RE: Sex Hindi Kahani अनाड़ी पति और ससुर रामलाल
"क्या करता हूँ मैं मझली भाभी की संग?" "आप उन्हें नंगा करके उनकी पेशाव की जगह में अपना मोटा वो डालते हो।" " तुझे किसने बताया? ...." "मैंने खुद अपनी आँखों से यह सब देखा है भैया ..... आपने पहले भाभी को नंगा किया फिर आप खुद भी नंगे हो गए, फिर आपने भाभी की पेशाव वाली जगह को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया ...तभी आपने अपना मोटा सा डंडा भाभी की पेशाव वाली जगह में घुसेड़ दिया। अगर आप मेरी पेशाव वाली जगह में ऐसा करॊगे तो मेरी फट जायेगी भैया ..." "चल तेरी नहीं फाडूंगा, पर उसे चाटने तो देगी।" "हाँ भैया, चाट लेना।" "तो जल्दी से उतार दे अपनी सलवार और बिलकुल नंगी हो जा, मेरी अच्छी सुन्नो।" "नहीं भैया, मुझे शर्म आती है।" "क्यों शर्माती है ...मैंने तुझे नहलाते वक्त कभी नंगा नहीं देखा क्या, तू छोटी सी थी तबसे तुझे नंगा देखा है मैंने ....चल उतार दे सलवार ...आज एक-एक परत उठाकर देखूँगा तेरी।" "नहीं भैया, आप फाड़ डालोगे मेरी ..." "नहीं रे सुन्नो ...तेरी कसम, जरा भी तखलीफ़ नहीं होने दूंगा तुझे ..." "भैया, आप ही नंगा करदो मुझे .... मुझे शर्म आती है।" "अच्छा, नहीं मानती तो चल मैं ही तुझे नंगा किये देता हूँ, चल चूतड़ उठा।" रवि ने अपने हाथों से उसकी सलवार उतार फेंकी और उसकी दोनों जाँघों को फैला कर उसकी चिकनी दूधिया योनि पर हाथ फेरता हुआ बुदबुदाया, "मेरी सुन्नो, मुझे क्या पता था तेरी इतनी चिकनी और सुन्दर है रे .... चल पूरी ताक़त के साथ अपनी जाँघों को चौड़ा करके फैला दे। आज मैं जी भर के चखूंगा तेरी योनि का रस।"
और फिर उसने पूरे जोशो-खरोश के साथ सुनीता की योनि चाटना शुरू कर दी। सुनीता अपने दोनों कुल्हे हिला-हिला कर किलकारियां भरने लगी। "आह: बड़ा मज़ा आ रहा है भैया, और जोर से चाटो इसे ...उईईईईई ...मार डाला भैया आपने तो .." "सुन्नो, मेरी रानी बहिना ...अभी तो मैंने डाला ही नहीं है तेरे अन्दर, तू पहले से ही इतना शोर क्यों मचा रही है।" "...तो अब डाल दो भैया, मेरे अन्दर कर दो ...अब तो बिलकुल ही सहन नहीं हो रहा।" रवि ने उचित मौका जान कर अपना मोटा लिंग उसके हाथ में थमा दिया और बोला, "देख सुन्नो, इतना मोटा झेल जाएगी? ...बोल डालूँ अन्दर?" सुनीता ने आँखें बंद कर रखीं थीं, लिंग को हाथ में लेकर उसे सहलाते हुए उसने सिर हिलाकर स्वीकृति दे दी। रवि ने अपने लिंग का अग्र भाग उसकी योनि के मुख पर टिका कर एक जोर का झटका मारा कि समूचा मोटा लिंग फनफनाता हुआ उसकी योनि के अन्दर समां गया और फिर उसने जोरों की धकापेल शुरू कर दी। मारे आनंद के चिंहुक उठी सुनीता। उसके मुंह से निकल पड़ा, "वाह भैया, आज तो मज़ा आ गया। फाड़ डालो मेरी ...इतनी फाड़ो कि इसके चिथड़े उड़ जाएँ ..... उनसे रवि के चूतडों पर अपनी टांगें जकड़ रखीं थीं और चूतड़ उछाल-उछाल कर उसका साथ दे रही थी। रवि भी अपना मोटा इंजन गुफा के अन्दर तेजी से दौडाए जा रहा था। लगभग आधे घंटे तक लिंग-योनि की लड़ाई में दोनों को काफी मज़ा आ गया। इसके बाद रवि के लिंग से वीर्य की एक तेज धार फुट निकली जिससे सुनीता की योनि भर गयी। फिर दोनों एक-दूसरे से लिपट कर निढाल होकर पड़ गए।
