प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ
07-04-2017, 12:29 PM,
#18
RE: प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ
अंगूर का दाना 

अभी पिछले दिनों खबर आई थी कि 18 वर्षीय नौकरानी जिसने फिल्म अभिनेता शाईनी आहूजा पर बलात्कार का आरोप लगया था, अपने बयान से पलट गई।
इस शाइनी आहूजा ने तो हम सब शादीशुदा प्रेमी जनों की वाट ही लगा दी है। साले इस पप्पू से तो एक अदना सी नौकरानी भी ढंग से नहीं संभाली गई जिसने पता नहीं कितने लौड़े खाए होंगे और कितनों के साथ नैन मटक्का किया होगा। हम जैसे पत्नी-पीड़ितों को कभी कभार इन नौकरानियों से जो दैहिक और नयनसुख नसीब हो जाता था अब तो वो भी गया। इस काण्ड के बाद तो सभी नौकरानियों के नखरे और भाव आसमान छूने लगे हैं। जो पहले 200-400 रुपये या छोटी मोटी गिफ्ट देने से ही पट जाया करती थी आजकल तो इनके नाज़ और नखरे किसी फ़िल्मी हिरोइन से कम नहीं रह गए। अब तो कोई भी इनको चोदने की तो बात छोड़ो चूमने या बाहों में भर लेने से पहले सौ बार सोचेगा। और तो और अब तो सभी की पत्नियाँ भी खूबसूरत और जवान नौकरानी को रखने के नाम से ही बिदकने लगी हैं।
पता नहीं मधुर (मेरी पत्नी) आजकल क्यों मधु मक्खी बन गई है। उस दिन मैंने रात को चुदाई करते समय उसे मज़ाक में कह दिया था कि तुम थोड़ी गदरा सी हो गई हो। वह तो इस बात को दिल से ही लगा बैठी। उसने तो डाइटिंग के बहाने खाना पीना ही छोड़ दिया है। बस उबली हुई सब्जी या फल ही लेती है और सुबह साम 2-2 घंटे सैर करती है। मुझे भी मजबूरन उसका साथ देना पड़ता है। और चुदाई के लिए तो जैसे उसने कसम ही खा ली है बस हफ्ते में शनिवार को एक बार। ओह … मैं तो अपना लंड हाथ में लिए कभी कभी मुट्ठ मारने को मजबूर हो जाता हूँ। वो रूमानी दिन और रातें तो जैसे कहीं गुम ही हो गये हैं।
अनारकली के जाने के बाद कोई दूसरी ढंग की नौकरानी मिली ही नहीं। (आपको “मेरी अनारकली” जरुर याद होगी) सच कहूं तो जो सुख मुझे अनारकली ने दिया था मैं उम्र भर उसे नहीं भुला पाऊंगा। आह … वो भी क्या दिन थे जब ‘मेरी अनारकली’ सारे सारे दिन और रात मेरी बाहों में होती थी और मैं उसे अपने सीने से लगाए अपने आप को शहजादा सलीम से कम नहीं समझता था। मैंने आपको बताया था ना कि उसकी शादी हो गई है। अब तो वो तीन सालों में ही 2 बच्चों की माँ भी बन गई है और तीसरे की तैयारी जोर शोर से शुरू है। गुलाबो आजकल बीमार रहती है सो कभी आती है कभी नागा कर जाती है। पिछले 3-4 दिनों से वो काम पर नहीं आ रही थी। बहुत दिनों के बाद कल अनारकली काम करने आई थी। मैंने कोई एक साल के बाद उसे देखा था।
अब तो वो पहचान में ही नहीं आती। उसका रंग सांवला सा हो गया है और आँखें तो चहरे में जैसे धंस सी गई हैं। जो उरोज कभी कंधारी अनारों जैसे लगते थे आजकल तो लटक कर फ़ज़ली आम ही हो गए हैं। उसके चहरे की रौनक, शरीर की लुनाई, नितम्बों की थिरकन और कटाव तो जैसे आलू की बोरी ही बन गए हैं। किसी ने सच ही कहा है गरीब की बेटी जवान भी जल्दी होती है और बूढ़ी भी जल्दी ही हो जाती है।
कल जब वो झाडू लगा रही थी तो बस इसी मौके की तलाश में थी कि कब मधुर इधर-उधर हो और वो मेरे से बात कर पाए। जैसे ही मधुर बाथरूम में गई वो मेरे नजदीक आ कर खड़ी हो गई और बोली,“क्या हाल हैं मेरे एस. एस. एस. (सौदाई शहजादे सलीम) ?”
