XXX Kahani नंबर वन माल
06-30-2017, 11:25 AM,
#5
RE: XXX Kahani नंबर वन माल
नींद मेरी आँखों से कोसों दूर थी. आज की रात मेरी ज़िंदगी की बड़ी ख़ास रात थी. मुझे आज रात अपनी अम्मी को चोदना था जो अगरचे मेरी सग़ी माँ थीं मगर एक बड़ी खूबसूरत और भरपूर औरत भी थीं . दुनिया में ऐसे बहुत कम लोग हूँ गे जिन्हो ने ज़िंदगी में सब से पहले जिस औरत को चोदा वो उनकी अपनी माँ थी. अपनी अम्मी की चूत लेने का ख़याल मेरे जज़्बात को बड़ी बुरी तरह भड़का रहा था और में मुसलसल सोच रहा था के जब मेरा लंड अम्मी की चूत के अंदर जाए गा और में उनकी चूत में घस्से मारूं गा तो कैसा महसूस होगा. मुझे अपने जिसम में खून की गर्दिश तेज़ होती महसूस हो रही थी.

पता नही कितनी ही फिल्मों के मंज़र बड़ी तेज़ी से मेरे दिमाग में घूम रहे थे. यही सब कुछ सोचते हुए मेरा लंड अकड़ चुका था और मुझे अब ये खौफ लाहक़ हो गया था के कहीं अम्मी के आने और उनकी चूत लेने से पहले ही में खलास ना हो जाऊं. फिर तो सारा मज़ा किरकिरा हो जाता. मै बड़ी बे-सबरी से 12 बजने का इंतिज़ार करने लगा. ना-जाने मैंने वो वक़्त किस तरह गुज़ारा. फिर मालूम नही कब मेरी आँख लग गई.

कोई 12 ½ बजे अम्मी कमरे में दाखिल हुईं और दरवाज़े की चटखनी बंद करने लगीं तो उस की आवाज़ से में जाग गया. उन्होने दुपट्टा नही ओढ़ा हुआ था और उनके भारी मम्मे अपनी पूरी उठान के साथ तने हुए नज़र आ रहे थे. वो सीधी आ कर मेरे बेड पर बैठ गईं. उनके चेहरे पर किसी क़िसम का कोई ता’असुर नही था. ना खुशी ना गम, ना गुस्सा ना प्यार. उस वक़्त वो बिल्कुल बदली हुई लग रही थीं . ऐसा लगता था जैसे वो अम्मी ना हूँ बल्के कोई और औरत हों . पता नही ये उनका कौन सा रूप था. शायद चूत मरवाने से पहले वो हमेशा ही ऐसी हो जाती हूँ या शायद मुझे चूत देने की वजह से उके अंदाज़ बदले हुए थे. मै कुछ कह नही सकता था. हम दोनो ही थोड़ी देर खामोश रहे. मुझे तो समझ ही नही आ रही थी के उन से किया बात करूँ.

बिल-आख़िर मैंने हिम्मत कर के अम्मी का एक बाज़ू पकड़ कर उन्हे अपनी तरफ खैंचा. उन्होने मुझे रोका नही और उनका बदन मेरे ऊपर झुक गया. मैंने एक हाथ उनके गले में डाला और उनके होठों को चूमते हुए दूसरे हाथ से उनके मम्मों को मसलने लगा. अम्मी के मम्मे बड़े मोटे मोटे और वज़नी थे और ब्रा के अंदर होने के बावजूद मुझे उन्हे मसलते हुए ऐसा लग रहा था जैसे मैंने उनके नंगे मम्मों को हाथों में पकड़ रखा हो. उनका ब्रा शायद ज़ियादा मोटे कपड़े से नही बना था. मैंने उनके मम्मों को ज़रा ज़ोर से दबाया तो उनके मुँह से हल्की सी सिसकी निकल गई. उन्होने अपने मम्मों पर से मेरे हाथ हटाया और मेरे कान के पास मुँह ला कर पूछा के किया मैंने पहले कभी सेक्स किया है?