सुबह आठ बजे तक दोनों उसी प्रकार एक-दूजे की बांहों में लिपटे पड़े रहे। किसी बात की परवाह तो थी नहीं दोनों को। मझले भाई को दो दिन के बाद आना था। वह अपनी पत्नी के साथ ससुराल गया था। छोटा भाई अजय भी परीक्षा देने के लिए बाहर गया हुआ था। आठ बजे दोनों की आँखे खुलीं। सुनीता चौंक कर उठी और उसने झट अपने कपड़े पहने। रवि अभी भी सो रहा था। वह एक -टक उसे यों ही निहारती रही। ऊपर से नीचे तक रवि भैया का नंगा बदन देख कर उसकी योनि में एक वार को फिर से खुजली होने लगी। उसने हौले से उसके लिंग पर हाथ फिराया और हाथ में लेकर सहलाने लगी। इसी बीच रवि की आँखें खुल गयीं। उसने मुस्कुराते हुए सुनीता से कहा, "क्यों सुन्नो, फिर से डलवाने की इच्छा हो रही है क्या?" "आपकी मर्ज़ी है बड़े भैया, आपकी भी इच्छा है तो मुझे कोई इनकार नहीं है।" सुनीता की इसबात पर रवि ने उसे खींच कर अपनी बांहों में जकड़ लिया और उसके ओठों से अपने हॉट सटा दिए। दोनों के हाथ एक बार फिर से एक दूसरे के अंगों से खेलने लगे। रवि ने सुनीता की चूचियों को रगड़ना शुरू कर दिया। सुनीता भी उसके मोटे लिंग से खुलकर खेल रही थी। "एक बात बताओ बड़े भैया, क्या भाभी को आपका यह मोटा-ताज़ा हथियार पसंद नहीं था।" सुनीता ने रवि के लिंग पर प्यार से हाथ फेरते हुए पूछा। रवि बोला, "उसका यार जो बैठा है उसके मायके में। उसे छोड़ कर साली आना ही नहीं चाहती तो कोई क्या करे।" "भैया, चलो अब तो दो-दो हैं, आपकी प्यास बुझाने वाली आपके पास।" "दो कौन हैं?" "क्यों? एक मैं और एक मझली भाभी।" "भैया, एक बात बताऊँ आपको, अजय भैया ने भी आपका और भाभी का खेल देख लिया है। जब मैं छुपकर आपको भाभी के साथ वो सब करते हुए देख रही थी तो अजय भैया भी आ गए और उन्होंने भी आपको भाभी की लेते हुए देख लिया था।" "तो अब क्या करना चाहिए? तू ही बता।" "आप मझली भाभी को समझा देना कि वह अजय भैया से भी करवा लें, नहीं तो वह आप दोनों की पोल खोल देंगे।" "तू ही कुछ कर, उसे समझा-बुझा कर चुप करा दे।" "भैया, मैं क्या कर सकती हूँ। उस दिन जब मैं आपको मझली भाभी की लेते हुए देख रही थी तो वह भी आकर देखने लगे। वह इतने उत्तेजित हो गए कि उन्होंने मुझ पर ही हाथ फेरना शुरू कर दिया। एक वार तो मैं उनसे बचकर चली आई पर आखिर मैं कब तक बचती। उन्होंने मुझे हथियार डालने पर मजबूर कर दिया। और एक दिन मैं एक सेक्सी-मैगजीन पढ़ रही थी की उन्होंने देख लिया। मैंने उनसे पूछ लिया कि भैया, ये मास्टरवेशन क्या होता है तो उन्होंने मेरी सलवार खोल कर मुझे नंगा कर दिया और मेरी योनि में उंगली घुसेड़ कर बोले, 'इसे कहते हैं मास्टरवेशन' इतने पर ही उन्होंने मुझे नहीं छोड़ा और मेरे साथ वो सब कर डाला जो आज रात को आपने मेरे साथ किया।" "बड़ा हरामी निकला बहिनचोद, अपनी छोटी बहिन को ही चोद डाला साले ने !" "भैया, आपने भी तो अपनी सगी छोटी बहिन को ही चोदा है। आप उनपर क्यों नाराज हो रहे हैं?" सुनीता की बात पर रवि बुरी तरह से झेंप गया। वह बोला, "चल जो हो गया सो हो गया, अब आगे की सोच ...अब क्या किया जाये।" "भैया, मेरी बात मानो तो मझली भाभी को अजय भैया से चुदवा ही डालो। आप क्यों चिंता करते हो, मैं हूँ तो आपके पास, आपकी हर इच्छा पूरी करने के लिए। आप मेरी जिस तरह से चाहें लीजिये, मुझे कोई एतराज नहीं है। पर भैया, मझली भाभी को अजय भैया से चुदने लिए राज़ी कर लीजिये।" "ठीक है, मैं कल उससे बात करूंगा। अब आ, एक वार तेरी और ले लूं। उतार अपने कपड़े और आ बैठ मेरे मोटे से लिंग पर।" सुनीता ने झटपट अपने सारे कपड़े उतार फेंके और कतई नंगी होकर अपने बड़े भैया के वक्ष से आ लिपटी।
