RE: Sex kamukta पिकनिक का प्रोग्राम
मैंने यह खेल पिरी, जीनत, सोनम, कोमल और जेबा के साथ कई बार खेला। फिर एग्ज़ाम आ गये सब एग्ज़ाम की तैयारी में लग गये। एक शाम 4:00 बजे जेबा मेरे घर आ गयी, कुछ नोट लेने के लिए। घर में मैं अकेला था। उसने पूछ लिया मैंने बता दियाया की सब शादी में गये हैं। तो वो नोट लेना भूल गयी और मेरे गले में बाहें डाल दी और कहा- इमरान तुम सच में मुझसे प्यार करते हो ना।
मैं- मुझे हाँ कहना पड़ा, लेकिन तभी तक जब तक तुम बाकी लड़कियों से जलोगी नहीं।
जेबा- ठीक है अभी तुम सिर्फ़ मेरे साथ वोही सब करो ना। सबके सामने मुझे बहुत शरम आती थी। खुलकर प्यार नहीं किया जाता।
मैंने भी बहुत दिनों से किसी को चोदावा नहीं था। उसकी बातों में आ गया और उसके होंठ चूमने लगा। उसने खुद ही सलवार का नाड़ा खोलकर सलवार गिरा दिया। इमरान जल्दी करो मुझे घर जाना है। मैंने भी नीचे बैठकर सीधे उसकी चूत चाटने लगा। फिर खड़ा हुआ और उसकी कुरती उतार दी। वो मना करती रही लेकिन मुझे पूरी तरह नंगा किए बिना मजा नहीं आता था। वाह क्या छातियां थी… उसकी सभी लड़कियों में सबसे बड़ी थी। सफेद रंग पर गुलाबी चूचुकों को मैं चूसने लगा।
वो लिपटती रही, मेरे सर के बालों को सवांरती रही। मैंने उसे उठाकर पलंग पर लिटाया और उसकी बुर चाटी। वो पागलों की तरह उम्म्म्मह… सस्सिसशह… स्शीसशह… करने लगी। मैंने लण्ड पेल दिया। अब मेरे धक्के थे और उसकी उम्मह… उम्मह… की आवाजें। मैं पेलता गया, वो मजा लेती रही। उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और उसने पानी छोड़ना शुरू कर दिया। उसको पानी भी सबसे ज्यादा निकलता था। उम्मह… उम्म्मह… करती एक झटका खाती फिर पानी छोड़ती। इस तरह कई झटके खाया और पानी ही पानी। अब तो चोदना म्यूजिकल हो गया था, पच-पच पचा-पच।
मैं पलटा और उससे कहा- अब मेरा पानी निकाल।
वो किसी माहिर चुदक्कड़ की तरह गाण्ड हिलाने लगी। मैं उसके दूध हिलते देखता रहा। उसके दूध के नजारे ने मुझे भुला दिया और मेरे लण्ड ने एक पिचकारी उसकी बुर के अंदर छोड़ दिया। मैं उसे अलग करता उससे पहले ही मेरे लण्ड ने दूसरी बार पिचकारी उसकी बुर में छोड़ दिया।
मैंने उसे नीचे उतारा और उससे कहा- जल्दी जाकर बुर को अच्छी तरह धो।
फिर उसने आकर नोट्स लिए और घर चली गयी।
हम सबने एग्ज़ाम दिए।
15 दिन बाद पिरी की शादी हुई हम सब दोस्त एकट्ठे हुए, पिरी को विदा किया। सबसे ज्यादा खुशी जीनत को हुई। उसने इस तरह कहा- चलो एक गयी।
मैंने उसे घूर कर देखा तो उसने बात बदली- मेरा मतलब था एक का घर बसा। हम लोगों का कब होगा। हाआआं… बनावटी अया भरने लगी।
एक महीने बाद रिजल्ट आ गया हम सब अच्छे नंबर से पास हो गये। मैं कालेज जाने की तैयारी करने लगा।
