Kamukta Kahani बीबी की सहेली
06-28-2017, 10:54 AM,
#3
RE: Kamukta Kahani बीबी की सहेली
बीबी की सहेली--3

गतान्क से आगे……………………….

फिर उसकी चुनमुनियाँ मे लंड डालकर थोड़ी देरी साँस ली और उसको गोदी मे लेकर मैं पद्म-आसन मे बैठ गया. और वो मेरे लंड के उपर, लंड उसकी चुनमुनियाँ के अंदर, उसकी टाँगें मेरी पीठ की तरफ कर ली. इस तरहा हम दोनों के चेहरे आमने सामने थे. मैं उसकी तुलना मे पतला हूँ, फिर भी उसका वजन ज़्यादा नहीं लग रहा था. मैं उसकी चुचियों से खेलने लगा, होंठ का चुंबन लेता रहा. फिर उसकी कमर को पकड़ कर उसको लंड के उपर नीचे करने लगा. थोडी थकावट लगी तो 1-2 मिनट फिर से साँस लिया. फिर मैने उसकी बाहों को मेरे गले मे लिपटाया और उसके चुनमुनियाँ मे लंड डाले ही उठ खड़ा हुआ. और उसको खड़े खड़े चोद्ने लगा. उसकी चुनमुनियाँ इतनी गीली हो चुकी थी कि स्टॅंडिंग पोज़िशन मे मे लंड आराम से चुनमुनियाँ के अंदर जा रहा था. फिर मैने घड़ी की ओर देखा 7:50 हो रहे थे.

मैने उसको ले जाकर सामने के टेबल पर बैठा दिया, और उसकी चुनमुनियाँ को फिर चाटना शुरू किया. इतनी देर की चुदाई के बाद उसकी चुनमुनियाँ के चारों ओर बहुत सारा रस और सफेद लिक्विड इकठ्ठा हो गया था .. उसको मैने चाट चाट कर सॉफ कर दिया लेकिन उसकी चुनमुनियाँ से रस निकलना बंद नहीं हुआ. डॉली की चुनमुनियाँ भी मैने बहुत बार चाटा है, लेकिन आज ललिता के चुनमुनियाँ का स्वाद अलग सा लग रहा था. फिर मैने बिना देरी किए अपने लंड को उसकी चुनमुनियाँ मे पेल दिया और ढपाधप उसको चोद्ने लगा. टेबल की हाइट मेरी कमर की हाइट का था इसलिए वो पोज़िशन मेरे लिए बहुत कॉनवीनेंट लगती है. डॉली को भी मैं वही टेबल पर पर बैठके कई बार चोदा था. मैं उसको 8-10 मिनट तक जोरों से तेज़ी से चोद्ता रहा. वो सिसकारियाँ लेती रही, “आशीष आपने मुझे आज सेक्स क्या होता है ये बता दिया. आप सचमुच दिखने मे बच्चे लगते हो पर सेक्स के मामले मे आपको मानना पड़ेगा. डॉली बहुत किस्मेत वाली है. धन के साथ तन का भी सुख सभी महिलाओं को नहीं मिलता.” मैने कहा, “भाभी, चुदाई सिर्फ़ मर्द के लिए नहीं होती, ये बात मैं समझता हूँ. मैं तो यही सोचता हूँ कि चुदाई का आनंद लेना है तो चुदाई का आनंद चुदने वाली को देना भी चाहिए.” इसी बीच मुझे लगा कि उसकी चुनमुनियाँ से गरम लिक्विड निकल रहा है और वो थोड़ी ढीली पड़ गयी है, उसने आँखें बंद कर ली और दाँत दबा दिए. मैं समझ गया कि ये उसका ऑर्गॅज़म है. तब उसको मैं ज़ोर ज़ोर से चोद्ने लगा. मैं भी बहुत थक गया था. ढपाधप ढपाधप 4-5 मिनट ज़ोर के झटके ज़ोर से लगाने के बाद मैं भी छूटने को होने लगा तो मैने भाभी से पूछा, “भाभी मेरा निकलने वाला है … अंदर चोदु या लंड निकाल लूँ?” उसने मुझे बाहों मे ज़ोर से झाकड़ लिया, और बोली, “अंदर ही छोड़ दीजिए .. कुच्छ नहीं होगा.” और मैं उसकी चुनमुनियाँ के अंदर ही लंड को अंदर तक पूरा पेल कर झाड़ गया. उसी दशा मे हम दोनों थोड़ी देर चिपके रहे. दोनों की लंबी लंबी सांस चलने लगी. 2-3 मिनट बाद हम दोनों अलग हुए, उसको मैने होंठ मे हल्का सा चुंबन दिया और जवाब मे उसने भी मुझे एक चुंबन दिया. मैने अपने लंड की ओर इशारा करते हुए दिखाया, “भाभी ये देखिए लंड के उपर सफेद सफेद कुच्छ लगा हुआ है.” वो हंस पड़ी. उसने घड़ी देखा तो बोली, “अरे, बहुत देर हो गयी, इतना मज़ा आया कि पता ही नहीं चला कि 8:20 बज गये हैं. आप ने मुझे सन्तुस्त कर दिया.” मैने भी कहा, “भाभी आपने भी आज डॉली की कमी पूरी कर दी. मैने नहीं सोचा था कि आप के साथ कभी ऐसी चुदाई कर पाउन्गा.”

