कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस
06-28-2017, 10:56 AM,
#2
RE: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस
बाहर से हवलदार ने बोला साहेब इसकी मा आई है कोर्ट का ऑर्डर साथ मे लाई है इसको मिलने के लिए . जैसे ही इंदु ने दीपक को देखा दोनो की आँखों मे आँसू थे पोलीस के साइरन ने दीपक को नींद के आगोश से जगा दिया . सिर उठा के उपर आसमान की तरफ देखा तो सूरज बिल्कुल सिर के उपर था गली के पीछे भी उपर जाने का रास्ता था . जैसे ही दीपक सीडिया चढ़ा उपर बैठे कुत्ते ने भोकना शुरू कर दिया. दीपक जानता था के अगर ये कुत्ता चुप ना हुआ तो कोई ना कोई यहा देखने पहुच जाएगा .दीपक ने पास मे पड़े मोटे से पत्थर को उठाया और उपर सीडियो पर चल दिया .उपर पहुचते ही देखा कुत्ता चैन से बँधा हुआ था दीपक ने ज़ोर से पत्थर को कुत्ते के सिर पर मार दिया सब कुछ शांत हो चुका था. धीरे से दीपक ने रस्सी पर से कपड़े लिए और बदल लिए वो जानता था कि अगर वो जैल के कपड़ो मे रहेगा तो कोई ना कोई उसे पहचान लेगा . आगे बढ़ते ही दीपक को घर जाने का ख़याल आया पर वो जानता था कि उसके भागने की खबर सुनते ही पोलीस उसके घर की घेराबंदी कर चुकी होगी. ट्रिन्न्न ट्रिन्न हेलो इनस्पेक्टर राणे हियर क्या कब. तुम एक काम करो उसे वही ढुंढ़ो मे उसके घर जा कर दबिश देता हू. राणे ने अपनी टोपी पहनी गाड़ी मे चल दिए दीपक सोच रहा था कहाँ जाए उसे अपने पिता और बेहन के खूनी से बदला भी तो लेना था .घर जा नही सकता था पड़ोसियो मे शर्मा अंकल पर उसे भरोसा था मगर किसी ने पोलीस को बता दिया तो .दीपक के दिमाग़ मे कुछ सूझा वो आगे बढ़ गया . दीपक अपने घर की नौकरानी चंपा के घर पर जा रहा था घरवालो के बाद एक वही थी जो पिछले6साल से उनके घर मे काम कर रही थी उसे उस पर भरोसा था. जैसे ही दीपक चंपा के घर के बाहर पहुचा अंडर से आवाज़्ज़्ज़ आई "आह दीपक हैरान हुआ और छुप गया .चंपा की खोली बहुत छोटी थी दीपक ने अंदर झाँकने की कौशिश की उसको एक छेद मिला जो अंदर का नज़ारा बयान कर रहा था. दो जिस्म चिपके हुए थे एक के उपर एक. चंपा को तो दीपक ने पहचान लिया पर वो आदमी कौन था दीपक को नही पता था .
चंपा: डाल ना क्यू तड़पाता है जागया. दीपक को उस शक्स का नाम तो पता चल गया था. अंदर से फिर आवाज़ "आई आह " चंपा: साले हरामी तडपा मत डाल ना जागया: अभी नही तुझे तड़पाने मे मुझे बहुत मज़ा आता है. चंपा: आछा ! तुझे बताती हू अभी दीपक को बड़ी हैरानी हो रही थी के शरीफ से दिखने वाली चंपा बिस्तर पे ऐसा भी करती है. चंपा: ये ले .(चंपा ने नीचे हाथ ले जा कर ज़ोर से लंड को दबा दिया )
जागया : साआआअल्ल्ल्ल्ल्ल� �ईई आह !
चंपा: चिल्लाता क्यू है तड़पाने मे मज़ा आता हे ह्म्*म्म्म.... चंपा हस पड़ी. जागया गुस्से मे था अपने एक हाथ से चंपा के दोनो हाथो को पकड़ लिया .अपने लंड को चॅंप के पिंक चूत के मूह पर रखा .लंड के एहसास से ही चंपा आहे भरने लगी . एक हल्का सा दबाव लंड पर और चंपा की चूत के द्वार खुलते हुए .
