RE: Kamukta Sex अमेरिका रिटर्न बंदा
अमेरिका रिटर्न बंदा--2
गतान्क से आगे…………………………..
"उहह, प्पल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लज़्ज़्ज़. भाई" "चुम्मा लिए बगैर तो नहीं जाने दूँगा" कहते हुए पंकज झुका ओर उसके होन्टो को चूम लिया. "बोलो! दे रही हो चुम्मा, या यूँ ही हाथ फेरता रहूं अपनी सेक्सी बहन के बदन पर, " "आप ने ले तो लिया" प्रिया की निगाहे झुकी जा रही थी. एरपोर्ट का चुम्मा तो भाई के प्यार जताने का तरीका था लेकिन यह चुम्मा उसकी ज़िंद'जी का पहला चुम्मा था ओर वो उसकी सर'सराहट को महसूस कर रही थी. वो ना चाहते हुए भी इसे एंजाय कर रही थी. . "यह भी कोई चुम्मा था. चुम्मा तो वो होगा जो तुम खुद अपनी मर्ज़ी से दोगि ओर मैं जब तक जाम खाली ना कर दूं इन लबों को छोड़ने वाला तो नहीं" शरारत से कहते हुए दूसरा हाथ भी दरार से उठ कर चुतडो पर रखा ओर दोनो हाथों से टाइट स्क्वीज़ दी. प्रिया ने निकलती सिसकारी को होन्ठ दबा-कर रोका ओर कुच्छ कहने की कोशिश की लेकिन पंकज ने फिर बाधा दी. "प्यारी बहना! दे दो वरना यूँही हाथ फेरता रहूँगा ओर जहाँ दिल चाहा चुम्मा भी करूँगा, " यह कहते हुए एक कातिलाना मुस्कुराहट पंकज के चह'रे पर सज गयी थी और एक हाथ चुतड से हटा कर साम'ने की तरफ लाया ओर सीधा आगे से दोनो टाँगों के बीच मे पहूंचा दिया. अपनी चूत को बचाने के लिए प्रिया कुच्छ भी ना कर पाई सिवाए आउच कहने के. प्रिया ने पीछे हट'ना चाहा पर पीछे दीवार ही थी. जाती कहाँ सो कस मसा कर रह गयी. उसे इस खैल मैं अब मज़ा आने लगा था लेकिन साथ साथ डर भी लग रहा था के कोई आना निकले यहाँ. "ठीककक है. सिर्फ़ एक, " होल से शरमाते हुए कहा, "गुड. यह हुई ना बात!!" कहते हुए पंकज ने अपने दोनो हाथों के प्याले मे प्रिया का चेह'रा थाम लिया ओर उसके होन्टो पर झुक गया. पंकज अप'नी बहन के मस्ताने होन्ठो को ना जाने कित'नी देर चूस'ता रहा. प्रिया ने भी आँखें बंद कर ली थी. फिर अचानक प्रिया हड'बड़ा के पंकज से हटी और भाग कर अप'ने कम'रे में चली गई. इस घट'ना के बाद प्रिया पंकज के साम'ने अकेली पड़'ने से कत'राने लगी.
कुच्छ दिन फिर यूँही बीत गये. पर प्रिया के साथ जो भी पंकज ने किया था उस'से उस'की हिम्मत और बढ़ गयी. एक दिन पंकज जैसे ही अपने बेडरूम का दरवाज़ा खोल कर अंदर घुसा नीता को अंदर ही पा कर अपनी आँखे गोल गोल घुमाने लगा. नीता बेड पर झुकी झुकी पंकज के सूट केस को खाली कर रही थी. उसे यह अहसास ही ना हो सका के उसका अमेरिका में बिग'ड़ा हुवा देवर अंदर आन पहूंचा है. पंकज कुच्छ देर खड़ा खड़ा अप'नी मस्त भाभी की सुडोल गान्ड का नयन सुख लेता रहा. फिर वा अपने कदम भाभी की ओर बढ़ाने लगा. बाज़ाहिर तो नीता सूट केस से कप'ड़े निकालने मे ही मगन थी लेकिन उसका ज़हन पंकज मे ही खोया हुवा था और होन्टो पर हल्की सी मुस्कुराहट जमी हुई थी. चुतडो ओर चूचियों पर पंकज के हाथ की शैतानियत उसके दिल को गुद गुदाये दे रही थी ओर इसी दोरान पंकज उसके पीछे आ खड़ा हुवा ओर उसे पता ही ना चला के कब पंकज कम'रे मे अंदर आया ओर कब उसके पीछे आकर खड़ा हो गया. झुकने की वजह से नीता की गान्ड कुच्छ आगे को बाहर निकल आई थी और यह देख कर पंकज के हाथ बे-क़ाबू से हो गये ओर सीधे हाथ से फूले हुए चुतडो पर एक धप सी रसीद कर दी ओर नीता सहमी हुई आवाज़ के साथ उच्छल सी पड़ी. और हड'बड़ा कर जैसे ही पलटी पंकज को अपने साम'ने पा कर उसके हाथों के तोते उड़ गये. आख़िर हिम्मत बटोर के उस'ने कहा,"यहाँ क्यों आए हो, बाहर जाओ. अभी मैं काम कर रही हूँ. " "नोप!!! मैं नहीं जाऊँगा, यहीं बैठा हूँ आप अपनी सफाई जारी रखिए" शरारत से पंकज ने कहा ओर नीता की साइड से निकल कर वहीं बिस्तर पर सीधा लेट गया ऑर शरा'रत से नीता को देखते हुए सीटी बजाने लगा. अचानक पंकज एक दम से उठा ओर लपक कर दरवाज़ा बंद कर दिया. "यह क्या बद-तमीज़ी है ओर अभी तुम ने यह पीछे से क्या किया था" झूट मूट का गुस्सा दिखाते हुए नीता ने कहा, "बद-तमीज़ी?, बद-तमीज़ी कहाँ थी. मेरी मस्तानी भाभी, मैने तो प्यार किया था. " पंकज ने दाँत निकाले ओर कदम नीता की तरफ बढान शुरू कर दिए, "देखो!!! बद-तमीज़ी की नहीं हो रही है, हां, शराफ़त से यहाँ बगल में बैठ जाओ मैं तुम्हारे सूट केस से कपड़े निकाल कर हॅंगर मे सेट कर देती हूँ." बोखलाते हुए नीता ने पीछे खिसकना शुरू किया. "ओके, ओके, बैठ जाता हूँ भाई साइड पे. डर क्यों रही हैं. " यह कहते हुए पंकज सूट केस के बरा बर मे ही बैठ गया.
