RE: XXX Kahani सहेली क़ी खातिर
सहेली क़ी खातिर पार्ट--2
गतांक से आगे .............. थोड़ी देर बाद सुरेश उठा और मुझे हाथों पैरों के बल बिस्तर पर झुकाया और खुद बिस्तर के नीचे खड़े होकर मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया। वो जोर जोर से मुझे पीछे की और से ठोकने लगा। मेरे चेहरे को पकड़ कर केशव ने अपने ढीले पड़े लंड पर दबा दिया। मैं उसका मतलब समझ कर उसके ढीले लंड को अपनी जीभ निकाल कर चाटने लगी। मैं पूरे लंड को अपनी जीभ से चाट रही थी। सुरेश जोर जोर से मुझे पीछे से ठोक रहा था। कुछ ही देर में केशव का लंड धीरे धीरे वापस खड़ा होने लगा। अब वो मेरे बालों से मुझे पकड़ कर अपने लंड पर मेरा मुँह ऊपर नीचे चलाने लगा। काफी देर तक मुझे पीछे से चोदने के बाद सुरेश ने अपना वीर्य उसमें छोड़ दिया। केशव ने मुझे उठा कर जमीन पर पैर चौड़े कर के खड़ा किया और बिस्तर के किनारे बैठ कर मुझे अपनी गोद में दोनों तरफ पैर करके बिठा लिया। उसका लंड वापस मेरी चूत में घुस गया। मैं उसके घुटनों पर हाथ रख कर अपने शरीर को उसके लंड पर ऊपर नीचे चलाने लगी। कुछ देर तक इसी तरह चोदने के बाद वो वापस मेरे अंदर खलास हो गया। इस बार मैंने भी उसका साथ दिया। हम दोनों एक साथ झड़ गये। सुरेश ने खाना मँगा लिया था। हम उसी तरह नंगी हालत में डीनर करके वापस बिस्तर पर आ गये। मुझ से तो कुछ खाया ही नहीं गया। सारा बदन लिजलिजा हो रहा था। दोनों ने मुझे अबतक अपना बदन साफ भी नहीं करने दिया था और ना ही मुझे सैंडल उतारने की इजाज़त दी थी। खाना खाने के बाद मैं उनका सहारा लेकर उठी तो मैंने पाया कि पूरे बिस्तर पर खून के कुछ कुछ धब्बे लगे थे। मैं सुरेश के कँधे का सहारा लेकर बाथरूम में गयी। लेकिन वहाँ भी उन्होंने दरवाजा बँद नहीं करने दिया। उन दोनों की मौजूदगी में मैं शरम से पानी पानी हो गयी। वापस बिस्तर पर आकर कुछ देर तक दोनों मेरे एक एक अँग से खेलते रहे और मेरी उसी नंगी हालत में अलग अलग पोज़ में कईं फोटो खींचे। फिर मेरी चुदाई का दूसरा दौर चालू हुआ। यह दौर काफी देर तक चलता रहा। इस बार सुरेश ने मुझे अपने ऊपर बिठाया और अपना लंड अंदर डाल दिया। इस हालत में उसने मुझे खींच कर अपने सीने से सटा लिया। मेरे दोनों पैर घुटनों से मुड़े हुए थे और इसलिए मेरे चूत्तड़ ऊपर की और उठ गए। केशव ने मेरी चुदती हुई चूत में एक अँगुली डाल कर हमारे रस को बाहर निकाला औरे एक अँगुली से मेरी गाँड में अंदर तक इस रस को लगाने लगा। मैं उसका मतलब समझ कर उठना चाहती थी मगर दोनों ने मुझे हिलने भी नहीं दिया। केशव ने अपनी अँगुली निकाल कर गाँड पर अपना लंड सटा दिया। मैं छटपटा रही थी। उसने जोर से अपना लंड अंदर