छिनाल की औलाद
06-29-2017, 11:20 AM,
#4
RE: छिनाल की औलाद
रानी- बस ज़्यादा तेवर मत दिखाओ… मैं जानती हूँ तू यहाँ क्यों आया है। अब चुपचाप अपना काम कर और चलता बन मुझे नींद आ रही है।

विजय- क.. कौन सा काम?

रानी- इतना भी पागल मत बन.. आधी रात को तू मेरे कमरे में क्या माँ चुदाने आया है… साला बहनचोद.. मुझे चोदने आया है ना.. तो क्यों बेकार में वक्त खराब कर रहा है.. चल निकल अपने कपड़े.. आज तुझे असली मज़ा देती हूँ। तेरे हरामी बाप ने कल से लेकर आज

तक मुझे इतना बेशर्म बना दिया है कि एक रंडी भी अपने ग्राहक को इतना मज़ा नहीं देती होगी जितना मैं तुझे आज दूँगी।

अब विजय के पास बोलने को कुछ नहीं था वो चुपचाप बिस्तर पर बैठ गया। मैं उसके पास गई और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।

दो मिनट के चुम्बन के बाद विजय मेरे मम्मों को दबाने लगा, मेरी चूत को सहलाने लगा।

मैं भी कहाँ पीछे रहने वाली थी, मैंने उसके लौड़े को पजामे के ऊपर से दबाने लगी।

विजय- उफ साली वाकयी में तू बड़ी गजब की चीज है… चल अब नंगी हो जा अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है।

हम दोनों नंगे होकर बिस्तर पर लेट गए और एक-दूसरे को चूमने, चूसने लगे। विजय का लंड फुंफकारने लगा, तब मैंने झट से उसको

मुँह में ले लिया और बड़ी अदा के साथ उसको चूसने लगी।

विजय- उफ़फ्फ़ आह कक साली.. आहह.. मज़ा आ गया ओए.. काट मत अईए.. हरामजादी क्या हो गया तुझे.. आहह.. ला मुझे भी तेरी चूत का स्वाद चखने दे उई..

मैं लौड़े को मुँह से निकाले बिना ही घूम गई और विजय के ऊपर आ गई। अब मेरी चूत विजय के मुँह पर थी, जिसे वो बड़ी बेदर्दी से चूसने लगा था।

करीब 15 मिनट तक ये चूत और लंड चुसाई का प्रोग्राम चलता रहा। अब तो विजय का लौड़ा लोहे की रॉड जैसा सख़्त हो गया था और मेरी चूत आग की भट्टी की तरह जल रही थी।

मैंने लौड़े को मुँह से निकाला और घूमकर लौड़े पर बैठ गई.. ‘फच’ की आवाज़ के साथ पूरा लौड़ा मेरी चूत में समा गया।

एक हल्की सिसकी के साथ मैं आसमानों में पहुँच गई।

लगातार दस मिनट तक मैं लौड़े पर कूदती रही.. विजय अपना आपा खो बैठा और मेरी चूत में झड़ गया। उसके साथ ही मेरा भी फव्वारा निकल गया। हम दोनों एक-दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे।

रानी- क्यों भाई.. मज़ा आया ना?

विजय- उफ़फ्फ़ तू मज़े की बात कर रही है… मुझे समझ नहीं आ रहा मैंने कौन से अच्छे काम किए थे… जो घर बैठे तुझ जैसी कमसिन कली मुझे चोदने को मिल गई। अब तो रोज रात तेरी चूत और गाण्ड के मज़े लूँगा… साली क्या गाण्ड है तेरी… सच कहूँ तेरी चूत से ज़्यादा गाण्ड मस्त है।

रानी- ओ मेरे प्यारे भाई.. तो रोका किसने है.. अब मैं पूरी आप की ही हूँ जब चाहे चोद लेना… आ जाओ अब गाण्ड भी मार लो… मन की मन में मत रखो।

विजय- अरे साली रुक तो अभी लौड़ा ठंडा हुआ है.. इतनी जल्दी कहाँ इसमें रस आएगा थोड़ा सबर कर…