यही सवाल मुझ से नज़ीर ने भी किया था जब वो पिंडी में खाला अम्बरीन की चूत मार रहा था. मुझे अपनी ना-तजर्बकारी पर बड़ी शर्मिंदगी महसूस हुई मगर मैंने बहरहाल नफी में सर हिला दिया. अम्मी ने कहा के में उनके मम्मे आहिस्ता दबाऊं क्योंके ज़ोर से दबाने से तक़लीफ़ होती है मज़ा नही आता. ये सुन कर मैंने दोबारा अम्मी के तने हुए भरपूर मम्मों की तरफ हाथ बढ़ाया लेकिन उन्होने फिर मुझे रोक दिया और कहा के हमें कमरे की लाईट बुझा देनी चाहिये. फिर वो खुद ही उठीं और लाईट ऑफ कर दी. कमरे में अब भी अम्मी के बेडरूम की तरफ खुलने वाले रोशनदान में से काफ़ी रोशनी आ रही थी और में अम्मी को बिल्कुल साफ़ तौर से देख सकता था.

अम्मी वापस बेड के क़रीब आईं ओर खड़े खड़े ही अपनी क़मीज़ उतारने लगीं. क़मीज़ उनके मम्मों के ऊपर से होती हुई सर पर आई जिससे उतार कर उन्होने पहले सीधा किया और फिर एहतियात से बेड पर एक तरफ रख दिया. उनका गोरा बदन हल्की ज़र्द रोशनी में इंताहै खूबसूरत लग रहा था. मोटे और उभरे हुए मम्मे सफ़ेद रंग के ब्रा में से काफ़ी हद तक नंगे नज़र आ रहे थे और यों लग रहा था जैसे दो सफ़ेद तोपों ने अपने दहाने मेरी तरफ कर रखे हूँ. अम्मी के मम्मे बड़े और भारी होने के साथ साथ काफ़ी चौड़े भी थे और ऐसा लगता था जैसे उनके दोनो मम्मों के दरमियाँ बिल्कुल कोई फासला नही था. अम्मी का बे-दाग पेट और बिकुल गोल नाफ़ भी दिखाई दे रहे थे. उनके मज़बूत कंधे जिन पर ब्रा के स्ट्रॅप चढ़े हुए थे चौड़े और सेहतमंद थे. मैंने सोचा के किया अबू का दिमाग खराब है जो अम्मी जैसी खूबसूरत और सेक्सी औरत को चोदना नही चाहते? ऐसा कौन सा मर्द हो गा जो अम्मी की चूत नही लेना चाहे गा?

अम्मी चलती हुई मेरे बेड के पास आ गईं. अब उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी. उन्होने देख लिया था के में उनके बदन को ललचाई हुई नज़रों से देख रहा था. वो ब्रा और शलवार उतारे बगैर ही बेड पर चढ़ कर मेरे साथ लेट गईं. मै हज़ारों दफ़ा अपनी अम्मी के साथ एक ही बेड पर लेटा था मगर आज की रात मामला ज़रा मुख्तलीफ़ था.

मैंने भी फॉरन अपने कपड़े उतार दिये और बिल्कुल नंगा हो कर अम्मी की तरफ करवट ली और उन से लिपट गया. जैसे ही मेरा नंगा बदन उन के आधे नंगे बदन से टकराया मुझे लगा जैसे मेरे लंड में आग सी लग गई हो. अम्मी का बदन नर्म-ओ-मुलायम और हल्का सा गरम था. मेरा लंड फॉरन ही खड़ा होने लगा. अम्मी ने अपनी रानों के पास मेरे लंड का दबाव महसूस किया और मेरी तरफ देखा. उनकी आँखों में किसी क़िसम की ताश्वीश या शर्मिंदगी नही थी.




