Sex Hindi Kahani पराये मर्द से सम्भोग
06-27-2017, 11:40 AM,
#3
RE: Sex Hindi Kahani पराये मर्द से सम्भोग
मैंने दर्द को सहते हुए जोर लगाया और उसने भी तो पूरा लिंग मेरी योनि में समा गया। मैं उसके सुपाड़े को अपनी बच्चेदानी में महसूस करने लगी।
उसने मुझे चूमा और कहा- तुम्हारी बुर कितनी कसी हुई है.. कितने दिनों के बाद चुदवा रही हो..?
मैंने कहा- तीन महीने के बाद… अब देर मत करो.. चोदो !
उसने कहा- ठीक है, पर कोई परेशानी हो तो कह देना !
मैंने कहा- ठीक है, पर आराम से धीरे-धीरे और सीधे-सीधे घुसाना !
उसने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देखा फिर मेरे होंठों से होंठ सटाकर चूमते हुए अपना काम शुरू कर दिया, उसने मुझे धीरे-धीरे चोदना शुरू कर दिया।
मुझे भी कुछ समय के बाद सहज लगने लगा तो मैंने भी अपनी कमर उछालाना शुरू कर दिया।
अब मुझे मजा आने लगा, उसने अब अपनी गति तेज़ कर दी, मैं सिसकारियाँ लेने लगी।
मेरी योनि से पानी रिसने लगा, जो उसके लिए काम और आसन करता जा रहा था। उसके धक्कों से मेरी योनि में उसका लिंग इतनी आसानी से जा रहा था कि क्या कहूँ ! मैं तो मस्ती में उसके बाल तो कभी उसके पीठ नोचने लगी।
वो भी कभी मेरे गाल काटता तो कभी चूचुकों को और जोर से दबाता।
हम दोनों कभी एक-दूसरे को देखते, कभी चूमते, चूसते या काटते और वो तेज़ी से मेरी योनि को चोदे जा रहा था।
वो लगातार 15-20 धक्के मारता तेज़ी में फिर 2-4 धक्के के बाद जोर से फिर पूरा लिंग मेरी योनि में घुसा कर जोर से मेरी बच्चेदानी में सुपाड़े को रगड़ने लगता। इस तरह मुझे बहुत मजा आ रहा था।
हम दोनों की साँसें तेज़ हो रही थीं और पसीने से तर होने लगे थे। पर उसका पसीना भी मुझे किसी खुशबूदार फूल की तरह लग रहा था। उसे भी शायद मेरे पसीने की गंध अच्छी लग रही थी।
उसने मुझसे पूछा- कैसा लग रहा है?
मैंने जवाब दिया- बहुत मजा आ रहा है, तुम्हें कैसा लग रहा है?
उसने कहा- मुझे तो बहुत मजा आ रहा है, तुम्हारी बुर इतनी कसी हुई है कि लंड का चमड़ा खिंचा जा रहा है और फूली हुई है तो गद्देदार लग रही है !
उसकी तारीफ़ सुन कर मैं खुश हुई और मुस्कुराते हुए उसका साथ देने लगी।
उसने कहा- कुछ बात करते हुए चुदवाओ तो मजा और भी आएगा !
मैंने कहा- ठीक है !
फिर हम बातें करने लगे और साथ ही वो मुझे चोद रहा था।
उसने कहा- क्या तुम ऐसे ही चुदवाओगी या किसी दूसरे तरीके से भी?
मैंने कहा- तुम्हें जैसा अच्छा लगे चोदो !
तब उसने कहा- मैं धक्के लगाते हुए थक गया हूँ.. क्या तुम ऊपर आना चाहोगी?
तब मैंने कहा- ठीक है !
फिर उसने मुझे पकड़ कर उठाया और अपनी गोद में बिठा लिया। हम दोनों बैठ गए और मैंने उसके गले में हाथ डाल कर उसे पकड़ लिया।
उसने मेरे चूतड़ों को पकड़ा और कहा- अब तुम चुदवाओ !
अब मैंने भी धक्के लगाने शुरू कर दिए। कुछ देर के बाद मैंने वो किया जिसका उसने कभी सोचा नहीं था। मैंने अमर के साथ जो किया वही किया।
मैं 8 लिखने के अंदाज में अपनी कमर को घुमाना शुरू किया।
उसने तब कहा- तुम तो सच में खिलाड़ी हो कितना मजा आ रहा है करते रहो !
