RE: XXX Kahani मुम्बई के सफ़र की यादगार रात
मैंने लण्ड बाहर निकाला, तौलिए से उसकी चूत को पूरी तरह से साफ़ कर दिया और कंडोम पर भी जो चिकनाई थी वो सारी चिकनाई साफ़ कर दी। उसके बाद मैंने मेरे लण्ड को फ़िर से साक्षी की चूत में घुसा दिया। इस बार अंदर जाने में थोड़ा सा घर्षण जरूर लगा लेकिन साक्षी की चूत अंदर से तो गीली ही थी अत: एक बार अंदर जाने के बाद वापस से मेरे लण्ड पर भी चिकनाई लग गई।
मैंने उसे धक्के मारना शुरू किए और आगे झुक कर एक हाथ से साक्षी की चूत को आगे से मसलने लगा, दूसरे हाथ से उसके चूचों को दबा रहा था और उसकी चिकनी पीठ को चूस भी रहा था। मैं इसी तरह से कुछ देर तक धक्के लगाता रहा और साक्षी भी मेरा साथ देती रही, मुझे लगा अब मैं झड़ जाऊँगा तो मैंने चूचे छोड़ साक्षी की कमर को पकड़ा और जोर जोर से धक्के लगाना शुरू कर दिए।
वो भी मेरा साथ देते हुए और जोर से और जोर से का नारा बुलंद कर रही थी। साक्षी का सर बेसिन से ना टकराए इसलिए मैंने उसने सर के नीचे तौलिया रख दिया था और वो खुद एक हाथ से अपनी चूत को रगड़ने लगी थी।
मैंने 20-22 धक्के लगाए होंगे कि मैं झड़ने लगा, मेरे झड़ने के साथ ही साक्षी भी फिर से झड़ने लगी। झड़ने के बाद वो और मैं पूरी तरह से निढाल हालत में आ चुके थे, वो बेसिन पर सर रख कर लेट सी गई थी और मैं उसकी पीठ पर। कुछ देर बाद जब दोनों के शरीर में फिर ताकत महसूस हुई तो पहले उसने ही पहल की और मुझे कमोड पर बिठा कर मेरे ढीले हो चुके लण्ड पर से कंडोम उतारा और बड़े प्यार से मेरे ऊपर आ कर दोनों तरफ पैर कर के बैठ गई और मेरी गर्दन पर बाहें डाल कर मेरे होंठों पर चूमना शुरू कर दिया।
साक्षी की इस हरकत से मेरी भी थकान कम हो गई और मैंने भी उसे पलट कर चूमना शुरू कर दिया।
हम दोनों थोड़ी देर तक ऐसे ही बैठे रहे फिर वो बोली- जानू, भूख लग रही है !कुछ खिलाओ ना !
भूख तो मुझे भी लग रही थी, मैंने कहा- चलो कुछ मंगाते हैं।
वो बोली- हाँ, पर पहले ठीक से नहा तो लो !
मैंने शावर चालू किया, साक्षी को अपने से चिपकाया और उसके होंठों को होंठों में कस कर पानी में भीगने लगा। उसने एक बार फिर मेरे सर पर शैम्पू लगाने की कोशिश की तो मैंने कहा- अभी तो लगाया था?
