प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ
07-04-2017, 12:48 PM,
RE: प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ
“ओ म्हारी माँ …. मैं … मर गई री ईईईइ …..”

और उसके साथ ही उसने 5-6 धक्के जोर जोर से लगा दिए। मंगला के पैर धड़ाम से नीचे गिर गए और वह जोर जोर से हांफने लगी जगन का भी यही हाल था। दोनों ने एक दूसरे को अपनी बाहों में जकड़ लिया और दोनों की किलकारी एक साथ गूँज गई और फिर दोनों के होंठ एक दूसरे से चिपक गए।

कोई 10 मिनट तक वो दोनों इसी अवस्था में पड़े रहे फिर धीरे धीरे एक दूसरे को चूमते हुए उठ कर कपड़े पहनने लगे। मुझे लगा वो जरुर अब बाथरूम की ओर आयेंगे। मेरा मन तो नहीं कर रहा था पर बाथरूम से बाहर आकर कमरे में जाने की मजबूरी थी। मैं मन मसोस कर कमरे में आ गई।

कमरे में गणेश के खर्राटे सुन कर तो मेरी झांटे ही सुलग गई। मेरा मन किया उसकी गांड पर जोर से एक लात लगा दूं पर मैं रजाई में घुस गई। मेरी आँखों में नींद कहाँ थी मेरी आँखों में तो बस जगन का मूसल लण्ड ही बसा था। मैं तो रात के दो बजे तक करवटें ही बदलती रही। और जब आँख लगी तो फिर सारी रात वो काला मोटा लण्ड ही सपने में घूमता रहा।

आज मुझे सुबह उठने में देरी हो गई थी। गणेश नहा धो कर फिर किसी काम से चला गया था। जब मैं उठी तो मंगला ने बताया कि कम्मो ने संदेश भिजवाया है कि वो मेरे लिए आज विशेष रूप से दाल बाटी और चूरमा बनाएगी सो मैं आज फिर फ़ार्म हाउस जाऊं। मैं तो इसी ताक में थी।

जब हम फार्म हाउस पहुंचे तो झोपड़ी के पास 3-4 मुर्गियाँ दाना चुग रही थी। इतने में ही एक मुर्गा दौड़ता हुआ सा आया और एक मुर्गी को दबोच कर उसके ऊपर चढ़ गया। मुर्गी आराम से नीचे बैठी कों कों करती रही। मेरी छमिया ने तो उनको देख कर ही पानी छोड़ दिया। सच कहूँ तो इन पशु पक्षियों के मज़े हैं। ना कोई डर ना कोई बंधन। मर्जी आये जिसे, जब जहां, जिससे चाहो चुद लो या चोद लो। मेरी निगाहें तो उनकी इस प्रेम लीला को देखने से हट ही नहीं रही थी।

अचानक कम्मो ई,”घणी खम्मा” सुनकर मेरा ध्यान उसकी ओर गया। जगन मेरी ओर देख कर धीमे धीमे मुस्कुरा रहा था।

फिर जगन खेत में बने ट्यूब वेल की ओर चला गया और मैं कम्मो के साथ कमरे में आ गई। आज गोपी और बच्चे नहीं दिखाई दे रहे थे। मैंने जब इस बाबत पूछा तो कम्मो ने बताया कि बच्चे तो स्कूल गये हैं और गोपी किसी काम से फिर शहर चला गया है साम तक लौटेगा।

फिर वो बोली,”आज मैं थारे वास्ते दाल बाटी और चूरमा बनाऊंगी।”

“हाँ जरूर ! इसी लिए तो मैं आई हूँ।” मेरी निगाहें जगन को ढूंढ रही थी।

“आप बैठो मैं खाना बना लाऊँ !”

मुझे बड़ी जोर से सु सु आ रहा था। साथ ही मेरी छमिया भी चुलबुला रही थी, मैंने पूछा,”वो…..बाथरूम किधर है…?”

मेरी बात सुन कर कम्मो हँसते हुए बोली,”पूरा खेत ही बाथरूम है जी यहाँ तो..”