करीब 10 मिनट तक करने के बात मैं भी थक चुकी थी, उसको कहा- अब मैं थक गई हूँ।
तब उसने मुझे नीचे उतार दिया और कहा- चलो अब घोड़ी बन जाओ !
और मैं झुक कर दोनों घुटनों को मोड़ कर अपनी हाथों के बल कुतिया सी बन गई।
उसने पहले तो पीछे से मेरी योनि को चाटा फिर लिंग को योनि पर टिका कर धक्का दिया। लिंग पूरा घुस गया। इस तरह लिंग सीधा मेरी योनि की आगे की दीवार से रगड़ खाने लगी।
मुझे बहुत मजा आने लगा और मैं मस्ती में सिसकारी लेते हुए कहने लगी- हाँ.. ऐसे ही ऐसे चोदो मुझे.. ह्म्म्मम्म आ..हह..स्सस्सस्स !
करीब 10 मिनट तक ऐसे चोदने के बाद मैं अब झड़ने वाली थी। मेरे शरीर की अकड़न देख कर वो समझ गया कि मैं अब झड़ने जा रही हूँ, उसने तुरंत मुझे सीधा लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गया, मेरी टाँगों को फैला कर उसने अपने कन्धों पर रख दिया और कहा- तुम्हें अब और ज्यादा मजा आएगा !
उसने लिंग मेरी योनि में घुसा दिया और चोदने लगा, मैं उसके चूतड़ों को कस के पकड़ कर अपनी ओर खींचने लगी। उसकी साँसें मेरी साँसों से तेज़ हो रही थी।
उसने कहा- मैं झड़ने वाला हूँ !
मैं भी अब और खुद को रोक नहीं सकती थी। बस एक-दो धक्कों में ही मेरा स्खलन हो गया। मैंने उसे अपनी पूरी ताकत से पकड़ लिया।
अब उसकी बारी थी, उसके धक्कों में तेज़ी दुगुनी हो गई और फिर 5-8 जोरदार धक्कों के साथ वो भी झड़ गया।
मैंने महसूस किया कि कुछ गर्म चीज़ मेरे अन्दर पिचकारी की तरह गई और मेरी योनि उसके वीर्य से भर गई।
वो हाँफते हुए मेरे होंठों को चूसते हुए मेरे ऊपर निढाल हो गया। करीब 5 मिनट हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे।
फिर वो मुझसे अलग हुआ, उसका लिंग सिकुड़ कर आधा हो गया था और मेरी योनि से उसका वीर्य बहने लगा था।
उसके पूरे बदन से पसीना बह रहा था और मेरे सीने और जाँघों के पास योनि के किनारों से भी पसीना बह रहा था। मैंने अपनी पैन्टी से योनि पर वीर्य साफ़ किया।
रात के 12 बज चुके थे। हम दोनों वहीं लेट गए और बातें करने लगे।
उसने मुझसे कहा- मैंने बहुतों के साथ सेक्स किया है और हर औरत में एक अलग ही मजा होता है, पर असली मजा तब आता है जब कोई पूरा साथ दे तुम्हारी तरह!
मैंने भी तब कहा- मुझे सेक्स बहुत पसंद है और मैं उसे पूरा मजा लेना चाहती हूँ, तुम्हारे साथ बहुत मजा आया !
फिर उसने कहा- कहीं तुम्हें कुछ तकलीफ तो नहीं हुई इस दौरान?
मैंने उत्तर दिया- शुरू में लंड अन्दर जाते हुए थोड़ा दर्द हो रहा था, पर इतना तो चलता है !
फिर उसने मुझे मुस्कुराते हुए देखा और मेरे होंठ चूम लिए और कहा- तुम इतने दिनों के बाद चुदवा रही थी और ऊपर से तुम्हारी बुर औरों के मुकाबले थोड़ी छोटी है, इसलिए मुझे कसी हुई लगी। मुझे भी ऐसा लग रहा था कि मेरे लंड का चमड़ा खिंच कर पूरा ऊपर आ जाएगा !
हम काफी देर यूँ ही बातें करते रहे। वो मेरी और मेरे जिस्म की तारीफ़ करता रहा। अब उसने बातें करते हुए फिर से मेरी योनि को सहलाना शुरू कर दिया।
मैंने उससे कहा- अभी मन नहीं भरा क्या !
उसने जवाब दिया- अगर पास में तुम्हारी तरह कोई जवान औरत हो तो भला किसी मर्द का मन भरेगा !
