Sex Hindi Kahani में अम्मी और मेरी बहिन
07-01-2017, 11:33 AM,
#7
RE: Sex Hindi Kahani में अम्मी और मेरी बहिन
में अम्मी और मेरी बहिन-7

मुझे नींद आ गई और में नंगा ही अम्मी के बेड पर सो गया,
करीब दो घंटे बाद अम्मी ने मुझे उठाया और बोली= साहिल निचे चल न नजमा आ गयी है,
हम दोनों कपडे पहन कर निचे आये, नजमा हाल में बेठी थी,
उसकी शक्ल थोड़ी उतरी हुई लग रही थी,
मैंने अम्मी को धीरे से कहा तो अम्मी ने नजमा से पूछा की क्या हुआ,
नजमा ने कहा की कुछ नहीं हुआ अम्मी बस में थक गयी हूँ और कुछ देर सोना चाहती हूँ,
यह कहकर नजमा अपने रूम में चली गई...
नजमा की चल में भी कुछ लंगडाहट सी थी,
अम्मी ने मेरी तरफ देखा और मैंने अम्मी की तरफ देखा,
नजमा के जाने के बाद अम्मी बोली= साहिल आज नजमा की हालत कुछ ठीक नहीं लग रही है ना,,
में = हाँ अम्मी मुझे शक है की नजमा आज किसी से चुद्वाकर आ रही है,
अम्मी = हाँ बेटा मुझे भी ऐसा ही लग रहा है ओर्र उसकी चाल भी एसी ही लग रही है,
लगता है की सलीम ने ही उसको चोदा है, मैंने एक दिन सलीम को नजमा की किस्सी लेते भी देखा था बेटा.
मुझे बहुत ही गुस्सा आ रहा था सलीम के उपर दिल में आ रहा था की अभी सलीम की अम्मी को चोद दू पर
में मजबूर था.
=
तभी अम्मी खड़ी होकर नजमा के रूम की तरफ गयी.
मेरा मन उदास था की मेरी बहिन आज जरुर ही चुद कर आई है,
मन ही मन में नजमा को चोदना चाहता था,मेरे मन में नजमा की मस्त गांड की तस्वीर नाच रही थी.
काश नजमा एक बार मेरा लंड अपनी गोल मटोल गान में ले ले ..
ये सोच कर मेरा लंड फिर खड़ा हो गया,
में अपनी सगी बहिन को ही चोदने की सोच रहा था.
=
तभी अम्मी नजमा के रूम से बहार आई,
मैंने अम्मी से पुछा की क्या हुआ है नजमा को,
तो अम्मी ने कहा = कुछ नहीं हुआ है यार उसके पीरियड चालू हो गए है और नजमा पेड लगाना भूल गयी थी,
मैंने मन ही मन चेन की सांस ली,की मेरी बहिन अभी चूदी नहीं है ..
तभी अम्मी बोली = बहिन की चूत की बहुत फिक्र है तेरे को साहिल.
में बोला = अम्मी मेरी बहिन की चूत कोई ऐसे ही मार ले मुझे ये बिलकुल भी पसंद नहीं है,
अम्मी = तो कोई केसे मारे तेरी बहिन की चूत को ..(अम्मी ने मेरे लंड को फिर पकड लिया कपड़ो के उपर से)
उन्हों ने अपने होंठ मेरे
होंठों पर रख दिए. मेरे होंठ थोडा खुले और उनकी जीभ को
अंदर जाने का रास्ता दे दिया. कई मिनिट्स हम इसी तरह एक दूसरे को
चूमते रहे.वो तब मेरी गर्दन पर हल्के हल्के से अपने दाँत गढ़ा रही थे.
मेरे कानो की एक लौ अपने मुँह मे लेकर चूसने लगी . मेरी ज़ुबान तालू से चिपक गयी. और मुँह सूखने लगा.
"आआहह" मेरे मुँह से ना चाहते हुए भी एक आवाज़ निकल गयी.
मैं अपने हाथों से उसके सिर को अपनी योनि पर दाब
दिया. मेर्री जीभ अब अम्मी की योनि के अंदर घुस कर अम्मी को पागल करने लगा.
