RE: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस
दोनो के लब अलग हुए ,चंपा बहुत ज़ोर-2 से साँसे लेने लगी ,उसकी चुचिया भी
उसकी सांसो के साथ उपर नीचे हो रही थी, दीपक सीधा हुआ अपने लंड को चंपा की
चूत के मूह पर देखा ,लंड थोड़ा अंदर जा चुका था, अपनी कमर पीछे करके एक
हल्का सा धक्का दिया ,लंड थोडा अंदर गया ,चंपा ने बेड को अपने दोनो हाथ से
पकड़ लिया
दीपक के लंड पे पानी लग चुका था ,चंपा की भट्टी का , चंपा ने अपनी आँखें
पूरे ज़ोर मे बंद कर रखी थी ,एक मिनट तक दीपक ने धक्का नही मारा , जैसे ही
चंपा ने अपनी आँखें खोली दीपक ने अपनी कमर हिला के लंड को और अंदर किया
,चंपा फिर सिहहररर उठी
चंपा पहले काफ़ी बार ये सब कर चुकी थी पर आज ,दीपक के साथ उसे कुछ अलग ही
मज़ा आ रहा था , मानो वो आज आसमान मे उड़ रही हो ,, दीपक आज तक कभी ऐसे कभी
किसी औरत के साथ सोया नही था ,उसे ये तो पता था के चंपा जागया से प्यार
करती थी ,और वो उनकी फिल्म भी देख चुका था,पर वो ना जाने क्यू चंपा की तरफ
खिचता चला जा रहा था
दीपक ने अपनी कमर हिलाई और एक ज़ोर से धक्का मारा , चंपा के मूह से आहह
निकली पर इस बार वो खुद चाहती थी के दीपक और ज़ोर से धक्के मारे
दीपक: मेरी तरफ देखो
ये बोलते ही ,दीपक ने धक्का मारा और पूरा लंड अंदर तक पहुच चुका था
दो मिनट तक दोनो एक दूसरे को देखते रहे , चंपा की गर्मी बढ़ रही थी, उसने
अपनी कमर खुद हिला कर लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया
दीपक ने चंपा की कमर को ज़ोर से पकड़ लिया , धीरे से अपना लंड बाहर निकाला
और जड़ तक डाल दिया , वो चंपा को तरसा रहा था धक्के भी धीरे-2 लगा रहा था ,
वो चंपा की आग को और भड़का रहा था
दीपक: क्या हुआ?
चंपा: कर दीजिए
दीपक: क्या करू ?
चंपा शरर्मा गयी ,और अपना चेहरा छुपा के हस्ने लगी, दीपक ने उसके दोनो हाथो
को पकड़ कर अलग किया, चंपा की आँखें ज़ोरो से बंद थी पर चेहरे पर एक हल्की
सी हँसी थी
दीपक ने एक ज़ोर से धक्का मारा , चंपा की आँखे खुद बा खुद खुल गयी , चंपा
भी अपनी कमर हिला रही थी , दीपक जान बूझ कर धीरे -2 धक्के मार रहा था ,
चंपा अपनी कमर को हिलाते हुए ,मूह से हल्की आवाज़ और तेज़ी से साँसे ले रही
थी
दीपक ने अपने धक्को को तेज़ किया और नीचे चंपा के धक्को से मिला दिया , जब
दीपक धक्का मार के उपर होता चंपा अपनी कमर उपर उठा देती ,ओर वैसे की दीपक
जब धक्का मार के लंड अंदर करता , चंपा कमर को बेड पर रख देती ,दोनो एक
दूसरे का शिकार कर रहे थे
दोनो जिस्म एक दम आपस मे चिपके हुए थे , धक्को के साथ-2 लबो को चूसना जारी
था
दीपक ये पहली बार कर रहा था, पर दिव्या के साथ बीताए पल उसे अभी भी याद थे
चंपा की साँसें तेज़ होती जा रही थी , उसने धक्के लगाना भी बंद कर दिया था
,दीपक के धक्को की रफ़्तार तेज़ हो चुकी थी
चंपा का शरीर ढीला पड़ा , पहला झटका लगा ,दीपक को झटके का एहसास हुआ उसने
धक्के रोक दिए ,सामने चंपा की तरफ देखा उसके चेहरे पर एक सकून था ,जैसे
किसी प्यासे की प्यास भुज गयी हो ,दीपक ने फिर धक्के लगाने शुरू किए इस बार
वो भी बहुत करीब पहुच चुका था ,चंपा का गरम पानी दीपक के पूरे लंड को भिगा
चुका था
दीपक को लगा के वो झड़ने वाला है ,सामने चंपा तो जैसे एक नशे मे थी ,उसे
कुछ होश नही था
दीपक ने जल्दी से लंड बाहर निकाला और उसका पानी हवा मे उछला सीधा चंपा की
कमर पर पहली बूँद गिरी, चंपा की नज़रे उसी को देख रही थी ,उसका वीरया थोड़ा
उसकी चूत और बेड पे गिरा
दीपक ज़ोर-2 से साँस ले रहा था, उसकी नज़रे चंपा की नज़रो से मिली हुई थी
,मानो दोनो एक दूसरे को ऐसे ही देखते रहना चाहते हो
