kamukta Sex kahaaniya किरण की कहानी
07-12-2017, 12:35 PM,
#40
RE: kamukta Sex kahaaniya किरण की कहानी
एसके थोड़ी देर ऐसे ही मेरे ऊपेर लेटे रहे मेरी गंद मे अपना रॉकेट जैसा लंड घुसेड के. कुछ ही देर के बाद मेरी गंद अब पूरी तरह से रेडी हो गई थी और अब गंद मे लंड अछा लग रहा था तो एसके ने पीछे बेड से पैर टीका के उछल उछल के मेरी गंद मारनी शुरू कर दी कभी आधा लंड बहेर तक खेच लेते तो कभी सूपदे तक बहेर निकल के ज़ोर का झटका मारते तो मेरी जान ही निकल जाती अंदर की साँस अंदर और बहेर की बहेर रह जाती. थोड़ी देर तक तो तकलीफ़ होती रही लायकिन थोड़ी ही देर

मैं मुझे गंद मरवाने मे बोहोत ही मज़ा आने लगा और मे अपनी गंद से लंड को पीछे से धक्के मार रही थी तेल लगा होने से पपकचछक्क पपकचछक्कक प्प्प्पक्चक्क की आवाज़ें आ रही थी और एसके का मूसल जैसा लंड मेरी गंद मे घुसा हुआ था वो ज़ोर ज़ोर से खचा खच मेरी गंद मार रहे थे और मैं मज़े से मरवा रही थी अपनी गंद पीछे धकेल के उसका मोटा लंड अपनी गंद मैं ले रही थी. बहुत मज़ा आने लगा था और उसी समय मेरा बदन काँपने लगा और मेरी चूत मे से जूस निकाल ने लगा मेरा ऑर्गॅज़म चलता रहा और मैं बे दम हो के बेड पे गिर गई. एसके अपनी गंद उठा उठा के लंड को पूरा सूपदे तक बहेर निकाल निकाल के मेरी गंद मार रहे थे. उनकी स्पीड बढ़ गई और वो दीवानो की तरह से मेरी गंद के अंदर अपना मूसल लंड घुसेड रहे थे तेज़ी से मेरी गंद मार रहे थे और फिर एक बोहोत ही ज़ोर दार झटका मारा तो मेरे मूह से फिर से चीख निकल गई आआमम्माआअ मररर्र्ररर गाईईईईईई और फिर फॉरन ही उनके लंड से कम की पिचकारियाँ मेरी फटी हुई गंद मे निकल के गिरने लगी. पहली पिचकारी के साथ ही मेरी चूत से जूस निकलने लगा और मैं भी झड़ने लगी. एसके के लंड मे से कुम्म निकलता गया और मुझे लगने लगा जैसे उसके कम से मेरी गंद और मेरा पेट दोनो भर जायन्गे और अभी उनका लंड मेरी गंद के अंदर ही घुसा हुआ था और वो मेरे बदन पे गिर गये हम दोनो गहरी गहरी साँसें ले रहे थे थोड़ी ही देर के बाद जब हमारी साँसें ठीक हुई तो एसके मेरे ऊपेर से मेरा साइड मे लुढ़क गॅये और उनका लंड मेरी गंद मे से निकलते ही मेरी गंद मे से उनका कम बहेर निकलने लगा और मेरी चूत की दरार मे से होता हुआ नीचे बेड शीट पे गिरने लगा.

मैं भी अब सीधा हो के लेट गई और करवट ले के एसके को प्यार करने लगी दोनो करवट से लेटे थे एक दूसरे की तरफ मूह कर के.और फिर हम दोनो एक दूसरे से लिपट के गहरी नींद सो गये. सुबह उठी तो चूत और गंद मे मीठा मीठा दरद हो रहा था. हम दोनो ने साथ ही शवर लिया और दोनो एक दूसरे को साबुन लगा के सफाई करने लगे. एसके ने मेरी चूत और गंद मे साबुन लगाया और मैं ने एसके के लंड पे साबुन लगाया और धोने लगी. एसके के लंड पे हाथ लगते ही उनका लंड एक बार फिर से खड़ा होगया और मेरे नंगे बदन को और मेरी चिकनी मक्खन जैसी चूत को सल्यूट करने लगा जैसे हाथी (एलिफेंट) अपने सूंड (ट्रंक) से सल्यूट करता है तो मैं ने हंस के कहा वाउ एसके यह तो फिर से अकड़ने लगा तो उसने कहा किरण तुम्हारी मक्खन जैसी चिकनी और प्यारी चूत शाएद मेरे लंड को पसंद आ गई है और फिर से यह उसमे घुसना चाहता है तो मैं हँसने लगी और कहा के एसके मैं तुम्हारे लिए और तुम्हारे