मैं अम्मी के बालों को खींच रहा थी तो कभी
अपनी उंगलियों से अम्मी के निपल्स को ज़ोर ज़ोर से मसलता . अपने जबड़े को
सख्ती से मैने भींच रखा था जिससे किसी तरह की कोई आवाज़ मुँह
से ना निकल जाए. लेकिन फिर भी काफ़ी कोशिशों के बाद भे हल्की दबी
दबी कराह मुँह से निकल ही जाती थी. अम्मी ने मेरे उपर झुकते हुए
फुसफुसते हुए कहा=आअहह…..ये क्या कर दिया तुम ने…… मैं पागल हो जाउंगी बेटा ……….
प्लीईईससस्स और बर्दस्त नही हो रहा है. अब आआ जाऊ"
तो तड़पने लगी और बोली- मेरे प्यारे बेटे,
क्यूँ तड़पा रहा है अपनी अम्मी को ,फाड़ डाल न जल्दी से अपनी अम्मी की चूत ….!
मार दे ……..उईईइ ……मा ईईइ मर गई रे……मेरा लंड तनने लगा था,
अम्मी की कमर पकड़ कर मैने उसे खींच लिया. वो मुझ से लिपट गयी उस की चुचियाँ मेरे सीने से दब गयी,
मेरा लंड उसके पेट के बीच में फ़स गया. उस का कोमल बदन बाहों में लेना मुझे बहुत मीठा लगा.
मेरे होटों पर हलका सा चुंबन कर के मेरी बाहों से छूट कर वो भाग गयी मैं सोचता रह गया,
इसे कहते है खड़े लंड पर डंडा ....

फिर में अपना लंड अपने हाथ में लेकर अपने रूम में आ गया, आज भाईजान आने वाले थे,
मुझे लगा की आज अम्मी भाईजान का लंड अपनी चूत में लेगी शायद....
ये सोच कर मेरा लंड फिर से अंगड़ाई लेने लगा तभी मुझे नजमा का ख्याल आया.
मेरा लण्ड तो आज किसी अड़ियल टट्टू की तरह खड़ा था,
लंड के अंदर लावा कुलबुला रहा था मुझे लगा अगर उसे जल्दी ही नहीं निकाला गया तो मेरी नसें ही फट पड़ेंगी.
अम्मी तो गांड दिखाकर चली गयी थी, मेरा 7 इंच का लण्ड कुतुबमीनार की तरह खड़ा था,
अब में किसी चूत या गांड की जरुरत महसूस कर रहा था,तभी बहार डोरबेल बजी लगता है की भाई जान आये थे,
मैंने बाहर जाकर देखा तो भाईजान ही थे उनके हाथ में एक पेकेट था, उन्होंने भी मेरी तरफ देखा और बोले=अभी सोया नहीं है छोटे,
में = नींद नहीं आ रही है भाईजान,
भाईजान = चल उपर चलते है अम्मी के पास..
मैंने मना कर दिया तो वो उपर अम्मी के पास चाले गए,
मेरे ख्यालो में नजमा ही नजमा थी और में आज उसकी चूत को चोदना चाहता था,
भाईजान के उपर जाने के दस मिनिट बाद में नजमा के रूम की तरफ गया.
रूम को खोला तो वो खुल गया लगता था की नजमा नें अंदर से लॉक नहीं किया था,
मैंने धीरे से रूम खोला और अंदर गया,
अंदर अँधेरा था और बेड पर से लाइट दिख रही थी लगता था की नजमा बेड पर लेपटोप पर कुछ कर रही थी,
बेड पर नजमा कुछ ऐसे लेती थी की दरवाजे की तरफ उसकी टंगे थी,
वो बेड पर उलटी लेती हुई थी,और लेपटोप पर .....
अल्लाह उफ्फ्फ मेरी छोटी बहिन अपने लेपटोप पर एक xxx फिल्म देख रही थी,
वो भी कालिए की नजमा ने अपने कानो पर EARफोन लगा रखा था और पुरे गोर से फिल्म देख रही थी,
बिच बीच में वो अपनी चूत भी रगड़ रही थी अपने हाथ से,
उसने पतली सी नाइटी पहन रखी थी और अन्दर ब्रा और पेंटी नहीं पहनी थी मुझे ऐसा लगा,
फिल्म में एक गोरी लड़की जो देखने में बिल्कुल नजमा के जेसी ही थी,
उस लड़की की गांड वो कालिया मार रहा था और उसका लंड अल्लाह करीब 10 इंच का था,
कालिया पुरे जोश में था और उस लड़की की गांड में दे दनादन कर रहा था,
लड़की भी उसे पूरा साथ दे रही थी और उचक उचक कर अपनी गांड मरवा रही थी,
तभी नजमा ने अपनी नाइटी उपर की तरफ खिंची मेरा ख्याल सही था,
नजमा ने निचे कुछ नहीं पहना था अब मुझे अँधेरे मी कुछ कुछ दिखने लगा था,
नजमा ने अपना हाथ अपनी चूत से हटाकर अपनी गांड सहलाने लगी थी,
अब नजमा हलकी हलकी सिसकिय भर रही थी,और अपनी गांड के छेद को कुरेद रही थी,
मुझसे अब रहा नहीं गया और मेंने जल्दी से रूम की लाइट जला दी, जेसे बम्ब फटा हो नजमा उछल कर बेड से खड़ी हुई,
सामने मुझे देखा ...
