RE: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस
दीपक: माफ़ कर दो मुझे
चंपा ने अपनी आँखें उपर करी ,और दीपक को देखने लगी ,धीर से उसके पास आई
चंपा: साहेब जी मे आपसे बहुत प्यार करती हू( ये कहते हुए भी उसकी नज़रे
नीची थी वो अपनी आँखें बंद किए हुई थी,उसका गला सुख चुका था बोलने की
हिम्मत नही कर पा रही थी)
दीपक चंपा के करीब आया उसका चेहरा अपने हाथो मे लेकर
दीपक: (धीरे से बोला) जो तुमने मेरे लिए किया है ,शायद ही कोई किसी के लिए
करता , पिछले कुछ दीनो मे मुझे तुम से प्यार हो गया ,पर मैं कह नही पाया ,
कहने के लिए जब कोशिश करता तब मेरी हिमत जवाब दे जाती
चंपा उसकी आँखों मे देखे जा रही थी, बोलना चाहती थी पर रुक जाती थी
दीपक ने उसके माथे को चुम्मा , अपने हाथो को उसके पेट पे घुमा रहा था,चंपा
की साँसे तेज़ हो रही थी,बार-2 अपनी आँखें बंद कर लेती
चंपा ,दीपक के गले लग पड़ी (मानो एक शरीर ही था वाहा दोनो एक दूसरे से
चिपके हुए थे)
दीपक चंपा की पीठ पर हाथ फैरे जा रहा था, चंपा उसके बालो मे उंगलिया कर रही
थी ,और उसे अपनी तरफ खींचे जा रही थी ,दीपक ने चंपा के गले पर चूमा ,चंपा
एक दम से ढीली पड़ गयी एक बार फिर उसके शरीर मे बिजली दौड़ पड़ी थी
चंपा: साहेब जी मे भी आपसे बहुत प्यार करती हू ,पर मे एक छोटे घर से, घरो
मे काम करने वाली नौकरानी और आप इतने बड़े आदमी
दीपक ने एक बार फिर उसके गले को चूमा और अपनी जीभ उसके कंधे से लेकर कान तक
फिरा दी
दीपक: चंपा मे नही मानता ये उच नीच (ये बोलते हुए चंपा के गालो को चूम
लिया)
चंपा को मानो इतनी गर्मी मे भी ठंड लगने लगी थी ,वो काँप रही थी
दीपक: इधर देखो
दोनो ने एक दूसरे की आँखों मे देखा ,दीपक ने अपने लब चंपा के लबो पर लगा
दिए ,इस बार चंपा ने भी होंठो को चूस्ते हुए अपनी हामी भरी
दीपक ने एक बार फिर अपना हाथ चंपा की बाई चुचि पे रखा ,चंपा एक दम से ठंडी
पड़ी पर वाहा से हटी नही ,दीपक ने चंपा के शरीर मे झटका महसूस किया ,और
अपना हाथ खुद ही हटा लिया
दोनो एक दूसरे के होंठो को चूस्ते जा रहे थे ,पर दीपक अब फिर अपने हाथो को
पेट पर घुमा रहा था ,उसकी हिमत नही हो पा रही थी अपना हाथ दुबारा उपर ले
जाने की ,चंपा उसका पूरा साथ दे रही थी
चंपा समझ रही थी के दो बार उसकी हामी ना मिल पाने के वजा से दीपक अब आगे
नही बढ़ रहा ,चंपा ने दीपक के लबो को अपने लबो से अलग किया ,उसके हाथ को
अपने हाथ मे लिया उसकी उंगलियो मे अपनी उंगलिया घुसा ,उपर हाथ उठाया और खुद
ही अपनी चुचि पे रख दिया
दीपक ने अपने हाथ का दबाव उसकी चुचि पे बनाया ,चंपा के मूह से आहह निकल
पड़ी,कमीज़ के उपर से ही निप्पेल को पकड़ने की कौशिश की पर हाथ मे नही
आया,चंपा के चेहरे पे खुशी थी ,दीपक के गले लग गयी ज़ोरो से दोनो एक दूसरे
को जकड़े हुए थे ,आज दोनो एक दूसरे से अलग नही होना चाहते थे
दीपक: (कान मे बोला) मे तुम से बहुत प्यार करता हू
ये सुनते ही चंपा दीपक से अलग हुई, उसकी और देखने लगी ,जैसे उसने कुछ नही
सुना हो ,दीपक ने एक बार फिर बोला
दीपक: मे तुमसे बहुत प्यार करता हू
चंपा ,दीपक से अलग हुई ,दीपक की खुली शर्ट को उसके कंधे से उतारा ,दीपक के
गोरे शरीर को घुरे जा रही थी ,चंपा अपने लब्ब दीपक की छाती पर ले कर गयी और
उसकी छाती के दाए निपल पे अपने लब्ब लगा दिए , दीपक की आँखें बंद हो गयी
दीपक अपने हाथ चंपा के पेट पर घुमा रहा था, चंपा बारी बारी दीपक के निपल्स
को काट रही थी उसको उतेज़ित कर रही थी ,दीपक का लंड उसकी जीन्स मे उभरा हुआ
सॉफ नज़र आ रहा था
दीपक ने चंपा को रोका उसका चेहरा हाथो मे लिया
चंपा का चेहरा अपने पास लाया ,उसके गालो को चूमा ,अपना हाथ चंपा के पेट पे
घूमते हुए कमीज़ को उपर करने लगा चंपा उसे अब रोकना भी नही चाहती थी
चंपा ने अपने हाथ खुद ही उपर कर लिए दीपक कमीज़ को उपर करता हुआ गले तक
लाया,दीपक की आँखों के सामने काले ब्रा मे दोनो चुचिया थी ,गले से कमीज़ को