तभी एक रोज जेबा के अब्बू हमारे घर आए और मेरे अब्बू से कुछ कहने लगे। अब्बू ने अम्मी को चिल्लाकर बुलाया, जैसा वो कभी नहीं बुलाते थे। अम्मी दौड़कर अब्बू के सामने गयी। फिर कहा- कहाँ हैं हमारे साहबजादे… बुलाओ उन्हें।
अम्मी ने मुझे आवाज दिया। मैं अब्बू के सामने आया।
अब्बू ने कहा- जेबा के अब्बू क्या बकवास कर रहे हैं।
मेरी तो जान में जान नहीं रही।
अब्बू बोले- उनका कहना है की तुमने उनकी बेटी को माँ बना दिया है।
मैं बेहोश होने लगा। मुझे और कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। मेरी खामोशी मेरे लिए कहर बन गयी। अब्बू उठे और अपनी छड़ी से पीटने लगे। मेरे बदन को कुछ अहसास नहीं हो रहा था।
अब्बू कह रहे थे- निकल मेरे घर से। इस घर में तेरे लिए कोई जगह नहीं।
जेबा के अब्बू बोल रहे थे- इस तरह बात बिगड़ जाएगी। सब्र से काम लीजिए।
अब्बू बोले- आपको इसकी फिक्र है। तो इसे मेरी नजरों से दूर ले जाइए। मेरे सामने रहेगा तो मैं उसे ज़िंदा नहीं छोड़ूँगा।
जेबा के अब्बू मेरे अब्बू को गुस्से को देखकर डर गये और मुझसे कहा- चलो मेरे साथ, और लगभग घसीटते हुए मुझे घर से बाहर ले गये।
मुझे ना तो कुछ सुनाई दे रहा था और ना दिखाई। मेरे बदन से कई जगह से खून बह रहा था। वो मुझे अपने घर ले गये और डाक्टर को बुलाया। मेरे जख़्मों पे मरहम लगाया। मुझे पलंग पे लिटाया। फिर जेबा को गर्दन से पकड़कर लाया और कहा- देख इसका हाल इसके लिए तू जिम्मेदार है।
जेबा- “अब्बू इससे किसने मारा…” जेबा ने रोते हुए पूछा।
उसके अब्बू ने कहा- इसके अब्बू ने।
जेबा दूर खड़ी रोने लगी- बोली इमरान मुझे माफ कर दो। मेरी गलती की सजा तुम्हें मिली। मुझे तुम्हारे अब्बू के पास ले चलो।
उसके अब्बू बोले- उन्होंने इसे घर से निकाल दिया है। अब रख अपने पास।
कुछ ही देर में मेरे घर से किसी ने आकर खबर दी की मेरे अब्बू को दिल का दौरा पड़ा है। मैं दौड़ा, जेबा के अब्बू मेरे साथ गये। हम हास्पिटल पहुँचे उससे पहले ही मेरे अब्बू ने दम तोड़ दिया। उनके तीजे के बाद मैं जेबा के अब्बू के पास गया और उनसे कहा- की मैं जेबा से शादी करूँगा। आप फिक्र ना करें।
अब्बू के चालीस दिन के बाद मैंने अम्मी से कहा- अम्मी मुझे इजाजत दें की मैं एक लड़की को बदनामी से बचा सकूं।
यह बात जीनत और सोनम और कोमल को भी मालूम पड़ चुकी थी।
मैंने अम्मी से इजाजत लेकर सिर्फ़ काजी और दो गवाहों के बीच जेबा से शादी कर ली और उसे अपने घर ले आया। वो बहुत अच्छी बहू थी। अम्मी-अब्बू के अचानक मौत से टूट चुकी थीं। जेबा अम्मी का बहुत खयाल रखती थी। लेकिन दो महीने बाद उनका भी इंतेकाल हो गया। एक दिन मैं अपना स्कूल बैग टटोल रहा था की मेरे हाथ वो 10 लाख की गड्ढी पड़ गयी। मैंने जेबा से यह नहीं बताया। क्योंकी मुझे शरम आ रही थी। पता नहीं जेबा क्या समझे।