उसकी नाइटी अब भी उपर ही थी मुझे उसकी चूत की झलक मिली ..
अल्लाह क्या चूत थी मेरी सगी बहिन की एक भी बाल नहीं और लाल चूत कोरी कोरी चूत ,,,
नजमा अवाक् थी .. फिर में बोला = नजमा ये सब क्या है में अभी भाई और अम्मी को बुलाता हूँ ,,
नजमा ने मेरे पैर पकड़ लिए और बोली = नहीं भाईजान प्लीज़ नहीं ...
उसकी आँखों में आंसू आ गए, उसने ऊपर चेहरा करके उनसे कहा : नहीं भेजना ..ऐसा मत करना...
आज के बाद ऐसा नहीं होगा...मुझे माफ़ कर दीजिये...!
में = तुम ये सब कर रही हो लगता है की जवानी कुछ ज्यादा ही चढ़ गयी है तुम पर जरुर लडको से भी चुद्वाती हो बाहर जाकर ,,
नजमा = नहीं भाईजान अम्मी की कसम किसी को अपनी चूत पर हाथ भी लगाने नहीं दिया है आज तक...
में = ये में केसे मानु बहिन तेरी इस हरकत से लगता है की तुम लंड ले चुकी हो अपनी चूत और गांड में ...
नजमा = नहीं भाईजान नहीं ...
में = और लेपटोप पर ये सब देखती है ये गन्दी गन्दी फिल्मे वो भी शादी से पहले ही..और अपनी चूत में अंगुली भी डालती हो..
नजमा = मुझे माफ़ करदो भाईजान में आपको अपनी सहेली से सेटिंग करवा दूंगी बस आप किसी को या सब मत बताना..
नजमा रोने लगी थी , में भी नाटक ही कर रहा था आखिर मुझे नजमा को चोदना जो था.
में नजमा की कंधो से पकड कर खड़ा किया और उसका सर चूम लिया और बोला =नजमा'
मेरी बहिन में किसी को कुछ नहीं बताऊंगा बस तुम मुझे अपनी गांड इसी तरह से मारने दो एक बार सिर्फ..
मैंने लेपटोप की और इशारा किया..
नजमा को मैंने हलके से अपनी तरफ खिंचा में लंड अब नजमा की चूत से रगड कहा रहा था..
वो मेरी और देख रही थी,फिर उसने अपना सर झुका लिया और बोली= भाईजान आप क्या कह रहे हो,
आप तो मेरे सगे भाई हो, ये नाजायज होगा भाईजान...
मैंने उसकी गांड सहलानी शुरू की और बोला=तुम तो नेट पर ये सब देख रही ओ ना मेरी बहना,
सेक्स में कुछ भी नाजायज नहीं होता है और देखो न मेरा लंड केसे खड़ा है,
क्या तुम्हारा फर्ज नहीं है की अपने भाई की मदद करो और इस लंड को बेठादो इसका रस निचोड़ दो ..
और मैंने अपना लंड बरमुडे से निकल कर नजमा के सामने लहराया,
उसकी आँखों में भी लाल डोरे तैरने लगे, वो बोली=पर भाईजान अगर भाई या अम्मी को पता लगा तो ..
में = वो सब मुझ पर छोड़ दो मेरी बहना और मैंने नजमा की मस्त चुन्चिया पकड़ ली ,,
चुन्चिया को जोर से दबाया तो नजमा चीखी =अह्ह्हह्ह्ह्ह ...... ओह्ह्हह्ह या......म्मम्म...भाई प्लीज़ धीरे से ..
क्या शेप थी उसकी...उसकी भरपूर जवानी को बिना ब्रा और पेंटी में देखकर मुझे अलग ही मज़ा आ रहा था .