उसी वक़्त मेरे ज़हन में एक बहुत ही परेशां-कन ख़याल आया. मैंने फिल्मों में सेक्स का बहुत मुशाहिदा किया था और या फिर नज़ीर को खाला अम्बरीन की फुद्दी लेते हुए देखा था. लेकिन आज तक मुझे किसी औरत को चोदने का इत्तेफ़ाक़ नही हुआ था. मेरे दिल में अचानक ये खौफ पैदा हुआ के कहीं ऐसा ना हो में अम्मी को अपनी ना-तजर्बकारी की वजह से ठीक तरह चोद ना सकूँ. फिर किया हो गा? में इस एहसास-ए-कमतरी का भी शिकार था के राशिद सेक्स में मुझ से ज़ियादा बेहतर था. मैंने खुद अपनी आँखों से उससे अम्मी को चोद कर उनकी फुद्दी में अपनी मनी छोड़ते हुए देखा था. उस ने यक़ीनन और भी कई दफ़ा अम्मी की फुद्दी मारी थी और मुझे ये भी एहसास था के राशिद उन्हे चोद कर ठंडा करता था क्योंके अगर ऐसा ना होता तो अम्मी उससे क्यों अपनी फुद्दी मारने देतीं. आज अगर में अम्मी को चोदते हुए राशिद जैसा मज़ा ना दे सका तो किया हो गा? अम्मी ने मुझे बताया था के अब्बू उन्हे अब कभी कभार ही चोदा करते थे और मुझ से भी मज़ा ना मिलने पर वो अपना वादा तोड़ कर दोबारा राशिद से चुदवाना भी शुरू कर सकती थीं . ये बात मुझे हर गिज़ क़बूल नही थी. मुझे हर सूरत में एक तजर्बकार मर्द की तरह अम्मी की चूत मार कर उनकी तमाम जिस्मानी ज़रोरियात पूरी करनी थीं .




अम्मी मेरे चेहरे से भाँप गईं के मुझे कोई परेशानी लहक़ है. उन्होने पूछा के शाकिर किया बात है किया सोच रहे हो? में कुछ सटपटा सा गया मगर फिर उन्हे बता ही दिया के अम्मी आज मेरी सेक्स करने की पहली दफ़ा है और में डर रहा हूँ के कहीं आप को मुझे अपनी चूत दे कर मायूसी ना हो. मै जल्दी खलास होने से डरता हूँ और इसी वजह से कुछ परेशां हूँ.

अम्मी हंस पड़ीं और कहा के पहली दफ़ा सब को ही परैशानी होती है. तुम फिकर ना करो सेक्स इंसान की फ़ितरत है रफ़्ता रफ़्ता खुद-बखुद ही सब कुछ समझ आ जाता है. मै उनकी बात गौर से सुन रहा था. फिर उन्होने कहा के तुम तो कम-उमर लड़के हो तुम से चुदवा कर तो हर औरत खुश हो गी. कुछ ही दिनों में तुम इस काम में माहिर हो जाओ गे. और हाँ तुम राशिद को भूल जाओ तुम मेरे बेटे हो में उस पर लानत भेजती हूँ. तुम्हारा और उस का कोई मुक़ाबला नही. आज के बाद में जो भी करूँ गी सिर्फ़ तुम्हारे साथ करूँ गी. हमारे दरमियाँ जो होना है शायद वो क़िस्मत का लिखा है इस लिये उस पर अफ़सोस करने की ज़रूरत नही.




मुझे उनकी बातों में सचाई नज़र आई. मै ये भी महसूस कर रहा था के मेरे साथ अब अम्मी का रवय्या और बात चीत का अंदाज़ रिवायती माओं जैसा नही था. अब वो मेरे साथ वैसे ही पेश आ रही थीं जैसे मैंने उन्हे राशिद के साथ पेश आते देखा था. मै पूर-सकूँ हो गया और मेरी जेहनी उलझन बड़ी हद तक कम हो गई.