मैंने कुछ बिज़नेस करने का सोचा। मेरे एक रिश्तेदार थे वो हर वक़्त अब्बू के पास रूपए लेकर जाते थे और जमीन वगैरह का बिज़नेस करते थे। मेरे पास भी आए तो मैंने उनसे कहा मैं भी यह बिज़नेस करना चाहता हूँ।
तो वो बहुत खुश हुए और कहा- “मैं भी चाहता था की किसी नौजवान को यह बिज़नेस सिखा दूं। चलो मेरे साथ जमीन दिखा लाता हूँ…” उन्होंने कई जमीनें दिखाईं। मुझे एक जमीन पसंद आई। मैंने उसी 10 लाख में से 7 लाख में वो जमीन खरीद ली। उसे प्लाटिंग करके बेचा, ट्रिपल मुनाफा हुआ। मैंने एक दफ़्तर किराए में लिया और अब्बू के नाम पर साहब एंटरप्राइजस रखा।
शहर में मेरे अब्बू को सब बहुत इज़्ज़त की निगाह से देखते थे। मेरे पास जमीन बेचने और खरीदने दोनों के ग्राहक आने लगे। मैंने कार ले ली, मेरा बिज़नेस दिन दूनी रात चौगुनी तरक़्क़ी करने लगा। एक रोज मैं एक माल में कुछ खरीद रहा था तो जीनत से मुलाकात हो गयी।
मैंने उससे बात करनी चाही तो उसने मना कर दिया। मैंने उसे नहीं छोड़ा और एक रेस्टुरेंत के केबिन में ले गया। वो रोने लगी- तुमने मुझे कभी अहमियत ही नहीं दी। मैं भी इंसान हूँ यार। सबको हँसाती रहती हूँ। एक मजाक बनकर रह गयी हूँ।
मैंने कहा- तुमने कभी खुलकर बताया नहीं।
उसने रोते हुए कहा- यह सब बताई नहीं जाती महसूस किया जाता है।
मैंने कहा- “तुम चाहती क्या हो…”
उसने कहा- अब चाहने से क्या होता है।
मैं- क्यों नहीं होता तुम चाहो तो अब भी हो सकता है।
क्या मतलब मैं कुछ समझी नहीं।
मैं- तुम समझ भी नहीं पाती समझा भी नहीं पाती, तो तुम्हें रोना ही चाहिए।
“क्या तुम मुझसे दूसरी शादी करो गे…”
मैंने कहा- मैं तो मुसलमान हूँ चार शादी कर सकता हूँ।
“उसने कहा सच…”
मैंने कहा- बिल्कुल सच। तुम घर वालों से कहो।
उसने कहा- घर वाले नहीं मानेगे।
मैं- तो फिर कोर्ट मैरेज।
उसने कहा- यही ठीक रहेगा। मैं कल कोर्ट में मिलूँगी।
मैं घर गया और बहुत ही परेशान सा चेहरा बनाकर घूमने लगा। जेबा ने पूछा।
तो मैंने कहा- आज जीनत मिली थी। कैसी उदास उजड़ी सी दिख रही थी। पहचानी भी नहीं जा रही थी। मैंने बड़ी मुश्किल से पहचाना। मुझसे बहुत नाराज थी। कह रही थी ज़िंदगी भर कुँवारी रहेगी। मैंने बहुत पूछा तो कहा वो मुझसे शादी करना चाहती थी। लेकिन मैंने तो शादी कर ली तुमसे।
जेबा बोली- तो क्या आप उनसे भी शादी कर लीजिए। उन्होंने तो मुझे तुमसे मिलाया था। जब हम शादी से पहले एक साथ खेल सकते थे तो शादी के बाद क्यों नहीं।
मैंने जेबा को गोद में उठा लिया और उसे चूमते हुए मैंने कहा- “वाह जेबा, दुनियां तुम्हारी जैसी लड़कियों की वजह से खूबसूरत बनी हुई है…” उस रात मैंने जेबा को जमके चोदा।
