RE: Bhoot bangla-भूत बंगला
भूत बंगला पार्ट--11
गतान्क से आगे................
इशान
सुबह मेरी आँख खुली तो मेरा वो कंधा जहाँ चाकू का घाव था बुरी तरह आकड़ा हुआ था. मुझे हाथ सीधा करने में तकलीफ़ हो रही थी पर मैं जानता था के अगर रुक्मणी को पता चला तो वो फ़िज़ूल परेशान होगी. और अगर उसको ज़रा भी ये भनक लग गयी के मैं बंगलो में हुए खून के चक्कर में पड़ा हुआ हूँ तो वो मुझे खुद ही जान से मार देगी इसलिए मेरे लिए ये बहुत ज़रूरी था के कल रात की घटना का ज़िक्र उससे बिल्कुल ना करूँ.
मैं तैय्यर होकर अपने कमरे से बाहर आया तो ड्रॉयिंग रूम में कोई नही था. आम तौर पर इस वक़्त रुक्मणी घर की सफाई में लगी होती थी या किचन में खड़ी दिखाई देती थी पर उस वक़्त वहाँ कोई नही था. मुझे लगा के वो अब तक सो रही है और ये सोचकर मैं उसके कमरे की तरफ बढ़ा.
कमरे का दरवाज़ा आधा खुला हुआ था. मैने हल्के से नॉक किया तो अंदर से कोई जवाब नही आया. मैने हल्का सा धक्का दिया तो दरवाज़ा खुलता चला गया. मैं कमरे के अंदर दाखिल हुआ और एक नज़र बेड पर डाली. वो एक किंगसिज़े बेड था जिसपर रुक्मणी और देवयानी साथ सोते थे. यूँ तो घर में और भी कई कमरे थे पर दोनो बहने साथ सोती थी ताकि देर रात तक गप्पे लड़ा सकें. उस वक़्त बेड बिल्कुल खाली था. मैने कमरे में चारो तरफ नज़र डाली और जब नज़र अटॅच्ड बाथरूम की तरफ गयी तो बस वहीं जम कर रह गयी.
बाथरूम का दरवाज़ा पूरी तरह खुला हुआ था और अंदर एक औरत का पूरा नंगा जिस्म मेरी नज़र के सामने था. वो मेरी तरफ पीठ किए खड़ी थी और शवर से गिरता हुआ पानी उसके जिस्म को भीगो रहा था. एक नज़र उसपर पड़ते ही मैं समझ गया के वो देवयानी है. यूँ तो मुझे फ़ौरन अपनी नज़र उसपर से हटा लेनी चाहिए थी पर उस वक़्त का वो नज़ारा ऐसा था के मेरे पावं जैसे वहीं जाम गये. सामने खड़े उस नंगे जिस्म को मैं उपेर से नीचे तक निहारता रहा. रुक्मणी और देवयानी में शकल के सिवा एक फरक ये भी था के देवयानी जिम और एरोबिक्स क्लास के लिए जाती थी जिसकी वजह से उसका पूरा जिस्म गाथा हुआ था. कहीं भी ज़रा सी चर्बी फालतू नही थी जबकि रुक्मणी एक घरेलू औरत थी. चर्बी उसपर भी नही थी पर जो कसाव देवयानी के जिस्म में था वो रुक्मणी के जिस्म में नही था. उसकी कमर 26 से ज़्यादा नही थी पर गांद में बला का उठान था. उसका पूरा शरीर जैसे एक साँचे में ढला हुआ था.
"क्या देख रहे हो इशान?"
मैं उसको देखता हुआ अपनी ही दुनिया में खोया हुआ था के देवयानी की आवाज़ सुनकर जैसे नींद से जागा. वो जानती थी के पिछे खड़ा मैं उसको नंगी देख रहा हूँ. ये ख्याल आते ही मैं जैसे शरम से ज़मीन में गड़ गया.. अचानक वो मेरी तरफ पलटी और उसके साथ ही मैं भी दूसरी तरफ पलट गया. अब मेरी पीठ उसकी तरफ थी और वो मेरी तरफ देख रही थी.
"क्या देख रहे थे?" उसने फिर से सवाल किया
"आपको दरवाज़ा बंद कर लेना चाहिए था. मैं रुक्मणी को ढूंढता हुआ अंदर आ गया और बाथरूम का दरवाज़ा भी खुला हुआ था इसलिए ....... " मुझे समझ नही आया के इससे आगे क्या कहूँ.
