RE: Sex kamukta पिकनिक का प्रोग्राम
पिरी बोली- “बड़ी पंडित बनती है। इतना भी नहीं जानती की किसी के ऊपर कोई बैठ जाय और वो सोता रहे, ऐसा कहीं होता है। वो तो बहुत पहले से जाग रहा है। मेडम को देखकर चुप था…”
मैं दिल ही दिल सोचने लगा- “पिरी तो बिल्कुल मुझे समझने लगी है…”
पिरी ने कुर्ता भी उतार दिया और मुझे उसकी चूचियां दबाने को बोली।
मैं चूचिया दबाने लगा, चूचुकों को चुटकी में लेकर मसलने लगा। वो लगातार कमर ऊपर-नीचे कर रही थी। आँखें बंद करके आहहाहह… उम्मह… सस्स्शह… करके कूद रही थी। मैं चूचुकों को खींच रहा था जैसे बकरी के चूचुक दुहे जाते हैं।
पिरी मस्ती के साथ कमर हिला रही थी। जैसे वहाँ हम दोनों के सिवा कोई नहीं हो। कभी थोड़ा बदन उठाती, कभी मुझ पर पूरा लेट जाती, लिपट जाती। फिर उसने अपने पैर पे बैठकर दोनों हाथ मेरे सीने में रखकर इस तरह कमर उपर-नीचे करने लगी की मेडम ताली बजाने लगीं।
फिर सभी लड़कियां ताली बजाने लगीं।
पिरी जोश में आ चुकी थी, स्पीड बढ़ती गयी। पशीने से लथफथ हो गई थी। उसका पशीना मेरे बदन पे गिर रहा था और आअनः… आनहा… की आवाज निकाल रही थी। फिर वो मेरे लण्ड पर दबाओ देकर बैठ गयी। और मुँह से हुऊँ… हुऊँ… की आवाज निकालती हुई बुर से पानी छोड़ने लगी। और मुझपर गिर गयी जैसे उसका दम निकल गया हो। मुझे चूमने लगी।
फिर कोमल ने आकर उसे मुझसे अलग किया, और मुझ पर चढ़ गयी। उसने चढ़ते ही स्पीड पकड़ लिया। मैंने उसकी चूचियों को पकड़ लिया और बुरी तरह दबाने लगा, चूचुकों को मसला। वो किसी शेरनी की तरह फूँकारती हुई हूओन्न्नह… हूओन्न्नह… करती हुई चोदने लगी।
अब मैं भी जोश में आने लगा और नीचे से कमर उछालने लगा। 10 मिनट में वो फारिग हुई।
जीनत आने को थी की मैं पिचकारी मारने लगा। हवा में 4-5 फीट ऊपर तक मेरी पिचकारी उछली और मेरे ऊपर ही गिरने लगी। वो नजारा देखकर सब फिर से तालियां बजाने लगीं।
जीनत उदास हो गई और मेरे ढीले होते लण्ड को बुर में डालने लगी।
मेडम बोली- आधा घंटा इंतेजार करो फिर खड़ा हो जायेगा।
जीनत बोली- मैं इंतेजार नहीं कर सकती और बुर में मेरा ढीला लण्ड ही घुसा लिया, मुझ पर सावर हो गयी। उसने भी कुरती उतार दी, और अपनी चूचियां मेरे छाती पर रगड़ने लगी, मेरे होंठ चूसने लगी।
मैं जीनत से ना जाने क्यों नफरत करने लगा था। मैं उसके चूचियां बड़े बेदर्दी से दबा रहा था जैसे किसी बात की सजा दे रहा हूँ। वो मुझे मारऩे लगी।
सब उसपर बिगड़े- “अरे वाह… चुदक्कड़ क्वीन मारेगी…”
जीनत बोली- “ये बड़ी जोर से चूचियां दबा रहा है…”
पिरी बोली- “मेरे तो चूचुकों को दुह रहा था। मेरी तो जान ही निकल रही थी। लेकिन मैंने उफ भी नहीं किया। हम मजा ले रहे हैं तो उसे भी जिस तरह वो चाहे मजा लेने दे। चिल्लाकर मजा किरकिरा क्यों करती हो…” और मुझे इशारे से उसके चूचुकों को दुहने के लिए कहा।
मैं जीनत की निपलस को चुटकी में पकड़कर बड़ी बेदर्दी से पीसने लगा। वो आ आ करने लगी मैं उसके चूचुकों को दुहने लगा।