उसको मैने एक टवल दिया. वो टवल लप्पेट कर बाथरूम मे गयी और नाहकार बाहर निकली. जब वो बाथरूम से टवल लप्पेट कर बाहर निकली तो मन किया कि उसको फिर से चोद दूं, लेकिन ज़य के घर आने से पहले उसको घर जाना भी तो था. मैं भी अपना लंड पोंछकर, एक बार पेसाब किया और हाथ मुँह धोया. अच्छा हुआ जो मैं नहाने के टाइम मूठ मार लिया था, वरना इतनी लंबी कामलीला नहीं कर पाता. 10-15 मिनट मे ही झाड़ जाता.

उसने अपनी पैंटी पहनी, मैं उसके पास गया और उसको मैने ब्रा पहनाई, उसके हुक लगाए. उसने फिर ब्लौज पहना, पेटिकोट पहना और सारी पहन ली. उसके चेहरे मे संतूस्ती के भाव झलक रहे थे. और होंठ पे मुस्कान थी. मैं भी अपने कपड़े पहन लिया. उसने कहा, “आशीष, मैं अब जाती हूँ, यहाँ डॉली के बारे पूछने आई थी लेकिन कुच्छ और वो गया. लेकिन जो भी हुआ अच्छा हुआ.” मैने कहा, “भाभी, डॉली तो एक महीने बाद आएगी. तब तक हो सके तो आप ही डॉली बन कर उसकी कमी पूरा करने की कृपा कीजिएगा.” वो बोली, “ठीक है, लेकिन जयजी से बचकर करेंगे. उसको मैं बहुत प्यार करती हूँ, लेकिन क्या करूँ, मैं भी औरत हूँ.” मैने भी कहा, “मैं भी डॉली को बहुत प्यार करता हूँ, लेकिन मैं चुदाई किए बगैर नहीं रह सकता.”

उसके बाद हमारे होंठ कुच्छ सेकेंड्स के लिए फिर से जुड़ गये. और वो दरवाजा खोलकर चली गयी.