"रुक्मणी तो सुबह सुबह ही मंदिर चली गयी थी और रही दरवाज़े की बात, घर में तुम्हारे सिवा कोई और है ही नही तो दरवाज़ा क्या बंद करना. और तुम? तुमसे भला कैसी शरम" वो मेरे पिछे से बोली
"मतलब?" मैने सवाल किया
"इतने भी भोले मत बनो इशान" उसकी आवाज़ से लग रहा था के वो अब ठीक मेरे पिछे खड़ी थी "मैं जानती हूँ के तुम्हारे और मेरी बहेन के बीच क्या रिश्ता है. उसने मुझे नही बताया पर बच्ची नही हूँ मैं. इतने बड़े घर में तुम फ्री में रहते हो और किराए के बदले मेरी बहेन को क्या देते हो ये भी जानती हूँ मैं"
उसकी बात सुनकर मुझे थोड़ा गुस्सा आ गया. ये बात वो एक बार पहले भी कह चुकी थी और इस बार ना जाने क्यूँ मैने उसको जवाब देने का फ़ैसला कर लिया और इसी इरादे से मैं उसकी तरफ पलटा.
मुझे उम्मीद थी के मुझे वहाँ खड़ा देखकर उसने कुच्छ पहेन लिए होगा पर पलटकर देखते ही मेरा ख्याल ग़लत साबित हो गया. वो बिना कुच्छ पहने वैसे ही नंगी बाथरूम से बाहर आ गयी थी और मेरे पिछे खड़ी थी. उसको नंगी देखकर मैं फ़ौरन फिर से दूसरी तरफ पलट गया. यूँ तो मैने बस एक पल के लिए ही नज़र उसपर डाली थी पर उस पल में ही मेरी नज़र उसकी चूचियो से होकर उसकी टाँगो के बीच काले बालों तक हो आई थी.
"क्या हुआ?" वो बोली "पलट क्यूँ गये? मेरी बहेन पसंद है, मैं पसंद नही आई?"
मैने जवाब नही दिया
"देखो मेरी तरफ इशान" उसने दोबारा कहा
अगर मैं चाहता तो उसको वहीं बिस्तर पर पटक कर चोद सकता था और एक पल के लिए मेरे दिमाग़ में ऐसा करने का ख्याल आया भी. पर सवाल रुक्मणी का था. मैं जानता था के वो मुझे बहुत चाहती है और अगर अपनी बहेन के साथ मेरे रिश्ते की भनक भी उसको पड़ गयी तो उसका दिल टूट जाएगा. रुक्मणी के दिल से ज़्यादा फिकर मुझे इस बात की थी के वो मुझे घर से निकाल देगी और इतने आलीशान में फ्री का रहना खाना हाथ से निकल जाएगा. एक चूत के लिए इतना सब क़ुरबान करना मुझे मंज़ूर नही था.
देवयानी पिछे से मेरे बिल्कुल मेरे करीब आ गयी. उसका एक हाथ मेरी साइड से होता हुआ सीधा पेंट के उपेर से मेरे लंड पर आ टीका.
"मैं जानती हूँ के तुम भी यही चाहते हो" कहते हुए उसने अपना सर मेरे कंधे पर पिछे से टीका दिया, ठीक उस जगह जहाँ कल रात चाकू की वजह से घाव था.
दर्द की एक तेज़ ल़हेर मेरे जिस्म में दौड़ गयी और जैसे उसके साथ ही मैं ख्यालों की दुनिया से बाहर आ गया. मैं दर्द से कराह उठा जिसकी वजह से देवयानी भी चौंक कर एक कदम पिछे हो गयी.
"क्या हुआ?" उसने पुचछा
"मैं चलता हूँ" मैने कहा और उसको यूँ ही परेशान हालत में छ्चोड़कर बिना उसपर नज़र डाले कमरे से निकल आया.
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"कैसे आना हुआ?" मिश्रा ने चाय का कप मेरे सामने रखते हुए पुचछा
उस दिन कोर्ट में मेरी कोई हियरिंग नही थी इसलिए पूरा दिन मेरे पास था. ऑफीस जाने के बजे मैने प्रिया को फोन करके कहा के मैं थोड़ा देर से आऊंगा और सीधा पोलीस स्टेशन जा पहुँचा.