वो फिर से चिल्लाने लगी- “ओह्ह माँ मर गई… मर गई…”
सोनम बोली- तू उतर… तुझसे नहीं होगा।
जीनत बोली- मेरी बिल्ली मुझसे म्याऊँ, बैठ चुप होके।
मैंने उसकी चूचुकों को खींचकर अपने मुँह में डाल लिया और चूसने लगा। तब जीनत आहह… आह्ह करके मजा लेने लगी।
मैंने दाँत से काट लिया।
फिर वो चिल्लाई- मर गई।
अब मेरा लण्ड खड़ा हो चुका था। अब मैं नीचे से कमर उठाकर चोदने लगा। वो भी मजे से चोदने लगी।
पिरी बोली- तू तो गाण्ड मराने वाली थी। चुदवा रही है।
जीनत बोली- हाँ ठीक याद दिलाया। मेरे गाण्ड में घुसा दे ना।
पिरी बोली- नहीं बाबा तू इल्ज़ाम देगी की गाण्ड फट गयी।
जीनत ने सोनम से कहा- सोनम तू घुसा दे।
सोनम आई और लण्ड को बुर से निकालकर गाण्ड के सुराख में ठूँसने लगी। बड़ी मुश्किल से लण्ड थोड़ा अंदर गया। वो जोर लगाने लगी, मैं भी जोर लगा रहा था। लेकिन लण्ड अंदर नहीं जा रहा था।
यह देखकर मेडम बोली- “ऐसे नहीं जाएगा… किसी के पास क्रीम है…”
सोनम ने कहा- “हाँ…”
मेडम बोली- तो लाओ।
सोनम ने क्रीम दिया। तो मेडम ने मेरे लण्ड में क्रीम लगाया और फिर लण्ड को गाण्ड के सुराख में धकेल दिया। अब लण्ड घुसता ही चला गया और जीनत तड़पने लगी।
मैं कमर उछालकर धक्के देने लगा।
जीनत बोली- बस बस और अंदर नहीं… लग रहा है…
लेकिन मैं तो सिर्फ़ उसे तकलीफ देने के लिए ही चोद रहा था। मैंने उसकी कमर को पकड़ लिया और गाण्ड में पूरा लण्ड घुसा दिया।
वो आ आ करती रही।
मैं उसकी गाण्ड मारने लगा। कुछ ही देर में वो फारिग हो गयी। फिर वो आ आ करती मुझ पर गिर गयी।
यह देखकर सोनम आगे बढ़ी और उसे मुझसे अलग किया।
अब जीनत ठीक से खड़ी भी नहीं हो पा रही थी।
पिरी को जैसे बहुत मजा आ रहा था। मैं उसकी आँखों में चमक देख रहा था। जैसे मुझे शाबासी दे रही हो।
अब सोनम मुझ पर चढ़ी और मुझे अपने चूचुकों को चुसवाने लगी। और लण्ड को बुर में अंदर कर लिया।
मैं देख रहा था की जीनत अब भी बैठी कराह रही थी।
अब मैं सोनम को चोद रहा था, उसकी चूची पी रहा था। कुछ देर बाद मेरी स्पीड तेज हो गयी और सोनम पूरी तरह मेरा साथ दे रही थी। उसने पानी छोड़ दिया। और मैंने उसे अपने से दूर धकेलकर अलग किया। और खुद भी पिचकारी मारने लगा। अबकी मुझे भी तकलीफ हो रही थी। पानी भी बहुत कम निकला। मेरे लण्ड के अंदर जलन महसूस हो रही थी। सब फारिग हो चुके थे।
मैं उठा और अपनी पैंट पहनी, और सभी ने कपड़े ठीक किए। और घर वापसी की तैयारी करने लगे। सबने आने से पहले आज की बात किसी से ना कहने की कसम खाई।
दूसरे दिन जीनत ट्यूशन नहीं आई। सबको पता था उसकी हालत खराब थी। जब हम पिकनिक से घर वापस आ रहे थे तो वो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी। गाण्ड निकालकर बड़ी मुश्किल से चल रही थी। कोई भी देखता तो जान जाता की अभी-अभी गाण्ड मरवाकर आई है।