रानी- अरे भाई क्या बात करते हो.. मेरे होते हुए ये कैसे ठंडा पड़ सकता है.. अभी तुमने अपनी बहन का कमाल कहाँ देखा है… पापा ने मुझे सब सिखा दिया है कि सोए लंड को कैसे जगाया जाता है।

विजय- अच्छा दिखाओ तो अपना कमाल.. एक बात तो है पापा हैं बड़े ठरकी… एक ही दिन में तुझे पक्की रंडी बना दिया। मैं तो शाम को ही समझ गया था जब पापा ने तेरी तारीफ की थी।

रानी- हाँ ये बात तो है.. पापा बड़े हरामी हैं.. लेकिन चुदाई का उनका तरीका ऐसा है कि कोई भी लड़की उनको ना नहीं बोल सकती… क्या आराम से चोदते हैं, कसम से मज़ा आ जाता है।

विजय- चल अब तू पापा के गीत गाना बन्द कर और अपना कमाल दिखा… मैं भी तो देखूँ ऐसा कौन सा जादू करेगी तू… कि इतनी जल्दी मेरा सोया लंड खड़ा हो जाएगा।

मैंने एक हल्की सी मुस्कान दी और विजय के लौड़े के सुपारे पर अपनी जीभ घुमाने लगी.. साथ ही मैं उसकी गोटियों को सहलाने लगी। कभी लंड को मुँह में लेकर चूसती तो कभी उसके गोटियों को मुँह में लेकर चूसती..

विजय की हालत खराब हो गई। कुल 5 ही मिनट में उसका लौड़ा पिलपिले आम से कड़क केला बन गया।

विजय- अरे वाहह.. मेरी रानी तूने तो कमाल कर दिया.. चल अब घोड़ी बन जा। तेरी गाण्ड आज बड़े प्यार से मारूँगा।

मैं घोड़ी बन गई और विजय ने अपना लौड़ा मेरी गाण्ड में घुसा दिया।

उफ़फ्फ़.. कितना मज़ा आया मुझे.. आपको क्या बताऊँ।

दोस्तों गाण्ड मारने के बाद विजय ने दो बार और मेरी चूत और गाण्ड मारी। मेरे जिस्म में अब ज़रा भी ताक़त नहीं बची थी.. मैं थक कर चूर हो गई। विजय भी निढाल सा होकर वहीं ढेर हो गया था।

हम दोनों की कब आँख लग गई पता भी नहीं चला। सुबह 6 बजे मेरी आँख खुली तो मैंने जल्दी से विजय को उठाया और खुद गुसलखाने में घुस गई।

करीब आधा घंटा बाद जब मैं बाहर आई तो मैंने देखा कि विजय जा चुका था। मैं भी अपने काम में लग गई।

सुबह का दिन तो सामान्य गुजरा फिर वही शाम आई और आज अजय सबसे पहले आ गया। मैंने उसको खुश कर दिया। उससे दो बार चूत और गाण्ड मरवाई, फिर रात को पापा और विजय ने मज़े लिए।

दोस्तों अब रोज-रोज की चुदाई का क्या हाल बताऊँ आप को.. बस यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहा।

अब तो मैं लंड की आदी हो गई थी।

उफ़फ्फ़ सॉरी.. लंड की नहीं लंडों की.. अब ये घर के लौड़े मेरी जिंदगी बन गए थे।

करीब दो महीने तक यह सिलसिला चलता रहा तीनों ने मिलकर मेरी चूत का भोसड़ा और गाण्ड को गड्डा बना दिया था मगर एक बात है अब तक तीनों एक-दूसरे से छुपे हुए थे।

ख़ासकर अजय को पापा के बारे में कुछ पता नहीं था। अब तो मेरे मज़े ही मज़े थे, घर का काम तो आज भी मैं ही कर रही हूँ।

