प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ
07-04-2017, 12:36 PM,
#48
RE: प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ
आप शायद सोच रहे होंगे अब वापस आने का नहीं साली को पटक कर चोदने का समय था। आप ग़लत सोच रहे हैं। मैं कोई ज़ोर-ज़बर्दस्ती में विश्वास नहीं करता हूँ। मैं तो प्रेम का पुजारी हूँ। मैंने अब तक जितनी भी चूत या गाँड मारी है वो सभी अपने दोनों हाथों में जैसे अपनी चूत और गाँड लेकर मेरे पास आईं हैं। मैं उसे भी इसी तरह चोदना चाहता था। मैं उसे इतना गरम कर देना चाहता था कि वह ख़ुद चल कर मुझसे चूत और गाँड मारने को कहे, तभी तो चुदाई का असली मज़ा आता है। किसी को मजबूर करके चोदना तो बस पानी निकालनी वाली बात होती है।

मुझे पता था साली फिल्म के एक दो सीन ही देखेगी और फिर उसे बन्द करके मेरे बेडरूम में यह चेक करने आएगी कि मैं क्या कर रहा हूँ। कोई देख तो नहीं रहा। मैं भी इस मामले में पक्का खिलाड़ी हूँ। मैं उसके लैपटॉप को ठीक करने की पूरी एक्टिंग कर रहा था। वो चुपके से आई और एक निगाह डालते हुए दबे पाँव वापस चली गई। हे लिंग माहदेव ! तेरा लाख-लाख धन्यवाद। काले हब्शी और गोरी फिरंगी की गाँड-चुदाई और एक ४० साल की आँटी की एक १५-१६ साल के लड़के के साथ चुदाई देखकर तो मेरी रात की रानी गुलज़ार हो जाएगी। मेरे कार्यक्रम का पहला चरण सफलता पूर्वक सम्पन्न हो गया था।

कोई २५-३० मिनट के बाद निशा बेडरूम की ओर आई। उसकी आँखों में लाल डोरे तैर रहे थे। होश उड़े हुए, चाल में लड़खड़ाहट, होंठ सूखे हुए। वो तो बस इतनी ही बोल पाई, “जीजू क्या कर रहे हो?” शायद अपनी उखड़ी साँसों पर क़ाबू पाना चाहती थी।

“बस तुम्हारा लैपटॉप ही ठीक कर रहा था। वायरस था, विंडोज़ की फाईलें ख़राब हो गईं थीं। मैंने ठीक कर दिया है। तुमने इन्टरनेट से कोई ग़लत-सलत फाईल तो नहीं खोलीं थीं?” मैंने पूछा।

अब तो उसके चेहरे का रंग देखने लायक था। “ननन… नहीं तो..”

“कोई बात नहीं पर तुम इतना घबराती क्यों हो?”

“वो.. वो बिजली कड़क रही है ना” अजीब संयोग था कि उसी समय ज़ोर से बिजली फिर कड़की थी। बाहर अब भी पानी बरस रहा था। मैं जानता था कि वो कौन सी बिजली की बात कर रही है। वो मेरे पास आकर बैठ गई।

“जीजू सोने का क्या करेंगे?” वो बोली

मैंने मन में सोचा ‘मेरी जान, तुम्हें सोने कौन देगा आज की रात।’ पर मैंने कहा “भाई बिस्तर लगा है सो जाओ।”

“यहाँ?”

“क्यों क्या हुआ?”

“वो मेरा मतलब, हम दोनों एक कमरे में?”

“मैं बाहर सो जाता पर बिजली नहीं है और गेस्ट रूम में ज़हरीली मकड़ियाँ और मच्छर हैं। कभी-कभी जंगली बिल्ली भी आ जाती है। भाई मुझे बाहर डर लगता है।”

“ओह… अजीब मुसीबत में फँस गई मैं तो दीदी को भी आज ही जाना था।”

“इसमें मुसीबत वाली कौन सी बात है? क्या मधु को जंगली बिल्लियों और मकड़ियों का डर नहीं लगता?”

“वो.. वो… ऐसी बात नहीं पर… और… वो… एक ही कमरे में एक ही बिस्तर पर…?”

“क्यों अपने आप पर विश्वास नहीं है क्या?”

“नहीं ऐसी बात नहीं है पर… वो.. वो..”

“चलो मैं नीचे फर्श पर सो जाता हूँ, भले ही मुझे नींद आए या नहीं कोई बात नहीं।”

“ओहह… नहीं मैं नीचे में सो जाऊँगी।”

मैंने मन में सोचा ‘मेरी जान नीचे तो तुम्हें सोना ही पड़ेगा, पर फ़र्श पर नहीं, मेरे नीचे।’ मेरी योजना बिल्कुल पक्की थी किसी चूक का सवाल ही नहीं था। मैंने उसी भोलेपन से कहा “अरे, क्यों हम भरतपुर वालों की मेहमान नवाज़ी को बट्टा लगा रही हो? अच्छा एक काम करते हैं, बीच में एक तकिया लगा देते हैं।”

वो मेरी बात पर हँस पड़ी “एक तकिये से क्या होगा?”

