RE: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस
सुबह चंपा जागी ,सामने दीपक पर नज़र डाली दीपक गहरी नींद मे सो रहा था ,आज
दो दिन बाद दीपक ऐसा सो रहा था ,उसके चेहरे पर एक खुशी थी
चंपा अपने काम मे लग गयी ,दीपक की नींद भी खुली ,बाथरूम जाने के लिए खड़ा
हुआ था के ज़मीन पर नीचे गिर पड़ा ,चंपा आहट सुन के भागते हुए उसके पास आई
,दीपक अपना पेट पकड़े ज़ोर से दबा रखा था
चंपा: दिखाइए क्या हुआ
चंपा ने शर्ट उपर की ,जहा टाँकें लगे हुए थे वाहा से खून बह रहा था
चंपा: आप खुद क्यू खड़े हुए मुझे आवाज़ दे देते
दीपक कुछ बोला नही , चंपा का सहारा लेकर खड़ा हुआ और बाथरूम की तरफ
गया,बाथरूम से बाहर आया चंपा चाइ लेकर बेड के पास खड़ी थी
चंपा: अब कैसा लग रहा है साहेब जी
दीपक: पहले से ठीक हू , पर दर्द बहुत है
चंपा: साहेब जी आप बिल्कुल ठीक हो जाएँगे ,बस कुछ दीनो की बात है
दीपक: चंपा वही नही है मेरे पास ,मुझे जल्दी से कुछ करना है ,कही वो लोग
दूर भाग गये तो ज़िंदगी भर मुझे छिप छिप के रहना पड़ेगा, और मैं मरना पसंद
करूँगा छिपना नही
चंपा: साहेब जी आप ऐसी बाते क्यू करते है, अगर आपको कुछ होगया तो
दीपक: चंपा मर तो मे वैसे भी चुका हू ,ऐसा इल्ज़ाम है मुझ पर,
दीपक: चंपा अब जब तक वो लोग मेरे हाथ नही आते मे कैसे चैन लू , मैं उन्हे
जान से मार दूँगा
चंपा: साहेब जी मुझे आपको एक बात बतानी है
दीपक: बोलो चंपा क्या बात है
चंपा: वो दो दिन पहले आपके घर मे चोरी हुई थी
दीपक: क्या ? और तुमने मुझे बताया नही
चंपा: आप की ऐसी हालत मे ,मैं आपको और परेशान कैसे करती
दीपक चंपा की बात को समझते हुए शांत रहा थोड़ी देर बाद उसने पूछा
दीपक: क्या चोरी हुआ घर मे
चंपा: मे तो काम करने गयी नही ,मेरी सहली सोनी गयी थी ,उसी ने बताया के घर
से हीरे चोरी हुए है
दीपक: क्या ,मा को तो कुछ नही हुआ ना
चंपा: जब चोरी हुई मा जी घर मे नही थी
दीपक सोच रहा था के ये उनके साथ आख़िर हो क्या रहा है ,पहले वो हादसा और अब
घर मे चोरी,आख़िर ये कौन कर रहा है ,या फिर सिर्फ़ एक इतिफाक है
चंपा: आप मूह हाथ धो लीजिए मे आपके लिए नाश्ता बनाती हू
दीपक ने हामी भरी , वही बैठा अपने दिमाग़ पे ज़ोर डाल रहा था पुरानी बातों
को याद कर रहा था ,कैसे वो लोग खुश थे ,पूरा परिवार एक साथ था
दीपक अपनी सोच से तब बाहर आया ,जब दरवाज़ा खुला और चंदू अंदर आया ,सामने
दीपक को बैठा देख चंदू उसके पास गया
चंदू: अब कैसा लग रहा है
दीपक: ठीक हू
चंदू: मौत के मूह से वापस आए हो, उस रात अगर चंपा घर वापस आकर मुझे साथ ना
लाती तो तुम बच नही पाते
दीपक: शुक्रिया दोस्त
चंदू: अब आगे क्या करोगे ,तुम्हारे पीछे तो जैसे पूरी नज़र रखी है उन लोगो
ने
दीपक: वही सोच रहा हू ,उस रात मदन ने किसी अप्सरा बार के माल्लिक सत्या बोउ
का नाम लिया था उसी को ढूड़ना है
चंदू: सत्या बोउ (हैरानी से बोला)
दीपक: तुम जानते हो उसे
चंदू: जिस खोली मे तुम बैठे हो ये उसी की दी हुई है
दीपक: ये ,पर कैसे
चंदू: मेरा दोस्त किशन उसके बार मे काम करता है ,उसी ने उसको ये रहने के
लिए दी हुई है
दीपक: मुझे उसके पास ले कर चलो
चंदू: वो कोई मामूली आदमी नही समझा ,इस शहेर का नाम चिन आदमी है ऐसे थोड़ी
ना मिल जाएगा ,2 ,4 बॉडीगार्ड आस पास होते है ,सीधा माथे मे गोली मारेंगे
,उसके लिए तुझे थोड़ा रुकना पड़ेगा अपने दोस्त से बात करता हू मे
चंपा: तू कब आया
चंदू: अभी आया हू
चंपा:दूध वाला आए तो दूध तू अपने घर पे रख लेना
चंदू: रख लूँगा,ओर कोई काम है तो बता दे
दीपक: मुझे कुछ समान ला कर दो(चंदू से बोला)
चंपा: क्या साहेब जी
दीपक: रूई(कॉटन) पट्टी( बॅंडेजस)
चंपा: क्यू,क्या हुआ