हाँ.. मगर अब कोई ना कोई मेरी मदद कर देता है.. जैसे कि अजय आया और उसका मन है चोदने का तो मैंने कह देती हूँ कि कपड़े धोने में मेरी मदद करो.. ताकि मैं जल्दी फ्री हो जाऊँ और हम मज़े से चुदाई कर सकें और हाँ.. अब तो कोई ना कोई मेरे लिए तोहफा भी ले आता.. अच्छे कपड़े और ब्रा पैन्टी सब कुछ जो मैं चाहती हूँ।

विजय ने मुझे ब्लू-फिल्म भी दिखाई उसमें एक साथ दो आदमी एक लड़की को चोद रहे थे। मेरा बहुत मन हुआ और मैंने एक प्लान बनाया।

जब 28 नवम्बर की शाम, मैं घर में अकेली थी, तभी अजय वहाँ आ गया और उसने मुझे अपनी बाँहों में ले लिया।

रानी- अरे रूको ना… क्या कर रहे हो.. हटो अभी नहीं…

अजय- मेरी जान.. कसम से बाहर एक मस्त कंटीला माल देख कर लौड़ा फुंफकार मारने लगा.. अब वो तो मेरे कहाँ हाथ आने वाली है..

इसलिए तेरे पास आ गया.. चल आजा.. अब ठंडा कर दे मुझे.. उसके बाद जो तेरी मर्ज़ी वो करना…

रानी- अच्छा साले यह बात है बाहर से गर्म होकर यहाँ ठंडा होने आया है.. चल हट.. नहीं चुदवाती मैं.. पहले मेरा एक काम करो..

अजय- तू जो बोलेगी मैं कर दूँगा लेकिन प्लीज़ पहले चुदवा ले ना यार…

रानी- नहीं.. बोला ना.. पहले मेरा काम उसके बाद चुदाई…

अजय- अच्छा बोल.. साली तू नाटक बहुत करती है आजकल…

रानी- देख तू तो जानता ही है कि तुम दोनों भाई मुझे चोदते हो.. शाम को तुम, रात को वो.. मैंने एक ब्लू-फिल्म देखी है, उसमें दो आदमी एक साथ लौड़ा डालते हैं.. मुझे वैसे ही चुदना है। अब तू बोल क्या बोलता है?

अजय- साली.. तू पागल हो गई क्या? मैं भाई के साथ तुझे कैसे चोद सकता हूँ नहीं.. नहीं.. ये ठीक नहीं होगा…

रानी- अरे डरता क्यों है? मैंने विजय से बात कर ली है.. उसी ने कहा है कि मैं तेरे को राज़ी कर लूँ और तू सोच कर देख कितना मज़ा आएगा…

अजय- क्या भाई ने ऐसा कहा.. तब तो ठीक है और हाँ मज़ा तो बहुत आएगा यार.. मगर कब और कैसे हम चुदाई करेंगे?

रानी- वो सब तू मेरे पर छोड़ दे.. बस मैं जब कहूँ तू तैयार रहना और हाँ विजय से इस बारे में अभी कोई बात मत करना.. पहले मैं कोई अच्छा सा दिन देखूँगी उसके बाद हम ये सब करेंगे ओके..

अजय- ओके.. मेरी रानी.. अब तो आजा.. मेरे लौड़े में तनाव बढ़ता जा रहा है।

रानी- अरे मेरे राजा भाई.. फिकर क्यों करता है.. मैं हूँ ना.. आज तू मेरे मुँह को चोद कर पानी निकाल ले… मेरी चूत ने लाल झंडी दिखा रखी है हा हा हा हा…

अजय- हट साली.. ये क्या हर महीने का तेरा नाटक है.. चल एक काम कर चूत नहीं तो गाण्ड ही सही.. निकाल कपड़े।

रानी- नहीं भाई… समझो आज चूत पूरी खून फेंक रही है.. कपड़े निकाले तो गड़बड़ हो ज़ाएगी।

अजय- ओह्ह.. ले देख मेरा लंड कैसे तरस रहा है.. अब मुँह से ही सही.. ले चूस.. मेरी जान.. आज तो तेरे मुँह को चोद कर ही काम चला लूँगा।