वो पहले ही फिल्म देख कर गर्म हो चुकी थी,मैंने उसको लिप किस कर लिया,
बहिन मन ही मन सोच रही थी की अपने ही सगे भाई के साथ कोई कैसे लिप किस कर सकता है...
पर उसकी भी उत्तेजना बढती जा रही थी..
नजमा=पर भाई में अपनी चूत नहीं दूंगी आपको ...बस गांड मर लो वो भी एक बार पर किसी को बताना मत,
में मन ही मन बहुत ही खुश था ..मैंने हामी भर ली ..
फिर मैंने देर ना करते हुए अपनी बहिन को अपनी बांहों में उठाया और बेड की तरफ ले गया.
मेरी पीठ उसकी छाती से जा टकराई और उसने आगे हाथ करके मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए,
और बोली = भाई मेरे बूब मत दबाना प्लीज़ ..दर्द होता है भाई जान ..
में मान गया ,मैंने उसे घुमा कर अपनी तरफ मुंह कर लिया और उसे चूमने लगा...
मेरे होंठ उसके मुंह में जाकर ज्यादा ही सोफ्ट हो गए थे..और पानी भी ज्यादा निकल रहा था मेरे मुंह से अब...
मेंने अपना बरमूडा खोल कर वही फेंक दिया और एक झटके से नजमा का हाथ पकड़ कर अपने दनदनाते हुए लंड के ऊपर रख दिया...
उसने उसे आगे पीछे करना शुरू किया और में उसके सर के बाल सहलाने लगा...
हम दोनों एक दुसरे को चूमने चाटने में इतने मशगूल हो चुके थे की हमें याद ही नहीं रहा की रूम अब भी खुला है ..
तभी नजमा को ये ख्याल आया और उसने भाग कर दरवाजा लॉक किया ,
मैंने tab तक लेपटोप पर एक फिल्म लगा दी थी ... मस्त गांड मरने की फिल्म थी ..
वो चल कर बेड पर आ गयी मैंने उसको बांहों में भरा और चूमने लगा...
वाह...क्या एकसास था..
मेरा दिल जोर-२ से धड़कने लगा...इतना रोमांच मैंने आज तक महसूस नहीं किया था...
पहले चुम्बन का...
उसके मोटे होंठ इतने सोफ्ट थे की उन्हें चबाने में काफी मजा आ रहा था...
और फिर उसकी तरफ से भी कार्यवाही होनी शुरू हो गयी...
वो भी मेरा साथ दे रही थी पर थोड़ी झिझक भी रही थी .
वो भी फिल्म देखने लगी थी, मैंने उसे नंगा कर दिया ,
में झुका और उसके खड़े हुए निप्पल को मुंह में लेकर चूसने लगा.
फिर में उसके मुम्मो को चूसते हुए उसने एक हाथ नीचे लेजाकर उसकी चूत के ऊपर रख दिया.वो सिसक पड़ी
उसने अपनी चूत पर अपना हाथ रख लिया,पर में आज चूत नहीं गांड ही मरने के मुड में था,
इतने में मेरी अंगुली उसकी गाण्ड के खुलते बंद होते छेद से जा टकराई, उसकी गाण्ड का छेद तो पहले से ही गीला और चिकना हो रहा था,
मैंने पहले तो अपनी अंगुली उस छेद पर फिराई और फिर उसे उसकी गाण्ड में डाल दी, वो तो चीख ही पड़ी,
(इसे तो जन्नत का दूसरा दरवाज़ा कहते हैं। इसमें जो आनंद मिलता है दुनिया की किसी दूसरी क्रिया में नहीं मिलता)
वो मेरे लण्ड को हाथ में पकड़े घूरे जा रही थी मैं उसके मन की हालत जानता था,
कोई भी लड़की पहली बार चुदवाने और गाण्ड मरवाने के लिए इतना जल्दी अपने आप को मानसिक रूप से तैयार नहीं कर पाती,
पर मेरा अनुमान था वो थोड़ी ना नुकर के बाद मान जायेगी,
नजमा = पर मैंने तो सुना है इसमें बहुत दर्द होता है ?
में = तुमने किस से सुना है ?
नजमा = वो .. मेरी एक सहेली है .. वो बता रही थी कि जब भी उसका बॉयफ्रेंड उसकी गाण्ड मारता है तो उसे बड़ा दर्द होता है,
में =अरे मेरी बहना तुम खुद ही सोचो अगर ऐसा होता तो वो बार बार उसे अपनी गाण्ड क्यों मारने देती है.. ?
