RE: Sex Hindi Kahani रंगीन आवारगी
इसकी गांद का छेद बिल्कुल रेशम जैसा मुलायम था, अजीब टेस्ट था उसका लेकिन मैं तो उस वक्त वासना मे अंधी हो चुकी थी, अब मैने भी शशि की तरह ही उसकी चूत मे पूरा हाथ धकेल दिया और उसकी चूत मे फीस्टिंग करने लगी. मुझे हैरानी हुई जब मेरा हाथ कलाई तक उस चालू गश्ती की चूत मे समा गया. चूत बहुत गरम थी अंदर से और रस की धारा मेरे हाथ पर गिर रही थी. हम दोनो हवस की आग मे जलती हुई एक दूसरी की दोहरी चुदाई करने लगी, यानी चूत और गांद दोनो की!!
शशि ने अपनी गांद को ढीला छोड़ दिया. शायद ये मेरे लिए एक हिंट था क्यो कि उस के बाद मेरी उंगलियाँ उसकी गांद मे आसानी से जाने लगी थी. मैने भी अपनी गांद के मसल्स को ढीला छ्चोड़ दिया. अब मेरी गांद आसानी से शशि की उंगली अपने अंदर लेने लगी और मुझे एक नया मज़ा आने लगा. अब मालूम हो रहा था कि गांद मरवाने का शौक क्यो होता है लड़कों और लड़कियो को. वासना की चर्म सीमा आ चुकी थी. चूत और गांद की चुसाई और चुदाई ज़ोरों पर थी. कमरा "फूच, फूच और पच, पच"की आवाज़ों असे गूँज रहा था. मेरा पूरा हाथ शशि की चूत खा गयी थी. मेरी कलाई ही उसकी छूट के बाहर थी. शशि ने भी अब मेरी गांद की चुदाई और तेज़ कर दी और मैं किसी कुतिया की तरह हाँफ रही थी जिस की चूत मे किसी तगड़े कुत्ते का लंड घुस चुका हो. चूत और गांद को दोहरी चुदाई का क्या मज़ा होता है मुझे पता चल चुका था और मैं अपने चूतर ज़ोर से हिला हिला कर मज़े ले रही थी.
मेरी चूत का उबलता हुआ लावा ऊपर चढ़ने लगा. शशि का भी यही हाल था. उसकी गरम साँस मेरी चूत से टकरा रही थी. उसने अचानक मेरी चूत से उंगलियाँ निकाल ली और चूत चाटने लगी और अपने फ्री हाथ से मेरे चूतर पर थप्पड़ मारने लगी. मेरी हरामी सहेली की चपत भी मुझे आनंदित कर रही थी. जितनी ज़ोर से वो थप्पड़ मारती उतना ही दर्द होता और उतना ही मेरा मन करता की वो और ज़ोर से मारे मेरी गांद पर अपना हाथ. मुझे ये भी पता चला कि चुदाई मे पीड़ा भी आनंदित होती है.
चूत की गहराई से चूत का लावा ज़ोर से उच्छल पड़ा और मैं पागलों की तरह चुदने लगी. मेरी स्पीड से शशि की भी मंज़िल आ गयी और वो भी चुदाई की चर्म सीमा को छ्छूने लगी और उसकी चूत का इयास एक फॉवरे की शकल मे मेरे मुख पर गिरने लगा, चुदाई अब पागलपन की हद तक पहुँच चुकी थी. हमारे नंगे जिस्म ऐंठ रहे थे, अकड़ रहे थे और हमारी चूत से रस की गंगा जमना बह रही थी."ऊऊऊऊ.....आआआआहह.......उूु
ऊउगगगगगघह!!!!!" आवाज़ें हमारे हलक से निकल रही थी लेकिन ये पता नही चल रहा था कि कौन सी आवाज़ किस की है. एक के बाद एक रस की धारा हमारी चूत से बाहर निकली और हम तक कर एक दूसरी के बाहों मे लेट गयी.