“ओह…”

“आप सरसों और चने के खेत में कर आओ…यहाँ कोई नहीं देखेगा जी…” वो मंद मंद मुस्कुरा रही थी।

मजबूरी थी मैं सरसों के खेत में आ गई। मेरे कन्धों तक सरसों के बूटे खड़े थे। आस पास कोई नहीं था। मैंने अपनी साड़ी ऊपर की और फिर काले रंग की पेंटी को जल्दी से नीचे करते हुए मैं मूतने बैठ गई।

मैंने अपनी छमिया की फांकों पर पहनी दोनों बालियों को पकड़ कर चौड़ा किया और मूतने लगी। फिच्च सीईईई…. के मधुर संगीत के साथ पतली धार दूर तक चली गई। आपको बता दूं मैं धारा प्रवाह नहीं मूतती। बीच बीच में कई बार उसे रोक कर मूतती हूँ। मैंने कहीं पढ़ा था कि ऐसा करने से चूत ढीली नहीं पड़ती कसी हुई रहती है। एक और कारण है जब मूत को रोका जाए तो चूत के अंदर एक अनोखा सा रोमांच होने लगता है। मूत की कुछ बूँदें मेरी गांड के छेद तक भी चली गई। जैसे ही मैं उठने को हुई तो सुबह की ठंडी हवा का झोंका मेरी छमिया पर लगी तो मैं रोमांच से भर उठी और मैंने उसकी फांकों को मसलना चालू कर दिया। मेरे ख्यालों में तो बस कल रात वाली चुदाई का दृश्य ही घूम रहा था। मेरी आँखें अपने आप बंद हो गई और मैंने अपनी छमिया में अंगुली करनी शुरू कर दी। मेरे मुँह से अब सीत्कार भी निकलने लगी थी।

कोई 5-7 मिनट की अंगुलबाजी के बाद अचानक मेरी आँखें खुली तो देखा सामने जगन खड़ा अपने पजामे में बने उभार को सहलाता हुआ मेरी ओर एकटक देखे जा रहा था और मंद मंद मुस्कुरा रहा था।

मैं तो हक्की बक्की ही रह गई। मैं तो इतनी सकपका गई थी कि उठ भी नहीं पाई।

जगन मेरे पास आ गया और मुस्कुराते हुए बोला,”भौजी आप घबराएं नहीं ! मैंने कुछ नहीं देखा।”

अब मुझे होश आया। मैं झटके से उठ खड़ी हुई। मैं तो शर्म के मारे धरती में ही गड़ी जा रही थी। पता नहीं जगन कब से मुझे देख रहा होगा। और अब तो वो मुझे बहूजी के स्थान पर भौजी (भाभी) कह रहा था।

“वो….वो….”

“अरे…कोई बात नहीं… वैसे एक बात बताऊँ?”

“क… क्या… ?”

“थारी लाडो बहुत खूबसूरत है !!”

वो मेरे इतना करीब आ गया था कि उसकी गर्म साँसें मुझे अपने चेहरे पर महसूस होने लगी थी। उसकी बात सुनकर मुझे थोड़ी शर्म भी आई और फिर मैं रोमांच में भी डूब गई। अचानक उसने अपने हाथ मेरे कन्धों पर रख दिए और फिर मुझे अपनी और खींचते हुए अपनी बाहों में भर लिया। मेरे लिए यह अप्रत्याशित था। मैं नारी सुलभ लज्जा के मारे कुछ बोलने की स्थिति में नहीं थी। और वो इस बात को बहुत अच्छी तरह जानता था।