मैं किचन मे गया, खाना पकाया. खाने के बाद थोड़ी देर टीवी देखा और 10:30 बेड रूम मे आ गया. इतने मे डॉली का फोन आया. हमने बहुत देर बातें की. वो भी अकेले कमरे मे लेटी हुई थी. उधर उसकी माता जी, भैया-भाभी सभी अपने अपने कमरे मे सो गये थे. पता चला वो वहाँ देल्ही मे बिना चुदाई के तड़प रही है. मैने बोला, “जल्दी आ जाओ, डॉल्ल, तुम्हारे बिना टाइम नहीं गुज़रता यहाँ. लंड महाराज का हाल बुरा है बेचारा.” वो बोली, “आपने ही तो यहाँ रहने को कहा था!! अब सुलगते रहिए. वैसे मेरी चुनमुनियाँ देवी भी आपके लंड को अंदर लेने के तरसती है.” मैने कहा, “बिना चुदाई के रहा नहीं जाता, 1 महीना तक सहना पड़ेगा.” डॉली ने मज़ाक मे बोला, “ऐसा है तो अगल बगल वाली से काम चलाते रहिए.” मैं थोड़ा चौंका, “अगल बगल कहाँ, अरे मुझसे कौन चुद्वायेगि तुम्हारे सिवा? मैं ठहरा हुआ पहलवान!!” वो बोली, “ये तो मुझे ही मालूम है मेरे हवाई पहलवान कि आप चुदाई मे जबरदस्त हो. अगल बगल बोले तो ललिता भाभी.” मैं फिर चौंका, “अरे, वो!! ना बाबा ना, ग़लती से मैं उसके नीचे आ गया तो मैं पापड बन जाउन्गा. उसके लिए जयजी ही ठीक हैं. और, फिर इधर उधर मुँह मार भी लिया तो तुम मुझे छोड़ के चली जाओगी, तो मैं तो आजीवन बिना चुदाई के रह जाउन्गि.” वो बोली, “अरे बाबा, नहीं छोड़ूँगी, आपको छोड़कर कहाँ जाउन्गि. आइ लव यू आशीष!! आप कुच्छ भी कीजिए, आप मेरे ही रहेंगे.” मैं बोला, “ठीक है, तुम आ जाओ, इंतेज़ार कर रहा हूँ. अभी भी तुम्हारी याद मे लंड खड़ा है, बस तुम्हारी रसीली चुनमुनियाँ ही नहीं है.” वो बोली, “एक बात बताऊ, ललिता भाभी की चुदाई ठीक से नहीं होती है, आप चाहो तो उसे ट्राइ कीजिए, शायद सफल हो जाएँगे!!” मैं बोला, “ठीक है, तुम कहती हो ट्राइ कर लेता हूँ!! लेकिन अभी तुम सो जाओ. ठीक है?” उसने कहा, “ठीक है बाबा, कुच्छ नही बोलूँगी. अपना ध्यान रखिए, ठीक से खाइएगा. गुड नाइट.” और हमने एक दूसरे को मोबाइल के माध्यम से चुंबन दिया और सो गये. उसको क्या मालूम कि मैं ललिता भाभी को चोद चुका था. उसके बाद मैने सोचा कि ललिता को फिर चोदुन्गा और बाद मे डॉली को शामिल करूँगा. यही सोचते सोचते नींद आ गयी. कभी दोनों को साथ चोद पाया तो बताउन्गा.

इसी तरहा से 2 साप्ताह और गुजर गये. डॉली की अनुपस्थिति मे मैं किसी तरहा वक़्त गुज़ारता रहा. सुबह उठ के नाश्ता बनाना, फिर नहाते समय एक बार मूठ मार लेना, फिर नाश्ता करके ऑफीस जाना. और शाम को ऑफीस से आकर फिर से नहाना और नहाते समय मूठ मारना. खाना पकाना और खाकर टीवी देखना और फिर सोने से पहले डॉली से फोन पे बात करना और मूठ मार कर सो जाना. यही रुटीन बन गया था मेरा. लेकिन अब मूठ मारते समय मेरे ख्यालों मे डॉली नहीं, बल्कि ललिता भाभी होती थी. उसके साथ किए गये चुदाई की सीन्स मेरे सामने मूवी बनकर घूमते और मूठ मार कर लंड को शांत करने की कोशिश करता. लेकिन जो मज़ा औरत के साथ चुदाई करने मे होता है वो मूठ मारने मे कभी नहीं हो सकता है

. मूठ मारकर सिर्फ़ झाड़ा जा सकता है, लेकिन असली चुदाई मे झड़ना तो अल्टिमेट सिचुयेशन है, झड़ने से पहले जो आक्टिविटी होती है, किस्सिंग, सहलाना, चाटना, चुसवाना इत्यादि वो तन-मन को सन्तुस्त कर देते हैं, रिलॅक्स कर देते हैं.