और उसने मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया।
मैंने भी अपनी प्रतिक्रिया दिखाई और उसका लिंग पकड़ कर हिलाने लगी साथ ही उसे चूमने और चूसने लगी।
उसने मुझसे कहा- सारिका, हम इन 5 दिनों में हर तरह से सेक्स करेंगे और किसी रोज तुम्हारी सहेली को साथ रख कर तीनों मिल कर करेंगे !
मुझे उसकी बातें रोचक लग रही थीं और मैं फिर से गर्म होने लगी थी। उसका लिंग भी अब कड़ा हो गया था।
पर उसने मुझसे कहा चूसने को, मैंने चूसना शुरू कर दिया। कुछ देर के बाद उसने मुझे अपने ऊपर बुलाया और मेरी कमर उसकी तरफ करके मुझे चूसने को कहा।
तभी मैंने देखा कि मैं इधर उसका लिंग चूस रही थी, उधर वो मेरी योनि में उंगली डाल रहा है और फिर चूस रहा है।
काफी देर के बाद उसने मुझसे कहा- अब तुम खड़ी हो जाओ और दीवार के पास रखी बोरियों के ऊपर एक टांग रख कर खड़ी हो जाओ !
मैंने कहा- क्या करने वाले हो?
उसने कहा- बस तुम खड़ी हो जाओ, तुम्हें और भी मजा आने वाला है !
मैं वहाँ गई, एक टांग उठा कर बोरियों के ऊपर रख दिया, तो मेरी योनि खुल कर सामने आ गई। अब वो मेरे पास अपने लिंग को हाथ से हिलाते हुए आया और लिंग पर थूक लगाया फिर कुछ मेरी योनि पर भी कुछ थूक मला।
अब उसने खड़े होकर लिंग मेरी योनि में घुसाने लगा और मुझसे कहा कि मैं उसे पकड़ लूँ !
मैंने वैसा ही किया।
उसने मेरे दोनों चूतड़ों को पकड़ा और धक्के लगा कर चोदना शुरू कर दिया। इस बार धक्के पहले जैसे ही थे, पर वो मुझे काफी दम लगा कर चोद रहा था।
कुछ ही देर में मेरी सिसकारियाँ निकलनी शुरू हो गईं।
अब उसने मुझसे कहा- अपना पैर नीचे कर लो, पर दोनों टाँगों को फैलाये रखना !
मैंने वैसा ही किया, उसका लिंग अभी भी मेरी योनि के अन्दर ही था।
फिर उसने कहा- अब तुम भी मेरे साथ धक्के मारो !
मैंने भी अब धक्के लगाने शुरू कर दिए, कसम से कितना मजा आ रहा था। वो मुझे चोदने के साथ मेरी स्तनों को दबाता कभी चूसता तो कभी काट लेता।
हम दोनों को बहुत मजा आ रहा था। वो मुझे उकसा रहा था, बार-बार कह रहा था ‘हाँ.. और जोर से.. और जोर से !’
कुछ देर में तो मेरा पानी ही निकल गया और मेरा जिस्म ढीला पड़ गया, पर वो मुझे अपनी पूरी ताकत से चोद रहा था।
उसने अब मेरी दोनों टाँगों को उठाया और मुझे अपनी गोद में ले उठा लिया।
मैं हैरान हुई कि मेरा इतना वजन होते हुए भी उसने मुझे उठा लिया और मुझे चोदने लगा।
उसने मुझसे कहा- तुमने तो मेरा साथ जल्दी छोड़ दिया !
मैंने कहा- मैं अब भी तुम्हारे साथ हूँ.. तुम जितना देर चाहो चोद सकते हो !
उसने मेरे भारी और मोटे शरीर को काफी देर अपनी गोद में उठा कर मुझे चोदा।
फिर वो मुझे इसी तरह लाकर धीरे से बोरियों के ऊपर लेट गया। मैं उसके ऊपर हो गई और अब मेरा फर्ज बनता था कि उसके लिए कुछ करूँ, तो मैंने धक्के लगाने शुरू कर दिए।
मैं अब दुबारा गर्म होने लगी। उसके सुपारे से अपनी बच्चेदानी को रगड़ने लगी। जब मैं ऐसा करती, तो वो मेरी कमर को पकड़ कर अपनी और खींचता और अपनी कमर उठा देता।
कभी तो जोर का झटका देता, जिससे मेरी चीख निकल जाती और ये शायद उसे और भी उत्तेजित कर रहा था।
तभी उसने मुझसे पूछा- तुम्हें अपनी बच्च्दानी में लंड रगड़ना अच्छा लगता है?