मैंने बड़े प्यार से अजय के लंड को चूसना शुरू कर दिया। अजय को मज़ा आने लगा, तब मैंने होंठ कस कर बंद कर लिए और उसको इशारा किया कि अब झटके मार..। वो कहाँ पीछे रहने वाला था.. लग गया मेरे मुँह को दे दनादन चोदने और दस मिनट में मेरे मुँह में झड़ गया।

अजय- आहह उईईइ उफ़फ्फ़.. साली तेरी इसी अदा पर तो मैं फिदा हूँ.. क्या मज़ा दिया है.. लगा ही नहीं कि मुँह को चोदा है… साली चूत से ज़्यादा मज़ा दे दिया तूने.. तो वाहह.. मेरी राण्ड बहना.. क्या मज़ा आया मुझे.. चल आज तेरे को आइस्क्रीम लाकर देता हूँ.. बस अभी गया और मेरी प्यारी रानी के लिए आइस्क्रीम लाया।

अजय के जाने के बाद मैं रात के खाने की तैयारी में लग गई।

लगभग 15 मिनट बाद अजय चॉकलेट की आइस्क्रीम ले आया, हमने मज़े से वो खाई।

रात के खाने तक सब वैसा ही रहा.. जैसा रोज होता है।

मैं 9 बजे पापा के कमरे में चली गई।

वैसे तो आज मेरी चूत के दरवाजे लौड़े के लिए बन्द थे, मगर पापा को बताना तो था ही क्योंकि वो बड़े ठरकी इंसान थे.. मुझे रोज चोदे बिना उनको सुकून कहाँ था और क्या पता आज वो भी मेरे मुँह से ही खुश हो जाएँ।

पापा- अरे क्या बात है.. मेरी जान आज बिना आवाज़ के ही आ गई.. चल आजा बैठ।

रानी- नहीं पापा आज चूत हड़ताल पर है.. आप कहो तो मुँह से पानी निकाल दूँगी। हाँ.. आज तो गाण्ड को भी भूल जाओ.. आज पहला दिन है.. कपड़े नहीं निकाल सकती।

पापा- कोई बात नहीं रानी.. आज वैसे भी मेरा मन नहीं था… पूरा बदन दुख रहा है लगता है बुखार हो गया लेकिन तेरा इस महीने का कुछ करना पड़ेगा। सोच रहा हूँ तुझसे एक बच्चा पैदा कर लूँ ताकि 9 महीने तक इस खून से पीछा छूटे।

रानी- कर लो.. किसने रोका है आप ही तो गोली लाकर देते हो ताकि बच्चा ना हो.. वरना अब तक तो पता नहीं कब का बच्चा ठहर जाता और किसका होता वो भी नहीं पता चलता।

पापा- हाँ मेरी जान.. गोली इसीलिए देता हूँ कि अगर बच्चा हो गया तो ज़्यादा मुसीबत हो जाएगी। आस-पड़ोस को क्या जबाव दूँगा। उसके बाद तू बच्चे में लग जाएगी.. हम बाप-बेटों का क्या होगा?

रानी- हाँ ये बात तो है.. अच्छा अब मैं जाती हूँ आज तो जल्दी सोने को मिल जाएगा.. काफ़ी दिनों से ठीक से सोई नहीं हूँ.. विजय को भी बता आती हूँ।

पापा से इजाज़त लेकर मैं विजय के कमरे में गई।

वो मुझे देख कर हैरान हो गया।

विजय- अरे वाहह.. क्या बात है आज इतनी जल्दी कैसे आ गई.. पापा के पास जाने का इरादा नहीं है क्या? या मेरा लौड़ा तुझे ज़्यादा मज़ा देता है हा हा हा हा…

रानी- बस बस… अपने मुँह मियां-मिठ्ठू ना बनो.. बाप.. बाप होता है और बेटा.. बेटा.. जो मज़ा पापा देते हैं.. तुम नहीं दे सकते.. उनका चोदने का समय भी तुमसे बहुत ज़्यादा होता है.. वो तो आज चूत टपक रही है… इसलिए चूत आज आराम पर है। अभी पापा को भी यही बता कर ही आई हूँ। खैर.. तुमसे एक बात करनी है।

विजय- साली कितनी अजीब बात है ना.. तुम हम तीनों से चुदवाती हो और हम तीनों को सब पता होकर भी हम अंजान बने हुए हैं.. अच्छा बता तुझे क्या बात करनी है और मेरे लौड़े का आज क्या होगा?

