RE: kamukta Sex kahaaniya किरण की कहानी
उसका घर और वो कभी कभी आंटी की चुदाई कर के उनकी प्यासी चूत की प्यास को बुझा देता है. मैं आंटी की कहानी सुन के हैरत मे पड़ गई और सोचने लगी के मैं अपनी प्यासी चूत की प्यास बुझाने के लिए क्या करू.
अब ठंड थोड़ी सी बढ़ गई तो मैं एक बड़ी ब्लंकेट ले के आ गई और हम दोनो एक ही ब्लंकेट को ओढ़ के बैठे बारिश के मज़े ले रहे थे और अपनी अपनी चुदाई की कहानिया एक दूसरे को सुना रहे थे. आंटी मेरा हाथ अपने हाथ मे ले के मसल रही थी ब्लंकेट के अंदर और मेरे बदन मे गर्मी आ रही थी. हम दोनो अपें टाँगें मोड़ के बैठी थी कभी कभी लेग्स को क्रॉस कर के बैठ जाते कभी नीस को फोल्ड कर के. एक तो उनके हाथ का स्पर्श और बाहर का ठंडा मौसम और फिर आंटी ने सुहाग रात की और अपनी चुदाई की दास्तान स्टार्ट कर के मेरे बदन मे फिर से आग लगा दी थी मुझे सुनील से चुड़वाई हुई वो रातें याद आ रही थी जब मेरी चूत मे सुनील का लंबा मोटा लंड घुस के धूम मचा देता था और चूत फाड़ झटके मार मार के मेरी चूत को निचोड़ के अपने लंड का सारा रस मेरी चूत के अंदर छोड़ के कैसे मज़ा देता था. मेरा पूरा दिल और दिमाग़ सुनील की चुदाई मे था मुझे पता ही नही चला के कब आंटी का हाथ मेरे थाइस पे फिसलने लगा और मेरे सारे बदन मे एक मस्ती का एहसास छाने लगा और ऑटोमॅटिकली मेरी टाँगें खुल गई और मैं ने महसूस किया के आंटी का हाथ मेरे थाइ से फिसल के चूत पे टिक गया और वो चूत की धीरे धीरे मसाज करने लगी और मुझे मज़ा आने लगा.
मेरी प्यासी चूत पे आंटी के हाथ का स्पर्श और मसाज से मुझे अपने स्कूल का एक किस्सा याद आ गया. हम उन दीनो 9थ क्लास मे थे. हुआ यह था के मेरी क्लासमेट श्रुति नाम था उसका वो मेरे पड़ोस मे ही रहती थी और कभी वो मेरे घर आजाती और हम दोनो मिल के रात मे पढ़ाई करते और एक ही बेड पर सो जाते कभी मैं उसके घर चली जाती और कंबाइंड स्टडी करते वही उसके साथ उसके बेड पर ही सो जाती. एक रात वो मेरे घर मे आई हुई थी और हम रात को पढ़ाई कर के हम दोनो मेरे बेड पे लेट गये. . मेरे रूम घर मे ऊपेर के फ्लोर पे था और मोम आंड डॅड नीचे. मैं ऊपेर अकेली ही रहती थी तो हमै अछी ख़ासी प्राइवसी मिल जाती थी. दोनो पढ़ाई ख़तम कर के सोने के लिए लेट गये. श्रुति बोहोत ही शरारती थी उसने अपने मम्मी
पापा को चोद्ते हुए भी कई बार देखा था. कभी सोने का बहाना कर के कभी विंडो मे से झाँक के और फिर मुझे बता ती थी के कैसे उसके डॅड नंगे हो के उसकी मोम को नंगा कर के चोद्ते है कभी लाइट खुली रख के तो कभी लाइट बंद कर के वो चुदाई देखती रहती थी और मुझे बता देती कि उसके पापा ने आज उसकी मम्मी को कैसे चोदा और यह भी बता ती के उसकी मम्मी ने कैसे उसके पापा के लंड को चूसा और सारी मलाई खा गई.
