RE: Kamukta Kahani पिंकी की ब्लू फिल्म
मेने तय कर लिया था कि आज शाम को जब अरुण कॉलेज से वापस आएगा तो में घर पर ना होने का बहाना कर छुप कर फिर उसे देखोंगी. और मुझे उमीद थी कि वो कल की तरह मुझे घर पर ना पाकर फिर मेरी पॅंटी में मूठ मरेगा. जब अरुण का आने का समय हो गया तो मेने अपनी दिन भर पहनी हुई पॅंटी कपड़ों के ढेर पे फैंक दी और कमरे से बाहर जा कर खिड़की के पीछे चुप गयी. मेने अरुण के लिए एक नोट लिख कर छोड़ दिया था की में रात को देर से घर आवँगी. अरुण जैसे ही घर आया तो उसने घर पर किसी को ना पाया. वो सीधे मेरे कमरे पहुँचा और मेरी छोड़ी हुई पॅंटी उठा कर सूंघने लगा. उसने अपनी पॅंट खोली और अपने खड़े लंड के चोरों और मेरी पॅंटी को लगा मूठ मारने लगा. दूसरे हाथ से उसने दूसरी पॅंटी उठा सूंघ रहा था. में पागलों की तरह अपने भाई को मूठ मारते देख रही थी. मेने सोच लिया था कि में चुप चाप कमरे में जाकर अरुण को ये करते हुए रंगे हाथों पकड़ लूँगी. में चुपके से खिड़की से हटी और दबे पाँव चलते हुए अपने कमरे के पास पहुँची. कमरे का दरवाज़ा तोड़ा खुला था. में धीरे से कमरे में दाखिल हो उसे देखने लगी. उसकी आँखें बंद थी और वो मेरी पॅंटी को अपने लंड पे लापते ज़ोर ज़ोर से हिला रहा था. "अरुण ये क्या हो रहा है?" में ज़ोर से पूछा. उसने मेरी ओर देखा, "ओह मर गये." कहकर वो बिस्तर से उछाल कर खड़ा हो गया. जल्दी से अपनी पॅंट उपर कर बंद की और मेरी पॅंटी को मेरे कपड़ों को ढेर पे रख दी. उसकी आँखों में डर और शरम के भाव थे. हम दोनो एक दूसरे को घुरे जा रहे थे. "आइ आम सॉरी, में इस तरह कमरे में नही आना चाहती थी, पर मुझे मालूम नही था कि तुम मेरे कमरे में होगे." मेने कहा. अरुण मुँह खोल कुछ कहना चाहता था, पर शायद डर के मारे उसके ज़ुबान से एक शब्द भी नही निकला. "तुम ठीक तो हो ना?" मेने पूछा. "मुझे माफ़ कर दो." वो इतना ही कह सका. मुझे उसपर दया आ रही थी, में उसे इस तरह शर्मिंदा नही करना चाहती थी. "कोई बात नही, अब यहाँ से जाओ और मुझे नाहकार कपड़े बदलने दो." मेने शांत स्वरमे कहा जैसे कि कुछ हुआ ही नही है. उसने अपनी गर्दन हिलाई और चुपचाप वहाँ से चला गया. रात तक वो अपने कमरे में ही बंद रहा. जब मम्मी कम पर से वापस आ खाना बनाया तो हम सब खाना खाने डिन्निंग टेबल पर बैठे थे. अरुण लेकिन शांत ही बैठा था. "बेटा अरुण क्या बात है आज इतने खामोश क्यों बैठे हो?" मम्मी ने पूछा. "कुछ नही मा बस थक गया हूँ," उसने मेरी और देखते हुए जवाब दिया. में उसे देख कर मुस्कुरा दी और वो भी मुस्कुरा दिया. खाने खाने के बात रात में मेने उसके कमरे पर दस्तक दी, उसने दरवाज़ा खोला. "हाई" मेने कहा. "हाई" "क्या बात है आज बात नही कर रहे, तुम ठीक तो हो?" मेने पूछा. "ऐसे तो ठीक हूँ, बस आज जो हुआ उसकी शर्मिंदगी हो रही है." उसने जवाब दिया. "शर्मिंदा होने की ज़रूरत नही है, ये सब होते रहता है, पर ये काब्से चल रहा है मुझे सच सच बताओ?" मेने कहा. "वो ऐसा है ना मेरा