“ओह … मैं ठीक हूँ … तुम कैसी हो अनारकली …?”
“बाबू तुमने तो इस अनारकली को भुला ही दिया … मैं तो … मैं तो …?” उसकी आवाज कांपने लगी और गला रुंध सा गया था। मुझे लगा वो अभी रोने लगेगी। वो सोफे के पास फर्श पर बैठ गई।
“ओह … अनारकली दरअसल … मैं… मैं… तुम्हें भूला नहीं हूँ तुम ही इन दिनों में नज़र नहीं आई?”
“बाबू मैं भला कहाँ जाउंगी। तुम जब हुक्म करोगे नंगे पाँव दौड़ी चली आउंगी अपने शहजादे के लिए !” कह कर उसने मेरी ओर देखा।
उसकी आँखों में झलकता प्रणय निवेदन मुझ से भला कहाँ छुपा था। उसकी साँसें तेज़ होने लगी थी और आँखों में लाल डोरे से तैरने लगे थे। बस मेरे एक इशारे की देरी थी कि वो मेरी बाहों में लिपट जाती। पर मैं ऐसा नहीं चाहता था। उस चूसी हुई हड्डी को और चिंचोड़ने में भला अब क्या मज़ा रह गया था। जाने अनजाने में जो सुख मुझे अनारकली ने आज से 3 साल पहले दे दिया था मैं उन हसीन पलों की सुनहरी यादों को इस लिजलिजेपन में डुबो कर यूं खराब नहीं करना चाहता था।
इससे पहले कि मैं कुछ बोलूँ या अनारकली कुछ करे बाथरूम की चिटकनी खुलने की आवाज आई और मधुर की आवाज सुनाई दी,“अन्नू ! जरा साबुन तो पकड़ाना !”
“आई दीदी ….” अनारकली अपने पैर पटकती बाथरूम की ओर चली गई। मैं भी उठकर अपने स्टडी-रूम में आ गया।
आज फिर गुलाबो नहीं आई थी और उसकी छोटी लड़की अंगूर आई थी। अंगूर और मधुर दोनों ही रसोई में थी। मधु उस पर पता नहीं क्यों गुस्सा होती रहती है। वो भी कोई काम ठीक से नहीं कर पाती। लगता है उसका भी ऊपर का माला खाली है। कभी कुछ गिरा दिया कभी कुछ तोड़ दिया।
इतने में पहले तो रसोई से किसी कांच के बर्तन के गिर कर टूटने की आवाज आई और फिर मधु के चिल्लाने की, “तुम से तो एक भी काम सलीके से नहीं होता। पता है यह टी-सेट मैंने जयपुर से खरीदा था। इतने महंगे सेट का सत्यानाश कर दिया। इस गुलाबो की बच्ची को तो बस बच्चे पैदा करने या पैसों के सिवा कोई काम ही नहीं है। इन छोकरियों को मेरी जान की आफत बना कर भेज देती है। ओह … अब खड़ी खड़ी मेरा मुँह क्या देख रही है चल अब इसे जल्दी से साफ़ कर और साहब को चाय बना कर दे। मैं नहाने जा रही हूँ।”
मधु बड़बड़ाती हुई रसोई से निकली और बाथरूम में घुस कर जोर से उसका पल्ला बंद कर लिया। मैं जानता हूँ जब मधु गुस्सा होती है तो फिर पूरे एक घंटे बाथरूम में नहाती है। आज रविवार का दिन था। आप तो जानते ही हैं कि रविवार को हम दोनों साथ साथ नहाते हैं पर आज मधु को स्कूल के किसी फंक्शन में भी जाना था और जिस अंदाज़ में उसने बाथरूम का दरवाजा बंद किया था मुझे नहीं लगता वो किसी भी कीमत पर मुझे अपने साथ बाथरूम में आने देगी।