इतने शानदार लंड के लिए हमेशा ही रेडी हू. फिर शवर के अंदर ही एसके ने मुझे अपनी गोदी मे उठा लिया और दीवार से टीका के मेरी चूत मे लंड एक ही झटके मे पेल दिया और चोदने लगे. मेरी बॅक दीवार से टिकी हुई थी और पैर एसके के बॅक पे लपेटे हुए थे और मैं हाथ एसके की गर्दन मे हाथ डाल के उनके बदन से झूल रही थी और उनका लंड मेरी चूत मे तूफान मचा रहा था. घचा घच चोद रहे थे उनका लंड चूत के अंदर ऐसे जा रहा था जैसे जॅक हॅमर से दीवार मे सुराख कर रहे हो मुझे लग रहा था के मेरी चूत और गंद फाड़ के उनका लंड दीवार मैं घुस जाएगा. उनके एक एक झटके से मेरे चुचियाँ डॅन्स करने लगी. एसके के हाथ मेरी चूतड़ पे थे और मेरी बॅक दीवार से. इसी तरह चोद्ते रहे और मैं 2 बार झाड़ चुकी थी अब मुझे लगा के एसके भी झड़ने वाले है तो मैं ने उनको कस्स के पकड़ लिया एसके के झटके बोहोत ही तेज़ हो गये और मेरी ज़बरदस्त चुदाई होने लगी और फिर एक इतनी ज़ोर से झटका मारा के मेरी चीख निकल गई ऊऊऊऊऊऊऊीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई और मेरा मूह खुला का खुला रह गया और मैं ने महसूस किया के एसके का लंड मेरी चूत मे फूल (स्वेल) रहा हो और उसके के लंड से गरम गरम मलाई की पिचकारियाँ निकल रही है और मैं फिर से झड़ने लगी. चुदाई होने के बाद उन्हो ने मुझे नीचे उतारा और हम ने फिर से शवर लिया.

बाथरूम से बहेर निकल के मैं कपड़े पहेन्ने लगी तो एसके ने कहा नही किरण मैं और तुम जितनी देर घर मे अकेले रहेगे तुम और मैं कोई कपड़ा नही पहनेगे और हम दोनो नंगे ही रहेगे तो मैं ने मुस्कुराते हुए कहा ओके एसके मैं तो तुम्हारी गुलाम हो गैइ हू तुम जैसा कहोगे मैं वैसा ही करूगी. फिर मैं नंगे ही किचन मे गई और ब्रेकफास्ट बनाया और हम दोनो ने नंगे ही डाइनिंग टेबल पे बैठ के खाया. सॅटर्डे का दिन था वो तो एसके ने ऑफीस फोन कर दिया के वो किसी और जगह काम से जा रहे है और ऑफीस नही आएँगे और फिर कुछ अपनी सेक्रेटरी को इन्स्ट्रक्षन्स दे दिए और सारा काम समझा दिया. सॅटर्डे और सनडे को मेरी जम्म के चुदाई हुई. अब मैं अशोक को भूल चुकी थी मुझे अशोक की याद भी नही आ रही थी मैं तो यह सोच रही थी के एसके ही मेरे पति हैं और मैं उनकी पत्नी.

मंडे को एसके को ऑफीस जाना था तो मैं फिर से लिपट के रोने लगी और कहा के मैं कैसे रहूगी तुम्हारे बिना तो एसके मुझे से लिपट गये और किस करने लगे और कहा के मैं कही नही जा रहा हू शाम को फिर आ जाउन्गा और मैं ने तुम से प्रॉमिस भी तो किया हुआ

है के मैं अशोक के आने तक तुम्हारे साथ ही रहूँगा और फिर आज अपनी वाइफ को एक वीक के लिए उसके मयके जाने के लिए कह दूँगा और बता दूँगा के मैं किसी काम से मुंबई जा रहा हू और एक वीक के बाद आउन्गा. एसके ने कहा किरण कही अशोक को हमारे रिलेशन्स के बारे मे पता चल गया तो मुश्किल हो जाएगी तो मैं ने कहा एसके तुम अशोक की फिकर ना करो आइ आम शुवर के अगर उसको मालूम भी हो गया तो वो कुछ नही कहेगा कियों के उसको खुद ही पता है के वो मुझे सॅटिस्फाइ नही कर पा रहा है और उसके लोड्‍े मे अब दम नही है और यह के वो मुझे जब भी चोदने की कोशिश करता है और मुझे गरम कर के मेरी चूत के ऊपेर ही अपना माल गिरा देता है तो उसकी नज़रें खुद ही नीचे हो जाती है और उसको पता है के मैं उस से सॅटिस्फाइ नही हू तो तुम उसकी बिल्कुल भी फिकर ना करो और वो तुम्हारा अछा दोस्त भी है और हमेशा टुमरी तारीफ ही किया करता है के तुम बोहोत आछे इंसान हो और हमेशा दूसरो की मदद करते रहते हो तो वो हँसने लगा और कहा के हा मैं तुम्हारी मदद ही तो कर रहा हू और फिर हम दोनो मिल के हँसने लगे.