“तो दो लगा देते हैं।” मैंने कहा। वह कुछ सोच रही थी। उसके मन की उलझन मैं अच्छी तरह जानता था। “ओह… अभी कौन सी नींद आ रही है, चलो छोड़ो कोई और बात करो।” मैंने कहा।

हम दोनों बिस्तर पर बैठ गए। मैं बिस्तर पर टेक लगाकर बैठा था और निशा मेरे सामने बैठी थी। पैन्ट में फँसी उसकी चूत के आगे का भाग कैरम की गोटी जितनी दूर में गीला हुआ था। साली फिरंगी और आँटी की चुदाई देखकर पूरी गरम हो गई थी। उसने बात चालू की।

“जीजू इस नौकरी से पीछा छूटेगा या नहीं? नौकरी बदलने का कोई मौक़ा है या नहीं? आप तो हाथ देखकर बता देते हैं।” निशा ने हाथ आगे बढ़ा दिया। मैंने झट से उसका हाथ पकड़ लिया। निशा पहले हाथ की रेखाओं और भाग्य आदि पर विश्वास नहीं करती थी। पर जब से मधु की संगत में आई है, थोड़ा-बहुत भाग्य और सितारों को मानने लगी है।

उसका शुक्र पर्वत तो सुधा और मिक्की से भी ऊँचा था। हे भगवान आज तो तूने मेरी लॉटरी ही लगा दी। उसकी हथेली के बीच में तिल देखकर मैंने कहा “तुम्हारे हाथ में ये जो तिल है उसके हिसाब से तो तुम्हारे पास दौलत की कोई कमी नहीं है।”

“अरे जीजू आप भी मज़ाक करते हैं। कहाँ है मेरे पास दौलत?”

“अरे भाई हाथ की रेखाएँ तो यही कहतीं हैं। क्या हुस्न की दौलत कम है तुम्हारे पास?”

“जीजू आप भी…” वो शरमा गई। अच्छा… फिर बोली “मजाक छोड़ो और ढंग की बात बताओ ना।”

“मैंने उससे पूछा कि तुम्हारी उम्र कितनी है तो उसने बताया कि वह २४ की है।

“क्यों तुम भी मधु और मेरी तरह मांगलिक हो?”

“हाँ क्यों?”

“अरे भाई माँगलिक की शादी २४वीं साल में हो जाती है।”

“पर मैं तो अभी ५-७ साल शादी नहीं करूँगी।”

“भाई मंगल तो यहीं कहता है और अगले ३ साल में तुम २ बच्चों की मम्मी भी बन जाओगी।”

“जीजू आप भी एक नम्बर के बदमाश हो। मज़ाक छोड़ो, कोई ठीक बात बताओ ना।”

“अरे इसमें क्या झूठ है।” उसने अपनी आँखें टेढ़ी कीं तो मैंने कहा, “अच्छा चलो बताओ, तुम्हारे कितने ब्वॉयफ्रेण्ड हैं? कभी उनके साथ फिल्म देखती हो या नहीं?”

“नहीं मेरा तो कोई ब्वॉयफ्रेण्ड नहीं है।” उसने आँखें तरेरते हुए कहा।

“अरे फिर इस जवानी और ज़िन्दगी का क्या फ़ायदा। मैं तो अब भी अपनी गर्लफ्रेण्ड को लेकर फ़िल्म देखता हूँ।” मैंने कहा।

“क्या मतलब? क्या आप अब भी… मेरा मतलब…?”

“अरे भाई मेरी गर्लफ्रेण्ड तो मधु ही है।” मैंने हँसते हुए कहा “तुम तो जानती हो मैं मधु से कितना प्यार करता हूँ। कई बार मैं और मधु फिल्म देखने जाते हैं तो ऐसी ऐक्टिंग करते हैं कि जैसे कॉलेज से भागकर के आए हों। हमें देखकर तो बड़े-बूढ़ों के दिल पर भी साँप लोटने लग जाते हैं।”

“हाँ… हाँ मुझे पता है। मधु दीदी बताती हैं तुम तो उनके पूरे ‘मिट्ठू’ हो। वह बताती है कि आप तो शादी के इतने सालों बाद भी उनपर लट्टू ही बने हो।” उसने मेरा मज़ाक उड़ाते हुए कहा।

“तुम कहो तो तुम्हारा भी ‘मिट्ठू बन जाता हूँ।”

“मैं झाँसी की शेरनी हूँ ऐसे क़ाबू नहीं आऊँगी मिट्ठू जी?” उसने आँखें नचाते हुए कहा। मैंने मन में सोचा ‘मेरी जान आज की रात तुम जैसी मैना के मुँह से ही बुलवाऊँगी बोल मेरी मैना गंगाराम’ फिर मैंने कहा “अच्छा चलो बताओ तुम्हार वज़न कितना है?”

“उण्म्म्म्म… ४८ किलो”

“मेरे हिसाब से तो २१ किलो होना चाहिए।”

“क्या मतलब?”

“अरे भाई बहुत सीधी बात है दिल का २७ किलो तो हटा ही दो, फिर असली वज़न तो २१ किलो ही रहा ना?”

“तो आप भी मानते हैं कि हम झाँसी वालों का दिल बड़ा होता है।” उसने छाती तानते हुए कहा। सचमुच उसकी घुण्डियाँ कड़ी हो रहीं थीं।

“दिल बड़ा नहीं, पत्थर का है।”

“क्या मतलब?”

“चलो वो बाद में बताऊँगा।” मैंने बात को अपने प्रोजेक्ट की ओर मोड़ना चाहा। “देखो ये सब ज्योतिषीय गणित है। प्रकृति ने सब चीजें अपने हिसाब से बनाई हैं। सब चीजें एक सही अनुपात में होतीं हैं। उन्हें तो मानना ही पड़ेगा ना?”

“वो कैसे?”

“अब देखो ना भगवान ने हमारी नाक तुम्हारे अँगूठे जितनी बड़ी बनाई है।” उसने हैरानी से अपनी नाक पर हाथ लगाया और मेरी ओर देखने लगी।
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