अब मैं यह देखना चाहता था कि अन्दर क्या हुआ है इस लिए मैं रसोई की ओर चला गया। अन्दर फर्श पर कांच के टुकड़े बिखरे पड़े थे और अंगूर सुबकती हुई उन्हें साफ़ कर रही थी। ओह … गुलाबो तो कहती है कि अंगूर पूरी 18 की हो गई है पर मुझे नहीं लगता कि उसकी उम्र इतनी होगी। उसने गुलाबी रंग का पतला सा कुरता पहन रखा था जो कंधे के ऊपर से थोड़ा फटा था। उसने सलवार नहीं पहनी थी बस छोटी सी सफ़ेद कच्छी पहन रखी थी। मेरी नज़र उसकी जाँघों के बीच चली गई। उसकी गोरी जांघें और सफ़ेद कच्छी में फंसी बुर की मोटी मोटी फांकों का उभार और उनके बीच की दरार देख कर मुझे लगा कि गुलाबो सही कह रही थी अंगूर तो पूरी क़यामत बन गई है। मेरा दिल तो जोर जोर से धड़कने लगा।
मैं उसके पास जाकर खड़ा हो गया तब उसका ध्यान मेरी ओर गया। जैसे ही उसने अपनी मुंडी ऊपर उठाई मेरा ध्यान उसके उन्नत उरोजों पर चला गया। हल्के भूरे गुलाबी रंग के गोल गोल कश्मीरी सेब जैसे उरोज तो जैसे क़यामत ही बने थे। हे लिंग महादेव ….. इसके छोटे छोटे उरोज तो मेरी मिक्की जैसे ही थे।
ऐसा नहीं है कि मैंने अंगूर को पहली बार देखा था। इससे पहले भी वो दो-चार बार गुलाबो के साथ आई थी। मैंने उस समय ध्यान नहीं दिया था। दो साल पहले तक तो यह निरी काली-कलूटी कबूतरी सी ही तो थी और गुलाबो का पल्लू ही पकड़े रहती थी। ओह…. यह तो समय से पहले ही जवान हो गई है। यह सब टीवी और फिल्मों का असर है। अंगूर टीवी देखने की बहुत शौक़ीन है। अब तो इसका रंग रूप और जवानी जैसे निखर ही आई है। उसका रंग जरुर थोड़ा सांवला सा है पर मोटी मोटी काली आँखें, पतले पतले गुलाबी होंठ, सुराहीदार गर्दन, पतली कमर, मखमली जांघें और गोल मटोल नितम्ब तो किसी को भी घायल कर दें। उसके निम्बू जैसे उरोज तो अब इलाहबाद के अमरूद ही बन चले हैं। मैं तो यह सोच कर ही रोमांचित हो जाता हूँ कि जिस तरह उसके सर के बाल कुछ घुंघराले से हैं उसकी पिक्की के बाल कितने मुलायम और घुंघराले होंगे।
उफ्फ्फफ्फ्फ्फ़ ……………
मधु तो बेकार ही गुलाबो को दोष देती रहती है। और हम लोग भी इनके अधिक बच्चों को लेकर नाहक ही अपनी नाक और भोहें सिकोड़ते रहते हैं। वैसे देखा जाए तो हमारे जैसे मध्यमवर्गीय लोग तो डाक्टर और इंजीनियर पैदा करने के चक्कर में बस क्लर्क और परजीवी ही पैदा करते हैं। असल में घरों, खेतों, कल कारखानों, खदानों और बाज़ार के लिए मानव श्रम तो गुलाबो जैसे ही पैदा करते हैं। गुलाबो तू धन्य है।
ओह … मैं भी क्या बेकार की बातें ले बैठा। मैं अंगूर की बात कर रहा था। मुझे एक बार अनारकली ने बताया था कि जिस रात यह पैदा हुई थी बापू उस रात अम्मा के लिए अंगूर लाये थे। सो इसका नाम अंगूर रख दिया। वाह … क्या खूब नाम रखा है गुलाबो ने भी। यह तो एक दम अंगूर का गुच्छा ही है।
मैंने देखा अंगूर की तर्जनी अंगुली शायद कांच से कट गई थी और उससे खून निकल रहा था। वह दूसरे हाथ से उसे पकड़े सुबक रही थी। मुझे अपने पास देख कर वो खड़ी हो गई तो मैंने पूछा, “अरे क्या हुआ अंगूर ?”
