प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ
07-04-2017, 12:34 PM,
#36
RE: प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ
मैं हतप्रभ उसे देखता ही रह गया। मैं तो जैसे जड़ ही हो गया था कुछ भी करने और कहने की स्थिति में नहीं था। इतने में कक्ष के बाहर से प्रतिहारी का स्वर सुनाई दिया,"महारानीजी ! महाराज चित्रसेन ने उपद्रव मचा दिया है।" "यह महाराज ... भी !" महारानी पैर पटकते हुए जैसे चीखी,"ओह … प्रतिहारी, तुम वहीं ठहरो मैं अभी आती हूँ !" महारानी कनिष्क की आँखों से तो जैसे चिंगारियां ही निकलने लगी थी। वह तत्काल कक्ष से बाहर चली गई। मैं भी उनके पीछे पीछे कक्ष से बाहर आ गया। निकट ही एक और कक्ष बना था जिसका द्वार खुला था। बाहर खड़ी नग्न सेविका से मैंने इस कक्ष के बारे में पूछा तो उसने सिर झुकाए हुए ही उत्तर दिया "कुमार ! यह राज कुमारी स्वर्ण नैना (सुनैना) का शयन कक्ष है। वो भी आप ही को स्मरण कर रही थी ! आपका स्वागत है कुमार आप अन्दर प्रवेश करें, आइये !" मैं कक्ष के अन्दर आ गया। कक्ष में एक बड़ा सा पलंग पड़ा था जिस पर पर रेशमी गद्दे, चद्दर और कामदार सिरहाने पड़े थे। झरोखों पर सुन्दर कढ़ाई किये रत्नजड़ित परदे लगे थे। पलंग पर नग्न अवस्था में सुनैना बैठी जैसे मेरी ही राह देख रही थी। उसके पास ही 3-4 और नग्न युवतियां बैठी एक दूसरे के काम अंगों को छेड़ती हुई परिहास और अठखेलियाँ कर रही थी। अरे… यह मधु और रूपल जैसी सूरत वाली युवतियां यहाँ कैसे आ गई ? मैं तो उनके रूप सौन्दर्य को निहारता ही रह गया। अरे यह सुनैना तो सलोनी जैसी … नहीं … सिमरन जैसी … नहीं मधु जैसी … ओह उसका दमकता चेहरा तो जैसे इन तीनों में ही गडमड हो गया था। सलोनी तो 14-15 वर्ष की आयु की रही होगी पर यह तो पूरी युवती ही लग रही थी। कमान सी तनी पतली भोहें और मोटी मोटी नील स्वर्ण जैसी (बिल्लोरी) आँखों के कारण ही संभवतया इसका नाम स्वर्ण नैना (सुनैना) रखा गया होगा। गुलाब के फूलों जैसे कपोल, अधरों का रंग गहरा लाल, सुराहीदार गर्दन, लम्बी केश राशि वाली चोटी उसके उन्नत वक्ष स्थलों के बीच झूल रही थी। पतला कटि-प्रदेश (कमर), भारी नितम्ब, गहरी नाभि, उभरा श्रोणी प्रदेश (पेडू), मोटी मोटी केले के तने जैसी पुष्ट और कोमल जांघें और रोम विहीन गुलाबी रंग का मदनमंदिर जिसे स्वर्ण के कमरबंद से ललकते रत्नजड़ित लोलक (पैंडुलम) ने थोड़ा सा ढक रखा था। कानों में सोने के कर्ण फूल, गले में रत्नजड़ित हार, बाजुओं पर बाजूबंद, पांवों में पायल, हाथों में स्वर्ण वलय और सभी अँगुलियों में रत्नजड़ित अंगूठियाँ। जैसी रति (कामदेव की पत्नी) ही मेरे सम्मुख निर्वस्त्र खड़ी थी। मैं तो उस रूप की देवी जैसी देहयष्टि को अपलक निहारता ही रह गया। वह दौड़ती हुई आई और मेरे गले में अपनी बाहें डाल कर लिपट गई। मैं तो उसके स्पर्श मात्र से ही रोमांचित और उत्तेजित हो गया। जब उसने अपने शुष्क अधरों को मेरे कांपते होंठों पर रखा तो मुझे भी उसे अपनी बाहों में भर लेने के अतिरिक्त कुछ सूझा ही नहीं। मैं तो जैसे किसी जादू से बंधा उसे अपने बाहुपाश में जकड़े खड़ा ही रह गया। आह… उसके गुलाब की पंखुड़ियों जैसे रसीले और कोमल अधर तो ऐसे लग रहे थे कि अगर मैंने इन्हें जरा भी चूमा तो इन से रक्त ही निकलने लगेगा। उसके कठोर कुच (स्तन) मेरी छाती से लग कर जैसे पिस ही रहे थे। उनके स्तनाग्र तो किसी भाले की नोक की तरह मेरे सीने से चुभ रहे प्रतीत हो रहे थे। उसकी स्निग्ध त्वचा का स्पर्श और आभास पाते ही मेरे कामदण्ड में रक्त संचार बढ़ने लगा और वो फूलने सा लगा। "ओह … कुमार अपने वस्त्र उतारिये ना ?" कामरस में डूबे मधुर स्वर में सुनैना बोली। मैंने जब उन युवतियों की ओर देखा तो उसने आँखों से उन्हें बाहर प्रस्थान करने का संकेत कर दिया। वो सभी सिर झुकाए कोर्निश करती हुई शीघ्रता से कक्ष से बाहर प्रस्थान कर गईं। हम दोनों पलंग की ओर आ गए। मैंने झट से अपने वस्त्र उतार दिए और सुनैना को अपनी बाहों में भर लिया। वह तो मेरे साथ इस प्रकार चिपक गई जैसे कोई लता किसी पेड़ से लिपटी हो। उसके कमनीय शरीर से आती सुगंध उसके अक्षत-यौवना होने की साक्षी थी। मैंने उसके कटि-प्रदेश, पीठ और नितम्बों को सहलाना आरम्भ कर दिया। उसकी मीठी और कामुक सीत्कार अब कक्ष में गूंजने लगी थी। उसके स्तनाग्र (चूचक) तो इतने कठोर हो चले थे जैसे कोई लाल रंग का मूंगा (मोती) ही हो। मैंने अपने शुष्क होंठ उन पर लगा दिए और उन्हें चूमना और चूसना प्रारम्भ कर दिया। आह… इतने उन्नत और पुष्ट वक्ष तो मैंने आज तक अपने जीवन में नहीं देखे थे। मैं तो उसके कपोलों, अधरों, नासिका, कंठ और दोनों अमृत कलशों के बीच की घाटी को चूमता ही चला गया। वो मुझे अपनी कोमल बाहों में भरे नीचे होकर पलंग पर लेट सी गई। उसके रोम रोम में फूटते काम आनंद से उसकी पलकें जैसे बंद ही होती जा रही थी। मैं उसके ऊपर था और मेरा पूरा शरीर भी कामवेग से रोमांचित और तरंगित सा हो रहा था। उसने अपनी जांघें चौड़ी कर दी। इससे आगे की कहानी अगले और अन्तिम भाग में !
Reply


Messages In This Thread
RE: प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ - by sexstories - 07-04-2017, 12:34 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,536,839 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 548,366 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,247,434 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 943,115 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,674,678 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,098,297 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,981,262 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,155,607 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,069,496 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 288,350 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 6 Guest(s)