दीपक बेड से नीचे हुआ,सामने खड़ा होकर चंपा की तरफ ही देख रहा था,बेड पे
लेटी चंपा को शर्म आ रही थी ,चंपा ने बेड से नीचे देखा उसकी ब्रा और पॅंटी
पास मे ही पड़ी थी
जल्दी से खड़ी हुए कपड़े उठाए और बाथरूम की तरफ गयी
बाथरूम मे घुसते ही , चंपा दरवाज़े के पीछे खड़ी तेज़ साँसें ले रही थी,
उसके चेहरे पर एक अलग सी खुशी थी, कपड़े पहन लेने के बाद भी चंपा बाहर नही
गयी , कदम बढ़ाती फिर रुक जाती पता नही उसके मन मे क्या था
बाहर दीपक अपने कपड़े पहन चुका था और चंपा का इंतेज़ार कर रहा था, आधा घंटा
हुआ पर चंपा बाहर नही आई
चंपा बाहर जल्दी से जाना चाहती थी ,पर दरवाज़े पर हाथ लगाते ही ,पीछे हट
जाती थी
थोड़ी देर बाद तक जब चंपा बाहर नही आई , दीपक बाथरूम के पास गया , बाहर से
दरवाज़ा खत खाटाया
दीपक: चंपा तुम ठीक तो हो
अंदर से चंपा जवाब तो देना चाहती थी पर उसकी ज़बान कुछ बोल नही पाई , दीपक
ने दरवाज़े पर दबाव बनाया , दरवाज़ा खुला हुआ था , अंदर चंपा को जब लगा के
दीपक यही आ रहा है , वो मुड़ के खड़ी हो गयी
दरवाज़ा खुला सामने चंपा , दीवार की तरफ मूह करके खड़ी हुई थी , दीपक अंदर
गया , उसके कंधे को छूने के लिए हाथ बदाया पर वापस अपना हाथ खींच लिया
दीपक: (आराम से बोला) चंपा इधर देखो
दीपक की आवाज़ सुनते ही ,चंपा और आगे हो गयी ,दीवार से जा चिपकी , दीपक को
ऐसा लगा के उसने ये सब ग़लत कर दिया है
दीपक, चंपा के पास गया उसके कंधे पर हाथ रखा
दीपक: मुझ से कोई ग़लती हो गयी
चंपा ने सामने गर्दन ना मे हिला के जवाब दिया
दीपक: तो मेरी तरफ देखो
चंपा ने फिर गर्दन ना मे हिलाई
दीपक पीछे से चंपा के करीब गया ,उसके दोनो कंधो पर अपना हाथ रखा ,और उसे
अपनी तरफ करने लगा , चंपा अपने दोनो हाथो को बाँधे पीस रही थी, उसकी नज़रे
नीचे थी चहरे पर एक हल्की से मुस्कान थी
दीपक: क्या हुआ , कुछ बोलो
चंपा कुछ नही बोली ,सीधा दीपक के कंधे पर अपना सिर रख दिया , दीपक ने अपने
हाथ उसकी कमर के पीछे बाँधे और ज़ोर से जाकड़ लिया
थोड़ी देर तक दोनो मे से कोई नही बोला ,दीपक ने अपना मूह खोला
दीपक: चंपा मुझे बहुत ज़ोर की भूक लगी है , खाना खिला दो
चंपा ,दीपक से अलग हुए ,उसकी आँखों मे देखा , हल्का सा मुस्कुरई
चंपा: 5मिनट दीजिए अभी तैयार करती हू
ये बोल कर दोनो बाथरूम से बाहर आए
दीपक खाना खा के बेड पर बैठा था के चंपा सामने आकर खड़ी हो गयी,उसकी नज़रे
अभी भी नीचे ही थी
दीपक: चंदू आया नही अभी तक
चंपा: आता ही होगा,आप उसके साथ जाएँगे
दीपक: जाना तो पड़ेगा चंपा ,ऐसे बैठ नही सकता मैं
चंपा: पर आपका जखम
दीपक ने चंपा का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ किया
दीपक: चिंता मत करो मुझे कुछ नही होगा
...
राणे पुरानी फाइल्स को छान रहा ,धूल मिट्टी से भरा कमरा ,चारो तरफ धूल से
धक्की फाइल्स पड़ी थी
राणे: बाबू राम आज मिट्टी से नहाना पड़ेगा भाई
हवलदार: सर आप जा कर बैठे मुझे बताए क्या ढूंडना है
राणे: ह्म्*म्म्म प्रमोशन तुहार पक्का है
ये सुनते ही बाबूराम खुश हो गया, राणे अभी भी फाइल्स को छान रहा था,बहुत
साल पुराने केसस की फाइल्स थी सब धूल मिट्टी से धक्की पड़ी थी
हवलदार: साहेब आप की पगार कितना है
राणे: क्यू पूछ रहे हो ,हम लोन नही देते भैया
हवलदार: नही साहेब मे तो इसलिए पूछ रहा था के ,कल को जब मे पोलीस
इनस्पेक्टर बनूंगा तब मेरी पगार कितनी होगी
राणे: चिंता मत करो सब पता चल जाएगा
थोड़ी देर बाद कुछ फाइल्स उठाई और उस कमरे से बाहर दोनो आए, दोनो धूल मे
लथपथ थे , अपना मूह हाथ धोने के बाद राणे अपनी कुर्सी पर बैठा
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