नजमा =हाँ यह बात तो तुमने सही कही !
फिर मैंने उसके हाथ को पकड़ा और उसे अपने लंड के ऊपर रख दिया,
बस अब तो मेरी सारी बाधाएं अपने आप दूर हो गई थी, गाण्ड मारने का रास्ता निष्कंटक (साफ़) हो गया था,
मैंने झट से उसे अपनी बाहों में दबोच लिया। वो तो उईईईईईई …. करती ही रह गई।
नजमा = भाईजान मुझे डर लग रहा है ….। प्लीज धीरे धीरे करना !
में = अरे मेरी बुलबुल मेरी जान तू बिल्कुल चिंता मत कर .. यह गाण्ड चुदाई तो तुम्हें जिन्दगी भर याद रहेगी !
वह पेट के बल लेट गई और उसने अपने नितम्ब फिर से ऊपर उठा दिए,
मैंने उसके ड्रेसिंग टेबल पर पड़ी पड़ी क्रीम की डब्बी उठाई और ढेर सारी क्रीम उसकी गाण्ड के छेद पर लगा दी,
फिर धीरे से एक अंगुली उसकी गाण्ड के छेद में डालकर अन्दर-बाहर करने लगा,
रोमांच और डर के मारे उसने अपनी गाण्ड को अन्दर भींच सा लिया,
मैंने उसे समझाया कि वो इसे बिल्कुल ढीला छोड़ दे, मैं आराम से करूँगा बिल्कुल दर्द नहीं होने दूंगा.
पहाले तो मैंने सोचा था कि थूक से ही काम चला लूं पर फिर मुझे ख्याल आया कि गाण्ड एक दम कुंवारी और झकास है,
कहीं इसे दर्द हुआ और इसने गाण्ड मरवाने से मना कर दिया तो मेरी दिली तमन्ना तो चूर चूर ही हो जायेगी, मैं कतई ऐसा नहीं चाहता था.
फिर मैंने उसे अपने दोनों हाथों से अपने नितम्बों को चौड़ा करने को कहा,
उसने मेरे बताये अनुसार अपने नितम्बों को थोड़ा सा ऊपर उठाया और फिर दोनों हाथों को पीछे करते हुए नितम्बों की खाई को चौड़ा कर दिया,
भूरे रंग का छोटा सा छेद तो जैसे थिरक ही रहा था,,
मैंने एक हाथ में अपना लण्ड पकड़ा और उस छेद पर रगड़ने लगा,
फिर उसे ठीक से छेद पर टिका दिया,
अब मैंने उसकी कमर पकड़ी और आगे की ओर दबाव बनाया, वो थोड़ा सा कसमसाई पर मैंने उसकी कमर को कस कर पकड़े रखा।
अब उसका छेद चौड़ा होने लगा था और मैंने महसूस किया मेरा सुपारा अन्दर सरकने लगा है.
उसके मुंह से एक लम्बी आह निकल गयी.
नजमा =आआआआअह्ह्ह्ह ओफ्फ्फ्फ़........ ऊईई .. भाई … बस … ओह … रुको … आह … ईईईईइ ….!
अब रुकने का क्या काम था मैंने एक धक्का लगा दिया.
इसके साथ ही गच्च की आवाज के साथ आधा लण्ड गाण्ड के अन्दर समां गया,
जैसे-२ मेरा लंड अन्दर जा रहा था, उसकी आँखे चोडी होती जा रही थी...
उसके साथ ही नजमा चीख उठी =ओह … भाई जान निकालो बाहर .. आआआआआआआ ………?
में = बस मेरी बहन बस अब ज्यादा नहीं है ..
नजमा = भाईजान . .. मेरी गाण्ड फ़ट रही है !
मैं जल्दी उसके ऊपर आ गया और उसे अपनी बाहों में कस लिया,
वो कसमसाने लगी थी और मेरी पकड़ से छूट जाना चाहती थी,
मैं जानता था थोड़ी देर उसे दर्द जरुर होगा पर बाद में सब ठीक हो जाएगा,
मैंने उसकी पीठ और गले को चूमते हुए उसे समझाया=बस… बस…. मेरी बहिन …. जो होना था हो गया !
नजमा = भाई बहुत दर्द हो रहा है .. ओह … मुझे तो लग रहा है यह फट गई है,
प्लीज बाहर निकाल लो नहीं तो मेरी जान निकल जायेगी आया ……ईईईई … !