ढकेला। ऐसा लगा मानो कोई मेरी गाँड को डंडे से फाड़ रहा हो। मैं “आआआआआआईईईईईईईईई ऊऊऊऊऊऊउउउउम्म्म आआआआहहहहह मुझे छोड़ दो….” जैसा कह कर रोने लगी। मगर उसके लंड के आगे का मोटा हिस्सा अब अंदर जा चुका था। मैंने दर्द से अपने होंठ काट लिए मगर वो आगे बढ़ता ही जा रहा था। पूरा अंदर डालने के बाद ही वो रुका। फिर दोनों मेरे चिल्लाने की परवाह किए बिना ही धक्के मारने लगे। ऊपर से केशव धक्का मारता तो सुरेश का लंड मेरी चूत में घुस जाता। जब केशव अपना लंड बाहर खींचता तो मैं उसके लंड के साथ थोड़ा ऊपर उठती और सुरेश का लंड बाहर की और आ जाता। इसी तरह मुझे काफी देर तक दोनों ने चोदा फिर एक साथ दोनों ने मेरे दोनों छेदों में अपने अपने वीर्य डाल दिए। मैं भी उनके साथ ही झड़ गयी। रात भर कई दौर अलग-अलग पोज़ में हुए, मैं तो गिनती ही भूल गयी। लगभग चार बजे के करीब हम एक ही बिस्तर पर आपस में लिपट कर सो गए। सुबह सढ़े नौ बजे दरवाजे की घंटी बजने पर नींद खुली। मैंने पाया कि पूरा बदन दर्द कर रहा था। मैंने अपने शरीर का जायजा लिया। मैं बिस्तर पर आखिरी चुदाई के वक्त जैसे लेटी थी अभी तक उसी तरह ही लेटी हुई थी। सुरेश शायद सुबह उठकर जा चुका था। केशव ने उठ कर दरवाजा खोला तो तेजी से रिटा अंदर आयी। बिस्तर पे मुझ पर नज़र पड़ते ही चीख उठी, “निशी की क्या हालत बनायी है तुमने? तुम पूरे राक्षस हो। बेचारी के फूल से बदन को कैसी बुरी तरह कुचल डाला है।” वो बिस्तर पर बैठ कर मेरे चेहरे पर और बालों पर हाथ फेरने लगी। टेस्टी माल है” केशव ने होंठों पर जीभ फिराते हुए बेहुदगी से कहा। रिटा मुझे सहारा देकर बाथरूम में ले गयी। बाथरूम में मैं उससे लिपट कर रो पड़ी। उसने मेरे सैंडल उतार कर मुझे नहलाया। मैं नहा कर काफी ताज़ा महसूस कर रही थी। कपड़े बाहर बिस्तर पर ही पड़े थे। ब्रा और पैंटी के तो चीथड़े हो चुके थे। सलवार का भी उन्होंने नाड़ा तोड़ दिया था। मैंने बाथरूम में अपने सैंडल पहने और उसी हालत में मैं रिटा के साथ कमरे में आयी। अब इतना सब होने के बाद पूरी नग्न हालत में केशव के सामने आने में कोई शर्म महसूस नहीं हो रही थी। वो बिस्तर के सिरहाने पर बैठ कर मेरे बदन को बड़ी ही कामुक नज़रों से देख रहा था। जैसे ही मैंने अपने कपड़ों की तरफ हाथ बढ़ाया, उसने मेरे कपड़ों को खींच लिया। हम दोनों की नज़र उसकी तरफ उठा गयी। “नहीं… अभी नहीं,” उसने मुस्कुराते हुए कहा,”अभी जाने से पहले एक बार और” “नहींईंईंईं” मेरे मुँह से उसकी बात सुनते ही निकल गया। “अब क्या जान लोगे इसकी? रात भर तो तुमने इसे मसला है। अब तो छोड़ दो इसे।” रिटा ने भी उसे समझाने की कोशिश की। मगर उसके मुँह में तो मेरे खून का स्वाद चढ़ चुका था। “नहीं इतनी जल्दी भी क्या है। तू भी तो देख अपनी सहेली को चुदते हुए।” केशव एक भद्दी तरह से हँसा। पता नहीं रिटा कैसे उसके चक्कर में पड़ गयी थी। अपने ढीले पड़े लंड की और इशारा करके रिटा से कहा, “चल इसे मुँह में लेकर खड़ा कर।” रिटा ने उसे खा जाने वाली नज़रों से देखा लेकिन वो बेहुदी तरह से हँसता रहा। उसने रिटा को खींच कर पास पड़ी एक कुर्सी पर बिठा दिया और अपना लंड चूसने को बोला। रिटा उसके ढीले लंड को कुछ देर तक ऐसे ही हाथ से सहलाती रही और फिर उसे मुँह में ले लिया। केशव ने रिटा की कमीज़ और ब्रा उतार दी। ज़िंदगी में पहली बार हम दोनों सहेलियाँ एक दूसरे के सामने नंगी हुई थी। रिटा का बदन भी काफी खूबसूरत था। बड़े बड़े बूब्स और पतली कमर। किसी भी लड़के को दीवाना बनाने के लिए काफी था। केशव मेरे सामने ही उसके बूब्स को सहलाने लगा। केशव ने एक हाथ से रिटा का सिर पकड़ रखा था और दूसरे हाथ से उसके निप्पलों को मसल रहा था। चेहरे से लग रहा था कि रिटा गर्म होने लगी है। मैं बिस्तर पर बैठ कर उन दोनों की रास-लीला देख रही थी। और अपने को उसमें शामिल किए जाने का इंतज़ार कर रही थी। मैंने अपने बदन पर नज़र दौड़ायी। मेरे दोनों बूब्स पर अनेकों दाँतों के निशान थे। मेरी चूत सूजी हुई थी। जाँघों पर भी दाँतों के निशान थे। निप्पल भी सूजे हुए थे। रिटा ने कोई पेन-किलर खिलाया था बाथरूम में जिसके कारण दर्द कुछ कम हुआ था। मैं उन दोनों का खेल देख देख कर कुछ गर्म होने लगी थी। केशव लगातार रिटा के मुँह को चोद रहा था। केशव का लंड खड़ा होने लगा। उसे देख कर लगता ही नहीं था कि उसने रात भर मेरी चूत में वीर्य डाला है। मुझे तो पैरों को सिकोड़ कर बैठने में भी तकलीफ हो रही थी और वो था कि साँड की तरह मेरी दशा और भी बुरी करने के लिए तैयार था। पता नहीं कहाँ से इतनी गर्मी थी उसके अंदर। उसका लंड कुछ ही देर में एक दम तन कर खड़ा हो गया। अब उसने रिटा को खड़ा करके उसके बाकी के कपड़े भी उतार दिए। अब रिटा मेरी तरह ही सिर्फ अपने हाई हील सैंडल पहने हुए पूरी तरह नंगी थी। रिटा को वापस कुर्सी पर बिठा कर केशव ने उसकी चूत में अपनी अँगुली डाल दी। अँगुली जब बाहर निकली तो वो रिटा के रस से भीगी हुई थी। केशव ने उस अँगुली को मेरे होंठों से छूआ। “ले चख कर देख… कैसी मस्त चीज है तेरी सहेली।” मैं मुँह नहीं खोल रही थी मगर उसने जबरदस्ती मेरे मुँह में अपनी अँगुली घुसा दी। अजीब सा लगा रिटा के रस को चखना। “पूरी तरह मस्त हो गयी है तेरी सहेली” उसने मुझ से कहा और अपना लंड रिटा के मुँह से निकाल लिया। उसका काला लंड रिटा के थूक से चमक रहा था। फिर मुझे उठा कर उसने रिटा पर कुछ इस तरह झुका दिया