Sex Hindi Kahani पराये मर्द से सम्भोग
06-27-2017, 11:40 AM,
#4
RE: Sex Hindi Kahani पराये मर्द से सम्भोग
तभी मेरी सहेली मुझे लेने आ गई और हम दोनों उस वक्त भी चुदाई कर रहे थे।
वो हमें देख कर हँसने लगी और कहा- अभी तक तुम दोनों का मन नहीं भरा ! ठीक है कर लो, मैं यही इन्तजार करती हूँ !
मुझे उसके सामने शर्म आ रही थी, पर मैं खुद को आज़ाद भी नहीं कर पा रही थी।
कुछ देर बाद हम दोनों फिर से झड़ गए। मैंने जल्दी से अपनी योनि को साफ़ किया कपड़े पहने और चली गई।
सुधा हँसते हुए बोली- काफी प्यासी लग रही हो, सुबह पता चलेगा रात की मस्ती का !
मैं शर्माते हुए जाने लगी।
अपने कमरे में जाते ही मैं कब सो गई पता ही नहीं चला और सुबह देर तक सोती रही।
अगले दिन मैं करीब 10 बजे उठी तो भाभी ने मुझे सुबह पूछा- इतनी देर तक सोती हो क्या तुम?
मैंने जवाब दिया- नहीं.. पर रात को नींद नहीं आ रही थी, तो देर से सोई हूँ इसलिए देर हो गई उठने में !
मैं जब बिस्तर से उठ रही थी, तो मेरे बदन में दर्द हो रहा था, जांघें अकड़ सी गई थीं, पेशाब करने गई, तो जलन महसूस हुई।
ये सब रात की कामक्रीड़ा का असर था। सुधा सच कह रही थी कि सुबह पता चलेगा।
मुझे मेरा पहला सहवास याद आ गया क्योंकि सुहागरात के दूसरे दिन यही सब मैंने महसूस किया था।
मैं मन ही मन मुस्कुराई और फिर अपना नहाना-धोना सब कर के तैयार हो गई।
दिन भर मैं घर में भाभी के कामों में हाथ बंटाती रही।
शाम को मेरी सहेली और विजय छत पर आए और मैं और भाभी भी गए।
हम सब काफी देर तक गप्पें करते रहे, फिर भाभी नीचे चली गईं और रात के खाने की तैयारी करने लगी।
हम तीनों वहीं बैठे बात करते रहे।
सुधा ने रात की बात को लेकर मुझे छेड़ना शुरू कर दिया। वो बिल्कुल बेशर्म हो गई थी और विजय उसका साथ दे रहा था।
ख मेरी जिंदगी में पहली बार था कि किसी की जानकारी में मैंने सम्भोग किया हो।
वो बार-बार मुझसे पूछ रही थी कि रात को क्या-क्या किया हमने.. पर मैं उसकी बात टाल दे रही थी।
अब काफी देर हो चुकी थी, सो मैं नीचे जाने लगी।
तब विजय ने कहा- तुम आज आओगी न?
मैंने कहा- अगर किसी को शक नहीं हुआ और सब ठीक लगा तो जरुर आऊँगी।
फिर मैं नीचे चली गई, सबको खाना खिलाया फिर मैं और भाभी खाना खा कर अपने-अपने कमरे में चले गए।
मैं पिताजी के पास गई, उन्हें अच्छे से सुला दिया और फिर अपने कमरे में आ गई।
अब मुझे उसके फोन का इन्तजार था। करीब 10 बजे फोन आया कि मैं सीधे गोदाम में चली आऊँ।
मैंने बाहर निकल कर देखा कहीं कोई देख तो नहीं रहा, फिर दबे पाँव गोदाम के तरफ चल दी।
मैंने अन्दर जा कर देखा विजय पहले से वहाँ मेरा इन्तजार कर रहा था।
मेरे दरवाजा बंद करते ही उसने अपने कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया और मुझे भी कपड़े उतारने को कहा।
मैंने भी मुस्कुराते हुए अपने कपड़े उतार दिए और नंगी हो गई।
हमने एक-दूसरे के नंगे जिस्म को देखा और फिर मुस्कुराते हुए सामने आए फिर दोनों आपस में चिपक गए।
हमने एक-दूसरे के जिस्मों से खेलना शुरू कर दिया। पहले तो हमने जी भर के होंठों और जुबान को चूसा, फिर उसने मेरे स्तनों को बेरहमी से मसलना शुरू कर दिया।
मैं बस हाय-हाय करती रह गई।
उसने मुझे घुमा कर मेरे पीठ की तरफ से मुझे पकड़ा और मेरे स्तनों को दबाना शुरू कर दिया फिर मेरी पीठ को चूमता हुआ नीचे आने लगा।
फिर मेरी कमर और चूतड़ को प्यार से दबाने और चूमने लगा उन्हें सहलाने लगा।
मेरी योनि अब गीली होने लगी थी। मैं अब उत्तेजित हो रही थी। उसने मेरे चूतड़ों को हाथों से फैलाया और पीछे से मेरी योनि को चाटने लगा।
उसने अपनी जुबान को मेरी पंखुड़ियों के ऊपर फिराना शुरू कर दिया, फिर योनि को दो उंगलियों से फैला कर अपनी जुबान उसमें घुसाने की कोशिश करने लगा।
मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैंने भी अब उसका लिंग चूसने का सोच लिया, पर उसके दिमाग में आज कुछ और ही था।
उसने मुझसे कहा- आज कुछ अलग करूँगा !