मैं उसे बातों में उलझाए रखना चाहता था, ताकि उसका दर्द कुछ कम हो जाए और मेरा लण्ड अन्दर जाये ,
कहीं ऐसा ना हो कि वो बीच में ही मेरा काम खराब कर दे और मैं फिर से कच्चा भुन्ना रह जाऊं,
तुम बहुत खूबसूरत हो .. पूरी पटाका हो बहिन .. मैंने आज तक तुम्हारे जैसी फिगर वाली लड़की नहीं देखी..
सच कहता हूँ तुम जिससे भी शादी करोगी पता नहीं वो कितना किस्मत वाला बन्दा होगा।”
“हुंह.. बस झूठी तारीफ रहने दो भाई .. झूठे कहीं के..?
मैंने उसके गले पीठ और कानों को चूम लिया, उसने अपनी गाण्ड के छल्ले का संकोचन किया तो मेरा लण्ड तो गाण्ड के अन्दर ही ठुमकने लगा.
नजमा अब तो दर्द नहीं हो रहा ना ?
नजमा =ओह .. थोड़ा तो हो रहा है ? पर आप चिंता ना करो कि पूरा अन्दर चला गया..?
मेरा आधा लण्ड ही अन्दर गया था पर मैं उसे यह बात नहीं बताना चाहता था,
मैंने उसे गोल मोल जवाब दिया”ओह .. मेरी जान आज तो तुमने मुझे वो सुख दिया है जो बुआ ने भी कभी नहीं दिया ,,
गाण्ड की यही तो लज्जत और खासियत होती है,
( चूत का कसाव तो थोड़े दिनों की चुदाई के बाद कम होने लगता है.
पर गाण्ड कितनी भी बार मार ली जाए उसका कसाव हमेशा लण्ड के चारों ओर अनुभव होता ही रहता है,
खेली खाई औरतों और लड़कियों को गाण्ड मरवाने में चूत से भी अधिक मज़ा आता है,
इसका एक कारण यह भी है कि बहुत दिनों तक तो यह पता ही नहीं चलता कि गाण्ड कुंवारी है या चुद चुकी है.
गाण्ड मारने वाले को तो यही गुमान रहता है कि उसे प्रेमिका की कुंवारी गाण्ड चोदने को मिल रही है== ये बातें मुझको बाद में पता चली ..)
अब तो नजमा भी अपने नितम्ब उचकाने लगी थी,और ....
नजमा बोल रही थी = आह्ह्ह्हह्ह भाई ......यु आर ग्रेट.....अह्ह्ह्हह्ह ....म......भाई ......फास्ट....फाआस्ट....फास्ट.....अह्ह्हह्ह........
उसका दर्द ख़त्म हो गया था और लण्ड के घर्षण से उसकी गाण्ड का छल्ला अन्दर बाहर होने से उसे बहुत मज़ा आने लगा था,
अब तो वो फिर से सित्कार करने लगी थी, और अपना एक अंगूठा अपने मुँह में लेकर चूसने लगी थी और दूसरे हाथ से अपने उरोजों की घुंडी मसल रही थी.
मैंने एक हाथ से उसके अनारदाने (भगान्कुर) को अपनी चिमटी में लेकर मसलना चालू कर दिया,
नजमा तो इतनी उत्तेजित हो गई थी कि अपने नितम्बों को जोर जोर से ऊपर नीचे करने लगी थी ....
“ओह .. भाईजान एक बार पूरा डाल दो … आह … उईईईईईईईईइ …या या या ………..”
मैंने दनादन धक्के लगाने चालू कर दिए, मुझे लगा नजमा एक बार फिर से झड़ गई है,
अब मैं भी किनारे पर आ गया था, आधे घंटे की चुदाई के बाद अब मुझे लगने लगा था कि मेरा भी पानी अब छूटने ही वाला है ..
मैंने उसे अपनी बाहों में फिर से कस लिया और फिर 5-7 धक्के और लगा दिए, उसके साथ ही नजमा की चित्कार और मेरी पिचकारी एक साथ फूट गई,
कोई 5-6 मिनट हम इसी तरह पड़े रहे,और फिल्म देखते रहे ..
जब मेरा लण्ड फिसल कर बाहर आ गया तो मैं उसके ऊपर से उठ कर बैठ गया, नजमा भी उठ बैठी,
वो मुस्कुरा कर मेरी ओर देख रही थी जैसे पूछ रही थी कि उसकीमस्त गांड केसी थी ..?
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