चंपा: रहम कर आराम से डाल. आआहह.......साले चोद दे . जागया: साली आज तो तेरी फाड़ दूँगा जागया ने धक्को के स्पीड तेज कर दी .चंपा के मुम्मे उपर नीचे उछल रहे थे .जब जागया लंड और अंदर घुसा देता चंपा की सिसकी निकल जाती
चंपा: आज के बा आद तुउउउउझे घाररर मे आने नही दूँगी आआअहह .. जागया के धक्के जारी थे चंपा ठीक से बोल नही पा रही थी. जागया: ठीक है मत आने देना आहह. पर तेरी चूत के प्यास कौन मिटाएगा ह्म्म.. जागया धक्के बजा रहा था. आह...माआअ . जागया: मा तुझे बचाने नही आएगी हहा. चंपाने एक दम से जागया के कंधे ज़ोर से पकड़ लिए . जागया आगे पीछे नही हो पा रहा था . चंपा जागया के कान के पास अपना मून ले गयी और ज़ोर से उसका कान काट लिया
जागया : आआहह! क्या कर रही है इतना ज़ोर से . चंपा: आराम से कर मुझे भी दर्द हो रहा हे . जागया चंपा के मुँह के पास हुआ और अपनी जीब निकाल के चंपा के होंठो पर फिरा दी .
चंपा: आअहह ज़ालिम (मुस्कुरा दी) दोनो पूरे जोश मे आ चुके थे .जागया ने धक्के लगाने शुरू कर दिए बाहर दीपक ये सब नज़ारा देख गर्म था वो नही भी देखना चाहता था और देखना भी .
चंपा: मेरा निकलने वलाआआअ है.... जागया: हा (धक्को के स्पीड बढ़ा दी) चंपा शरीर की हवस मे पागल हो चुकी थी. चंपा ने अपनी टाँगो को थोड़ा फैलाया जागया के पीठ पर अपने नाख़ून गाढ दिए और झाड़ गयी...... जागया भी 5,6 धक्को के बाद चंपा की चूत मे ही पानी छोड़ दिया जागया खड़ा हुआ नीचे पड़े एक कपड़े अपना लंड सॉफ किया और कपड़े पहनने लगा.चंपा वही बिस्तर पर लेटी हुई उसे देख रही थी. अगया ने पॅंट के ज़िप्प बंद की तभी चंपा ने उसे अपनी तरफ खिचा जागया संभाल नही पाया सीधा चंपा के उपर गिरा . जागया की पॅंट की जेब से 1000 के नोटो के गद्दी गिरी . चंपा ने उठ के देखा तो जागया पैसे छुपा रहा था पर चंपा पहले ही नज़र मार चुकी थी.
चंपा: क्या रे तू क्या कर रहा है आज कल. जागया हड़बड़ा गया) कुछ नही वही जो पहले करता था.
चंपा: ज़यादा शान पॅंटी मत दिखा तेरे पास इतने पैसे कहा से आए.
जागया: एक सेठ का अपुन कुछ काम किया था उसी ने दिए थे.
चंपा: ऐसा कौन सा काम जो तुझे इतने पैसे मिले .कोई मर्डर किया क्या?
जागया: (घबरा गया) न ही नही तो .अरे तुझे पता है अपुन चोरी चाकरी वाले है अपुन लोग मर्डर कहा.
चंपा: पर चोरी के इतने पैसे.
जागया: ये अपुन के हाथ का कमाल है जिसके घर काम किए उसका ताला भी नही तोड़ा और काम हो गया. चंपा ने कपड़े पहन लिए थे जागया के पास आते ही उसने जागया का हाथ अपने हाथ मे लिया और बोली मेरे सिर की कसम खा के बोल तू कोई ऐसा काम नही करेगा जो हम दोनो को जुदा कर दे.
जागया: हां तेरे कसम. इनस्पेक्टर राणे दीपक के घर के बाहर खड़ा था मेन रोड से आने जाने वाले रास्ते पर नज़र डाल रहा था . हवलदार को इशारा करके बुलाया पूछा कुछ समझे .हवलदार असमंजस मे पड़ गया के साहेब किस बारे मे बात कर रहे है . राणे: अरे बताइए समझे कुछ.
हवलदार: गर्देन हिलाते हुए ना मे हामी भरी.
राणे: आप का समझेगे अगर समझते होते तो आप हमारे साहेब होते . जीप मे बैठा हवलदार हस पड़ा . राणे ने गर्देन घुमा के उसकी तरफ देखा जीप मे बैठे हवलदार की सिट्टी पिटी गुल हो गयी थी .
राणे: 4 स्पेशल ओफीसर को बुलाओ 24 घंटे घर के पास निगरानी रखनी पड़ेगी. टिग्टॉंग घर की बेल बजते ही इंदु ने दरवाज़ा खोला राणे गेट पे खड़ा था .
राणे: इंदु जी अंदर आने को नही पूछेंगी?
इंदु: हां आइये इनस्पेक्टर. राणे बहुत समझदार था उसे पता था के जिसके घर मे हाल ही मे दो मौत हुई हो वो बेचैन तो होगी.
राणे: (आराम से पूछा) आपको पता तो चल गया होगा इंदु जी .
इंदु: क्या? राणे: आपका बेटा दीपक कोर्ट से फ़र्रार हो गया हे.