रानी- हाँ… अजीब बात तो है.. तेरे लौड़े को आज तू आराम दे.. और मेरी बात सुन जो ब्लू-फिल्म हमने देखी थी ना.. वो सीन हमें करना है.. साथ में अजय होगा.. बड़ा मज़ा आएगा…

विजय- नहीं यार.. ये परदा ठीक है.. इसे मत उतार और अजय इस बात के लिए कभी नहीं मानेगा।

रानी- अरे क्या बात करते हो? मैंने जब अजय को इस तरह की चुदाई के लिए बताया तो खुद उसने मुझे यह बात कही। वो तैयार है.. बस तुम ‘हाँ’ कर दो ना.. प्लीज़ बड़ा मज़ा आएगा..

विजय- चल मान ली तेरी बात… वैसे मज़ा तो बहुत आएगा। अच्छा आज तू ऐसा कर… जा सो जा। अब तो 3 दिन बाद ही हम दोनों भाई तेरी चूत और गाण्ड का मज़ा लेंगे, तब तक तरसने दे मेरे लौड़े को… उस दिन ज़्यादा जोश में आएगा हा हा हा…

विजय के साथ मैं भी हँसने लगी और उसको चुम्मी करके अपने कमरे में जाकर सो गई।

आज काफ़ी दिनों बाद सुकून की नींद मिली, वरना तो रात बस चुदाई में ही निकल जाती थी।

सुबह उठकर घर का काम किया और जैसे-तैसे करके दिन निकल गया।

शाम को अजय आया और बस कपड़े बदल कर चला गया। उसने जाते वक्त कहा कि अपने दोस्त के साथ कहीं घूमने जा रहा है तो दो दिन बाद ही लौटेगा।

रात को पापा और विजय को मैंने खाने की टेबल पर ये बता दिया। मैं सब काम निबटा कर सोने चली गई क्योंकि विजय ने पक्का कर लिया था कि अब वो अजय के साथ ही मेरे साथ चुदाई करेगा और पापा को आज भी बुखार था, सो आज भी कुछ नहीं हुआ।

दोस्तो, ये तीन दिन बड़े सुकून में गुज़रे.. हाँ.. बस एक बार मैंने पापा का लौड़ा मुँह से ठंडा जरूर किया।

आज मैं नहा कर एकदम फ्रेश हुई। वीट की पूरी ट्यूब का इस्तेमाल किया.. आज मुझे दो लौड़े एक साथ मिलने वाले थे।

शाम को मैंने अजय को सब कुछ समझा दिया था कि उसको क्या करना है।

खाने के बाद मैंने विजय को भी बता दिया कि आज हम सब कैसे मज़े लेंगे और मैं पापा के कमरे में चली गई।

पापा- आ जाओ मेरी प्यारी बेटी.. आज तो बड़ी मस्त नाइटी पहन कर आई है.. क्या बात है?

मैंने काले रंग की एक जालीदार नाइटी पहनी थी, जिसमें मेरा बदन साफ दिख रहा था। मैंने अन्दर कुछ भी नहीं पहना था।

रानी- वो पापा विजय ने लाकर दी है.. आज के खास मौके के लिए।

पापा- आज ऐसा क्या खास है.. जो तू इतनी सेक्सी बन कर घूम रही है?

रानी- है बस.. कुछ खास.. आप अपना काम करो।

पापा- अरे साली छिनाल.. मैंने तुझे इस लायक बनाया कि तू चुदाई के मज़े ले सके और मुझसे ही परदा.. ये क्या बात हुई…?