तो वो बोली- वो शैम्पू था, यह कंडीशनर है।
मैं कुछ ना बोला। उसने पहले सर पर कंडीशनर लगाया फिर बदन पर फिर से साबुन लगा दिया और उसके बाद मुझे बड़े ही अच्छे से नहलाया और मेरे लण्ड को भी अच्छे से धोया।
जब मुझे नहला चुकी तो फिर से मेरे पास आई और मेरे होंठ चूमते हुए एक बार फिर भीगने लगी। हम दोनों ऐसे ही 2-3 मिनट भीगते रहे उसके बाद उसने शावर बंद किया, मुझे तौलिये ऊपर से लेकर नीचे तक पौंछ कर सुखा दिया और फिर उसने खुद का लाया हुआ एक तौलिया मेरे हाथ में दे दिया। उसका इशारा समझते हुए मैंने भी उसके बदन को सुखाना शुरू कर दिया।
जब हम दोनों एक दुसरे को सुखा चुके तो नंगे ही बाहर आए और मैं कपड़े पहनने के लिए बैग उठाने लगा तो बोली- सैंडी, मैं चाहती हूँ कि तुम आज वो कपड़े पहनो जो मैं लेकर आई हूँ।
उसकी बात सुनकर मैं आश्चर्यचकित रह गया, मुझे उससे इस बात की उम्मीद बिलकुल नहीं थी कि वो मेरे लिए कपड़े लेकर आई होगी, उम्मीद तो अलग है मैं तो चौंक ही गया था उसकी बात सुन कर।
मेरी ऐसी हालत देखकर वो बोली- आय एम सॉरी सैंडी ! अगर तुम्हें कोई दिक्कत है तो मैं फोर्स नहीं करूंगी।
मैंने कहा- नहीं शोना, ऐसा नहीं है।
मेरी बात सुन कर उसने कोई जवाब नहीं दिया, बैग से एक पोलिथीन निकाली और बोली- उम्मीद है तुम्हें ये फिट आयेंगे।
मैंने कपड़े खोले तो उसमें एक रीबॉक का लोवर और टीशर्ट थी और साथ ही जॉकी की अंडरवियर भी।
मैंने यह देख कर साक्षी को बाँहों में भर कर चूम लिया और फिर साक्षी ने ही अपने हाथों से मुझे वो कपड़े पहनाए। कपड़े पहनने के बाद मैंने कहा- मुझे माफ कर दो, मेरे पास तुम्हें देने के लिए कोई तोहफा नहीं है।
मेरी बात सुन कर साक्षी बोली- मुझे और कोई तोहफा चाहिए भी नहीं जितना सुख मुझे तुमसे मिल रहा है वैसा सुख मुझे पिछले कई सालों में नहीं मिला।
मैं उसकी बात को समझ नहीं पाया, मैने कहा- क्या मतलब?
तो वो बोली- सब समझा दूँगी जानू, चिंता मत करो, रात भर तुम्हारे ही साथ हूँ मैं !
उसकी बात सुन कर मैंने कहा- अच्छा ठीक है ! चलो खाने का कुछ आर्डर दे देते हैं।
वो बोली- तुम आर्डर करो तब तक मैं कुछ पहन लूँ।
मुझे जो कमरा मिला था वो 2+1 बेड का कमरा था और उसमें दोनों बेड के बीच एक पर्दा लगा हुआ था तो उसने अपना बैग उठाया और दूसरी तरफ चली गई और पर्दा लगा लिया ताकि मैं उसकी तरफ न देख सकूँ। जाते जाते प्यारी धमकी वाली हिदायत भी दे गई की परदे कि उस तरफ ना देखूँ मैं वरना ठीक नहीं होगा।
मैंने अच्छे बच्चों की तरह उसकी आज्ञा का पालन किया और खाने का आर्डर कर दिया, खाने के साथ स्वीट्स भी आर्डर कर दी।
चूंकि साक्षी को थोड़ा वक्त लगना था तो मैं टीवी चला कर लेट कर फिल्म देखने लग गया। उस वक्त टीवी पर अमोल पालेकर वाली गोलमाल आ रही थी जो मेरी पसंदीदा फिल्म है।
5-7 मिनट के बाद साक्षी भी तैयार होकर आ गई, उसने गुलाबी रंग का सिल्की गाऊन पहना हुआ था और बालों को एक क्लिप लगा कर संवार रखा था, होंठों पर हल्की सी लाली थी और माथे पर एक छोटी सी बिंदी लगा ली थी उसने।
उस वक्त वो क्या गजब की लग रही थी ! मैं शब्दों में नहीं बता सकता पर उस वक्त मैंने उसे कुछ लाइनें कही थी जो आज भी जहन वैसी ही ताजा हैं:
कुदरत का कमाल है, या जन्नत की हूर है तू,
चमकते हीरों के बीच, में जैसे कोहेनूर है तू !
दीवाना हो रहा हूँ, तेरे हुस्न में खोकर मैं,
इतनी पास होके भी क्यों मुझसे दूर है तू !
मेरा शेर सुन कर वो बड़े प्यार से मेरे पास चली आई और मुझे होंठों पर चूम लिया और बोली- झूठी तारीफ मत करो !
मैंने कहा- मैं झूठ नहीं बोलता, जो सच है तो सच है।
मेरी बात सुन कर वो शरमा गई और बोली- मुझे भी लेटना है, कहाँ लेटूँ?
मैंने आँखों से मेरे दायें कंधे की तरफ इशारा करते हुए कहा- यहाँ पर !
तो वो बिस्तर पर मेरे दाईं तरफ आई और मेरे कंधे पर सर रख कर लेट गई। मैंने कुछ कहने की कोशिश की तो उसने मेरे होंठों पर ऊँगली रख दी और...
आगे की कहानी अगली कड़ी में !
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