इंदु: ह्म्*म्म. जी हां.
दोस्तो उधर दीपक की तरफ चलते है............ जागया के जाते ही दीपक ने अंदर झाँक के देखा चंपा चादर को ठीक कर रही थी जिस पर वो थोड़ी देर पहले कब्बड़ी खेल रहे थे.

दीपक: (धीरे से) चंपा तुम हो अंदर.
चंपा कमरे से बाहर झाँकते ही दंग रह गयी बोली "साहेब आप" चंपा: अंदर आइये साहेब . चंपा कुछ सोच मे पड़ गयी
दीपक: चंपा ज़यादा मत सोचो मैं जैल से भाग के आया हू. चंपा: क्या? दीपक: चंपा मुझे डॅड और दीदी के झूठे खून मे फँसाया गया हे .तुम तो मुझे जानती हो तुम बताओ क्या मे अपने ही पिता का खून कर सकता हू.
चंपा : नही साहेब मे आपको जानती हू मे उस घर मे कितने साल से हू सब बोलते है छोटे साब ने बड़े साहेब का नशे मे खून कर दिया पेर मेरा दिल कभी नही माना .
दीपक: चंपा मा केसी है. चंपा: साहेब मा जी तो ठीक नही हे टाइम से खाना नही खाती रात भर जागती रहती है उन को आपकी चिंता लगी हुई है . दीपक: चंपा मुझे मा से मिलना है लेकिन मे घर नही जा सकता तुम मा को कल मंदिर मे सुबा 11:00 ले कर आना मैं तुम्हे वही मिलूँगा. दीपक रुका कुछ बोलना चाहता था पर रुक गया . दीपक को कुछ अजीब सा लग रहा था वो जैसे ही चंपा के घर से बाहर निकला दो मिनिट बाद वापस चंपा के पास आया. चंपा: क्या हुआ साहेब आप मुझे परेशान लग रहे है. दीपक: चंपा वो. दीपक सोच रहा था के जिस औरत को हम पिछले 6साल से हर महीने पैसे देते थे उससे पैसे कैसे माँगे क्यूकी उसे आज रात कही तो गुज़ारनी थी. चंपा: कुछ चाहिए साहेब? दीपक: चंपा मुझे कुछ पैसे चाहिए. चंपा: ओह हां साहेब . चंपा ने अपने बेड के नीचे से 100 के 5नोट निकाल के दीपक की तरफ बड़ा दिए. दीपक: शुक्रिया चंपा. चंपा: साहेब शुक्रिया मत बोलिए आप ये सब आपलोगो की वजह से ही है ये खोली ले थी मेने .3साल पहले बड़े साहेब जी ने मुझे ये खोली ले कर दी थी अपनी बेटी समझते थे बड़े साहेब मुझे. और चंपा रो दी. दीपक: चंपा मेरे यहा आने की बात किसी से मत करना .और मा को लेकर सुभह आजाना मैं चलता हू मेरा कही भी ज़यादा देर रुकना ठीक नही है . चंपा: साहेब आप मुझ पर विश्वास रखे ज़बान कट जाएगी पर खुलेगी नही. दीपक तेज़ी से कमरे से बाहर हुआ और आगे बढ़ गया. दीपक गलियो के अंदर से गुज़रता हुआ आगे बढ़ने लगा. थोड़ा सा आगे पहुचा था कि दिव्या के घर पे नज़र पड़ी. दिव्या दीपक की गर्ल फ्रेंड थी.दीपक का मन तो हुआ मिलने का पर वो अपने आप को किसी मुश्किल मे डालना नही चाहता था . शाम ढल चुकी थी रहने के लिए कोई सेफ इंतज़ाम करना था .दीपक को याद आया के थोड़ी दूर मे एक धर्मशाला है वाहा जगह खाली होती हे और लोग भी यहा के नही बाहरी इलाक़े के होते है. धर्मशाला मे घुसते ही एक बुड्ढे से आदमी जो सामने काउंटर पे खड़ा था. दीपक: कोई कमरा मिलेगा एक रात के लिए. मॅनेजर: हां पूरी धर्मशाला ही खाली पड़ी है. दीपक ने 40रुपये मे कमरा बुक करा लिया और मॅनेजर के साथ कमरे की ओर चल दिया. थोड़ी देर बाद दीपक बाहर निकला और कमरे के आजू बाजू की खबर लेने लगा .अब दीपक एक प्रोफेसससिओनल जैल रिटर्न के तरह सोचने लगा था हर प्लान का बॅक अप प्लान अपने दिमाग़ मे सोच के रखता था . दीपक ने बाहर जा कर खाना खाया और अपने कमरे मे चल दिया . कमरे मे घुसते ही चटकनी लगाई और बेड पर लेट गया..... दीपक बेड पे लेटा था शाम को दिव्या के घर दिव्या को ना मिल पाने का दुख था उसे . पुराने दिन याद करने लगा .दोनो एक ही स्कूल मे थे 11थ स्ट्ड मे दीपक ने दिव्या को प्रपोज किया और दिव्या क्लास के सबसे हंडसम लड़के को केसे मना कर पाती वो भी दीपक को पसंद करती थी. 12थ स्ट्ड के बाद दोनो ने एक ही कॉलेज मे एक साथ अड्मिशन लिया . दीपक रोज़ दिव्या को अपनी बाइक पर कॉलेज ले जाना और शाम को ड्रॉप करना डेली रूटिन था. एक शनिवार के दिन दीपक ,दिव्या को कोलोज के जगह एक घने पार्क मे ले गया . दोनो एक पेड के झुंड के पीछे जा के बैठ गये .दीपक ने अपना सिर दिव्या की गोद मे रख उसके गालो पर गुलाब का फूल उपर नीचे कर रहा था.