मैंने कहा- हाँ.. बहुत मजा आता है!
उसने कहा- क्या तुम्हें दर्द नहीं होता?
मैंने कहा- होता है, पर मजा इतना आता है कि मैं उस दर्द को भूल जाती हूँ और वैसे भी दर्द में ही असली मजा है !
यह बात सुन कर वो पागल सा हो गया, उसने करवट ली और मेरे ऊपर आ गया।
अब उसने अपना खूंखार रूप ले लिया, उसने मुझे पूरा दम लगा कर चोदना शुरू कर दिया।
मैं अब ‘हाय…हाय’ करने लगी.. और वो मुझे बेरहमी से चोदने लगा और कहने लगा- लो मेरी जान… और लो… मजा आ रहा है ना?
काफी देर मेरे जिस्म को बेरहमी से चूसने, चाटने, काटने, मसलने और चोदने के बाद मैं अब दुबारा झड़ने के लिए तैयार थी।
उधर विजय भी अपना लावा उगलने को बेताब था।
मैंने अपनी कमर उछालना शुरू कर दिया और वो भी जोर के धक्कों से मुझे चोद रहा था। उसका लिंग मेरी योनि में ‘फच..फच’ की आवाज करता तेज़ी से घुस और निकल रहा था।
तभी मेरे बदन में अकड़न सी हुई और मेरा बदन सख्त हो गया। मैंने उसको अपनी पूरी ताकत से अपनी और खींचा और अपनी कमर उठा दी, जैसे मैं उसका लिंग अपनी योनि की गहराई में उतार लेना चाहती हूँ और फिर मैं झड़ गई।
मेरा बदन अब ढीला हो रहा था, पर मैं अब भी उसे अपनी ताकत से पकड़ी हुई थी। वो अभी भी मुझे पूरी ताकत से चोद रहा था, उसका लिंग मुझे और ज्यादा गर्म लग रहा था।
तभी उसकी साँसें तेज़ हो गईं। उसने मेरे होंठों पर अपना होंठ रख चूसने लगा फिर मेरी जुबान को चूसने लगा और 7-8 धक्कों के साथ वो भी झड़ गया और हाँफता हुआ मेरे ऊपर लेट गया।
इस बार मुझे पहले से कही ज्यादा मजा आया और इस बार उसने एक बार भी अपना लिंग मेरी योनि से बाहर नहीं निकाला जब तक कि वो झड़ न गया।
मैं बहुत थक चुकी थी और मैं अब सोना चाहती थी, पर उसने मुझे रोक लिया।
रात के 2 बज गए थे और मुझमें अब हिम्मत नहीं थी कि और खुद को रोक सकूँ। पर उसने मेरी एक न सुनी और मुझे फिर से दो बार चोदा।
उस रात हमने 4 बार चुदाई की, चौथी बार तो करीब 4 बज गए थे। वो मुझे काफी देर से चोद रहा था, पर वो झड़ नहीं रहा था।
तभी मेरी सहेली ने फोन किया- सुबह हो चुकी है, मैं आ रही हूँ, तुम्हें अपने कमरे में छोड़ देती हूँ।
पर विजय मुझे छोड़ने को तैयार नहीं था, बस ‘कुछ देर और.. कुछ देर और..’ कह कर चोदता रहा।
तभी मेरी सहेली मुझे लेने आ गई और हम दोनों उस वक्त भी चुदाई कर रहे थे।
वो हमे देख कर हँसने लगी और कहा- अभी तक तुम दोनों का मन नहीं भरा ! ठीक है कर लो, मैं यही इन्तजार करती हूँ !
मुझे उसके सामने शर्म आ रही थी, पर मैं खुद को आज़ाद भी नहीं कर पा रही थी।
कुछ देर बाद हम दोनों फिर से झड़ गए। मैंने जल्दी से अपनी योनि को साफ़ किया कपड़े पहने और चली गई।
सुधा हँसते हुए बोली- काफी प्यासी लग रही हो, सुबह पता चलेगा रात की मस्ती का !
मैं शर्माते हुए जाने लगी।
अपने कमरे में जाते ही मैं कब सो गई पता ही नहीं चला और सुबह देर तक सोती रही।
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