“वो…. वो…. कप प्लेट टूट गए….?”
“अरे … मैं कप प्लेट की नहीं तुम्हारी अंगुली पर लगी चोट की बात कर रहा हूँ…? दिखाओ क्या हुआ ?”
मैंने उसका हाथ पकड़ लिया। उसकी अंगुली से खून बह रहा था। मैं उसे कंधे से पकड़कर रसोई में बने सिंक पर ले गया और नल के नीचे लगा कर उसकी अंगुली पर पानी डालने लगा। घाव ज्यादा गहरा नहीं था बस थोड़ा सा कट गया था। पानी से धोने के बाद मैंने उसकी अंगुली मुँह में लेकर उस पर अपना थूक लगा दिया। वो हैरान हुई मुझे देखती ही रह गई कि मैंने उसकी गन्दी सी अंगुली मुँह में कैसे ले ली।
वो हैरान हुई बोली “अरे… आपने तो … मेरी अंगुली मुँह में … ?”
“थूक से तुम्हारा घाव जल्दी भर जाएगा और दर्द भी नहीं होगा !” कहते हुए मैंने उसके गालों को थपथपाया और फिर उन पर चिकोटी काट ली।
ऐसा सुनहरा अवसर भला फिर मुझे कहाँ मिलता। उसके नर्म नाज़ुक गाल तो ऐसे थे जैसे रुई का फोहा हो। वो तो शर्म के मारे लाल ही हो गई … या अल्लाह …… शर्माते हुए यह तो पूरी मिक्की या सिमरन ही लग रही थी। मेरा पप्पू तो हिलोरें ही मारने लगा था ……
इस्स्स्सस्स्स्स …….
उसके बाद मैंने उसकी अंगुली पर बैंड एड (पट्टी) लगा दी। मैंने उससे कहा “अंगूर तुम थोड़ा ध्यान से काम किया करो !”
उसने हाँ में अपनी मुंडी हिला दी।
“और हाँ यह पट्टी रोज़ बदलनी पड़ेगी ! तुम कल भी आ जाना !”
“मधुर दीदी डांटेंगी तो नहीं ना ?”