मैंने पूछा- क्या?
तब उसने एक बोतल निकाली, उसमें तेल था। उसने तेल मेरे पूरे बदन पर मलना शुरू कर दिया। गले से पाँव तक मुझे तेल में डुबो दिया।
मैंने पूछा- क्या कर रहे हो?
तो उसने कहा- मालिश कर रहा हूँ।
मैं मुस्कुराते हुए बोली- इतना तेल कोई लगाता है क्या..?
तब उसने कहा- बस तुम देखती जाओ।
मेरा पूरा बदन तेल की वजह से झलक रहा था। फिर उसने अपना बदन मेरे बदन से रगड़ना शुरू कर दिया।
थोड़ा और तेल लेकर उसने मुझे उसके बदन पर लगाने को कहा। मैंने भी प्यार से उसके बदन पर तेल लगा कर मालिश की। उसके लिंग को पूरी तरह से तेल में नहला दिया।
हम दोनों अब तेल में चमक रहे थे।
उसकी हरकत अब जाहिर कर रही थी कि वो अब पूरा गर्म हो चुका है और पूरे जोश में है।
उसने मुझे दीवार के एक कोने में ले जाकर कहा- तुम इन दो बोरियों के ऊपर अपनी दोनों टाँगें फैला कर खड़ी हो जाओ !
उन दो बोरियों के बीच करीब 2 फ़ीट की दूरी थी और ऊंचाई करीब 1 फिट थी। मैं खड़ी हो गई दोनों टाँगें फैला कर। मैं बेताब थी कि आखिर वो क्या करने जा रहा है !
उसने मेरी योनि पर थोड़ा तेल और लगाया और उंगली से अन्दर भी लगा दिया। फिर अपने लिंग पर भी लगा कर उसे हाथ से हिला कर और खड़ा किया।
अब वो मेरे पास आया और मेरी कमर को एक हाथ से पकड़ कर दूसरे हाथ से अपने लिंग को मेरी योनि पर रगड़ने लगा। मैंने भी उसको गले में हाथ डाल कर पकड़ लिया और अपनी योनि को उसके तरफ आगे कर दिया।
मेरी योनि बहुत गीली हो चुकी थी और मेरे अन्दर वासना की आग जल रही थी।
फिर उसने अपने लिंग को मेरी योनि की छेद पर टिका कर दोनों हाथों से मेरे दोनों चूतड़ों को कस कर पकड़ा और मेरे होंठों पर अपने होंठ रखते हुए मुझे चूम लिया।
फिर मेरे होंठों को चूसते और जुबान को जुबान से टकराते हुए धक्का दिया। पूरा का पूरा लिंग फिसलते हुए मेरी योनि की गहराई में उतरता हुआ मेरे बच्चेदानी से टकरा गया।
मैं सिसक गई… मजे में कराह उठी।
उसने मेरे चूतड़ों को दबाते हुए मुझे चोदना शुरू कर दिया, वो मुझे जोरों से धक्के मार रहा था, मैं हर धक्के पर उसका साथ दे रही थी। मेरे मुँह से अजीब-अजीब सी आवाज आने लगी थीं, साथ ही योनि में लिंग के घुसने और निकलने से ‘फच…फच’ की आवाज आ रही थी और जब उसका बदन मेरे से टकराता तो ‘थप-थप’ की भी आवाज निकल रही थी।
हम काफी देर तक ऐसे ही चुदाई करते रहे, फिर उसने मुझे जमीन पर लिटा दिया और मेरे ऊपर आ गया।
वो मुझे बार-बार एक ही बात कहता- बहुत मजा आ रहा है.. तुम्हारी बुर कितनी मुलायम और कसी हुई है !