रानी- ओह्ह..पापा आप भी ना.. आज आपके दोनों बेटों को एक साथ खुश करूँगी। एक लंड गाण्ड में और दूसरे का चूत में लूँगी.. बड़ा मज़ा आएगा…

पापा- ओये..होये.. क्या बात है मेरी रानी तो अब पक्की रंडी बन गई.. मेरे दोनों बेटों को एक साथ खुश करेगी.. साली तू भी कमाल की चुदक्कड़ है, पहले मुझसे चुदवाएगी उसके बाद उन दोनों से.. लेकिन मेरी जान गाण्ड और चूत में तो वो दोनों लौड़े डाल देंगे.. मुँह का क्या करोगी? इसके लिए भी इंतजाम किया होता.. तब असली मज़ा आता…

रानी- ओह… पापा आप कितने अच्छे हो.. ये तो मैंने सोचा ही नहीं था.. प्लीज़ आप भी हमारे साथ आ जाओ ना.. मज़ा आएगा…

पापा- नहीं रानी.. ये ग़लत होगा.. वो दोनों मेरे सगे बेटे हैं, मैं उनके सामने ऐसा नहीं कर सकता… मगर हाँ.. वादा करता हूँ कि कल तुझे एक साथ तीन लंड जरूर दिलवा दूँगा.. मेरे कुछ खास दोस्तों के साथ तुझे चोदूँगा।

रानी- सच्ची पापा.. कल तीन लौड़े दिलवाओगे… वाऊ.. मज़ा आएगा.. तो ऐसा करो आज मुझे जाने दो… उन दोनों के साथ मस्ती करने दो.. कल आप अपने दोस्तों के साथ मस्ती कर लेना।

पापा- अच्छा जा.. अगर वो दोनों थक जाएँ तो मेरे पास आ जाना, मेरा लंड तेरे लिए तैयार है.. अब जा मुझे आराम से पीने दे…

पापा के कमरे से निकल कर मैं विजय के पास गई।

विजय- सुंदर अति सुंदर.. रानी आज तू किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही.. साली मुझे अपना यौवन दिखाने आई है और अब पापा के पास जाएगी.. तब तक मेरा क्या होगा और पापा तो आज तुझे कच्चा खा जाएँगे।

रानी- मेरे भोले भाई.. ऐसा कुछ नहीं होगा.. मैं पापा के कमरे से ही आ रही हूँ। आज मैंने उनसे छुट्टी ले ली है.. ताकि अपने दोनों भाइयों से आराम से चुद सकूँ। अब देर मत करो मैं अजय के कमरे में जा रही हूँ। जैसा मैंने बताया 5 मिनट बाद तुम आ जाना… ठीक है ना..!

विजय- अरे वाहह.. क्या बात है.. पापा ने तुझे आज कैसे जाने दिया साली.. तूने उन पर क्या जादू कर दिया, जो तेरी हर बात मान जाते हैं वो… अच्छा तू जा.. मैं आ रहा हूँ।

वहाँ से मैं सीधी अजय के पास गई, जो मुझे देख कर हैरान हो गया और उसका मुँह खुला का खुला ही रह गया।

रानी- अजय ऐसे क्या देख रहे हो? पहले मुझे नहीं देखा क्या.. जो आज मुँह खोल दिया.. क्या मैं अच्छी नहीं दिख रही हूँ?

अजय- अच्छी..! साली तू सेक्स की देवी लग रही है.. क्या मस्त चूचे हैं तेरे.. इस नाइटी में से झाँक रहे हैं आ मेरी जान.. मेरे पास आ जा.. उफ्फ आज तो तू मार ही डालेगी।

मैंने नाइटी निकाल कर फेंक दी और अजय को चुंबन देने लगी।

अजय भी मेरा साथ देने लगा।

हम दोनों बिस्तर पर लेट गए.. चुंबन करते-करते मैंने अजय का पजामा निकाल दिया टी-शर्ट उसने पहले ही निकाल दी थी।

अब हम दोनों नंगे एक-दूसरे से लिपटे हुए थे जैसे कोई साँप चंदन के पेड़ से लिपटता है।

हम दोनों का चुसाई का प्रोग्राम चालू था, तभी विजय कमरे में आ गया।
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