“अरे नहीं मैं मधु को समझा दूंगा वो तुम्हें अब नहीं डांटेंगी ….. मैं हूँ ना तुम क्यों चिंता करती हो !” और मैंने उसकी नाक पकड़ कर दबा दिया। वो तो छुईमुई गुलज़ार ही बन गई और मैं नए रोमांच से जैसे झनझना उठा। यौवन की चोखट (दहलीज़) पर खड़ी यह खूबसूरत कमसिन बला अब मेरी बाहों से बस थोड़ी ही दूर तो रह गई है। मेरा जी तो उसका एक चुम्बन भी ले लेने को कर रहा था। मैंने अपने आप को रोकने की बड़ी कोशिश की पर मैं एक बार फिर से उसके गालों को थपथपाने से अपने आप को नहीं रोक पाया।
आज के लिए इतना ही काफी था।
हे लिंग महादेव ….. बस एक बार अपना चमत्कार और दिखा दे यार। बस इसके बाद मैं कभी तुमसे कुछ और नहीं मांगूंगा अलबत्ता मैं महीने के पहले सोमवार को रोज़ तुम्हें दूध और जल चढ़ने जरूर आऊंगा। काश कुछ ऐसा हो कि यह कोरी अनछुई छुईमुई कमसिन बाला मेरी बाहों में आ जाए और फिर मैं सारी रात इसके साथ गुटर गूं करता रहूँ। सच पूछो तो मिक्की के बाद उस तरह की कमसिन लड़की मुझे मिली ही नहीं थी। पता नहीं इस कमसिन बला को पटाने में मुझे कितने पापड़ बेलने पड़ेंगे। पर अब सोचने वाली बात यह भी है कि हर बार बेचारा लिंग महादेव मेरी बात क्यों मानेगा। ओह … चलो अगर यह चिड़िया इस बार फंस जाए तो मैं भोलेशाह की मज़ार पर जुम्मेरात (गुरूवार) को चादर जरुर चढ़ाऊंगा।
रात में मधुर ने बताया कि गुलाबो का गर्भपात हुआ है और वो अगले आठ-दस दिनों काम पर नहीं आएगी। मेरी तो मन मांगी मुराद ही जैसे पूरी होने जा रही थी। पर इस कमसिन लौंडिया को चोदने में मेरी सबसे बड़ी दिक्कत तो मधु ही थी। उसने यह भी बताया कि अन्नू (अनारकली) भी कुछ पैसे मांग रही थी। उसके पति की नौकरी छूट गई है और वह रोज़ शराब पीने लगा है। उसे कभी कभी मारता पीटता भी है। पता नहीं इन गरीबों के साथ ऐसा क्यों होता है?
मैं जानता हूँ मधु का गुस्सा तो बस दूध के उफान की तरह है। वह इतनी कठोर नहीं हो सकती। वो जल्दी ही अनारकली और गुलाबो की मदद करने को राज़ी हो जायेगी। अचानक मेरे दिमाग में बिज़ली सी चमकी और फिर मुझे ख़याल आया कि यह तो अंगूर के दाने को पटाने का सबसे आसान और बढ़िया रास्ता है … ओह … मैं तो बेकार ही परेशान हो रहा था। अब तो मेरे दिमाग में सारी योजना शीशे की तरह साफ़ थी।
मधु को आज भी जल्दी स्कूल जाना था। मैंने आपको बताया था ना कि मधु स्कूल में टीचर है। सुबह 8 बजे वो जब स्कूल जाने के लिए निकल रही थी तब अंगूर आई। मधु ने उसको समझाया “साहब के लिए पहले चाय बना देना और फिर झाडू पोंछा कर लेना। और ध्यान रखना आज कुछ गड़बड़ ना हो। कुछ तोड़ फोड़ दिया तो बस इस बार तुम्हारी खैर नहीं !”
मधु तो स्कूल चली गई पर अंगूर सहमी हुई सी वहीं खड़ी रही। मैंने पहले तो उसके अमरूदों को निहारा और फिर जाँघों को। फिर मेरा ध्यान उसके चेहरे पर गया। उसके होंठ और गाल कुछ सूजे हुए से लग रहे थे। पता नहीं क्या बात थी। मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था और मैं तो बस उसे छूने या चूमने का जैसे कोई ना कोई उपयुक्त बहाना ही ढूंढ रहा था।
मैंने पूछा “अरे अंगूर तुम्हारे होंठों को क्या हुआ है ?”
उसका एक हाथ उसके होंठों पर चला गया। वो रुआंसी सी आवाज में बोली “कल अम्मा ने मारा था !”
“क्यों ?”
“वो … कल म…. मेरे से कप प्लेट टूट गए थे ना !”
“ओह … क्या घर पर भी तुमने कप प्लेट तोड़ दिए थे ?”
“नहीं … कल यहाँ जो कप प्लेट टूटे थे उनके लिए !”
मेरे कुछ समझ नहीं आया। यहाँ जो कप प्लेट टूटे थे उसका इसकी मार से क्या सम्बन्ध था। मैंने फिर पूछा “पर कप प्लेट तो यहाँ टूटे थे इसके लिए गुलाबो ने तुम्हें क्यों मारा ?”