मुझे अपनी तारीफ़ सुन कर अच्छा लग रहा था और मैं और जोश में आ रही थी और अपनी कमर उछाल कर उसके लिंग को अपनी योनि में और अन्दर तक लेने की कोशिश कर रही थी।
मेरी योनि से पानी रिस रहा था और उसका लिंग उसमें पूरी तरह भीग कर चिपचिपा हो गया था।
करीब 20 मिनट के बाद मैं झड़ गई और मेरे कुछ देर बाद वो भी मेरे अन्दर रस की पिचकारी मारते हुए झड़ गया।
हम हाँफते हुए एक-दूसरे से काफी देर तक लिपटे रहे। जब कुछ सामान्य हुए तो फिर से कुछ अलग करने की उसने कहा।
मैंने पूछा- और क्या करने का इरादा है?
उसने कहा- चुदाई तो आम बात है.. कुछ ऐसा करते हैं.. जो अलग हो !
फिर उसने कहा- जैसा फिल्मों में होता है वैसा।
मैंने पूछा- जैसे क्या?
उसने कहा- जैसे अलग-अलग पोजीशन में चोदना, कुछ गन्दी हरकतें करना, गन्दी बातें करना, एक साथ बहुत से लोगों के साथ चुदाई करना, खुले में चोदना, ये सब !
तब मैंने कहा- तुमने इन में से कुछ चीजें तो कर ली हैं, पर अब गन्दी चीजें करना, खुले में चोदना और बहुत से लोगों के साथ चोदना ही रहा गया है।
तब उसने कहा- आज रात मैं तुम्हें खुले में चोदना चाहता हूँ !
मैंने तुरंत कहा- यह नहीं हो सकता, यह गाँव है किसी ने देख लिया तो तुम्हें और मुझे जान से मार डालेंगे !
तब उसने कहा- गोदाम के पीछे तो जंगल सा है और अँधेरा है और इतनी रात को उधर कौन आएगा !
मैंने कहा- बिल्कुल नहीं.. उधर मुझे डर लगता है, कहीं कोई सांप-बिच्छू ने काट लिया तो?
तब उसने कहा- जीने का असली मजा तो डर में ही है।
और वो जिद करने लगा, रात काफी हो चुकी थी, करीब 12 बज चुके थे तो मैंने भी हार कर ‘हाँ’ कह दी।

हम दोनों अभी भी नंगे थे, उसने पहले निकल कर देखा कि कहीं कोई है तो नहीं, फिर मुझसे कहा- चलो !
मैंने अपने कपड़े साथ लेने की सोची, पर उसने मुझे नंगी ही चलने को कहा।
हम गोदाम के पीछे चले गए, उधर बहुत अँधेरा था और झाड़ियाँ भी थीं, 2-3 पेड़ भी थे।
पर अच्छी बात यह थी कि ज़मीन पर घास थी। हलकी रोशनी में उसने मुझे एक पेड़ के नीचे खड़ा कर दिया और मुझे लिपट कर मेरे बदन से खेलने लगा, मेरे स्तनों को जोर-जोर से मसलने लगा और मेरे होंठों को चूसने लगा।
मैं दर्द से कराह रही थी।
फिर मेरे स्तनों को मुँह लगा कर चूसने लगा, उसने कहा- इसमें दूध नहीं आता क्या?
मैंने कहा- आता था, पर कुछ महीनों से बंद हो गया है, क्या तुम मेरा दूध पियोगे अब !
उसने बच्चों की तरह चूसते हुए कहा- हाँ.. अगर निकलता तो जरुर पीता.. एक औरत के दूध में जो मजा है, वो और कहीं नहीं !
