RE: kamukta Sex kahaaniya किरण की कहानी
किरण की कहानी पार्ट--16
लेखक-- दा ग्रेट वोरिअर
हिंदी फॉण्ट बाय राज शर्मा
गतांक से आगे........................
मुझे मार्केट मे एक घंटे से कुछ ज़ियादा ही लग गया वापस आते समय तक तो रात के तकरीबन 8 बज गये थे. मैं सोच रही थी कही आरके दुकान ना बंद कर दे इसी लिए जल्दी से उसकी दुकान पे चली गई. आरके दुकान पे आ चुका था और उसकी दुकान भी खाली हो चुकी थी वो भी बंद करने की तय्यरी कर रहा था पर मेरा इंतेज़ार भी कर रहा था. उसका दूसरा टेलरिंग स्टाफ छुट्टी कर चुका था वो दुकान मे अकेला ही था. मुझे देख के वो खुश हो गया और उसका चेहरा च्मकने लगा और उसने पास वाली होटेल से चाइ मंगवा ली. ठंडी हवा चल रही थी मेरा मॅन भी चाइ पीने का कर रहा था. मैं ने उसको थॅंक्स कहा और गरम चाइ पीने लगी जो ठंड मे बोहोत ही अछी लग रही थी. उसने पूछा आपके कपड़े है मेडम ? तो मैं ने कहा हा बोहोत दीनो से सोच रही थी के तुम से कुछ ड्रेस सिल्वौगी तो आज चली आई. मैं भी फ्री थी कोई काम नही था और मुझे भी टाइम पास करना था तो चाइ पीने तक हम इधर उधर की बातें करते रहे. मेरे पूछने पे उसने बताया के वो फॅशन डिज़ाइनिंग का कोर्स भी कर रहा है तो मैं ने ऐसे ही पूछ लिया के फॅशन डिज़ाइनिंग मे कपड़े कैसे सीए जाते है नाप कैसे लिया जाता है तो उसने कहा के मेडम जिसका नाप
लेना होता है उसको नंगा कर के नाप लिया जाता है ताके फिटिंग सही बैठे. मैं हैरान रह गई और पूछा के लड़कियाँ नंगी हो जाती है तो उसने कहा हा मेडम अगर किसी को अछी तरह से और सही फिटिंग का ड्रेस सिलवाना हो तो हो बोहोत आराम से नंगी हो जाती है लैकिन उस टाइम पे बस वोही आदमी अंदर होता है जो नाप ले रहा होता है ताके लड़की बॅस एक ही आदमी के सामने नंगी हो पूरे क्लास के सामने नही. मैं ने कहा के ऐसे कैसे हो सकता है तो उसने कहा के मैं सच कह रहा हू मेडम हम ऐसे ही नाप लेते है तो मैं ने हस्ते हुए कहा के क्या मेरा भी ऐसे ही लोगे तो उसने कहा के अगर आप भी सही और पर्फेक्ट फिटिंग के कपड़े सिल्वाना चाहती है और अगर आपको कोई ऑब्जेक्षन ना हो तो आप अपने कपड़े निकाल सकती है अदरवाइज़ हम सॅंपल साइज़ से ही काम चला लेते हैं तो मैं ने कहा के मैं तो सॅंपल नही ले के आई तो उसने कहा के मैं ऐसे ही ऊपेर से आपका साइज़ ले लुगा आप अंदर ड्रेसिंग रूम मे चलिए. अभी मैं सोच ही रही थी के क्या करू इतने मे हवा (वाइंड) बोहोत ही तेज़ी से चलने लगी और उसके काउंटर पे रखे कपड़े उड़ के नीचे गिरने लगे और नाप का रिजिस्टर के पेपर्स गिरने लगे तो उसने अपनी दुकान का शटर जल्दी से गिरा दिया और नीचे गिरे हुए कपड़े उठाने लगा. मैं ने देखा के उसने लूँगी पहनी हुई है और टीशर्ट. जब उसने देखा के मैं उसकी लूँगी को हैरत से देख रही हू तो उसने बताया के मार्केट मैं किसी दुकान से नीचे उतरते हुए कील (नाइल) लगने से उसकी पॅंट फॅट गई तो इसी लिए उसने पॅंट चेंज कर के लूँगी बाँध ली थी. मैं ने कहा अच्छा कोई बात नही हो जाता है कभी कपड़े किसी चीज़ मे लग के फॅट जाते हैं.
दुकान का शटर बंद करने से दुकान मे ठंडी हवा के झोके नही आ रहे थे अदरवाइज़ बहेर तो अछी ख़ासी सर्दी होने लगी थी. हम दोनो अंदर ड्रेसिंग रूम मे आ गये जहा वो मेरा नाप लेने वाला था. दुकान का शटर गिरते ही मुझे लगा जैसे हम एक सेपरेट रूम मे अकेले हैं और मेरे ख़याल मे आया के इस दुकान मे मैं और आरके अकेले है और हमै देखने वाला कोई नही तो मेरे दिमाग़ मे गर्मी चढ़ने लगी बदन मे खून तेज़ी से दौड़ने लगा साँस तेज़ी से चलने लगी और एक अजीब सा महसूस होने लगा. खैर उसने अंदर की लाइट जला दी. ड्रेसिंग रूम बोहोत बड़ा तो नही था लैकिन बोहोत छोटा भी नही था मीडियम साइज़ का था जहा पे एक तरफ बड़ा सा मिरर लगा हुआ था ता के अगर कोई चेक करना चाहे तो कपड़े पहेन के मिरर मे देख सकती थी. वो मेरे सामने खड़ा हो गया और पहले उसने सलवार का नाप लेने का कहा. जैसे टेलर्स की आदत होती है नाप लेने से पहले वो थोड़ा सा झुका और मेरे सामने बैठ ते बैठ ते उसने मेरी सलवार के सामने के हिस्से को पकड़ के थोड़ा सा झटका दिया तो सलवार थोड़ी सी सरक के
नीचे हुई तो मैं ने जल्दी से सलवार को ऊपेर से पकड़ लिया.
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