आज सुनीता अपनी एक सहेली को अपने घर लेकर आई थी अपने छोटे भैया को दिए गए वादे के अनुसार। उसे अपने भैया के लिए एक अछूती और क्वांरी कन्या चाहिए थी जिसकी सील सबसे पहले उसके भैया को ही तोड़नी थी। रमा बिलकुल ऐसी ही लड़की थी, एक दम अछूती कच्ची कली! सुनीता की क्लास में वह नयी-नयी आई थी एक दो-दिन में ही रमा की दोस्ती सुनीता से हो गयी। सुनीता ने शीघ्र ही परख लिया कि रमा के शारीरिक सम्बन्ध अभी तक किसी भी लड़के से नहीं बन पाए थे। लेकिन उम्र के हिसाब से वह सुनीता की बातों में दिलचस्पी खूब लेती थी। सुनीता ने जब भलीभांति जान लिया कि रमा सुनीता के जाल में आसानी से फंस जायेगी तो वह आज उसे अपने घर ले आई। रात का डिनर दोनों ने एक साथ ही लिया और फिर रात के समय दोनों बातों में मशगूल हो गयीं। रमा ने बातों ही बातों में सुनीता से पूछा, "सुनीता तुम्हारी शादी होने वाली है?" "हाँ रमा, यार मुझे तो बहुत डर लग रहा है।" "क्यों?" रमा के पूछने पर सुनीता बोली, "यार, सुहागरातके वारे में तो मुझे कोई जानकारी है ही नहीं, इस वारे में किससे राय लूं ...मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा।" रमा बोली, "इसमें डरने की क्या बात है? मैं तुझे 'सुहागरात' नामक एक किताब लाकर दूँगी जिसे पढ़ कर तू सब कुछ समझ जायेगी।" सुनीता बोली, "यार रमा, ये बात नहीं है। मैंने भी सेक्स की कितनी ही मैगज़ीन पढ़ीं हैं। सुहागरात को पति-पत्नी की बीच क्या होता है, यह भी मैं अच्छी तरह से जानती हूँ। डर तो इस बात का है कि पति के मोटे-तगड़े लिंग को मैं झेलूंगी कैसे? मैंने अपनी कई सहेलियों के मुंह सुना है पति का लिंग बहुत मोटा और लम्बा होता है। जब पति पत्नी की योनि में अपना लिंग डालता है तो पत्नी की योनि फट जाती है और किसी-किसी पत्नी को तो बहुत ही तखलीफ़ झेलनी पड़ती है।" "पागल है तू, ऐसा भी कहीं होता होगा कि पत्नी अपने पति का लिंग न झेल पाए। पति-पत्नी बने ही एक-दूसरे के लिए हैं।" सुनीता बोली, "अच्छा तू बता, तूने कभी किसी लड़के से अपनी योनि में लिंग डलवाया है?" "चल पागल, शादी से पहले मैं क्यों डलवाने लगी।" "वैसे तेरी इच्छा कभी हुयी है किसी से डलवाने की?" रमा कुछ देर की चुप्पी के बाद बोली, "हुई तो कई वार है, वह भी जब मैं सेक्स की मैगज़ीन पढ़ती हूँ।" सुनीता ने पूछा,"तूने कभी ब्लू-फिल्म देखी है?" रमा बोली, "नहीं तो ...पर कहते हैं कि उसमे लड़की-लड़के सेक्स का खुलकर आनंद लेते हैं।" सुनीता ने रमा के कान में कहा , "मुझे अपने भैया की किताबों के बीच रखी हुयी एक ब्लू-फिल्म की सीडी मिली है। जब भैया सो जायेंगे तो हम-लोग देखेंगे। शायद वह सीडी ब्लू-फिल्म की ही है, वर्ना वे इसे इतना छुपाकर क्यों रखते।" "यार कल का पेपर खराब हो जाएगा। मैं तो घर पर कहकर आई थी कि सुनीता के घर पढ़ने जा रही हूं।" रमा ने ब्लू-फिल्म कभी देखी नहीं थी अत: वह सुनीता के अधिक जिद करने पर राज़ी हो गई। इसी बीच सुनीता जाकर अजय से कह आई कि वह रमा को ब्लू-फिल्म दिखाने जा रही है, दरवाज़ा भेड़ देगी। वह वह ठीक बारह बजे उनके कमरे में पहुँच जाए। 