तब उसने बताया- सुधा का दूध अभी भी आता है। उसका आना बंद हो गया था, पर एक बार उसका बच्चा ठहर गया, तब से दुबारा आना शुरु हो गया।
मैंने उससे पूछा- क्या वो बच्चा तुम्हारा था?
तो उसने कहा- पता नहीं.. क्योंकि उस महीने उसने 4 लोगों के साथ बिना कॉन्डोम के चुदवाया था और एक रात मुझसे और मेरे एक दोस्त के साथ भी बिना कॉन्डोम के चुदी थी, हम दोनों ही उसकी बुर के अन्दर झड़ गए थे !
मैंने तब पूछा- तुम दोनों एक साथ उसको चोद रहे थे?
तब उसने कहा- नहीं.. बारी-बारी से चोदा, एक साथ उसे अच्छा नहीं लगता, पर उस दिन उसकी हालत खराब हो गई थी। मैंने 3 बार और मेरे दोस्त ने 4 बार चोदा था उसको !
मैं ये सब सुनकर हैरान हो गई कि लोग ऐसा भी करते हैं।
तभी उसने कहा- क्या तुम एक या दो से अधिक मर्दों के साथ चुदवाना पसंद करोगी?
मैंने तुरंत कहा- नहीं !
तब उसने कहा- बहुत मजा आता है ऐसे और खासकर तब.. जब उतनी ही औरतें भी साथ हों ! कभी इसको तो कभी उसको चोदो पूरी रात.. धकापेल !
मैंने साफ़ मना कर दिया पर उसने कहा- कल हम तीनों साथ में चुदाई करेंगे !
तब मैंने कह दिया- ठीक है !
इसी तरह बातें करते और एक-दूसरे के जिस्मों से खेलते हम काफी गर्म हो चुके थे, उसका लिंग कड़क हो गया था, उसने मुझे पेड़ की तरफ मुँह करके झुक कर पेड़ को पकड़ने को कहा। फिर मेरी टाँगों को फैला कर मेरे पीछे आ गया। उसका लिंग मेरी योनि से रगड़ खा रहा था।
उसने मुझे पकड़ लिया और कहा- चलो पेशाब करो।
मैंने सोचा ‘अब यह क्या कर रहा है !’ फिर भी मैं कोशिश करने लगी पेशाब करने की।
कुछ जोर लगाने पर निकल गया, जो उसके लंड पर गिरने लगा।
तब उसने कहा- आ..हह.. कितना गर्म है.. बहुत सुकून मिल रहा है !
तभी उसने अपना लिंग मेरी योनि में घुसा दिया, तो मेरा पेशाब रुक गया।
उसने कहा- रुको मत.. तुम अपना पेशाब निकालती रहो.. मैं इसी तरह चोदूँगा !
पर इस तरह तो मुश्किल लग रहा था। फिर भी मैं जोर डालती तो थोड़ा-थोड़ा कर के निकलता, जो मेरी जाँघों और उसके लंड और अंडकोष से बहता हुआ नीचे जाने लगा।
तब मुझे समझ आया कि इस तरह की गन्दी-गन्दी चीजें करना उसे पसंद है।
कुछ देर बाद उसने मुझे जमीन पर लिटा कर चोदा।
फिर हम झड़ गए और वापस गोदाम में चले गए।
रात काफी हो चुकी थी और मैं थक गई थी क्योंकि आज मैंने खड़े-खड़े चुदवाया था, सो मुझे नींद आ रही थी। मैंने कपड़े पहने और वापस अपने कमरे में चुपके से आकर सो गई।
थकान के कारण नींद इतनी अच्छी आई कि सुबह नींद खुलने पर दुनिया का एहसास हुआ।
अगले दिन भी वैसे ही भाभी के साथ काम में हाथ बंटाती रही, फिर रात को सबके सोने के बाद मैं फिर छत पर गई।
मैंने देखा मेरी सहेली उसकी गोद में बैठ कर बातें कर रही थी।
मैंने कहा- तुम दोनों को डर नहीं लगता ऐसे खुले में इस तरह बैठे हो.. किसी ने देख लिया तो क्या होगा?
तब सुधा ने कहा- तुम बहुत डरती हो ! यहाँ कौन है जो देखेगा? और वैसे भी गांव में सब जल्दी सो जाते हैं !