कि मेरे दोनों हाथ रिटा के कँधों पर थे और मैं उसके कँधों का सहारा लिए झुकी हुई थी। मेरे बूब्स रिटा के चेहरे के सामने झूल रहे थे। केशव ने मेरी टाँगों को फैलाया और मेरी चूत में वापस अपना लंड डाल दिया। लंड जैसे-जैसे भीतर जा रहा था, ऐसा लग रहा था मानो कोई मेरी चूत की दीवारों पर रेगमाल (सैंड-पेपर) घिस रहा हो। मैं दर्द से “आआआआहहहह्ह” कर उठी। पता नहीं कितनी देर और करेगा। अब तो मुझ से रहा नहीं जा रहा था। वो मुझे पीछे से धक्के लगाने लगा तो मेरे बूब्स रिटा के चेहरे से टकराने लगे। रिटा भी उत्तेजना में कसमसा रही थी। वो पहली बार मुझे इस हालत में देख रही थी। हम दोनों बहुत पक्की सहेलियाँ जरूर थीं मगर लेस्बियन नहीं थी। केशव ने मेरा एक निप्पल अपनी अँगुलियों में पकड़ कर खींचा तो मैंने दर्द से बचने के लिए अपने बदन को आगे की और झुका दिया। उसने मेरे निप्पल को रिटा के होंठों से छुवाया। “ले चूस चूस अपनी सहेली के मम्मों को।” रिटा ने अपने होंठ खोल कर मेरे निप्पल को अपने होंठों के बीच दबा लिया। केशव मेरे बूब्स को जोर जोर से कुछ इस तरह मसलने लगा कि मानो वो उन से दूध निकाल रहा हो। मेरी चूत में भी पानी रिसने लगा। मैं”आआआआहहहहह ऊऊऊऊहहहहह ऊऊऊऊईईईईईई माँआआआआआ उउउफ्फ्फ्फ” जैसी आवाजें निकाल रही थी। कमरे में चुसाई और चुदाई की “फच फच” की आवाज गूँज रही थी। वो बीच-बीच में रिटा के बूब्स को मसल देता था। केशव ने मेरे बाल अपनी मुठ्ठी में भर लिए और अपनी तरफ खींचने लगा जिसके कारण मेरा चेहरा छत की तरफ उठा गया। कोई पँद्रह मिनट तक मुझे इसी तरह चोदने के बाद उसने अपना लंड बाहर निकाला और हमें खींच कर बिस्तर पर ले गया। बिस्तर पर घुटनों के बल हम दोनों को पास-पास चौपाया बना दिया। फिर वो कुछ देर रिटा को चोदता तो कुछ देर मुझे। काफी देर तक इसी तरह चुदाई चलती रही। मैं और रिटा दोनों ही झड़ चुके थे। उसके बाद भी वो हमें चोदता रहा। काफ़ी देर बाद जब उसके झड़ने का समय हुआ तो उसने हम दोनों को बिस्तर पर बिठा कर अपने- अपने मुँह खोल कर उसके वीर्य को मुँह में लेने को बाध्य कर दिया और ढेर सारा वीर्य मेरे और रिटा के मुँह में भर दिया। हम दोनों के मुँह खुले हुए थे और उनमें वीर्य भर हुआ था और मुँह से छलक कर हमारे बूब्स पर और बदन पर गिर रहा था। वो हमें इसी हालत में छोड़ कर अपने कपड़े पहन कर कमरे से निकल गया। कई घंटों तक रिटा मेरी तीमारदारी करती रही, जब तक मैं नॉरमल चल सकने लायक ना हो गयी। फिर हम किसी तरह घर लौट आये। मैं अपने घर तो शाम को पहुँची क्योंकि होटल से सीधे रिटा के घर गयी थी। भगवान का शुक्र है किसी को पता नहीं चला।
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