सीढ़ियाँ उतरते चढ़ते ललिता भाभी यदि दिखती तो अब सिर्फ़ एक दूसरे को देखकर मुस्कुराना भर नहीं होता, अब हम मुस्कुराने के साथ आँख भी मारने लगे. मैं कभी ज़य के घर नहीं जाता था, अब भी नहीं जाता क्यूंकी वैसा करने से रिस्क फॅक्टर ज़्यादा होता. ज़य कब जाता है, कब घर पे रहता है एग्ज़ॅक्ट्ली पता ही नहीं होता मुझे. इसीलिए मैं एक्सपेक्ट करता कि ललिता ही सही टाइम देख कर चुदने के लिए आए, और मुझे यकीन भी था कि वो मौका देखकर ज़रूर आएगी.

ललिता के साथ की पहली चुदाई के बाद के तीसरी सॅटर्डे को मैं घर पे ही था. अगले साप्ताह तो डॉली वापस आने वाली थी. उस दिन क्यूंकी ऑफीस नहीं जाना था, सो मैं थोड़ा लेट ही उठा, करीब 9 बजे. उठा तो लंड महाराज खड़ा मिला, और मैं बेड मे ही मूठ मारने लगा. क्या हालत हो गयी थी मेरी! डॉली होती तो दिन की सुरुआत चुदाई से करता था, अब मूठ मारकर शुरू करना पड़ रहा था!! सुबह क्यूंकी बॉडी पूरी रिलॅक्स हो जाती है, इसीलये मूठ मारने की क्रिया भी बहुत देरी तक़ हो जाती है. थोड़ी देर अपने गरम और कड़क लंड को सहलाता रहा. डॉली के ड्रेसिंग टेबल से उसका खुसबूदार हेर आयिल निकाला और लंड मे लगाकर मूठ मारा 15 मिनट और. झड़ने के बाद मैं थोड़ी देर बेड पे ही लेटा रहा और फिर उठकर ब्रश किया. फिर रोटी बनाया और दूध के साथ खाया. फिर बर्तन धोया.

घर की एक साफ्ताह से सफाई नहीं किया था, गंदा लग रहा था. मैने झाड़ू उठाया और पूरे घर को सॉफ किया. पोंचा भी मारा. अपना घर है, और अपना घर सॉफ करने से अच्छा ही लगता है. वैसे बचपन से अपने काम खुद ही करता आया हूँ तो झाड़ू मारने मे भी कोई हिचक नहीं हुई. क्यूंकी मैं अकेला था, इसलिए चड्डी के उपर सिर्फ़ टवल लपेटा हुआ था और उपर गांजी पहिना हुआ था.

11 बजे करीब मैं नहाने के लिए तैयार हुआ. मैं बाथरूम के अंदर जाने वाला ही था कि डोर बेल बजी. मैने जल्दी से टी-शर्ट पहना और दरवाजे की तरफ लपका, कि इस समय कौन टपक गया, कौरीएर एट्सेटरा तो नहीं है. मैने दरवाजा खोला तो ललिता भाभी थी और मुस्कुरा रही थी. मैने कहा, “अरे, भाभी आप?” वो बोली, “हां, लेकिन क्या मैं नहीं आ सकती हूँ!!” मैने उनको अंदर आने को कहा और बैठने का इशारा किया, “भाभी, आप बैठो यहाँ, मैं कपड़े चेंज कर आता हूँ.” और मैं बेड रूम मे जाकर लोंग निकार पहनकर आया. उनको मैने टीवी का रिमोट थमाया और किचन की ओर लपका. लेकिन उसने मुझे रोका, “रहने दो आशीष, आज मैं ही चाय बनाती हूँ.” और वो भी मेरे पिछे ही किचन मे आई, उसने चाय बनाया और हम दोनों मिलकर चाय पीने लगे.

