kamukta Sex kahaaniya किरण की कहानी
07-12-2017, 12:40 PM,
#53
RE: kamukta Sex kahaaniya किरण की कहानी
एक शाम जब मैं ऑफीस से वापस आ रही थी तो बारिश शुरू हो गई और मैं उसकी दुकान के सामने आ के खड़ी हो गई. बारिश अचानक शुरू हुई थी तो मेरे कपड़े भीग चुके थे और जैसा मैं पहले ही बता चुकी हू के ऑफीस जाने के टाइम पे मैं ने ब्रा और पनटी पहेनना छोड़ दिया है तो बारिश मे भीगने से मेरे कपड़े मेरे बदन से चिपक गये थे और मेरा एक एक अंग अछी तरह से नज़र आ रहा था मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं नंगी हो गई हू शरम भी बोहोत आ रही थी पर अब क्या कर सकती थी. वो अकेला ही था दुकान पे और चाइ पी रहा था उसने मुझे भी गरम गरम चाइ ऑफर की तो मैं मना नही कर सकी ठंड बोहोत लग रही थी. मैं उसकी दुकान के अंदर आ गई उसने एक स्टूल दिया मेरे बैठने के लिए. मैं स्टूल पे बैठ के चाइ पीने लगी. ठंड मे गरम गरम चाइ बोहोत अछी लग रही थी. वो चाइ पी रहा था और मुझे देख रहा था हम दोनो कभी इधर उधर की बातें भी कर लेते. उसने मुझे बताया के वो कॉमर्स का ग्रॅजुयेट है और फॅशन डिज़ाइनिंग का कोर्स भी कर रहा है इसी लिए ट्राइयल के तौर पे लॅडीस टेलर की दुकान खोल ली है. उसका घर कही और था लैकिन दुकान हमारे एरिया मे थी डेली आता जाता था अपनी मोटरबाइक पे. उस ने मेरे बारे मे भी पूछा ऐसे ही हम बातें करते रहे थोड़ी देर के बाद बारिश रुक गई तो मैं उसको थॅंक यू कह के जाने लगी तो उसने कहा

इस मे थॅंक यू की क्या बात है मेडम कभी हमे अपनी खिदमत का मौका दें तो हमे खुशी होगी. वाउ जब उसने मेडम कहा तो मुझे आरके एक दम से बोहोत ही अछा लगने लगा. उसकी ज़बान से अपने लिए मेडम का सुन के मुझे बोहोत ही अछा लगा और मैं किसी छोटे बच्चे की तरह खुश हो गई.

उस रात जब मैं बेड मे लेटी सोने के लिए तो मेरे ध्यान मे आरके ही घूमता रहा. उसका चाइ पिलाना और चाइ की कप देते देते मेरे हाथ से अपने हाथ टच करना, मुझे मीठी मीठी नज़रों से देखना और एस्पेशली मेडम कहना और यह कहाँ के हमै भी अपनी खिदमत का मौका दें तो हमै खुशी होगी याद आने लगा तो मैं ऑटोमॅटिकली मुस्कुराने लगी और सोचने लगी के कौनसी खिदमत का मौका देना है आरके को और यह सोचते ही एक दम से मेरी चूत गीली हो गई और मेरी उंगली अपने आप ही चूत के अंदर घुस गई और मैं क्लाइटॉरिस का मसाज करने लगी और उंगली को चूत के सुराख मे घुसेड के अंदर बहेर करना शुरू कर दिया और सोचने लगी के आरके कैसा चोद ता होगा ? ओफ़कौरसे उस से चुदवाने का ऐसा मेरा कोई इरादा तो नही था पर यह ख़याल आते ही मे झाड़ गई और थोड़ी देर मे गहरी नींद सो गई. सुबह उठी तो सब से पहले सोच लिया के आरके से अपने कुछ ब्लाउस और शर्ट सलवार सिल्वौगी.

दिन ऐसे ही गुज़रते रहे. ऑफीस आते जाते आरके मुझे देखता और मैं उसको देखती और हमारी नज़रें एक दूसरे को एक अंजाना इशारा देती रही हम इशारो ही इशारो मे एक दूसरे को भी प्रणाम कर लेते. कभी तो आहिस्ता से हाथ भी उठा के नमस्ते कर लेते जो किसी और को नज़र नही आता ऐसे ही जैसे लवर्स एक दूसरे को इशारा करते है. इसी तरह से हम दोनो के बीच मे एक अंजाना ब्रिड्ज बन गया. किसी दिन वो दुकान के अंदर होता और मुझे दिखाई नही देता तो उस दिन अजीब सा फील होता दिल मे एक बेचैनी रहती. मैं चाहने लगी के मेरे उसकी दुकान के सामने से गुज़रने के टाइम पे वो अपनी जगह पे खड़ा रहे और मैं उसको देख लू तो मुझे इतमीनान हो जाए. ऐसे ही ऑलमोस्ट 3 वीक्स गुज़र गये.

एक दिन मैं घर मे ही थी ऑफीस नही गई थी. एक वीक से एसके भी आउट ऑफ टाउन थे. अशोक भी अपने टूर पे थे. आंटी भी अपनी किसी मौसी के घर गई हुई थी. मैं बोहुत ही बोर हो रही थी. शाम से एसके की भी बोहोत याद आ रही थी. मॅन कर रहा था के कही से एसके आ जाए और मुझे बड़ी बे दरदी से चोद डाले और इतना चोदे के मेरी चूत एक बार फिर से फॅट जाए और खून निकल

आए. एसके से चुदाई का सोच ते ही मेरी चूत गीली होने लगी और सोफे पे बैठे बैठे अपनी टाँगें खोल दी और मेरा हाथ ऑटोमॅटिकली चूत मे चला गया चिकनी चूत को अपने हाथ से सहलाने लगी मेरी आँखें बंद हो गई और मैं अपनी उंगली अंदर बहेर करने लगी और थोड़ी ही देर मे झाड़ गई.

मुझे मार्केट से कुछ खाने का समान भी लेना था सोचा के मार्केट जाउन्गी तो शाएद सेक्सी ख़यालात मेरे मंन से निकल जाएगा. फिर ख़याल आया के चलो कियों ना अपने ब्लाउस और शर्ट सलवार का कपड़ा भी ले लू और सिलाने के लिए दे दू. यह सोचते ही मैं ने अपनी अलमारी से 2 नये ब्लाउस के कपड़े और 2 सलवार सूट के कपड़े निकाले और कॅरी बॅग मे डाल के बहेर निकल गई. लेट ईव्निंग हो चुकी थी. बहेर ठंडी ठंडी हवा भी चलने लगी थी लगता था जैसे बारिश होगी पर हो नही रही थी. आरके टेलर्स की दुकान तो बेज़ार मे जाते हुए पहले पड़ती है तो मैं पहले वही चली गई उस टाइम पे आरके कही बहेर गया हुआ था उसका कोई एंप्लायी बैठा था उसने बताया के आरके अभी 10 मिनिट मे आ जाएगा मार्केट गया है बटन्स और थ्रेड वाघहैरा लेने के लिए तो मैं ने कहा ठीक है यह कपड़े यही रहने दो मैं भी मार्केट जा रही हू वापसी मे आ जाउन्गि आरके से कह देना के किरण मेडम आई थी और यह कपड़े रख के गई है अभी आ जाएगी तो उसने कहा ठीक है और कपड़े एक साइड मे रख दिए.

क्रमशः...............
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