मैंने अपने ज़हन में सर उठाते हुए खौफ से तवजो हटाने की कोशिश की और अम्मी का चेहरा अपनी तरफ फेर कर उनके गालों को ज़ोर ज़ोर से चूमने लगा. उन्होने भी मेरा पूरा साथ दिया और अपने मज़बूत बाज़ू मेरी कमर के गिर्द लपेट कर मुझे अपने ऊपर आने दिया. मैंने अपने दोनो बाज़ू उनकी गर्दन में डाले और उन से पूरी तरह चिपक कर उन्हे चूमने लगा. मैंने अम्मी के होठों, गालों, थोड़ी, आँखों, गर्दन और माथे को चूम चूम कर और चाट चाट कर उनका पूरा चेहरा अपने थूकों से गीला कर दिया. वो इस चूमा चाटी से मज़ा ले रही थीं .




फिर मैंने उनके मुँह के अंदर अपनी ज़बान डाली तो उन्होने मुझे अपनी ज़बान चूसने दी. मैंने उनकी ज़बान होठों में पकड़ी और उससे चूसने लगा. अम्मी के मुँह के अंदर मेरी और उनकी ज़बानें आपस में टकरतीं तो अजीब तरह का मज़ा महसूस होता. तजर्बा ना होने की वजह से अगर उनकी ज़बान चूसते चूसते मेरे होठों से निकल जाती तो वो फॉरन ही उससे दोबारा मेरे होठों में दे देतीं. हम दोनो के मुँह थूक से भर चुके थे मगर मुझे अम्मी की ज़बान चूसने में गज़ब का लुत्फ़ आ रहा था. मेरा लंड अम्मी के नरम पेट से नीचे उनकी शलवार में घुसा हुआ था.

अम्मी के चेहरे के ता’असूरात से साफ़ पता चल रहा था के उन्हे भी ये सब कुछ बहुत ज़ियादा मज़ा दे रहा है. ये देख कर मुझे बड़ी खुशी हुई और मेरी हिम्मत बढ़ गई. कम-अज़-कम अब तक तो में ठीक ही जा रहा था. मै अम्मी से बुरी तरह चिपटा हुआ उन्हे चूमता रहा और वो भरपूर तरीक़े से मेरे ताबड़ तोड़ चुम्मियों का जवाब देती रहीं. हमारी साँस चढ़ गई थी और अम्मी अब वाज़ेह तौर पर गरम होने लगी थीं . उनका बदन जैसे हल्के बुखार की कैफियत में था. अपनी सग़ी माँ को चोदने का हैजान और जोश ही मुझे पागल किये दे रहा था. मेरे ज़हन से अब जल्दी खलास होने का डर भी बिल्कुल निकल चुका था. मैंने सोचा के फिल्मों से सीखी हुई चीजें कामयाबी से कर के अम्मी को इंप्रेस करने का यही वक़्त है.




में अम्मी के ऊपर से उठ गया और उन्हे करवट दिला कर साइड पर कर दिया. फिर मैंने कमर पर से उनका ब्रा खोला और उससे उनके बदन से जुदा कर दिया. इस पर अम्मी ने खुद ही अपनी शलवार उतार कर टाँगों से निकाल ली. अब वो बिल्कुल नंगी हो गई थीं . मैंने उन्हे सीधा करने के लिये आगे हाथ ले जा कर उनके मोटे मोटे नंगे मम्मों को हाथों में दबोच लिया और उन्हे अपनी जानिब खैंचा. उन्होने अपने खूबसूरत और सेहतमंद बदन को संभालते हुए मेरी तरफ करवट बदल ली. मैंने उनके मोटे दूधिया मम्मों को पागलों की तरह चूसना शुरू कर दिया. मेरी नज़र में मम्मे औरत के बदन का सब से शानदार हिस्सा थे और मेरी अम्मी के मम्मों की तो बात ही कुछ और थी. मै एक अरसे से छुप छुप कर अम्मी के मम्मों का नज़ारा किया करता था. आज क़िस्मत से ये मोक़ा भी मिल गया था के में उनके नंगे मम्मों को अपने मुँह में डाल कर चूस सकूँ. ये सोच कर मुझे हल्का सा चक्कर आ गया. अहर्हाई मैंने अम्मी के दोनो मम्मों को बारी बारी इस बुरी तरह चूसा और चाटा के उनका रंग लाल हो गया और वो मेरे थूकों से भर गए. अम्मी के निपल्स को मैंने इतना चूसा था के वो अकड़ कर बिल्कुल सीधे खड़े हो गए थे.




