RE: kamukta Sex kahaaniya किरण की कहानी
किरण की कहानी पार्ट--15
लेखक-- दा ग्रेट वोरिअर
हिंदी फॉण्ट बाय राज शर्मा
गतांक से आगे........................
यह तो मैं अपनी फ्रेंड के साथ बोहोत टाइम कर चुकी हू और मुझे इस मे बोहोत मज़ा भी आता है तो मुझे फिर अपनी फ्रेंड श्रुति का ख़याल आया और मैं सोचने लगी के शाएद यह सब स्कूल की लड़कियों के लिए नॉर्मल सी बात है और शाएद सभी स्कूल की लड़कियाँ जो एक दूसरे की बेस्ट फ्रेंड्स हो सीक्रेट्ली ऐसे ही करती हैं.
दिन और रात ऐसे ही गुज़रते रहे और मैं कभी एसके, कभी अशोक, कभी आंटी तो कभी डॉली के बीच झूलने लगी पर किसी को भी ऐसे शक्क नही होने दिया के मैं किसी और के साथ भी हू सब यही समझते थे के मैं सिर्फ़ उसके ही साथ हू. एसके और अशोक
का मामला तो अलग था पर आंटी समझती थी के मैं सिर्फ़ आंटी के साथ ही मज़े करती हू ओफ़कौरसे अशोक तो पति है उसको छोड़ के और डॉली समझती थी के शाएद मैं उसके ही साथ हू और किसी को हम दोनो के बारे मे पता नही.
दिन ऐसे ही गुज़रते चले गये. अब मैं कभी कभी ऑफीस भी जाने लगी थी. जो काम घर बैठ के क्या उसकी सीडी बना के और पेपर्स ले के ऑफीस जाती और वाहा से दूसरे इनवाइसस एंट्री के लिए ले के आ जाती. कभी कभी तो एसके अपने ऑफीस मैं ही मुझे चोद देते और मैं ने ऑफीस जाने के टाइम पे ब्रस्सिएर और पॅंटी पहेनना भी छोड़ दिया था कियॉंके एसके कभी बिज़ी होते तो क्विक चुदाई के लिए मैं रेडी रहती बिना ब्रा और पॅंटी के. मुझे बिना ब्रा और पॅंटी के कपड़े पहेनना अब बोहोत अछा लगने लगा कियॉंके शर्ट जब निपल्स से डाइरेक्ट टच करती चलने के टाइम पे तो बोहोत मज़ा आता और निपल्स खड़े हो जाते और सलवार की चूत के पास की सीवान जब चूत के दोनो लिप्स ले बीच मे घुस्स जाती तो क्लाइटॉरिस से रगड़ते रगड़ते मज़ा आता और कभी कभी तो मैं ऐसे ही झाड़ भी जाती जब सलवार चूत मे घुस जाती. कभी ऐसे होता के एसके अपनी चेर पे बैठे होते और मैं अपनी सलवार नीचे कर के या अगर सारी पहनी हुई है तो सारी उठा के उनके दोनो थाइस के दोनो तरफ अपनी टाँगें रख के उनके रॉकेट लंड पे बैठ जाती और वो मेरी शर्ट उठा के मेरी चुचियाँ चूसने लगते और मैं उनके ऊपेर उछल उछल के लंड अंदर बहेर करती मेरे चुचियाँ एसके के मूह के सामने डॅन्स करती और एसके उनको पकड़ के मसल देते और चूसने लगते तो मज़ा आता. ऐसे पोज़िशन मे मुझे बोहोत मज़ा आता और लगता जैसे मूसल जैसा लौदा चूत फाड़ के पेट मे घुस्स गया हो. और कभी तो मुझे अपनी टेबल पे ही लिटा देते और पीछे से डॉगी स्टाइल मे चोद देते. किसी दिन सारी पहेन की जाती तो सारी उठा के मैं उसके ऊपेर बैठ जाती या टेबल पर डॉगी स्टाइल मे चुदाई होती बिना कपड़े निकाले . दिन ऐसे ही गुज़रते रहे और मस्त चुदाई चल रही थी और ज़िंदगी ऐसे ही गुज़र रही है.
मेरे घर से ऑफीस का पैदल (बाइ फुट) रास्ता तकरीबन 20 – 25 मिनिट का होगा. मैं पैदल ही आती जाती हू ता के कुछ वॉकिंग भी हो जाए और अगर घर के लिए कुछ समान की ज़रूरत हो तो बेज़ार से पर्चेस भी कर लेती हू. बोहुत सारी डिफरेंट टाइप की दुकाने घर और ऑफीस के बीचे मे है उन मे एक दुकान लॅडीस टेलर की भी है. दुकान के बोर्ड पे एक बोहोत ही खूबसूरत लड़की की फिगर बनी हुई है जिसके बूब्स मस्त शेप मे दिखाई दे रहे थे और बोर्ड पे लिखा था “म ल लॅडीस टेलर” ऑल काइंड्स ऑफ लॅडीस नीड्स. दूसरी लाइन मे लिखा था “वी सॅटिस्फाइ ऑल और कस्टमर्स और तीसरी लाइन मे लिखा था सटीफ़िएड आंड कस्टमर प्लेषर ईज़ अवर ट्रेषर” और सब से लास्ट
लाइन मे लिखा था “ट्राइ उस टुडे” और सब से नीचे वाली लाइन मे लिखा था प्रोप्राइटर आंड मास्टर टेलर आंड फॅशन डिज़ाइनर रिज़वान ख़ान. बी.कॉम.
यह रिज़वान ख़ान ( आरके ) अछी शकल सूरत का लड़का हैं. बोहुत यंग है आते जाते कभी हम दोनो की नज़र मिल जाती तो दोनो ही एक दूसरे को थोड़ी देर तक घूर के देखते रहते कभी कभी तो मैं उसकी दुकान से आगे जाने के बाद मुस्कुरा देती जिसका मतलब मुझे भी नही समझ मे आता था. थोड़े ही दीनो मे मुझे आरके अछा लगने लगा उस से बात करने को मेरा मॅन करने लगा. अछी ड्रेसिंग करता था. मीडियम हाइट, एक्सर्साइज़्ड बॉडी, रंग गोरा, स्मार्ट और बॉडी भी अछी ख़ासी है. काले बाल जिनको स्टाइल से सेट करता है और लाइट ब्राउन बड़ी बड़ी आँखें. देखने से ही लगता था जैसे किसी आछे घराने का है. मैं ने सोच लिया के किसी दिन आरके से ज़रूर अपने कपड़े सिल्वौगी. उसकी दुकान पे लड़कियाँ बोहोत आती जाती है हमेशा कोई ना कोई लड़की खड़ी होती है कभी कभी तो एक से ज़ियादा भी खड़ी होती और अपने साइज़ के कपड़े ला के देती सिलवाने के लिए. इन जनरल उसकी दुकान खूब चलती थी और मोस्ट ऑफ दा टाइम्स उसकी दुकान पे रश ही रहता था. काफ़ी बिज़ी टेलर था.
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