RE: Hindi XXX Story मेरा अमर प्यार
मेरा अमर प्यार--3
गतान्क से आगे.........
ऑर मुझे सहला ते रहे चूची चूसने लगे ओर 5 7 मिनिट यो ही पड़े रहे..
इस बार उनका लंड मेरी चूत की झिल्ली फाड़ चुका था 4 इंच तक चूत मे समा
गया. मेरी चूत से बहोत सारा खून निकाला क्यों की मेरी सील टूट गयी थी.फिर
मेरा दर्द कम हुआ ऑर मैं फिर शांत हो गयी..
गुड़िया तुम ठीक हो क्या..
हां मैने कहा. मैने सोचा कि बस अब लंड अंदर चला गया पर मुझे नही पता था
कि मेरा रियल टेस्ट इस धक्के मे होने वाला है.
भैया ने घटनो पर आ कर इस बार इतनी ज़ोर से धक्का मारा कि बाहर बचा सारा
5-6'' एक ही बार किसी गरम लोहे के सरिए की तराहा मेरी चूत को चीरता हुआ
मेरी बच्चे दानी की अंदर वाली दीवार से टकरा गया...
आआआआआहह माआआर गइईईई भैय्ाआआआआआ चकोदो मुझे ... उउउउउउउईईईईई मम्मी मैं मर गाईए
ओर मेरी आँखों मे बेहोशी छाने लगी.....मुझे रूम मे सब धुध्ला दिख रहा था...
मेरी आँखों से आँसू निकल आए ओर मैं रोने लगी...बिन पानी की मच्चली की तरह
तड़प रही थी.
बस गुड़िया बस... हो गया बस.. अब नहीं.....
उउउइ मुम्म्म्य पेट मे चुभ रहा है भैया....
.
बस गुड़िया बस.....बस......बस
मैं आधी बेहोश सी पड़ी थी.....
आर यू ओके गुड़िया...
भैया डर गये कि मुझे कुच्छ हो तो नहीं गया..पर मुझे कुच्छ नहीं हुआ था बस
मेरी बच्चे दानी मे उनका लंड चुभ रहा था ऑर थोड़े दर्द के कारण ही मेरी
जान निकली हुई थी.
गुड़ीयाअ.......गुड़ीयाआ......बाबययी बोलो ना.. क्या हुआ.....
भैया दर्द हो रहा है....ऑर पेट मे चुभ रहा हाीइ..... आआअहह उईईई
थॅंक गॉड बोली तो सही..
मेरी गाडिया बेबी थोड़ी देर मे ठीक हो जाएगा....ओके डरो मत फिर मेरे
होठों चूसने लगे ऑर प्यार से मेरे बदन पर हाथ फेरने लगे. कभी कही तो कभी
कहीं पर सहलाते रहे...
मेरी चूची मुँह मे ली ओर निपल चूसने लगे ....
ऊऊष्ह.. आअहह 10 मिनिट तक वो मेरी चूचियाँ चूस्ते रहे मेरा निपल चूसने के
कारण सुर्ख लाल हो गया था....फिर उस चूची को छ्चोड़ कर दूसरी चूची मुँह
मे ले ली ऑर चूसने लगे...निपल चूस्ते -2 एक दम लाल ऑर कड़क हो कर खड़े हो
गये ....
इतने मेरा दर्द तो ख़तम हो गया पर पेट मे चुभना बंद नही हुआ.चूची चूसने
के कारण मुझे मेरा दर्द ख़तम हो गया बल्कि मुझे थोड़ा मज़्ज़ा भी आने लगा
ओर मेरी भैया से चोदने की रिक्वेस्ट सिसकारियों मे बदल गयी ओर मेरे
कूल्हे अपने आप थोड़े-2 हिलने लगे...
ऊओ.....आअहह.....हा
ईईईईईईईईईईईईईई....उम्म्म्मंंननणणन्
भैया समझ गये कि मेरा दर्द ख़तम हो गया ओर वो अपनी बारी खेलने के लिए
तयार हो गये. उन्होने धीरे-2 धक्के लगाने शुरू किए ...आ
आहह...उईईइ..माआ
ईईीीइसस्स्स्स्स्स्स्स्सय्ाआ.....उुउऊहह....आहह.....ऊीीईईईईईई....भ्ाइईईयायययययया.
मुझे मज़्ज़ा आने लगा......
भैया ने मुझे चोदना शुरू किया ऑर धीरे-2 अपनी रफ़्तार बढ़ा रहे थी.. कमरे
मे मेरी आवाज़ें गूँज रही.थी.
आहह......ऊऊहह......उईईईईईईईईई.....माआआआ.........हाइईईईईई.....राआाम्म्म.........ऊऊहहूऊओ.....मुझे
इतना मज़ा आ रहा था कि मैं बस बोले जा रही थी कारूव.....भैयाआ चोदो मुझे
........ऑर ज़ोर से चोदो आहह भैयाअ आअहह मुझीई अपनी पत्नी बनाअ लूऊओ
आआहह माअरो चूत ऑर ज़ोर से.......उईईइइमाआ.....
भैया बस मुझे चोदे जा रहे थे.....
घूच........घुकचह...घूच्छ.......घूच........घुकचह...घूच्छ.......घूच........घुकचह...घूच्छ.......घूच........घुकचह...घूच्छ.......घूच........
फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......
घुकचह...घूच्छ.......घूच........घुकचह...घूच्छ.......घूच........घुकचह...घूच्छ.......घूच........घुकचह...घूच्छ.......घूच........घुकचह...
घूच्छ.......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......
आअहह......आऐईयइ......ऊऊहह.....उईईई....माआअ....ईीइससस्स.......हहााआआ..उईईईईई........मुमििीईईईईईईयाअहह......आऐईयइ......ऊऊहह.....उईईई....माआअ....
ईीइससस्स.......हहााआआ..उईईईईई........मुमििीईईईईईई
10 मिनिट मे ही मेरा बदन अकड़ने लगा ओर मैने मेरे दोनो हाथ भैया की पीठ
मे डाल कर पूरा ज़ोर लगा कर कस कर पकड़ लिया कस कर उनसे चिपक गयी.
मैं झाड़ रही थी मुझे बिल्कुल भी होश नहीं था कि मैं कहाँ पर हूँ ऑर मेरे
दाँत भैया के कंधे पर गढ़ गये..भैया के मुँह से हल्की सी चीख निकली पर
मुझे तो बिल्कुल भी होश नहीं था... बस आसमान मे झूल रही थी..
भैया धक्के पर धक्के मार रहे थे....
फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......
घुकचह...घूच्छ.......घूच........घुकचह...घूच्छ.......घूच........घुकचह...घूच्छ.......घूच........घुकचह...घूच्छ.......घूच........घुकचह...
घूच्छ.......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......फुच......
भैया की मंज़िल अभी डोर थी....
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