"वो तुझे बताया था ना मैने के बंगलो 13 के बारे में एक बुक लिखने की सोच रहा हूँ?" मैने कहा
मिश्रा ने हां में सर हिलाया
"तो मैं सोच रहा था के उसके पुराने मलिक के बारे मीं कुच्छ पता करूँ और वहाँ हुए पहले खून के बारे में कुच्छ और जानकारी हासिल करूँ" मैने कहा
मिश्रा ने सवालिया नज़र से मेरी तरफ देखा जैसे पुच्छ रहा हो के मैं उससे क्या चाहता हूँ.
"तो मैं सोच रहा था के क्या मैं अदिति मर्डर केस की फाइल पर एक नज़र डाल सकता हूँ?" मैने पुचछा
मिश्रा ने थोड़ी देर तक जवाब नही दिया. बस मेरी तरफ खामोशी से देखता रहा.
"पक्का किताब के लिए ही चाहिए ना इन्फर्मेशन?" उसने पुचछा
"नही. गाड़े मुर्दे उखाड़ने के लिए चाहिए. अदिति के भूत से प्यार हो गया है मुझे" मैने कहा तो हम दोनो ही हस पड़े.
"पुचछा पड़ता है यार. क्लासिफाइड इन्फर्मेशन है और साले तू दोस्त है इसलिए तुझे दे रहा हूँ. आए काम कर इधर आ" मिश्रा ने एक कॉन्स्टेबल को आवाज़ दी
मिश्रा के कहने पर वो कॉन्स्टेबल मुझे लेकर रेकॉर्ड रूम में आ गया. अदिति मर्डर केस बहुत पुराना था इसलिए वो फाइल ढूँढने में हम दोनो को एक घंटे से ज़्यादा लग गया. फाइल मिलने पर मैं वहीं एक डेस्क पर उसको पढ़ने बैठ गया और जो इन्फर्मेशन मेरे काम को हो सकती थी वो सब अलग लिखने लग गया. मुझे कोई अंदाज़ा नही था के मैं ये सब क्यूँ कर रहा था. सोनी मर्डर केस का इस मर्डर से कोई लेना देना नही था सिवाय इसके के दोनो एक ही घर में हुए थे. सोनी मर्डर पर मेरी मदद रश्मि सोनी को चाहिए थी पर अदिति मर्डर केस में मुझसे किसी ने मदद नही माँगी थी और इतनी पुरानी फाइल्स खोलने के मेरे पास कोई वजह भी नही थी सिवाय इसके के उस बंगलो में अक्सर रातों में लोगों ने किसी को गाते सुना था और आजकल मुझे भी एक गाने की आवाज़ तकरीबन हर रोज़ सुनाई देती थी.
आधे घंटे की मेहनत के बाद मैने फाइल बंद कर दी. जो इन्फर्मेशन मुझे अपने काम की लगी और जो मैने लिख ली वो कुच्छ यूँ थी.
* अदिति कौन थी और कहाँ से आई थी ये कोई नही जानता था. उसके बारे में जो कुच्छ भी फाइल्स में था वो बस वही था जितना उसने अपने पति को खुद बताया था.
* फाइल्स के मुताबिक अदिति के पति ने पोलीस को बताया था के अदिति कहीं किसी गाओं से आई थी. उसके माँ बाप बचपन में ही मर गये थे और किसी रिश्तेदार ने उसको पालकर बड़ा किया था. पर वो उसके साथ मार पीट करते थे इसलिए वो वहाँ से शहेर भाग आई थी ताकि कुच्छ काम कर सके.
* वो देखने में बला की खूबसूरत थी. यूँ तो पोलीस फाइल्स में उसकी एक ब्लॅक & वाइट फोटो भी लगी हुई थी पर उसमें कुच्छ भी नज़र नही आ रहा था. बस एक धुँधला सा चेहरा.
* उसकी खूबसूरती की वजह से उसको नौकरी ढूँढने में कोई परेशानी नही हुई. बंगलो 13 में उसने सॉफ सफाई का काम कर लिया और बाद में उसके मालिक से शादी भी कर ली.