दिव्या: आज तुमने फिर कॉलेज मिस करवा दिया.
दीपक: जानू तुम्हे कॉलेज पसंद है या मेरी ये बाहें .
दिव्या: (हुस्ते हुए) ह्म्*म्म्मम.. कॉलेज.
दीपक: अछा ! तो फिर यहा मेरे साथ क्या कर रही हो जाओ अपने कॉलेज.
दिव्या : चलो अपना सिर उठाओ मुझे जाने दो फिर मे तो चली कलाज .दिव्या खड़ी हुए और आगे जाने लगी. दीपक: सोच लो !!!! दिव्या: क्या मतलब? दीपक: अगर तुम चली गयी तो मे तुमसे कभी बात नही करूँगा .
दिव्या: पास आ गई और वही बैठे गयी . मे अब कभी कॉलेज ही नही जाउन्गी ठीक है.
दीपक: बुरा मान गयी.
दिव्या: बात ही तुमने ऐसी कही थी. मे सिर्फ़ मज़ाक कर रही थी . दीपक: मे भी तो मज़ाक कर रहा था .
दिव्या: दीपक के हाथ पर चुटकी काटते हुए बोली ऐसा मज़ाक होता है ना समझ. दीपक ने दिव्या को अपनी तरफ खींचा दोनो के सीने एक दूसरे से टकरा गये. दीपक उपर को हुआ अपने लब दिव्या के लब से मिला दिए . दोनो तरफ से एक मिनिट के लिए कोई हरकत नही हुई . दीपक ने अपने निचले होठ को बंद करते हुए दिव्या के लब को ज़ोर से चुस्स्स लिया...दिव्या ने अपनी आँखें और ज़ोर से बंद कर ली. दोनो की धड़कने दोनो सुन सकते थे . दीपक पीछे को हुआ दिव्या के आँखें अभी भी बंद थी .
दीपक: आइ लव यू . दिव्या ने अपनी आँखें खोली और सामने बैठे दीपक ने आँख मार दी .दिव्या शर्मा गयी.
दीपक ने अपने हाथ की उंगली दिव्या के चेहरे पर ले जा कर उसके होंठो पर रख दी.दिव्या ने अपने लबो से उंगली को चूम लिया दीपक: हा . दिव्या: क्याआअ . दीपक आगे हाथ बढ़ते हुए दिव्या के छाती पर रख दिया और दाए निपल को कपड़े के उपर से ही उंगकी के बीच पीस दिया.
दिव्या: आअहह ! नही दीपक.
दीपक: ओके. थोड़ी देर ऐसे हे बात करते -2 दीपक ने फिर अपना सिर दिव्या की गोद मे रख लिया उसके बालों मे उंगली करने लगा . धीरे से दीपक अपना बाया हाथ दिव्या की गर्देन के पीछे ले गया और दिव्या को अपने और खीचने लगा.
जैसे ही दिव्या के होंठ दीपक के करीब आए दीपक ने अपनी जीब निकाली और दिव्या के होंठो पर फिराने लगा .दिव्या गरम होने लगी .झट से दिव्या ने अपना मुँह खोला और दीपक के जीभ चूसने लगी आहह.. दो तीन मिनट. तक यही खेल चलता रहा . धीरे से दीपक दिव्या की कमर पर हाथ ले गया और उसके टॉप को उपेर करने लगा दिव्या ने जीभ चूसना बंद किया पर दीपक ने अपनी जीभ और अंदर कर दी. दीपक ने किस तोड़ी और उठ के बैठ गया अब दोनो आमने सामने बैठे थे. दीपक ने दिव्या के दोनो हाथ अपने हाथ मे लिए और जाकड़ लिया .
दिव्या: दीपक कोई देख लेगा.....
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RE: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस - by sexstories - 06-28-2017, 10:56 AM

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