सच कहूँ तो एक पराये मर्द के स्पर्श में कितना रोमांच होता है मैंने आज दूसरी बार महसूस किया था। मैं तो कब से चाह रही थी कि वो मुझे अपनी बाहों में भर कर मसल डाले। यह अनैतिक क्रिया मुझे रोमांचित कर रही थी। उसने अपने होंठ मेरे अधरों पर रख दिए और उन्हें चूमने लगा। मैं अपने आप को छुड़ाने की नाकामयाब कोशिश कर रही थी पर अंदर से तो मैं चाह रही थी कि इस सुनहरे मौके को हाथ से ना जाने दूँ। मेरा मन कर रहा था कि जगन मुझे कस कर अपनी बाहों में जकड़ कर ले और मेरा अंग अंग मसल कर कुचल डाले। उसकी कंटीली मूंछें मेरे गुलाबी गालों और अधरों पर फिर रही थी। उसके मुँह से आती मधुर सी सुगंध मेरे साँसों में जैसे घुल सी गई।

“न.. नहीं…शाहजी यह आप क्या कर रहे हैं ? क.. कोई देख लेगा..? छोड़ो मुझे ?” मैंने अपने आप को छुड़ाने की फिर थोड़ी सी कोशिश की।

“अरे भौजी क्यों अपनी इस जालिम जवानी को तरसा रही हो ?”

“नहीं…नहीं…मुझे शर्म आती है..!”

अब वो इतना फुद्दू और अनाड़ी तो नहीं था कि मेरी इस ना और शर्म का असली मतलब भी ना समझ सके।

“अरे मेरी छमकछल्लो…. इसमें शर्म की क्या बात है। मैं जानता हूँ तुम भी प्यासी हो और मैं भी। जब से तुम्हें देखा है मैं तुम्हारे इस बेमिसाल हुस्न के लिए बेताब हो गया हूँ। तुम्हारे गुलाबी होंठ, गोल उरोज, सपाट पेट, गहरी नाभि, उभरा पेडू, पतली कमर, मोटे और कसे नितंब और भारी जांघें तो मुर्दे में भी जान फूंक दें फिर मैं तो जीता जागता इंसान हूँ !” कह कर उसने मुझे जोर से अपनी बाहों में कस लिया और मेरे होंठों को जोर जोर से चूमने लगा।

मेरे सारे शरीर में एक बिजली सी दौड़ गई और एक मीठा सा ज़हर जैसे मेरे सारे बदन में भर गया और आँखों में लालिमा उभर आई। मेरे दिल की धड़कने बहुत तेज हो गई और साँसें बेकाबू होने लगी। अब उसने अपना एक हाथ मेरे नितंबों पर कस कर मुझे अपनी ओर दबाया तो उसके पायजामे में खूंटे जैसे खड़े लण्ड का अहसास मुझे अपनी नाभि पर महसूस हुआ तो मेरी एक कामुक सीत्कार निकल गई।

“भौजी…चलो कमरे में चलते हैं !”

“वो..वो…क.. कम्मो…?” मैं तो कुछ बोल ही नहीं पा रही थी।

“ओह.. तुम उसकी चिंता मत करो उसे दाल बाटी ठीक से पकाने में पूरे दो घंटे लगते हैं।”

“क्या मतलब…?”

“वो.. सब जानती है…! बहुत समझदार है खाना बहुत प्रेम से बनाती और खिलाती है।” जगन हौले-हौले मुस्कुरा रहा था।

अब मुझे सारी बात समझ आ रही थी। कल वापस लौटते हुए ये दोनों जो खुसर फुसर कर रहे थे और फिर रात को जगन ने मंगला के साथ जो तूफानी पारी खेली थी लगता था वो सब इस योजना का ही हिस्सा थी। खैर जगन ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया तो मैंने भी अपनी बाहें उसके गले में डाल दी। मेरा जिस्म वैसे भी बहुत कसा हुआ और लुनाई से भरा है। मेरी तंग चोली में कसे उरोज उसके सीने से लगे थे। मैंने भी अपनी नुकीली चूचियाँ उसकी छाती से गड़ा दी।

हम दोनों एक दूसरे से लिपटे कमरे में आ गए।

पढ़ते रहिए !
Reply


Messages In This Thread
RE: प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ - by sexstories - 07-04-2017, 12:48 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,535,718 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 548,256 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,246,820 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 942,746 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,673,943 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,097,854 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,980,157 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,152,285 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,068,175 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 288,233 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 12 Guest(s)