* उसके पति के हिसाब से शादी की 2 वजह थी. एक तो उसकी खूबसूरती और दूसरा उनके बीच बन चुका नाजायज़ रिश्ता. वो घर में सफाई के साथ बंगलो के मालिक का बिस्तर भी गरम करती थी. मलिक एक बहुत ही शरिफ्फ किस्म का इंसान था और उसको लगा के उसने बेचारी उस लड़की का फयडा उठाया है इसलिए अपने गुनाह को मिटाने के लिए उसने घर की नौकरानी को घर की मालकिन बना दिया.
* उसके पति के हिसाब से शादी के बाद ही अदिति के रंग ढंग बदल गये थे. जो एक बात अदिति ने खुद ही उसके सामने कबूल की थी वो ये थी के वो पहले भी किसी के साथ हमबिस्तर हो चुकी थी पर कौन ये नही बताया और ना ही उसके पति ने जाने की कोशिश की क्यूंकी वो गुज़रे कल को कुरेदने की कोशिश नही करना चाहता था.
* अदिति का नेचर बहुत वाय्लेंट था. वो ज़रा सी बात पर भड़क जाती और उसके सर पर जैसे खून सवार हो जाता था. इस बात का पता पोलीस को पड़ोसियों से भी चला था.
* उसके पति ने बताया था के शादी के बाद एक बार खुद अदिति ने ये बात कबुली थी के उसका कहीं पोलीस रेकॉर्ड भी रह चुका था. कहाँ और क्यूँ ये उसने नही बताया.
और सबसे ख़ास बातें
* अदिति की लाश पोलीस को कभी नही मिली. उसके पति के हिसाब से उसने उसको मारा, फिर काटकर छ्होटे छ्होटे टुकड़े किए और जला दिया. ये बात एकीन करने के लायक नही थी क्यूंकी हर किसी ने उस वक़्त इस बात की गवाही दी थी के अदिति का पति बहुत ही शांत नेचर का आदमी था.
* अदिति का खून हुआ इस बात का फ़ैसला सिर्फ़ इस बिना पर हुआ था के उसके पति के जुर्म कबूल किया था पर और वो हथ्यार पेश किया था जिसपर अदिति के खून के दाग थे.
* अदिति गाती बहुत अच्छा थी. उसके पति के हिसाब से हर रात उसके गाने की आवाज़ से ही उसको नींद आती थी.
* आखरी कुच्छ दीनो में उसके पति को शक हो चला था के अदिति का कहीं और चक्कर भी है. अदिति ने अक्सर अपने पति को अपने गाओं के एक दोस्त के बारे में बताया था जिसके साथ वो शहेर आई थी पर खून के बाद पोलीस उस आदमी का कुच्छ पता नही लगा सकी.
* उसके पति के हिसाब से, अदिति को उसकी जानकारी के बाहर एक बच्चा भी था, शायद एक बेटी क्यूंकी उसे लगा था के उसने अदिति को अक्सर किसी छ्होटी बच्ची के लिए चीज़ें खरीदते देखा था.
मैं पोलीस रेकॉर्ड रूम से बाहर आया तो मिश्रा कहीं गया हुआ था. पोलीस स्टेशन से निकलकर मैं अपनी गाड़ी में आ बैठा और ऑफीस की तरफ बढ़ गया.
पोलीस स्टेशन से मैं ऑफीस पहुँचा तो प्रिया जैसे मेरे इंतेज़ार में ही बैठी थी.
"कहाँ रह गये थे? कहीं डेट मारके आ रहे हो क्या?" मुझे देखते ही वो बोल पड़ी
मैने एक नज़र उसपर डाली तो बस देखता ही रह गया. ये तो नही कह सकता के वो बहुत सुंदर लग रही थी पर हां मुझे यकीन था के अगर वो उस हालत में सड़क पर चलती तो शायद हर मर्द पलटकर उसको ही देखता. उसने ब्लू कलर की एक शॉर्ट शर्ट पहनी हुई थी और नीचे एक ब्लॅक कलर की जीन्स. वो शर्ट ज़ाहिर था के उसकी बड़ी बड़ी चूचियो की वजह से उसके जिस्म पर काफ़ी टाइट थी और सामने से काफ़ी खींच कर बटन्स बंद किए गये थे. उसको देखने से लग रहा था के शर्ट के बटन अभी टूट जाएँगे और च्चातियाँ खुलकर सामने आ जाएँगी. यही हाल नीचे उसकी जीन्स का भी था. वो बहुत ज़्यादा टाइट थी जिसमें उसकी गांद यूँ उभर कर सामने आ रही थी के अगर वो प्रिया की जगह कोई और होती तो शायद मैं किसी जानवर की तरह उसपर टूट पड़ता.