तीसरे दिन सोनम ने ट्यूशन में कहा- “जीनत की हालत बहुत खराब हो गयी थी। वो ठीक से बैठ भी नहीं पा रही थी। अब ठीक है कल से ट्यूशन आएगी…”
जब वो चौथे दिन ट्यूशन में आई तो वो बिलकुल पहले जैसी चुलबुली थी। उसके मुँह में किसी के लिए कोई शिकायत नहीं थी। उसने आते ही खुसुर-फुसुर करना शुरू कर दिया। मुझे बड़ा गुस्सा आ रहा था।
जेबा जो पिकनिक नहीं जा पाई थी। उससे कुछ ज्यादा ही खुसुर-फुसुर होने लगी। 5वें दिन जेबा हम सबको बड़ी अजीब नजरों से देखने लगी। मुझसे बात करने से कतराने लगी।
तो मैंने पूछ लिया- “क्या हुआ… तुम ऐसे क्यों बर्ताओ कर रही हो…”
तो जेबा ने कहा- तुम इतने बुरे हो मैं सोच भी नहीं सकती थी।
मैंने क्या किया…
जेबा- “मैं सब जान गयी हूँ जीनत ने सब बता दिया है।
मैंने यह बात सबको बता दी।
सबने जीनत से झगड़ा किया। लेकिन वो फिर एक प्लान बनाकर लाई और हम सबसे माफी माँगी। और कहा- “इस जेबा की बच्ची को एक बार चुदवा देते हैं। फिर उसका मुँह बंद रहेगा। नहीं तो यह हम सबको बदनाम कर देगी…”
सबने मना किया तो जीनत समझ गई। फिर हम सबसे माफी माँगने लगी- “दोस्तों मुझसे गलती हो गयी, मुझे ही सुधारना होगा। जेबा को चोदना ही होगा। दूसरा कोई रास्ता नहीं है। वो तो हमें ज़नखा वगैरा कहने लगी है। पता नहीं कब उसकी जबान खुल जाए…”
पिरी बोली- “उसके अब्बू तो मोलवी हैं ना। वो स्कूल भी बुर्क़े में आती है वो कैसे चुदवाने को तैयार होगी। असंभव…”
जीनत ने कहा- वो सब तुम लोग मुझ पर छोड़ दो।
मैंने एक दिन जीनत से जब साथ में सिर्फ़ पिरी थी, कहा- “इतने लोगों के रहते नहीं होंगा। सिर्फ़ तुम पिरी और जेबा होगी तब होगा…”
जीनत बोली- “क्यों इतने सबको एक साथ चोद नहीं सकते। हाहाहा…”
मैं फिर लाजवाब हो गया। उसने वादा किया की सिर्फ़ हम तीनों ही होंगे। एक दिन जीनत ने कहा- “आज रात मैंने उसे अपने घर बुलाया है। पिरी तू भी आना। और इमरान तुम रात के 9:00 बजे के बाद आना…”
प्लान के मुताबिक पिरी और जेबा शाम को जीनत के घर पहुँच गये, और जेबा से पिकनिक के बारे में एक-एक डिटेल उसे बताने लगे। और यह भी कहा की उसके ना जाने पर मैं कितना दुखी था। मैं सिर्फ़ उसकी खातिर ही पिकनिक गया था। मैं उससे बहुत मुहब्बत करता हूँ। फिर एक ब्लू फिल्म भी उसे दिखाया, उसे पूरी तरह गरम कर दिया। बताया की लण्ड जब बुर में अंदर-बाहर होता है तो कितना मजा आता है। इस शुख से बढ़कर दुनियां में और कोई शुख है ही नहीं।
अब जेबा खुद मेरे आने की राह देखने लगी। और कहा- अगर मैं नहीं आया तो…”
मैं ठीक 9:00 बजे जीनत के घर पहुँच गया। दरवाजा जीनत ने खोला। उसके घर में कोई नहीं था। सबलोग आउट आफ स्टेशन शादी में गये थे। उसने घर वालों से कह रखा था की उसके दोस्त आ जाएंगे। उसे पढ़ाई करनी है। सब इतमीनान से चले गये। मैं अंदर गया सबने मिलकर रोटी खाया। फिर जेबा के हाथों से दूध भेजा गया। जैसे सुहागरात में दुल्हन के हाथ से दूध भेजा जाता है।
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