मैने पूछा, “भाभी, आज कैसे आना हुआ, ज़य जी की भी तो छुट्टी रहती है सॅटार्डे को, वो कहाँ गये? उनको भी साथ ले आते!!” वो बोली, “वो आज भी ऑफीस गये हैं, उनका आज भी कोई अर्जेंट काम आ गया था, बोलके गये कि शाम 4-5 बजे तक़ लौटेंगे.” मैं समझ गया कि मौका देखके भाभी चुदने के लिए आई है. मैने कहा, “क्या कीजिएगा, जॉब के सामने तो हम लोग मज़बूर रहते हैं, ड्यूटी तो ड्यूटी होता है. मैं भी तो कभी कभी लेट आता हूँ. कभी कभी मैं भी छुट्टी के दिन ऑफीस जाता हूँ.” मैने इधर उधर की बातें की. उसके घर के बारे पूछा. ये भी पता चला कि जयजी और ललिता का लव मॅरेज था. दोनों अल्लहाबाद मे एक ही कॉलेज मे पढ़ते थे. वहीं उनकी मुलाकात हुई और समय गुज़रते साथ उनमे प्यार हो गया. पोस्ट ग्रॅजुयेशन के बाद ज़य जी का जॉब लग गया. उसके 1 साल बाद दोनों की शादी हो गयी, तब ललिता का भी ग्रॅजुयेशन हो गया था. लेकिन शादी से पहले उन्होने कभी चुदाई नहीं किया था. ज़य और ललिता दोनों के परिवार कन्सर्वेटिव थे, शायद इसलिए उन्होने अपने प्यार को शादी से पहले पवित्र ही रखा.

ललिता भाभी ने आज साधारण सारी ही पहनी हुई थी, जो अक्सर वो घर मे पहनती थी, लेकिन वो उसमे भी अच्छि ही लग रही थी. औरत यदि सुंदर वो तो हर ड्रेस मे आकर्षक लगती है. वैसे औरत को देखते समय उसकी बुराइयाँ देखें तो कोई भी सुंदर नहीं लगेगी. ललिता को भी मैं यदि सोचता कि वो थोड़ी हेवी है तो मैं उसे काफ़ी चोद नहीं पाता. मैं औरत की शारीरिक सुंदरता को उतना इंपॉर्टेन्स नहीं देता, वो तो सिर्फ़ इनिशियल आकर्षण के लिए होता है, बल्कि ज़्यादा इंपॉर्टेंट होता है वो औरत कैसे चुदाई मे देती है, किस अंदाज़ मे चुदति है. मैं भी तो आवरेज आदमी हूँ, साधारण सा दिखता हूँ. मैने उनसे कहा, “आप 34 साल की हैं पर आप अपनी उमर से ज़्यादा जवान लगती हैं. आप कोई-सा भी ड्रेस पहनिए, आप बहुत अच्छि लगती हैं. आज भी आप गजब ढा रहीं हैं.” औरतों को अपनी सुंदरता की तारीफ बहुत अच्छी लगती है, ये मुझे भी मालूम है. वो बोली, “गजब तो आपने ढाया है, मुझ पर. उस दिन जो आपने मुझे प्यार किया, उसके बाद तो मैं आपकी कायल हो गयी हूँ.” मैने कहा, “रहने दीजिए भाभी, उसमे मुझे भी तो मज़ा आया. लेकिन भाभी, आपने भी मुझपे गहरा असर डाल दिया है.” ऐसे ही बातों बातों मे 30-35 मिनट गुजर गये.