10 मिनिट तक कोई नही हिला. जब मैने चेहरा ऊपर उठाया तो देखा कि बिस्तर की चादर पर चूत रस का तालाब लगा हुआ था. इतने बड़े पैमाने पर मेरी चूत आज तक ना छूटी थी. शशि आँखें बंद कर के पड़ी रही और मैं उठी और कपड़े पहनने लगी. वो बिस्तर से ही बोली,"क्यो रानी देखा लेज़्बीयन सेक्स का मज़ा क्या होता है. कल का प्रोग्राम बना कर रात को तुझे फोन करूँगी कि कितने लंड तुझे चोदेन्गे."
शशि के घर से मैं जब निकली तो मेरे कदम कमज़ोर हो गये थे. उसके साथ जो विस्फोटक लेज़्बीयन अनुभव हुआ उसने मुझे थका दिया लेकिन मेरा शरीर एक फूल की तरह खिल गया था.
मेरी अपने शाहर मे वापिसी इतनी मनोरंजक हुई थी कि अब ये सोचना पड़ रहा था कि यहाँ मेरी किस्मत मे और क्या कुच्छ होने वाला है. शशि जितनी बेशरम थी उतनी ही सेक्सी और प्यारी भी थी. सब से बड़ी बात ये थी की वो मुझे ज़िंदगी का हर आनंद दिलाना चाहती थी. शायद अब मेरी ज़िंदगी से सेक्स की बोरियत का आंड होने जा रहा था. अपनी सहेली की चुचि की चूमना और उसको अपनी ज़ुबान से आनंदित करने की याद से मेरी चूत फिर उत्तेजित होने लगी थी. घर के गेट पर पहुँची तो मेरा भाई संजय बाहर आ रहा था," बिंदु दीदी, इतनी देर कहाँ लगा दी?
मैं कब से क्रिकेट खेलने जाना चाहता था और घर खुला भी नही छ्चोड़ सकता था. मम्मी अपनी सहेलिओं की पार्टी पर गयी हुई हैं, चाबी लो और मुझे जाने दो. शाम को 6 बजे लौटूँगा,"
संजय मेरे गले लग कर जाने लगा. मेरा भाई अब पूरा मर्द दिख रहा था. उसका कद कोई 5 फीट 11 इंच था एर बदन कसरती. जब उसने मुझे गले से लगाया तो मुझे अपने सीने से भींच लिया और मैं उसकी ग्रिफ्त मे एकदम खिलौना सी लग रही थी. उसके मूह से सिगरेट की महक आई. मैं उसको पुच्छने ही वाली थी कि क्या तुम सिग्रेट पीते हो लेकिन वो भाग खड़ा हुआ.
घर मे परवेश करते ही मुझे नहाने का मन हुआ. गेट बंद कर के मैने अपने कपड़े उतार दिए और नंगी हो गयी. मुझे अपने मायके घर मे पूरण नग्न हो कर घूमना बहुत पसंद था. घूमती हुई मैं संजय के रूम मे चली गयी. टेबल पर सिग्रेट का पॅक पड़ा हुआ था. मैने शीशे के सामने नंगी खड़ी हो कर सिगेरेट जलाया और कश लगाने लगी. वैसे मे सिगरेट नही पीती लेकिन आज मेरा मन वो सब कम करने को चाह रहा था जो मैने नही क्या था, मिरर के सामने मैं मदरजात नंगी खड़ी थी और अपने को खुद भी सेक्सी लग रही थी. मैं टेबल के सामने एक चेर पर बैठ गयी और कश लगाती रही. सिगरेट से मेरी चूत गीली होने लगी. शायद इसमे भी कोई नशा होता है. मेरा हाथ अपने आप मेरी चूत पर चला गया और उसको मसल्ने लगा," साली बिंदु, यहाँ खाली घर मे भी लंड के सपने देख रही है, तू कुतिया? अब तो तुझे हर वक्त लंड ही नज़र आता है!!!" मेरे मन ने मुझे झिड़का.
तभी मेरी नज़र कंप्यूटर स्क्रीन पर पड़ी. संजय किसी से चॅट करता हुआ बीच मे ही चला गया और कंप्यूटर बंद करना ही भूल गया था. जब मैं ध्यान से देखा तो वो किसी गर्ल फ्रेंड से चॅट कर रह लगता था. मैने टाइम पास करने के लिए चॅट हिस्टरी शुरू से पढ़नी शुरू कर दी.
संजय "कैसी हो मोना डार्लिंग?