मेरे दिमाग़ में अब भी अदिति के बारे में वो बातें घूम रही थी इसलिए मैं बस उसको देखकर मुस्कुराया और जाकर अपनी सीट पर बैठ गया. मेरे यूँ खामोशी से जाकर बैठ जाने की वजह से उसको लगा के मैं किसी बात को लेकर परेशान हूँ इसलिए वो मेरी डेस्क के सामने आकर बैठ गयी.
"कुच्छ नही ऐसे ही" मैने उसको कहा "तुमने खाना खाया?"
"मूड खराब है?" उसने सवाल किया "या थके हुए हो?"
"नही ऐसा कुच्छ नही है" मैने हस्ने की फ़िज़ूल कोशिश की जो शायद उससे भी छुप नही सकी.
"मैं जानती हूँ के आपकी थकान कैसे दूर करनी है" कहते हुए वो उठी और घूमकर मेरी टेबल के उस तरफ आई जिधर मैं बैठा हुआ था. ये उसकी आदत थी के जब मैं थका होता तो अक्सर मेरे पिछे खड़े होकर मेरा सर दबाती थी और उसकी ये हरकत असर भी करती थी. उसके हाथों में एक जादू सा था और पल भर में मेरी थकान दूर हो जाती थी.
पर जाने क्यूँ उस वक़्त मेरा मंन हुआ के मैं उसको रोक दूं इसलिए जैसे ही वो मेरी तरफ आई मैने अपना चेहरा उठाकर उसकी तरफ देखा. पर उस वक़्त तक वो मेरे काफ़ी करीब आ चुकी थी और जैसे ही मैने चेहरा उसकी तरफ उठाया तो मेरा मुँह सीधा उसकी एक चूची से जा लगा. लगना क्या यूँ कहिए के पूरा उसकी छाती में ही जा घुसा.
"आइ आम सॉरी" मैने जल्दी से कहा.
"अब सीधे बैठिए" उसने ऐसे कहा जैसे उसको इस बात का कोई फरक ही ना पड़ा हो और मेरे पिछे आ खड़ी हुई.
थोड़ी ही देर बाद मैं आँखें बंद किए बैठा और उसके मुलायम हाथ मेरे सर पर धीरे धीरे मसाज कर रहे थे. कई बार वो मसाज करते हुए आगे को होती या मेरा सर हल्का पिछे होता तो मुझे उसकी चूचिया सर के पिच्छले हिस्से पर महसूस होती. ये एक दो तरफ़ा तकरीना साबित हुआ मेरी थकान उतारने का. एक तो उसका यूँ सर दबाना और पिछे से मेरे सर और गले पर महसूस होती उसकी चूचिया. पता नही वो ये जान भूझकर कर रही थी या अंजाने में या उसको इस बात का एहसास था भी या नही.
"बेटर लग रहा है?" उसने मुझे पुचछा तो मैने हां में सर हिला दिया
थोड़ी देर बाद मेरा सर दबाने के बाद उसके हाथ मेरे फोर्हेड पर आ गये और वो दो उंगलियों से मेरा माथा दबाने लगी. ऐसे करने के लिए उसको मेरा सर पिछे करके मेरा चेहरा उपेर की ओर करना पड़ा. ऐसा करने का सीधा असर ये हुआ के मेरा सर जो पहले उसकी चूचियो पर कभी कभी ही दब रहा था अब सीधा दोनो चूचियो के बीच जा लगा, जैसे किसी तकिये पर रख दिया गया हो. मेरी आँखें बंद थी इसलिए बता नही सकता के उस वक़्त प्रिया के दिमाग़ में क्या चल रहा था या उसके चेहरे के एक्सप्रेशन्स क्या थे पर मैं तो जैसे जन्नत में था. एक पल के लिए मैने सोचा के आँखें खोलकर उसकी तरफ देखूं पर फिर ये सोचकर ख्याल बदल दिया के शायद वो फिर शर्मा कर हट जाए. दूसरी तरफ मुझे खुद पर यकीन नही हो रहा था के मेरी वो सेक्रेटरी जिसे मैं एक पागल लड़की समझता आज उसी को देख कर मैं सिड्यूस हो रहा था.
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