में उनकी ये बात बिल्कुल भूल चुका था के मम्मों को नर्मी और एहतियात से हाथ लगाना चाहिये. कई दफ़ा जब मैंने उनके मम्मे ज़ोर से चूसे या दबाइ तो वो बे-साख्ता कराह उठीं लेकिन उन्होने मुझे रोका नही. अपने मम्मे चुसवाने के दोरान अम्मी काफ़ी मचल रही थीं और मुसलसल अपना सर इधर उधर घुमा रही थीं . जब में उनके मम्मों के निप्पल मुँह में ले कर उन पर ज़बान फेरता तो वो बे-क़ाबू होने लगतीं और मुझे उनके जिस्मानी रद्द-ए-अमल से महसूस होता जैसे वो अपने मोटे मम्मे मेरे मुँह में घुसा देना चाहती हैं. उनके मम्मों के मोटे, गोल और काफ़ी लंबे निप्पल थे भी बे-इंतिहा खूबसूरत. पता नही औरत के निपल्स में ऐसी किया बात है के उन्हे चूसने में ऐसा ज़बरदस्त मज़ा आता है? मेरे लंड की भी बुरी हालत थी. मैंने अम्मी का हाथ अपने अकड़े हुए लंड पर रखा जिससे उन्होने पकड़ लिया और बड़ी नर्मी से उस पर ऊपर नीचे हाथ फेरने लगीं. जब उन्होने मेरा लंड अपने हाथ में लिया तो मुझे अपने टट्टों में अजीब क़िसम का खिचाओ महसूस होने लगा.

बहुत देर तक अम्मी के दोनो मम्मों को चूसने के बाद में सिरक़ कर उनकी टाँगों की तरफ आया और उन्हे घुटनो से पकड़ कर खोल दिया. अब अम्मी की मोटी और सूजी हुई चूत पूरी तरह मेरे सामने आ गई. अम्मी की चूत पर हल्के हल्के लेकिन बड़े घने काले बाल थे और मोटी होने के बावजूद उनकी चूत सख्ती से बंद नज़र आ रही थी. मैंने उनकी चूत पर हाथ फेरा तो उन्होने शायद गैर-इरादि तौर पर अपनी टांगें बंद करने की कोशिश की मगर में अपने सर को नीचे कर के उनकी टाँगों के बीच में ले आया और उनकी चूत पर मुँह रख दिया. यहाँ भी फिल्म्स ही मेरे काम आ’ईं. मैंने अम्मी की चूत पर ज़बान फेरी और उससे ज़ोरदार तरीक़े से चाटने लगा. चूत चाटने की ये मेरी दफ़ा थी मगर जल्द हो में जान गया के मुझे किया करना है. अम्मी की टांगें अकड़ गई थीं और उनका एक हाथ मुसलसल मुझे अपने सर को सहलाता हुआ महसूस हो रहा था. उनके मुँह से वक़फे वक़फे से कराहने की बिल्कुल हल्की सी आवाज़ आ रही थी. मैंने अपनी ज़बान उनकी चूत पर फेरते फेरते नीचे की तरफ से उनके चूतड़ों पर हाथ फेरा तो मुझे अचानक उनकी गांड़ का सुराख मिल गया. मैंने फॉरन सर झुका कर उससे भी चाट लिया. गांड़ चाटने से मुझे भी बहुत मज़ा आया और अम्मी ने भी बड़ा एंजाय किया. थोड़ी देर में ही अम्मी की चूत ने पानी छोड़ दिया जिस का नमकीन सा ज़ायक़ा मुझे अपनी ज़बान पर महसूस हुआ.