10 बजे के करीब दोनों सहेलियां टेबल पर अपनी-अपनी किताबें खोल कर बैठ गयीं और सुनीता ने सीडी प्लेयर में डाल कर टीवी ऑन कर दिया। टीवी की आवाज बंद कर दी गयी थी। सीडी शुरू हुई और उसने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया। पहले ही सीन में रमा का दिल जोरों से धड़कने लगा। एक अंग्रेज युवक अपनी गर्ल-फ्रेंड की ब्रा खोल कर इसके स्तनों को मसल रहा था। फिर उसने उन्हें चूंसना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे युवक के हाथ लड़की की पेन्टी खोलने लगे और उसे उतार कर उसने एक ओर फैंक दिया और फिर युवक ने झटपट अपने भी सारे कपड़े उतार डाले और एक दम नंगा होकर अपना लिंग सहलाने लगा। लडकी पहले से ही उसके आगे नंगी पसरी पड़ी थी। युवक ने लड़की की दोनों जाँघों को फैला कर उसकी योनि चाटनी शुरू कर दी। और कुछ ही देर में उसने अपना मोटा सा लिंग योनि के छिद्र पर टिका कर एक जोरदार धक्का मारा जिससे समूंचा लिंग लड़की की योनि में जा घुसा। रमा हैरत भरी नजरों से देखे जा रही थी। सुनीता बोली, "छि: कितना गन्दा है ये आदमी, कैसे उसकी योनि को चाट रहा था। रमा ने ओठों पर उँगली रख कर उसे खामोश रहने का संकेत किया और अगले सीन को ध्यान से देखने लगी। रमा बीच-बीच में बड़-बड़ किये जा रही थी। रमा बोली, "यार सुनीता तू बोल मत, चुपचाप देखती रह। मुझे तो डर लग रहा है कि कोई हमें यह सब देखते हुए पकड़ न ले।" अगला सीन आया जिसमे एक नंगी लड़की घोड़े का लिंग सहला-सहला कर उसे खड़ा करने का प्रयास कर रही थी। कुछ ही देर में घोड़े का पूरा लिंग तन कर बाहर लिकल आया। लड़की ने धेरे-धीरे उसके लिंग को अपनी योनि में डलवाना शुरू किया। एक ही वार में घोड़े का आधा लिंग उस लड़की की योनि में जा घुसा। यह देखकर रमा चकित रह गयी और बोली, "यार सुनीता, तू तो पति का लिंग झेलने में डर रही थी, ये लड़की तो घोड़े का झेल गयी।" सुनीता भी खेली-खाई लड़की थी। वह तो रमा को हिला कर देखना चाहती थी कि वह कितने पानी में है। रमा बोली, "यार सुनीता, मुझे तो तेरे भैया का डर लग रहा है क़ि वह कहीं आ न जाएँ। तू टीवी बंद कर दे, चल वैसे ही बात हैं।" सुनीता बोली, "चल टीवी बंद कर देते हैं। अच्छा एक बात बता, तेरी चड्डी गीली हुयी या नहीं?" रमा बोली, "हाँ यार, कुछ गीली तो हुई है।" "देखूं तो, सुनीता ने ऊपर से ही हाथ लगा कर टटोला और बोली हाँ यार सच में तेरी गीली हो गयी है। अन्दर देखूं ..." ऐसा कहते के साथ ही सुनीता ने रमा की चड्डी के भीतर हाथ डालकर उसकी योनि पर हाथ फिराया और एक उँगली रमा की योनि के अन्दर भी डाल दी। रमा उछल पड़ी। सुनीता बोली, "चल यार, सुहागरात का खेल खेलते हैं। आज की ये रात भी बार-बार नहीं आएगी।" रमा की इच्छा भी जागृत हो चुकी थी, बोली, "दूल्हा कौन बनेगा?" सुनीता बोली, "चल दूल्हा मैं बन जाऊंगी, तू दुल्हिन बन जा।" सुनीता ने झपट कर रमा को अपनी बाहों में भर लिया और उसके होटों पर अपने होंट टिका दिए। उसकी ब्रा के हुक खोल कर रमा की छातियों को नंगा कर दिया और धीरे-धीरे उन्हें मसलने लगी ठीक एक अनुभवी पति की भांति। धीरे-धीरे छातियों से वह नीचे की ओर उतरती हुई रमा की सलवार के नाड़े को खोलने लगी और बोली, "मेरी रानी, असली माल तो इसमें छिपा हुआ है। इसे भी तो देंखें, क्या है। ऐसा कह कर सुनीता ने रमा की सलवार भी खोल डाली और उसे उतार कर एक तरफ रख दी। अब सुनीता के हाथ रमा की योनि से खेलने लगे जो काफी गीली हो चुकी थी।
क्रमशः....
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