मैंने जेबा को गोद में उठा लिया और उसे चूमते हुए मैंने कहा- “वाह जेबा, दुनियां तुम्हारी जैसी लड़कियों की वजह से खूबसूरत बनी हुई है…” उस रात मैंने जेबा को जमके चोदा।
दूसरे दिन मैं और जेबा कोर्ट पहुँचे, कोर्ट में मैंने जीनत से शादी कर ली और जीनत को लेकर घर आए और काजी और दो गवाहों के सामने निकाह भी किया। रात को जेबा ने खुद पलंग सजाया। जीनत जेबा का बार-बार शुक्रिया अदा कर रही थी।
जेबा ने कहा- बाजी हमारी सुहागरात नहीं हुई। मैं चाहती हूँ की आपकी सुहागरात बहुत खूबसूरत हो।
जीनत भी दिलदार थी उसने कहा- “ऐसे कैसे हो सकता है की मैं अकेले सुहागरात मनाऊँ अपनी प्यारी सी सौतन को छोड़कर। आज हम दोनों दुल्हन बनेंगी…” उसने हमारे मैनेजर को बोलकर जेबा के लिए भी एक शादी का जोड़ा मँगवाया।
रात में दोनों एक-एक गिलास दूध अपने हाथों में लेकर कमरे में आईं। दोनों दुल्हन के लिबास में थीं। मैं खुशी से फूला नहीं समा रहा था। जेबा ज्यादा खूबसूरत है या जीनत… मैंने जेबा का गिलास पहले लिया और पी गया। फिर जीनत का गिलास लेकर पीने लगा, अब रुक-रुक कर पी रहा था।
जीनत ने कहा- “जनाब मैं जेबा नहीं हूँ की एक सांस में पी जाओगे…” फिर जेबा ने कहा- “बाजी आप पलंग पर जाएं…”
जेबा बोली- और तू।
जीनत ने कहा- मैं दूसरे कमरे में जा रही हूँ।
जेबा- “चल बुद्धू अब हम दोनों इसके दोनों बाजू सोएंगे…” और ऊपर चढ़ गयी। और मेरे एक बाजू बैठ गयी। जेबा मेरे दूसरे बाजू बैठी।
जीनत बोली- भूल गये क्या की अब भी मैं ही बताऊँ।
मैंने कहा- बताओ ना।
जीनत ने मेरे होंठ पर चूमा। और जेबा से कहा- अब तुम किस करो।
जेबा ने भी किस किया।
अब जीनत ने मेरे शर्ट के बटन खोलने शुरू किए। शर्ट निकाला फिर जेबा से कहा- तुम पैंट तो उतारो।
जेबा बोली- हाँ हाँ।
मुझे लग रहा था की जीनत अब भी खेल के ही मूड में थी। उसे दुनियादारी की परवाह नहीं थी। बोली- “इमरान मेरे कपड़े बहुत भारी हैं। उतार दो सिर्फ़ गहने रहने देना। मैं देखना चाहती हूँ की सिर्फ़ गहने में कैसी लगती हूँ…” मैंने वैसा ही किया। वो उठकर आईने के पास चली गयी। और खुद को निहारने लगी फिर पूछा- “इमरान, यह सब असली सोने के हैं…” तुमने इतना पैसा कहाँ से लाया।
मैं पहले तो हकलाया फिर संभलकर हँसने लगा।
जेबा बोली- बहुत मेहनत करते हैं बाजी। दिन में खाने भी नहीं आते।
जीनत बोली- अब ऐसा नहीं चलेगा। मैं आ गईं हूँ ना। सब ठीक कर दूँगी। शौहर को कैसे मुठ्ठी में रखना है। मैंने किताब में पढ़ा है।
जेबा- बाजी आप सब कुछ पहले से ही पढ़ लेती हैं।
जीनत- पढ़ना पड़ता है डियर। ज़िंदगी जो चलानी है।
मैंने कहा- जेबा ने तो बिना पढ़े ही तुमसे पहले बाजी मार ली।
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