RE: Antarvasna sex stories चुदाइ का दूसरा रूप
उसने मुझे वेब कॅम का इन्विटेशन भेजा जिसे मैने आक्सेप्ट कर लिया तो मैं
उसे सीधा देख पा रही थी. मैने देखा कि एक सुंदर सा लड़का कुर्सी पर बैठा
है. हमने करीब आधा घंटे बात की. वो अब मुझे भाभी कह कर बुला रहा था,
क्यों की मैं उस से बड़ी और शादीशुदा थी. वो बहुत अच्छा लड़का था जिस से
मेरी तुरंत दोस्ती हो गई.
बात करते करते, अचानक उसने पूछा कि क्या मैं उसका लंड देखना चाहती हूँ.
मुझे बहुत आस्चर्य हुआ और कुछ देर तक तो मैं कोई जवाब नही दे सकी. ये
मेरे साथ पहली बार था जब किसी मर्द ने अपना लंड मुझे दिखाने की पेशकश की
थी. मैने कुछ देर तो सोचा और उसको हां कह दी, क्यों कि मैं भी इस खेल के
लिए बहुत रोमांचित थी.
उसने तुरंत ही अपने कपड़े उतार दिए और कमेरे पर मेरे सामने नंगा हो गया .
उस का लॉडा पूरी तरह खड़ा था और उसके लंड के आस पास थोड़ी झाँटें भी थी.
मैने देखा की उसका लंड बड़ा और तनुरुस्त था जो किसी भी लड़की या औरत को
संतुष्ट करने की क़ाबलियत रखता लग रहा था. ये मेरे लिए पहली बार था जब
मैं किसी का चुदाई का औज़ार, लॉडा कमेरे पर सीधा देख रही थी. मैं सॉफ सॉफ
देख पा रही थी कि उसने खुद ही अपने लंड से खेलना शुरू कर दिया था. जल्दी
ही उसने अपने लंड को पकड़ कर हिलाते हुए खुद ही मुठया मारना चालू
कर्दिया. वो अपनी मूठ मारने की रफ़्तार बढ़ाता गया तो मेरी चड्डी भी अपनी
चूत से निकलते रस से गीली हो गई. अपने लंड को अपने हाथ मे पकड़ कर वो
ज़ोर ज़ोर से मूठ मार रहा था. मुझे उसका लंड , मूठ मारता उसका हाथ और
उसके लंड का सूपड़ा मेरे कंप्यूटर पर सॉफ सॉफ दिख रहा था. अचानक मैने
देखा की उसके लंड से, तेज बौच्हार के साथ पानी निकलना शुरू हो गया . उसका
अपना लंड हिलाना चालू था और उसके लंड से सफेद पानी की धार रुक रुक कर
निकल रही थी. फिर उसने मूठ मारना बंद किया और अपनी टेबल पर फैले लंड रस
को सॉफ करने लगा. उसने मुझसे कहा कि उसकी तरफ से ये हमारी पहली मुलाकात
का, एक भाभी को एक देवेर की तरफ से तोहफा है. कुछ देर बाद हमने चाटिंग
बंद की.
मैं अपने गाउन के अंदर चोली और चड्डी ही पहने थी. मेरी चड्डी तो उसको मूठ
मारते देखकर पहले ही मेरे अपने चूत रस से भीग चुकी थी. मैने अपना गाउन
उठाकर अपने पैरों के बीच देखा. मैने अपनी चड्डी उतार दी और सॉफ सॉफ उसे
गीला पाया. मैने अपने परों को चौड़ा किया और कुर्सी के किनारे पर बैठी
ताकि मैं आराम से अपनी प्यारी सी, सॉफ सुथरी और सफाचत चूत मे अपनी उंगली
कर सकूँ. मैं अपनी बीच की उंगली अपनी गीली चूत पर ले गई और अपनी चूत के
दाने की छुआ. मैं उस लड़के को कमरे और कंप्यूटर पर, मेरे लिए मूठ मारने
का सीधा प्रसारण देख कर उत्तेजित हो चली थी. मैं अधिक देर रुक नही सकी और
मैने अपनी चूत मे उंगली घुमानी शुरू करदी. चूत पहले से ही काफ़ी गीली
होने की वजह से उसके बीच मे, दाने पर उंगली घुमाना बहुत ही आसान था. चूत
के दाने को अपनी उंगली से रगड़ते हुए मुझे चुदाई का मज़ा आने लगा. जैसे
जैसे चुदाई का मज़ा बढ़ता गया , वैसे वैसे मेरी उंगली की मेरी चूत मे
रफ़्तार बढ़ती गई. अब मैने अपनी एक उंगली मेरी गीली के अंदर भी घुसा ली
थी ताकि झड़ने का पूरा पूरा मज़ा आए. चुदाई की उत्तेजना के मारे, मज़े के
मारे मेरे मूह से आवाज़ें निकलनी शुरू हो गई और अपने बंद घर के अंदर, मैं
अकेली चुदाई के मज़े मे चिल्लाने को स्वतंत्र थी. मैने अपने मूह से
निकलने वाली आवाज़ों को रोकने की कोई कोशिश नही की और मैं मज़े के पर्वत
की चोटी पर थी. मेरी उंगली मेरी चूत के अंदर और चूत के दाने पर लगातार
घूमती हुई मुझे मेरी मंज़िल की तरफ ले जा रही थी.
अपनी चूत को तेज़ी से रगड़ती हुई, तेज़ी से चूत मे उंगली अंदर बाहर करती
हुई, चूत के दाने को मसल्ति मैं जहाँ पहुँचना चाहती थी वहाँ पहुँच चुकी
थी. मैने अपने पैर भींच लिए और मेरी उंगली अभी भी मेरी चूत मे थी. मेरी
आँखें आनंद से बंद हो गई. ये बहुत ही जोरदार हस्तमैतून था.
रात और दिन अपनी रफ़्तार से बीत रहे थे. मैं बहुत खुश हूँ की मेरे पति
हमेशा ही मुझे चुदाई का मज़ा देते है. हमारे बीच चुदाई होना जिंदगी का एक
ज़रूरी हिस्सा है. वो रोज़ मुझे चोद्ते है और मैं रोज़ उनसे चुदवाती हूँ,
कभी कभी तो दिन मे दो - तीन बार भी. मुझे कोई ऐसी रात या दिन याद नही है
जब मैने नही चुदवाया हो. हम दोनो ही चोद कर और चुदवा कर बहुत खुश है
क्यों कि हम जैसे चाहे, जब चाहे, जितनी चाहे चुदाई करतें हैं और चुदाई का
पूरा सम्मान करतें है.
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