हा तो वो मेरे साथ थी बेड पर. हम ऐसे ही बातें कर रहे थे वो अपने मम्मी और पापा के चुदाई के क़िस्से सुना रही थी और अचानक उसको क्या हुआ उसने पूछा किरण तेरा साइज़ क्या है मैं ने पूछा कौनसा साइज़ तो उसने मेरी चुचिओ को हाथ मे पकड़ लिया और पूछा अरे पागल इसका और हँसने लगी उसका हाथ मेरे बूब्स पे अछा लग रहा था और उसने भी अपना हाथ नही हटाया और मैं ने भी उस से हाथ निकाल ने को नही कहा और वो ऐसे ही मेरी चुचिओ को दबाने लगी.
रात तो थी ही और हम ब्लंकेट ओढ़े हुए थे और लाइट बंद थी ऐसे मे मुझे उसका मेरी चुचिओ को दबाना अछा लग रहा था मैं ने उसका हाथ नही हटाया. उन दीनो हम ब्रा नही पेहेन्ते थे तो हमै साइज़ का पता नही था मैं ने बोला के मुझे क्या मालूम तो उसने कहा ठहर मैं बता ती हू तेरा क्या साइज़ है मैं ने बोला तेरे कू कैसे मालूम तो वो हँसने लगी और बोली मुझे सब पता है और मेरे ऊपेर उछल के बैठ गई. मैं सीधे ही लेटी थी और वो मेरे ऊपेर बैठ के मेरे बूब्स को मसल रही थी अब उसने मेरी शर्ट के अंदर हाथ डाल के मसलना शुरू कर्दिआ तो मुझे और मज़ा आने लगा. मैं ने बोला हे श्रुति यह क्या कर रही है तो वो बोली के मेरे पापा भी तो ऐसे ही करते है मेरे मम्मी के साथ मैं ने देखा है जब पापा ऐसे करते हैं तो मम्मी को बोहोत मज़ा आता है बोल तुझे भी आ रहा है मज़ा या नही तो मैं ने कहा हा मज़ा तो आ रहा है तो उस ने कहा के बॅस तो ठीक है ऐसे ही लेती रह ना मज़ा ले बॅस और वो ज़ोर ज़ोर से मेरी चुचिओ को मसल्ने लगी.
मेरे ऊपेर बैठे ही बैठे उसने अपनी शर्ट भी उतार दी और मुझ से बोली के मैं भी उसके बूब्स को दबौउ तो मैं भी हाथ बढ़ा के उसके बूब्स को अपने हाथ मे ले के मसल्ने लगी. श्रुति की चुचियाँ मेरे चुचिओ से थोड़ी सी बड़ी थी. लाइट बंद होने से कुछ दिखाई नही दे रहा था बॅस दोनो एक दूसरे के चुचिओ को दबा रहे थे. ऐसे हे दबा ते दबा ते वो मेरी टांगो पे आगे पीछे होने लगी. हमारी चूते एक दूसरे से मिल रही थी और एक अजीब सा मज़ा चूत मे आने लगा. अब वो मेरे ऊपेर लेट गई और मेरी चुचि को चूसने लगी मेरे मूह
से आआआआआआआहह निकल गई और मैं उसके सर को पकड़ के अपनी चुचिओ मे घुसाने लगी थोड़ी देर ऐसे ही चूसने के बाद वो थोड़ा आगे हटी और अपनी चुचि मेरे मूह मे घुसेड डाली और मैं चूसने लगी वो भी आआहह की आवाज़ें निकाल निकाल के मज़े लेने लगी.
अब हम दोनो मस्त हो चुके थे वो थोडा सा पीछे खिसक गई और मेरी चूत पे हाथ रख दिया तो मेरी गंद अपने आप ही ऊपेर उठ गई. हम अब कोई बात नही कर रहे थे बॅस एक दूसरे से मज़े ले रहे थे. उसने मेरी सलवार का नाडा खोल दिया और साथ मे अपना भी और खुद अपने घुटनो पे खड़ी हो के अपनी सलवार निकाल दिया और नंगी हो गई और मेरी सलवार को पकड़ के नीचे खिसका दिया और मैं ने भी अपनी गंद उठा के उसको निकालने मे सहयोग किया. अब हम दोनो नंगे थे अभी हमारी चूतो पे बॉल आने भी नही शुरू हुए थे एक दम से चिकनी चूते थी हम दोनो की.
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