"थोड़ा उधर हो कर बैठो या वहाँ चेर पर जा कर बैठो, " मून-मूनाते हुए नीता ने कहा. "अब हर बात नहीं मानूँगा भाभी वैसे भी आप ने कुच्छ दिखाने का कहा था अपनी. " अपनी आँखे नीता की चूत की तरफ फोकस करते हुए कहा, हाय रे मैने ककब कहा बेशरम, मारूंगी एक हाथ" नीता एक दम बोखला सी गयी."बेशरम थोड़ी सी भी लज्जा नहीं आती इस तरह से बात करते हुए" गुस्सा दिखाते हुए वो एक बार फिर सूट केस पर झुक गयी ओर पंकज उसे सिर से पैर तक खा जाने वाली निगाहों से घूर्ने लगा ओर इन निगाहो की तपिश नीता अपने पूरे जिश्म पर महसूस कर रही थी और बोख'लाहट मे जो कपड़े निकाल चुकी थी; उन्हे फिर सूट केस मे ठूँसने लगी ओर जब अहसास हुवा तो झुँ'झला सी गयी. "क्या है पंकज, काम क्यों नहीं करने दे रहे" गुस्सा दिखाते हुए नीता ने सीधे हो कर कहा, "कुच्छ दिखा दें. चला जाऊँगा, " यह कहते हुए पंकज ने जीभ निकाल दी. "बेशरम, ठहरो तुम एक मिनिट, अभी बताती हूँ तुम्हें" यह कहते हुए नीता उसे झूट मूट मारने के लिए झुकी ओर पंकज जैसे इसी मोक़े की तलाश मे था. एक झटका ही देना था ओर नीता चारों खाने उसकी छाती पर चित थी. पंकज का एक हाथ फॉरन नीता के चुतडो पर गया ओर दूसरा हाथ ब्लाउस के खुल्ले हिस्से पर, "ककक्किया कर रहे हो, छोड़ो, लोफेर कहीं के. " एक दम से कस'मसाते हुए नीता ने बा-मुश्किल कहा, ओर पंकज की गिरफ़्त से आज़ाद होने के लिए मचलने लगी. किसी चिकनी मछलि की तरह. भाभी को हाथों से निकलते देख कर पंकज ने बाँहों मे लिए लिए ही एक करवट ली ओर अब नीता पंकज के नीचे आचुकी थी और कस'मसाहट मे उस'में पहले जैसी ज़िद-ओ-जहद बाकी ना रही. "कुच्छ नहीं करूँगा मेरी गरमा गरम भाभी, सिर्फ़ प्यार करूँगा ओर आपकी यह रसीली सी चूत देखूँगा. " साऱी के ऊपर से ही चूत को अपने लौडे से रगर्ते हुए कहा. लौडे की चुभन नीता ने भी फॉरन महसूस कर ली ओर उस पर पंकज की सॉफ इशारा कर'ती बाते, जिस'से नीता एक दम लाल सी हो गयी. हट जाओ हां देवर जी, अब चीखूँगी ना तो देवर जी इतने जूते पड़ेंगे ना , सारी चू. . . " ओर एक दम से अपनी जीभ दाँतों तले दाब ली, पंकज भी समझ चुका था के यह 'चू' सिर्फ़ चू नहीं था बलके चूत की तरफ इशारा किया जा रहा था. "चीखैंगी तो आप बिल्कुल भाभी, अमेरिका मे काफ़ी लौन्डियो की ली है ओर जिसे भी चोदा वो चीखती ज़रूर थी. , " यह कह'ते ही पंकज झुका ओर नीता के दहक'ते लबों पर अपने होन्ठ रख दिए ओर मज़ा ही आगया, सीधे दोनो हाथ अपनी भाभी के जोबन पर थे ओर होन्ठ अपनी प्यास बुझा रहे थे. नीता के अंदर एक तूफान सा बरपा हो रहा था. पंकज के हाथ ओर होन्ठ दोनो अपना कमाल दिखा रहे थे. "वंडरफुल!! आह भाभी क्या रसीले होन्ठ हैं आप के. दिल चाहता है यह जम पीता ही रहूं" एक हाथ से उनकी चूची को दबाते हुए कहा. "जी तो दिखाएँ अब अपनी प्यारी प्यारी चूत." गालों को चूमते हुए पंकज ने कहा. "बेशरम ना हो तो." शरम से लाल होते हुए नीता सिर्फ़ यही कह पाई. "मैं कल ही तुम्हारे भैया से कककहती हूँ के तुम्हारे लिए कोई लड़की देखे, बब्बेशरररम. आहह, " मम्मो पर पंकज के हाथों का दबाव कुच्छ ज़्यादा बढ़ गया तो सिसकारियों को नीता रोक ना पाई.
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