RE: Antarvasnasex मुंबई से भूसावल तक
सुरभि की चूत इतनी
गीली हो गयी थी कि परेश की चुदाई से फ़चा फॅक की आवाज़ आ रही थी. अब
दोनों हाथो से सुरभि को कस्के पकड़ते परेश लंबे धक्के देते बोला,
"देख साली चिल्ला रही थी पर चूत गीली हुई ना? कैसे मस्ती से अब लंड ले
रही है तेरी चूत, बोल रांड़ है ना तू मेरी, बोल मदरचोड़ जल्दी बोल नहीं
तो अब गान्ड मारूँगा तेरी, तेरी मा की चूत मस्त माल है तू. और फैला अपने
पैर सुरभि और देख तुझे जन्नत दिखाता हूँ. " सुरभि को अब मज़ा आ रहा था और
वह भी गान्ड हिलाने लगती है. इतने मोटे लंड से मज़ा तो आ रहा था पर दर्द
भी हो रहा था जिस'से सिसकिया भरते वह बोली,
"आआह्होह्ह उही प्ल्ज़्ज़ धीरी करो ना परेश चाचा. अभी भी दर्द हो रहा है
लंड घुसने से. मुझपे रहम खाओ और धीरे-धीरे चोदो मुझे परेश."
"आरामसे मारो? क्यों तुझे चोद्ता हूँ तो तेरी मा की गान्ड मैं दर्द होता
है क्या छिनाल? मज़ा आ रहा है ना अब तुझे? साली मुझे फिर नाम से पुकरती
है रांड़? दुबारा मुझे नाम से पुकारा तो गान्ड मारूगा तेरी. हरामी, मैं
तेरे बाप की उमर का हूँ, ज़रा इज़्ज़त से नाम ले मेरा. क्या तेरी मा ने
तुझे इतना भी नहीं सिखाया रंडी? अच्च्छा लग रहा है ना मेरा हल्लब्बी लंड
चूत मैं? सुरभि मदरचोड़ अब तुझे मेरी रांड़ बनाके रखूँगा. " सुरभि के
निपल्स खींचते परेश ट्रेन के स्पीड मैं उसकी चूत चोद रहा था. इस दर्द और
गालियो से सुरभि बहाल हो रही थी पर उसे अब ऐसा लग रहा था जैसे की उसकी
चूत मैं लाखो चितिया हलचल मचा रही थी. सुरभि भी मस्ती मैं आके अपनी गान्ड
आगे पिछे करके चूत मरवा रही थी पर दर्द ख़तम नहीं हुआ था. वह बेशरम होके
अपने बाप की उमर के आदमी से चुदवा रही थी. वह अब दर्द और मज़े के अंदाज़
से बोली,
"आ हा मैं तुम्हारी रान्ड हुई परेश चाचा, प्लीज़ मुझे माफ़ करो, मैं अब
आप'को कभी नाम से नहीं पुकारूँगी. उम्म चोदो मुझे पर ज़रा आराम से, अभी
दर्द हो रहा है परेश आहह धीरे करो ना अंदर उही मा. " एक हाथ से सुरभि के
स्तन मसल्ते दूसरे हाथ से सुरभि की नंगी गान्ड पे थप्पड़ मारते परेश
बोला,
"अब आई ना लाइन पे रानी? साली फिर कभी नाम से पुकारा तो तेरे यह निपल चबा
डालूँगा. अरे मेरी प्यारी जान, यह दर्द अभी ख़तम होगा समझी, अभी अच्च्छा
लगेगा तुझे और तू खुद ज़ोर्से चोदने बोलेगी मुझे. मेरी जान अब ज़रा ठीक
से बता तू मेरी कौन है?" चुदाई का स्पीड अब और तेज़ करते परेश बेरेहमी से
सुरभि की चूत चोद रहा था. सुरभि परेश के इस तेज़ धक्को से उचकति है और
उसकी चीख निकलती है क्योकि परेश चाचा का मोटा और लंबा लंड अब उसकी बच्चे
दानी से टकराता है बार-बार. आँखे बंद करते वह परेश के हाथ अपने मम्मो पे
दबाते बोलती है,
"आह उही मा अच्च्छा चाचा मैं आपकी रंडी हूँ, आपकी कमसिन रंडी सुरभि हूँ
मैं, आहह और चोद चाचा, अब मज़ा आ रहा है. पूरा लंड डालो मेरी चूत मैं और
जैसा चाहे वैसा चोदो मुझे. " इतना कहते सुरभि अपनी छूट और रिलॅक्स करती
है और अब परेश का लुन्ड और ज़ोर्से उसे चोदने लगता है. सुरभि के मस्त
स्तन बेरहमी से मसल्ते, धक्के पे धक्का देके परेश उसको चोद रहा है. सुरभि
के मुँह से और ज़ोर्से चोदने की बात सुनके वह खुश होके बोलता है,
"हां मेरी जान, मेरे लॉड की रानी, तुझे खूब मस्ती से चोदुन्गा. तेरी जैसी
कमसिन लड़'की को मस्ती देना मुझे अच्छि तरह आता है. वैसे साली तेरी मा
कैसी है? तेरे जैसी मस्त चूत को चोदने के बाद अब उसे चोदने का दिल है
जिसने इतनी गरम चूत पैदा की. क्या तेरी मा भी तेरे जैसी सेक्सी माल है
क्या सुरभि रांड़?" सुरभि को अब परेश दुनिया का सबसे अच्च्छा इंसान लग
रहा था. उस'के दिमाग़ ने काम करना बंद कर दिया था. अब उसके दिल-ओ-दिमाग़
मैं सिर्फ़ लंड और चूत ही था. अब परेश की चुदाई से उसकी चूत से आवाज़
निकाल रही थी. सुरभि को परेश का गर्म लॉडा अंदर बाहर होने से अब बहुत
अच्च्छा लग रहा था. बेशरम होके वह बोली,
क्रमशः...........
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