दीपक: चंपा अगर यहा बैठा रहा , तो लोग कभी भी आ सकते हैं ,और मैं नही चाहता
के मैं अब उनकी नज़र मे आऊ
चंपा: पर साहेब जी आपका जखम तो अभी भरा नही
दीपक: चंपा तुम फिकर मत करो मुझे कुछ नही होगा ,मे तुम्हे वादा करता हू
दीपक: चंदू तुमने मेरी बहुत मदद की है ,अब थोड़ी और कर दो , मुझे उस सत्या
बोउ से एक बार मिलवा दो
चंदू: मिलवा तो दूँगा ,पर थोड़ी देर रुकना होगा ,अभी मेरा दोस्त वही बार मे
होगा ,मैं कई बार उसको मिलने वाहा जाता हू,और मुझे पता के सत्या बोउ शाम
को ही वाहा पर आता है गल्ला(पैसे) इकट्ठा करने
चंपा: तू वाहा जाएगा साहेब जी के साथ,वाहा कोई ख़तरा तो नही
चंदू: हां मैं इनके साथ चला जाउन्गा ,तू चिंता मत कर ,किशन मेरा अछा दोस्त
है और अपने माल्लिक का वफ़ादार
चंदू खोली से बाहर गया और 5मिनट बाद रूई और पट्टी ले कर आया
चंदू: अब मे चलता हू ,तुम शाम को मेरा इंतेज़ार करना मे किशन से बात करके
आउन्गा फिर हम चलेंगे
दीपक: ठीक है, पर किशन को ये मत बताना के मेने किस सिलसिले मे मिलना है
चंदू: तुम चिंता मत करो वो मेरा काम है
ये बोल कर वो खोली से बाहर हुआ
चंपा: मुझे बहुत डर लग रहा है , अगर कुछ अनहोनी होगयि तो
दीपक: कुछ नही होगा ,अब उन लोगो के घबराने की बारी है (गुस्से मे बोला)
दीपक ने अपनी शर्ट उतारी ओर पट्टी बाँधने की कोशिश करने लगा पर ठीक से बाँध
नही पा रहा था,चंपा उसके पास आई
चंपा: लाइए मे लगा देती हू
चंपा ने कॉटन के पॅकेट को खोला और ज़ख़्म पे रख दिया ,दीपक ने चंपा को एक
और कॉटन पॅकेट वही लगाने को बोला
दीपक: अब पट्टी बांधो थोड़ा सख़्त बांधना
चंपा पट्टी को पूरे पेट की गोलाई मे बाँध रही थी ,बार बार उसका हाथ ,दीपक
के शरीर पर स्पर्श कर रहा था ,पट्टी बाँधने के बाद चंपा सीधी खड़ी हुई
,दोनो एक दूसरे को देखे जा रहे थे 5मिनट तक कोई नही बोला
ऐसे ही दोनो एक दूसरे को देखे जा रहे थे ,दीपक ने अपना एक हाथ उठाया और
चंपा के कंधे पर रख दिया,चंपा ने अपनी आँखें नीचे कर ली(मानो शर्मा गयी हो)
दीपक ने चंपा का चेहरा अपने हाथो मे लिया और उसे देखे जा रहा था , धीरे से
अपने होंठ उसके होंठो के पास लेकर गया और उसके होंठो से मिला दिया ,चंपा
कुछ बोली नही ना हिली पर उसे विश्वास नही हो रहा था ,दीपक तो उसे छू रहा था
पर चंपा की हिमत नही हो पा रही थी उसे छूने की
दीपक ने अपने होंठ उसके होंठो से अलग किए ,चंपा की आँखें बंद थी, वो अपनी
आँखें खोल पाने की हिमत नही कर पा रही थी,मानो जैसे वो कोई सपना देख रही हो
दीपक: (धीरे से बोला) चंपा आँखें खोलो
पर चंपा आँखें खोलना ही नही चाहती थी ,उसको लग रहा था मानो वो कोई सपना देख
रही हे, अगर आँखें खोलेगी तो सपना भी ख़तम हो जाएगा
दीपक ने चंपा के कंधे को हिलाया ,चंपा जैसे नींद से जागी हो , हल्की सी
आँखें खुली सामने दीपक खड़ा था ,चंपा की आँखों से आँसू बह गया ,जैसे वो ये
कब से चाहती हो
चंपा की आँखें खुलते ही,दीपक ने उसके आँसू सॉफ किए,,दीपक ने अपने होंठ एक
बार फिर चंपा के होंठो से मिला दिए ,इस बार चंपा ने अपना हाथ उसकी पीठ पर
रखा और अपनी तरफ ज़ोर से खिचने लगी (मानो जैसे वो अब ये होंठ कभी छ्चोड़ना
नही चाहती)
दीपक अपने दोनो होंठो को बार-2 चंपा के होंठो पर फिरा रहा था ,पर चंपा अभी
हिम्मत कर नही पा रही थी, उसको तो अभी भी विश्वास नही हो पा रहा था, दीपक
ने अपना एक हाथ चंपा की बाई चुचि पे रख दिया हल्का सा दवाब दिया
चंपा की आँखें खुली और वो पीछे हो गयी ( जैसे उसे 440 वॉल्ट का करेंट लगा
हो) चंपा ने दीपक को देखा और अपनी आँखें नीचे करके वही खड़ी रही
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