फिर में बेड पर लेट गया और अम्मी से कहा के अब वो मेरा लंड चूसें. मैंने फिल्मों में भी यही होते देखा था और नज़ीर ने खाला अम्बरीन के साथ भी ऐसा ही किया था. अम्मी पहले तो थोड़ा सा झिझकीं मगर फिर घुटनो के ज़ोर पर बेड पर बैठ गईं और मेरे ऊपर झुक कर मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया. मेरे लंड का टोपा अम्मी के मुँह के अंदर चला गया और वो उस पर अपनी ज़बान फेरने लगीं. मैंने अम्मी को राशिद का लंड चूसते हुए देखा था और इस बात से वाक़िफ़ था के वो लंड चूसना जानती हैं. उस वक़्त उन्होने काफ़ी जल्दी में राशिद के लंड के टोपे को चूसा था मगर मेरे लंड को वो बड़ी महारत और आराम से चूस रही थीं .




उन्होने पहले तो मेरे लंड के गोल टोपे पर अच्छी तरह अपनी ज़बान फेर कर उससे गीला कर दिया और फिर लंड के निचले हिस्से को चाटने लगीं. फिर इसी तरह मेरे लंड पर ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर उनकी ज़बान गर्दिश करती रही. लंड चूसते चूसते अम्मी की ज़बान बहुत गीली हो चुकी थी और जब वो मेरे लंड को अपने मुँह के अंदर करतीं तो ऐसे लगता जैसे मेरा लंड पानी के ग्लास के अंदर चला गया हो. कुछ ही देर में मेरा लंड टोपे से ले कर टट्टों तक अम्मी के थूक से भर गया. उनका मुँह में भी बार बार थूक भर जाता था लेकिन वो एक लम्हे के लिये रुक कर उससे निगल लेतीं और फिर मेरा लंड चूसने लगतीं.

यकायक् अम्मी ने बड़ी तेज़ी से मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया. उनका चेहरा लाल हो चुका था. मेरे टोपे को उन्होने होठों में ले कर ज़ोर ज़ोर से चूसा तो मेरे लंड में तेज़ सनसनाहट होने लगी और मेरे टट्टे सख़्त होने लगे. मुझे लगा जैसे में खलास हो जाऊं गा. मैंने अम्मी को रोकना चाहा मगर उन्होने नही सुना. फिर मैंने देखा के उन्होने अपना एक हाथ अपनी चूत पर रखा हुआ था और बड़ी उंगली अपनी चूत के अंदर डाल कर उससे तेज़ी से अंदर बाहर कर रही थीं .




में समझ गया के उन से बर्दाश्त नही हो रहा और वो खलास होने के क़रीब हैं. अम्मी को अपनी चूत में उंगली करते देख कर में भी सबर ना कर सका और उनके मुँह में ही मेरे लंड से झटकों के साथ मनी निकालने लगी. अपने मुँह के अंदर मेरी मनी को महसूस कर के अम्मी ने मेरा लंड अपने मुँह से बाहर निकाला और मेरे टट्टों को मुट्ठी में नर्मी से पकड़ कर दबाने लगीं. मेरी कुछ मनी उनके मुँह में चली गई जबके कुछ उनके होठों और गालों पर गिरी. वो खुद भी तेज़ तेज़ साँसें लेतीं हुई खलास होने लगीं. उनका मुँह खुल गया और आँखें बंद हो गईं. मैंने जल्दी से हवा में झूलता हुआ उनका एक मोटा और गोल मम्मा मुट्ठी में जकड लिया और अपना लंड फिर उनके मुँह में देने की कोशिश की मगर उन्होने ज़बान से ही मेरे टोपे पर लगी हुई मनी चाट ली.




इस के बाद हम दोनो उसी तरह नंगे ही बेड पर लेट गए. अम्मी के ओसान बहाल हुए तो मैंने कहा के मुझे तो मज़ा नही आया क्योंके में उनकी चूत नही ले सका और यों ही खलास हो गया. उन्होने हंस कर जवाब दिया के अभी तो रात का एक बजा है वो घंटे डेढ़ घंटे तक दोबारा मेरे पास आएँगी तब में दिल की मुराद पूरी कर लूं. मैंने कहा ठीक है मगर वो वादा करें के वापस आएँगी. उन्होने कहा के किया वो 12 बजे नही आई थीं ? में फिकर ना करूँ अब भी वो ज़रूर आएँगी. वो उठीं और बेड पर पड़े हुए अपने कपड़े समैट कर अपने बेडरूम में चली गईं. मै फिर इंतिज़ार करने लगा. मुझे यक़ीन था के अब मुझे नींद नही आये गी. ऐसा ही हुआ.

