा : दिदिदीईईईईईईईईईईईई अब तुम भी .बचपन की बातें . अब मैं बड़ी हो गई हूँ .
रत्ना: हाँ बहुत बड़ी हो गई है तू देख तेरी पॅंटी यही पड़ी है ... तुमने पॅंटी पहना छ्चोड़ दिया है क्या ये यहा क्यों पड़ी है
विभा की उपेर की साँसे उपर और नीचे की साँसे नीचे रह गई ये क्या गड़बड़ हो गई न्ही दीदी मैने अपपनी पहनी हुई है अभी नहाने के लिए जाते मैं कपड़े निकाले थे तभी गिर गयी होगी.
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