फिर मैंने कहा- अब जल्दी चलो गोदाम में यहाँ कोई देख लेगा !
वो लोग मुस्कुराते हुए चलने लगे। हमने अन्दर जा कर दरवाजा बंद कर दिया।
दरवाजा बंद करते ही विजय ने मुझे पकड़ लिया और चूमना शुरू कर दिया।
उसने मेरे चूतड़ों को जोर से मसलते हुए कहा- क्या मस्त बड़े-बड़े चूतड़ हैं तुम्हारे !
मैं शरमा गई।
विजय ने मुझे पकड़ रखा था और हम दोनों खड़े-खड़े ही एक-दूसरे को चूमने और चूसने का काम कर रहे थे।
सुधा हम दोनों को देख मुस्कुरा रही थी, तभी वो पास आई और कहा- मुझे भी तो गर्म करो !
अब विजय ने मुझे छोड़ सुधा को पकड़ा और उसको चूमने लगा। मेरी सहेली भी उसका साथ देने लगी वो उसके जुबान को लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी।
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरे सामने कोई ब्लू-फिल्म चल रही हो।
फिर उसने मुझे भी अपनी ओर खींच लिया और कभी मुझे तो कभी मेरी सहेली को चूमता चूसता।
ये सब मुझे बहुत रोमाँचित कर रहा था क्योंकि यह सच में मेरे साथ हो रहा था, इससे पहले मैंने सिर्फ फिल्मों में ही ऐसा देखा था।
धीरे-धीरे हमने उसके कपड़े उतार कर उसको नंगी कर दिया और उसने हम दोनों को। फिर हम तीनों बोरियों से बने बिस्तर पर चले गए।
उसने मुझे बिस्तर पर लेटने को कहा और मैं लेट गई, उसने मेरी टाँगें फैला दी और झुक कर मेरी योनि चाटने लगा।
तभी सुधा नीचे झुक कर उसके लिंग को हाथ से हिलाने लगी फिर चाटने लगी।
विजय अपनी कमर हिला कर उसके मुँह में अपने लिंग को अन्दर-बाहर कर रहा था जैसे कि वो चोदने के समय करता था।
मेरी योनि तो अब पानी-पानी होने लगी थी, मैं बुरी तरह से गर्म हो चुकी थी, अब मैं चाहती थी कि वो मुझे चोदे।
विजय ने मुझे छोड़ दिया और मेरी सहेली को मेरे बगल में लिटा कर उसकी योनि को चाटना शुरू कर दिया।
वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी और उसके आँखों में वासना झलक रही थी।
उसने तभी मेरी योनि को छुआ, मैं सहम गई और उसका हाथ हटाते हुए कहा- क्या कर रही हो?
उसने मुस्कुराते हुए कहा- देख रही हूँ कि दो रातों में तेरी बुर की गहराई कितनी हो गई है !
और फिर उसने दो उंगलियाँ अन्दर डाल दीं और अन्दर-बाहर करने लगी, मुझे उसके उंगलियों से भी मजा आ रहा था।
फिर विजय ने मुझसे कहा- मेरा लंड चूसो !
सो मैंने चूसना शुरू कर दिया।
काफी देर हम उसके अंगों से खेलते रहे और वो हमारे अंगों से खिलवाड़ करता रहा।
फिर उसने चोदने का मन बना लिया, उसने मुझे खड़े होने को कहा और खुद भी खड़ा हो गया, सुधा ने मेरी योनि पर थूक लगा दिया।
मुझसे विजय ने कहा- तुम मेरे लौड़े पर अपना थूक लगाओ !
मैंने लगा दिया।
सुधा ने नीचे बैठ कर मेरी एक टांग उठा दी। फिर विजय मेरे पास आकर मुझे पकड़ लिया और मैंने उसको।
अब सुधा उसका लिंग हाथ से पकड़ कर मेरी योनि पर रगड़ने लगी और फिर उसके लिंग को योनि के छेद पर टिका कर कहा- जोर लगाओ !
हल्के से धक्के में ही उसका लिंग ‘चप’ करता हुआ, मेरी योनि में घुस गया और मेरी बच्चेदानी से टकरा गया।
मैं सिसकार उठी।
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