अम्मी ने भी वाक़ई अपना वायेदा पूरा किया और कोई 2 बजे के बाद किसी वक़्त मेरे कमरे में आ गईं. वो शायद नहा कर आई थीं क्योंके अब उन्होने पहले से मुख्तलीफ़ कपड़े पहने हुए थे. उस वक़्त उन्होने अपना ब्रा भी नही पहना हुआ था और चलते हुए उनके वज़नी मम्मे बड़ी बे-बाकी से हिल रहे थे. वो मेरे बेड पर आ गईं और हम दोनो अपने कपड़े उतार कर पूरी तरह नंगे हो गए.




में अम्मी के नंगे होते ही उनके ऊपर चढ़ गया और उनके बदन को चूमने चाटने लगा. मेरा लंड फॉरन ही खड़ा हो गया. मै उस वक़्त दुनिया जहाँ से बे-खबर था और सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी अम्मी के सेहतमंद और गदराये हुए बदन से पूरी तरह लुत्फ़ अंदोज़ होना चाहता था. शायद क़यामत भी आ जाती तो मुझे पता ना चलता. मै उनके ऊपर लेट कर उनका एक मम्मा पकडे हुए उनकी गर्दन के बोसे ले रहा था के अचानक अम्मी ने अपनी टांगें पूरी तरह खोल दीं और मेरा ताना हुआ लंड उनकी गोरी और मोटी चूत के बालों में धँस गया. जब मेरे लंड का टोपा अम्मी की फुद्दी के ऊपरी हिसे से टकराया तो मैंने महसूस किया के उन्होने आहिस्ता से अपने बदन को ऊपर की तरफ़ उठाया और अपनी फुद्दी से मेरे लंड पर दबाव डाला.




में बे-खुद सा हो गया और अपना एक हाथ नीचे ले जा कर उनकी फुद्दी को बड़ी तेज़ी और बे-दरदी से मसलने लगा. अम्मी की फुद्दी पूरी तरह गीली हो चुकी थी. वो अब बहुत ज़ियादा गरम हो रही थीं और उन्होने बड़ी मुश्किल से अपनी सिसकियों को मुँह में दबाया हुआ था. मै थोड़ा सा पीछे हटा और अपने जिसम को उन से अलग कर के अपना लंड उनके हाथ में पकड़ा दिया. उन्होने फॉरन मेरा लंड अपनी मुट्ठी में ले लिया और उससे दबाने लगीं. मैंने सर नीचे कर के उनके दोनो मम्मों को हाथों में कस कर पकड़ लिया और उन्हे चूसना शुरू कर दिया. अम्मी बहुत गरम हो चुकी थीं और उनके तपते हुए बदन की गर्मी मुझे अपने जिसम पर महसूस हो रही थी. अब अपनी सग़ी माँ की चूत में लंड डालने का वक़्त आन पुहँचा था.




उस वक़्त भी अम्मी कमर के बल बेड पर लेतीं हुई थीं . मैंने उनकी तंदूरस्त-ओ-तवाना रानें खोल कर उनकी मोटी ताज़ी चूत के ऊपर अपना लंड रख दिया. मैंने लंड को अम्मी की चूत के अंदर डालने की कोशिश की मगर मुझे उनकी चूत का सुराख ना मिल सका. अभी में अम्मी की चूत में अपना टोपा घुसाने की कोशिश कर ही रहा था के उन्होने अपना हाथ नीचे किया और मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत के अंदर धकेल दिया. उनकी चूत अंदर से नरम और गीली थी. अगरचे मेरा लंड बड़ी आसानी से अम्मी की चूत के अंदर घुसा था मगर इस में कोई शक नही था के उनकी चूत काफ़ी टाइट थी.
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