“वो…. वो … कल दीदी ने पगार देते समय 100 रुपये काट लिए थे इसलिए अम्मा गुस्सा हो गई और मुझे बहुत जोर जोर से मारा !”
उसकी आँखों से टप टप आंसू गिरने लगे। मुझे उस पर बहुत दया भी आई और मधु पर बहुत गुस्सा। अगर मधु अभी यहाँ होती तो निश्चित ही मैं अपना आपा खो बैठता। एक कप प्लेट के लिए बेचारी को कितनी मार खानी पड़ी। ओह … इस मधु को भी पता नहीं कभी कभी क्या हो जाता है।
“ओह … तुम घबराओ नहीं। कोई बात नहीं मैं 100 रुपये दिलवा दूंगा।”
मैं उठकर उसके पास आ गया और उसके होंठों को अपनी अगुलियों से छुआ। आह…. क्या रेशमी अहसास था। बिलकुल गुलाबी रंगत लिए पतले पतले होंठ सूजे हुए ऐसे लग रहे थे जैसे संतरे की फांकें हों। या अल्लाह ….. (सॉरी हे … लिंग महादेव) इसके नीचे वाले होठ तो पूरी कटार की धार ही होंगे। मेरा पप्पू तो इसी ख्याल से पाजामे के अन्दर उछल कूद मचाने लगा।
“तुमने कोई दवाई लगाई या नहीं ?”
“न … नहीं …तो …?” उसने हैरानी से मेरी ओर देखा।
उसके लिए तो यह रोज़मर्रा की बात थी जैसे। पर मेरे लिए इससे उपयुक्त अवसर भला दूसरा क्या हो सकता था। मैंने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए समझाने वाले अंदाज़ में कहा, “ओह…. तुम्हें डिटोल और कोई क्रीम जरुर लगानी चाहिए थी। चलो मैं लगा देता हूँ … आओ मेरे साथ !”
मैंने उसे बाजू से पकड़ा और बाथरूम में ले आया और पहले तो उसके होंठों को डिटोल वाले पानी से धोया और फिर जेब से रुमाल निकाल कर उसके होंठों और गालों पर लुढ़कते मोतियों (आंसुओं) को पोंछ दिया।
“कहो तो इन होंठों को भी अंगुली की तरह चूम कर थूक लगा दूं ?” मैंने हंसते हुए मज़ाक में कहा।
पहले तो उसकी समझ में कुछ नहीं आया लेकिन बाद में तो वो इतना जोर से शरमाई कि उसकी इस कातिल अदा को देख कर मुझे लगा मेरा पप्पू तो पजामे में ही शहीद हो जाएगा।
“न…. नहीं मुझे शर्म आती है !”
हाय…. अल्लाह ….. मैं तो उसकी इस सादगी पर मर ही मिटा।
उसकी बेटी ने उठा रखी है दुनिया सर पे
खुदा का शुक्र है अंगूर के बेटा न हुआ
“अच्छा चलो थोड़ी क्रीम तो लगा लो ?”
“हाँ वो लगा दो !” उसने अपने होंठ मेरी ओर कर दिए।
मेरे पाठको और पाठिकाओ ! आप जरुर सोच रहे होंगे कि अब तो बस दिल्ली लुटने को दो कदम दूर रह गई होगी। बस अब तो प्रेम ने इस खूबसूरत कमसिन नाज़ुक सी कलि को बाहों में भर कर उसके होंठों को चूम लिया होगा। वो पूरी तरह गर्म हो चुकी होगी और उसने भी अपने शहजादे का खड़ा इठलाता लंड पकड़ कर सीत्कार करनी चालू कर दी होगी ?
Reply


Messages In This Thread
RE: प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ - by sexstories - 07-04-2017, 12:29 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,534,241 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 548,087 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,246,177 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 942,206 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,673,068 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,097,357 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,978,911 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,148,533 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,066,700 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 288,083 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 4 Guest(s)