XXX Kahani सहेली क़ी खातिर
06-28-2017, 11:06 AM,
#6
RE: XXX Kahani सहेली क़ी खातिर
वो मेरी चूंचियों के बीच अपना लंड आगे पीछे करने लगा। बाबू ने मेरी बगल में आकर अपना लंड मेरे मुँह में घुसेड़ दिया। तीनों अब मेरे शरीर से खेलने लगे। मैं भी बहुत गरम हो गयी थी। इन सब के बीच मेरा एक बार पानी निकल गया। सबसे पहले दीपक ने मेरी चूंचियों और चेहरे के ऊपर अपने लंड का पानी गिरा दिया। फिर बाकी दोनों ने मुझे उठा कर घोड़ी की तरह बनाया और पीछे की तरफ से मेरी चूत में बाबू ने अपना लंड डाल दिया। दिनेश के लंड को अभी भी मैं चूस रही थी। मैंने अपनी चूत का पानी दूसरी बार बाबू के लंड पर छोड़ दिया। दोनों काफी देर तक मुझे इसी तरह चोदते रहे और फिर दोनों एक साथ झड़ गए। बाबू के पानी ने मेरी चूत को भर दिया और दिनेश ने मेरे मुँह को अपने वीर्य से भर दिया। कुछ देर मेरे मुँह में स्खलित होने के बाद दिनेश ने अपना लंड मेरे मुँह से खींच कर बाहर निकाल लिया और बाकी ढेर सारा वीर्य मेरे चेहरे पर और मेरे चूंचियों पर गिरा दिया। तीनों थक कर पसर गये। मैं खुद को साफ करने के लिए उठना चाहती थी मगर उन्होंने मुझे उठने नहीं दिया और मुझे वैसे ही वीर्य से सने हुए पड़े रहने को कहा। इसी तरह आसन बदल-बदल कर रात भर और कईं दौर चले। दीपक और दिनेश तो दो दिन से काफी मेहनत कर रहे थे इसलिए मुझ में दो बार स्खलित हो कर थक गये। मगर बाबू ने मुझे रात भर काफी चोदा। सुबह हम नहा धो कर तैयार होकर वापस आ गये। मैं थक कर चूर हो रही थी। बुआ ने मुझे पूछा, “क्यों रात को ढँग से सो नहीं पायी क्या?” मैंने सहमती में सिर हिलाया। दीपक मुझे देख कर मुस्कुरा दिया। अगले दिन तक राज ठीक हो गया था लेकिन तब तक मैंने काफी सैर कर ली थी। बहुत घुड़सवारी हो चुकी थी मेरी। उसके बाद भी मौका निकाल कर उन दोनों ने मुझे कईं बार चोदा। हफ्ते भर बाद हम वापस आ गए और उसके बाद उनसे मुलाकात ही नहीं हुई दोबारा। मैं अपनी ससुराल में काफी खुश थी। मुझे बहुत अच्छा ससुराल मिला था। राज शेखर की बहुत ही अच्छी नौकरी थी। वो एक कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर थे। काफी अच्छी सैलरी और पर्क्स थे। मुझे मेरी प्यारी सहेली एक ननद के रूप में मिली थी। हम दोनों में खूब घु थी। केशव कभी-कभी आता था मगर मैं उससे हमेशा बचती थी। अब उसका साथ भी अच्छा लगने लगा था। उसने रिटा के प्रेगनेंनसी की बात झूठी सुनायी थी, जिससे कि मैं विरोध छोड़ दूँ। लेकिन केशव ने मुझे ग्रूप सैक्स का जो चस्का लगाया था उसे दीपक और दिनेश ने जम कर हवा दे दी थी। अब हालत यह थी कि मुझे एक से चुदवाने में उतना मजा नहीं आता था, लगता था सारे छेद एक साथ बींध दे कोई। रिटा और केशव दोनों खूब चुदाई करते थे। राज कभी कभी कईं दिनों तक बाहर रहता था और तब मुझे सैक्स की भूख बहुत सताती थी। मैं केशव को ज्यादा लिफ्ट नहीं देना चाहती थी। केशव कीjoint familyथी। उसमे उसके अलावा दो बड़े भाई और दो बहनें थीं। दो भाई और एक बहन की शादी हो चुकी थी। अब केशव और सबसे छोटी बहन बची थी सिर्फ। रिटा की शादी एक साल बाद दिसंबर के महीने में तय हुई। उसकी शादी गाँव से हो रही थी। मैं पहली बार उसकी शादी के सिलसिले में गाँव पहुँची। वहाँ आबादी कुछ कम थी। पुराने तरह के मकान थे। राज के परिवार वालों का पुशतैनी मकान अच्छा था। उसके ताऊजी वहाँ रहते थे। मुझे खुली-खुली हवा में सोंधी-सोंधी मिट्टी की खुशबू बहुत अच्छी लगी। कमरे कम थे इसलिए एक ही कमरे में जमीन पर बिस्तर लगता था। शाम को जिसे जहाँ जगह मिलती सो जाता। एक रात को मैं काम निबटा कर सोने आयी तो देखा कि मेरे राज के पास कोई जगह ही नहीं बची। वहाँ कुछ बुजुर्ग सो रहे थे। बाकी सब सो चुके थे, सिर्फ मैं और माताजी यानि मेरी सास बची थी। वो भी कहीं जगह देख कर लुढ़क पड़ी। मैंने दो कमरे देखे मगर कोई जगह नहीं मिली। फिर एक कमरे में देखा कि बीच में कुछ जगह खाली है। सर्दी के कारण सब रजाई ओढ़े हुए थे और रोशनी कम होने के कारण पता नहीं चल रहा था कि मेरे दोनों और कौन कौन हैं। मैं काफी थकी हुई थी इसलिए लेटते ही नींद आ गयी। मैं चित्त होकर सो रही थी। बदन पर एक सूती साड़ी और ब्लाऊज़ था। सोते वक्त मैं हमेशा अपनी ब्रा और पैंटी उतार कर सोती थी। अभी सोये हुए कुछ ही देर हुई होगी कि मुझे लगा कि कोई हाथ मेरे बदन पर साँप की तरह रेंग रहा है। मैं चुपचाप पड़ी रही। वो हाथ मेरी चूंची पर आकर रुके। उसने धीरे से मेरी साड़ी हटा कर मेरे ब्लाऊज़ के अंदर हाथ डाला। वो मेरे निप्पलों को अपनी अँगुलियों से दबाने लगा। मैं गरम होने लगी उसकी हर्कतों से। मैंने कोशिश की जानने की कि मेरे बदन से खेलने वाला कौन है। मगर कुछ पता नहीं चला क्योंकि मैं हिल भी नहीं पा रही थी। वो काफी देर तक मेरे निप्पलों से खेलता रहा। उसकी हर्कतों से मेरे निप्पल सख्त हो गये और मेरी चूंची भी एक दम ठोस हो गयी। अब उसके हाथ मेरी नंगे पेट पर घूमते हुए नीचे बढ़े। उसने अपना हाथ मेरी साड़ी के अंदर डालना चाहा लेकिन नाड़ा कस कर बँधा होने के कारण वो अपना हाथ साड़ी के अंदर नहीं डाल पाया। उसने मेरी साड़ी उठानी शुरू कर दी। क्रमशः.............
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RE: XXX Kahani सहेली क़ी खातिर - by sexstories - 06-28-2017, 11:06 AM

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