इसी तरह से पूरा एक वीक एसके मेरे साथ ही रहे. दिन रात डिफरेंट स्टाइल्स मे चुदाई करते रहे मस्ती मे टाइम गुज़रता रहा. एक वीक के बाद अशोक वापस आ गये तो उन्हो ने पूछा के मेरा काम कैसे चल रहा है तो मैं ने खा के हा ठीक ही चल रहा है एसके यहा ही आ के मुझे सब कुछ सीखा देते है. अशोक ने आँख मार के कहा के कुछ हमै भी तो बताओ के अब तक क्या क्या सीखा दिया है हमारी प्यारी सी किरण जान को तो मेरे मूह पे ऑटोमॅटिकली शरम आ गई और अशोक मुझे गौर से देखने लगे और कहा के किरण एसके मेरा सब से प्यारा दोस्त है देखना के उसको कोई तकलीफ़ ना हो और जब वो घर पे ही आता है काम सीखा ने के लिए तो उसका पूरा ख़याल भी रखा करो तो मैं ने मुस्कुरा के सर हिला दिया और कहा के ठीक है मैं एसके के पूरा ख़याल रखूँगी तुम फिकर ना करो. ऐसी ही दो मीनिंग की बातें हुई जिस से मुझे एक आइडिया तो हो गया के अशोक कोई फील नही करेगा अगर एसके मुझे चोद भी दे तो और मुझे ख़याल आया के शाएेद अशोक चाहता भी यही हो के एसके मुझे चोदे और मुझे सॅटिस्फाइ कर्रे. खैर यह मेरा और एसके की चुदाई का सिलसिला चलता रहा. अब तो जैसे एसके ही मेरा पति था वोही मुझे चोद ता था मैं उसके चोदने से बिल्कुल सॅटिस्फाइ थी.

एक टाइम एसके को डिन्नर पे बुलाया. हम तीनो ने खाना खाया. डिन्नर के बाद सोफे पे बैठे कॉफी पी रहे थे तो अशोक ने एसके से कहा के एसके किरण तुम्हारी बोहोत तारीफ करती है के तुम उसको काम अछी तरह से समझा रहे हो और उसकी पूरी मदद कर रहे हो तो मैं ने देखा के एसके के चेहरे पे एक रंग आ के

चला गया उसने समझा के शाएद अशोक को किसी तरह से पता चल गया उसके और किरण के रिलेशन्स का पर एसके ने कुछ कहा नही तो मैं ने ही कहा के हा अशोक एसके बोहोत ही अछी तरह से मुझे काम समझा रहे है तुम फिकर ना करो और मैं उनका पूरा ख़याल भी रख रही हू जैसा तुम ने कहा था तो मैं ने देखा के अशोक के चेहरे पे इतमीनान दिखने लगा और फिर एसके ने भी कहा के यार अशोक किरण एक बोहोत ही अछी लड़की है उसने काम बोहोत ही जल्दी सीख लिया और अछी तरह से कर भी रही है और हा वो मेरा अछी तरह से ख़याल भी रखती है तो फिर अशोक ने कहा देखो किरण एसके की खिदमत मे किसी किसम की कमी ना रह जाए तो फिर मैं ने कहा के हा तुम फिकर ना करो मैं सब देख लुगी. अशोक की बातो से ऐसे अंदाज़ा होता था के हमारे बारे मे वो कुछ समझ गया था या हमै आपस मे चुदाई का सुझाओ दे रहा था हमारी कुछ समझ मे नही आ रहा था. खैर हम ने सोचा के कोई बात नही अगर अब अशोक को पता भी चल जाए तो कोई बात नही जब ऐसी कोई बात आईगी तो देखा जाएगा.

कॉफी ख़तम हो चुकी थी और हम ऐसे ही बैठे बातें कर रहे थे तो एसके ने कहा के उसको 2 वीक्स के लिए सिंगपुर जाना पड़ रहा है. एसके ने मज़ाक से कहा के यार अशोक अगर तुम इजाज़त दो तो मैं किरण को भी सिंगपुर की सैर करा लाउ तो अशोक ने कहा अरे इस मे पूछने की क्या बात है यह तो बड़ी अछी बात है ले जाओ वो यहा अकेले मे बोर होती रहती है और मेरा कोई ठिकाना भी तो नही है कभी भी मुझे बिज़्नेस के सिलसिले मे बिना प्रोग्राम के ही कही भी चले जाना पड़ता है तो एसके ने कहा नही यार मैं तो मज़ाक कर रहा था तुम तो सीरीयस हो गये तो अशोक ने कहा अरे नही यार मैं सच मे सीरीयस हू अगर तुम को कोई प्राब्लम ना हो आइ मीन के कोई बिज़्नेस की या फाइनान्षियल प्राब्लम तो एसके ने कहा नही यार मुझे क्या प्राब्लम हो सकती है तो अशोक ने कहा तो फिर क्या प्राब्लम है ले जाओ कीरन को अपने साथ ना यार मैं कह रहा हू ना. अशोक और एसके ऐसे ही बातें कर रहे थे और मैं कभी अशोक की सूरत देखती तो कभी एसके की और समझने की कोशिश कर रही थी के कही यह दोनो वाकई सीरीयस हैं या दोनो ही मज़ाक कर रहे हैं.
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RE: kamukta Sex kahaaniya किरण की कहानी - by sexstories - 07-12-2017, 12:35 PM

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