दोस्त जे, तुम तो उसे जानती ही हो. वो तुमसे प्यार करता है. उसने मुझे 100 रुपए दिया अगर में उसे तुम्हारे में कमरे में लाकर तुम्हारी पॅंटी दिखा दू." "तो क्या तुम उसे लेकर आए?" मेने पूछा. "मुझे कहते हुए शर्म आ रही है, पर में उसे लेकर आया था और उसने तुम्हारी पॅंटी को सूँघा था. उसने मुझे भी सूंघने को कहा और में अपने आपको रोक ना पाया. तुम्हारी पॅंटी को सूंघते हुए में इतना गरमा गया कि में आज आपने आपको वापस ये करने से रोक ना पाया." "वैसे तो बहोत गंदी हरकत थी तुम दोनो की, फिर भी मुझे अच्छा लगा." मेने हंसते हुए कहा, "तुम्हारा जब जी चाहे तुम ये कर सकते हो." "सही में! क्या में अभी कर सकता हूँ? मम्मी पापा सो रहे है." उसने पूछा. "एक ही शर्त पर जब में देख सकती हूँ तभी." मेने कहा. हम लोग बिना शोर मचाए मेरे कमरे में पहुँचे.
मेने टीवी ऑन कर दिया और कमरा बंद कर लिया जिससे सब यही समझे कि हम टीवी देख रहे है. अरुण मेरे कपड़ों के पास पहुँच मेरी पॅंटी को ले सुंगने लगा. "मुज़ेः देखने दो." हंसते हुए मेने उसेके हाथ से अपनी पॅंटी खींची और ज़ोर सूँघी, "एम्म्म अहसी स्मेल है." हम दोनो धीमे से हँसे और बेड पर बैठ गये. "तो तुम दिन में कितनी बार मूठ मारते हो?" मेने पूछा. "दिन में कमसे कम 3 बार." उसने जवाब दिया. "क्या तुम ये जे को बताओगे कि आज मेने तुम्हे ये करते हुए पकड़ लिया?" मेने फिर पूछा. "अभी तक इसके बारे मैने सोचा नही है." "मेने जे को कई बार तुम्हारे साथ देखा है. दिखने में स्मार्ट लड़का है." मेने कहा. "वो तुम्हे पाने के लिए तड़प रहा है." उसने कहा. "तुम्हे क्या लगता है मुझे उसके साथ सोना चाहिए?" मेने पूछा. "हां इससे उसका सपना पूरा हो जाएगा." उसने कहा. हम दोनो कुछ देर तक यूँ ही खामोश बैठे रहे, फिर मैं उसकी आँखों मे झँकते हुए मुस्कुरा दी. "अरुण अगर तुम मुझे अपना लंड दिखाओ तो में तुम्हे अपनी चूत दिखा सकती हूँ." मेने कहा. अरुण ने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए हां कर दी. हम दोनो कुछ देर चुप चाप ऐसे ही बैठे रहे आख़िर उसने पूछा "पहले कौन दिखाएगा?" "मुझे नही पता." मेने शरमाते हुए कहा. "तुम मेरा लंड दिन में देख चुकी है इसलिए पहले तुम्हे अपनी चूत दिखानी होगी." वो बोला. "ठीक है पहले मैं दिखाती हूँ, लेकिन तुम्हे दुबारा से अपना लंड दिखना होगा, पहली बार में आछे से देख नही पाई थी." मेने कहा. उसने गर्दन हिला हां कर दी. में बिस्तर से उठ उसके सामने जाकर खड़ी हो गयी. मेने अपनी जीन्स के बटन खोल कर उसे नीचसे खिसका दी और अपनी काली पॅंटी भी नीचे कर दी. अब मेरी गुलाबी चूत ठीक उसके चेहरे के सामने थी. अरुण 10 मिनिट तक मेरी चूत को घूरते रहा. मेने अपनी जीन्स उपर खींच बटन बंद कर बिस्तर पर बैठ गयी, "अब तुम्हारी बारी है." अरुण बिस्तर से खड़ा हो अपनी जीन्स और शॉर्ट्स नीचे खिसका दी. उसका 7 इंची लंड उछाल कर बाहर आ गया.
क्रमशः........................
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