अचानक मुझे ध्यान आया कि मुझे तो नहाना बाकी है. मैने कहा, “भाभी, आप बैठिए, मैं नहा के आता हूँ. मैं नहाने ही जाने वाला था कि आप आ गयी.” वो बोली, “आशीष, मैं यहाँ क्या करूँगी!!” मैने तुरंत मज़ाक किया, “एक काम कर सकती हैं, आप भी मेरे साथ नहा लीजिए!” वो बोली, “मैं तो नहा के आई हूँ.” मैं बोला, “तो क्या हुआ, मेरे साथ फिर से नहा लीजिए या तो मुझे ही नहला दीजिए!!” वो बोली, “ठीक है, लेकिन कोई बदमाशी नहीं कीजिएगा.” मैं सिर्फ़ मुस्कुराया, कुच्छ नहीं कहा और उठकर मैं बाथरूम मे घुस गया. मैने दरवाजा बंद नहीं किया. मुझे यकीन था कि ललिता भाभी चुदने के लिए ही आई है. वो ज़रूर बाथरूम मे आएगी. इसी बीच मैने कॅल्क्युलेशन लगाया, कि पिछली चुदाई के टाइम उसके लास्ट पीरियड से 20 दिन हुए थे, उसके बाद अब 16 दिन हो गये, इसका मतलब अब उसका पीरियड ख़तम हो चुका है, 3-4 दिन तो हो गया होगा.

मैं बाल्टी मे पानी भर लिया. टी-शर्ट और गांजी खोल दिया और सिर्फ़ चड्डी मे रह गया. कुच्छ कपड़े धोए. तभी दरवाजा खुला. भाभी अंदर आ गयी और कहा, “लाइए मैं आपको नहला ही देती हूँ.” मैं चुपचाप बैठा रहा. उसने मग उठाया और मेरे बदन पे पानी डालने लगी. उसने साबुन पकड़ा और मेरे बदन पे साबुन मलने लगी. अब तो मेरे लंड को खड़ा होना ही था. चड्डी के अंदर ही उठने लगा. ललिता ने देख लिए, “उसने चड्डी के उपर से ही उसको सहलाया और बोली, “ये क्यूँ उठ रहा है, लाइए इसको फ्री कर देती हूँ.” और उसने मेरा चड्डी नीचे खिसका कर खोल दी.

लेकिन मैं तो लंबा खेल खेलना चाहता था. तब तक भाभी सारी मे ही थी. मैने कहा, “भाभी ये तो ना-इंसाफी है, आपने मुझे नंगा कर दिया और आप फुल सारी मे! आप भी दोबारा नहा लीजिए.” वो बोली, “मेरे कपड़े गीली हो जाएँगे.” मैने कहा, “चिंता ना करो भाभी, डॉली की सारी पहन लीजिएगा.”

इतना कहकर मैने उसको अपनी ओर खींच लिया और अपने नंगे बदन से चिपका लिया. और मैने उसकी माथे पे एक हल्का किस किया, और पहले की तरहा हौले हौले उसकी आँखों को, गालों को, कानों को, झुमके को, गर्दन को किस किया. फिर मैने उसके लिप्स से अपने लिप्स मिलाए, और एक लंबा किस किया उसको. मुझे मालूम है कि औरतों को सलीके से किया गया किस ज़्यादा उतेज़ित करता है. उसपर टूट पड़ने से उसका समर्पण ठीक नहीं रहता. औरत यदि पूरे समर्पण के साथ चुदाई करे तो सेक्स का मज़ा ही धरती का स्वर्ग बन जाता है.

क्रमशः…………………….
Reply


Messages In This Thread
RE: Kamukta Kahani बीबी की सहेली - by sexstories - 06-28-2017, 10:54 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,560,582 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 551,157 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,258,294 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 951,369 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,688,005 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,109,884 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,000,734 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,222,238 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,091,970 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 290,703 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)