निकाल कर पास पड़े ट्रंक के उपर डाल दी
चंपा शर्मा रही थी ,अपनी आँखों को नीचे किए,अपने दोनो हाथो को पकड़ के खड़ी
थी,दीपक ने चंपा के दोनो हाथो को अलग करके अपने हाथो मे लिया
दीपक: चंपा मेरी तरफ देखो
चंपा के चेहरे पे एक खुशी थी, जैसे ही उसने दीपक की तरफ देखा ,दीपक ने चंपा
की कमर पकड़ के उसे अपने करीब खींचा,होंठ से होंठ मिल चुके थे
चंपा का हाथ एक दम से दीपक के पेट पर गया,और जखम के उपर लगा ,दीपक ने होंठो
को चूसना छ्चोड़ दिया, चंपा को उसकी आँखों मे उसका दर्द महसूस हुआ
चंपा ने दीपक के गालो को चूमा ,दीपक अपना दर्द थोड़ी देर के लिए भूल जाना
चाहता था, चंपा ने अपना हाथ दीपक की बेल्ट पर रखा
चंपा की शरम अब जाते जा रही थी,दीपक की जीन्स की बेल्ट को खोलने लगी ,उसके
हाथो का स्पर्श दीपक के लंड पे हुआ ,दोनो ने फिर एक दूसरे को देखा ,दीपक
अपने हाथ चंपा की कमर के पीछे ले कर गया और ब्रा खोलने की कोशिश की ,ब्रा
का पिन दीपक की उंगली मे लगा ,उसने अपना हाथ हटाया
चंपा ने बेल्ट खोली खड़ी हुई सामने दीपक की उंगली से हल्का सा खून निकल रहा
था ,अपने हाथो मे उसका हाथ लिया ,उसकी उंगली को अपने मूह मे डालकर चूसने
लगी ,दीपक भी अपनी उंगली को उसके मूह मे घुमा रहा था जीभ का स्पर्श उसे
आच्छा लग रहा था ,चंपा अपना हाथ अपनी कमर पर ले कर गयी और खुद ही अपना ब्रा
खोल दिया
ब्रा खुलते ही सामने ब्रा ढीला पड़ा ,दीपक की उंगली अभी भी चंपा के मूह मे
थी ,दूसरे हाथ से दीपक ने चंपा के कंधे से ब्रा का स्ट्रॅप नीचे किया ,ब्रा
लटक गया एक चुचि साफ नज़र आ रही थी निपल का मूह एक दम सीधा खड़ा था ,दीपक
ने अपनी उंगली उसके मूह से बाहर निकाली
चंपा इतनी गरम हो चुकी थी ,उसने खुद ही अपने ब्रा को उतारा को नीचे ज़मीन
पे डाल दिया
दीपक की आँखों के सामने चंपा की बड़ी चुचिया लटक रही थी , दीपक ने अपना हाथ
बढ़ाया दाई चुचि को मसल दिया अपने दाँत चंपा के कंधे मे गाढ दिए..चंपा के
मूह से हल्की सी चीख निकल पड़ी
चंपा ,दीपक की जीन्स खोलने मे लगी थी बटन टाइट था खुल नही पा रहा था ,दीपक
थोड़ा पीछे हुआ जीन्स का बटन खोला ज़ीप नीचे करी ,अंडरवेर मे लंड तना हुआ
था ,दीपक ने चंपा को अपनी और खींचा और चुचियो को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा
चंपा की साँसे तेज़ होती जा रही थी , दीपक चुचिया चूस्ते हुए अपना हाथ उसकी
सलवार तक ले गया ,नाडे का सिरा ढूँडने लगा नाडा अंदर की तरफ था दीपक ने
उपर से ही अपना हाथ सलवार के अंदर डाल दिया ,नाडा तो हाथ मे आया नही ,पॅंटी
गीली हो चुकी थी उसका एहसास दीपक को उसका हाथ पॅंटी पे लगने के बाद हुआ
चंपा एक दम सीधी खड़ी थी,वो इंतेज़ार कर रही थी के दीपक सारी ज़ंज़ीरे तोड़
दे ,नाडे को हाथ मे पकड़ा और उसे खींच के खोल दिया ,नाडा खुलते ही सलवार
झट से नीचे चंपा के पैरो मे जा गिरी,
चंपा ने दीपक के कंधे का सहारा लिया और अपने पैरो मे से सलवार निकाल दी
,उधर दीपक अपनी जीन्स उतार चुका था , कछे मे उसका लंड एक दम तना हुआ था
,चंपा बार बार उसे घुरे जा रही थी , गला सुख चुका था पर दीपक का लंड देख कर
उसके मूह मे पानी आ चुका था
दोनो एक दूसरे को घुर्रे जा रहे थे ,दीपक ने चंपा का हाथ पकड़ा ओर कछे के
उपर से ही लंड पर रख दिया ,चंपा ने अपनी आँखें बंद कर ली और एक ज़ोर से
साँस ली
चंपा बहुत गरम हो चुकी थी ,उसका खड़ा रहना भी मुश्किल हो रहा था दीपक चंपा
के पीछे गया और कमर मे हाथ डाल के पीछे से चुचियो को ज़ोर से दबा दिया
,चंपा थोड़ी पीछे हुई लंड चंपा की गंद मे सॅट गया , चंपा वही रुक गयी उसे
दीपक के लंड का पूरा-2 एहसास हो रहा था
दीपक ने चुचियो को छ्चोड़ा अपने हाथो को नीचे ले गया पॅंटी पे हाथ पहुचते
ही दोनो हाथो की दो उंगलियो को पॅंटी के अंदर किया और नीचे कर दिया पॅंटी
सीधा सरकते हुए चंपा के पैरो मे अटक गयी
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