मोना "तेरे लंड को याद कर रही हूँ मेरे राजा"
संजय "साली बेह्न्चोद मेरा लंड ही याद कर रही है या मुझे भी?"
मोना "बहनचोड़ तो तू है साले जो मेरे साथ किसी और लड़की को एक साथ चोदना चाहते हो."
संजय "तो ठीक है, तेरी शशि दीदी आ रही है उसको शामिल कर लो अपने बेड मे और हमारी त्रिकोनी श्रंखला भी हो जाएगी"
मोना " साले अगर मेरी दीदी आ रही है तो क्या हुआ. तेरी भी बिंदु दीदी आ रही है. उसको भी तो अपने भाई का लंड अच्छा ही लगे गा और जो हर वक्त बेह्न्चोद, बेह्न्चोद बोलता रहता है तेरी वो इच्छा भी पूरी हो जाएगी. मैं खुद अपने हाथों से तेरा 8 इंच का लॉडा डालूंगी अपनी प्यारी ननद की विवाहित चूत मे. क्यो संजू, साले तेरी बेहन क्या चूत शेव कर के रखती है या झांतों वाली बुर है उसकी. चुचि तो मेरी ननद की भी मेरी सासू मा जैसी मोटी और कड़क है!!!"
संजय"अच्छा बस कर अब, छ्चोड़ मेरी दीदी को अब. आज रात आ रही है ना पढ़ाई के बहाने? सारी रात चोदुन्गा तुझे, मेरी रानी!"
मोना,' साले चोद नही चोद अपनी बिंदु दीदी को!! याद है तुमने ही कहा था कि तेरी बिंदु दीदी, बिल्कुल बिंदु फिल्म आक्ट्रेस जैसी दिखती है. मुझे तो फिल्म आक्ट्रेस भी तेरी बेहन जैसी चुड़क्कड़ ही लगती है और बहनचोड़ मैं तो खुद तुझे अपनी बिंदु को चोदने को निमंत्रित कर रही हूँ. मैं खुद एक भाई को अपनी बेहन की चूत मे लंड डालते हुए देखना चाहती हूँ. अगर बिंदु दीदी को पटा लो तो मैं तो हाज़िर हूँ तेरे लिए मेरे राजा"
संजय 'अच्छा अब बंद कर अपनी बकवास. मैं नहा कर ग्राउंड मे जाने लगा हूँ, रात को होगा अपना मिलन मेरी रानी"
मोना" मिलन तो होगा लेकिन दो का नही तीन का, बाइ"
मुझे एहसास हुआ कि मेरे हाथ की उंगलियाँ मेरी चूत मे समा चुकी थी और मैं अपनी चूत मे अठन्नी तलाश कर रही थी जो मुझे मिल नही रही थी. तो मेरा संजा भैया मेरी सहेली शशि की बेहन मोना से इश्क लड़ा रहा था? और साले दोनो आशिक मुझे अपने बिस्तर मे 3सम की प्लान बना रहे थे!!! खास तौर पर मोना. जैसे मैने अपना पति शशि के साथ शेर किया था, अब मोना अपने होने वाले पति यानी मेरे भाई को मेरे साथ शेर करना चाहती थी. मेरी चूत वासना की आग मे तपने लगी ये सब सोच कर. मैं उठी और किचन से कोक की एक बॉटल ले आई और बैठ कर पीने लगी.
तभी मेरी नज़र टेबल पर पड़ी एक बुक पर पड़ी. वो एक डायरी थी और वो भी संजय की. उसके पेजस पर कई जगह लाल निशान लगे हुए थे.
पहला लाल निशान "जून 11, 2005. आज पहली बार मम्मी को नहाते हुए नंगा देखा. ओह्ह्ह्ह मम्मी की बुर...और उस पर काले काले बाल!!! मेरा लंड बेकाबू हो गया...मम्मी को चोदना चाहता हूँ तभी से...काश मम्मी मेरी हो जाती!!)
दूसरा लाल निशान (ऑगस्ट 12, 2006 बिंदु दीदी को कपड़े चेंज करते देखा...दीदी की शेव्ड चूत और उभरे नितंभ मुझे पागल बना रहे हैं. दीदी की गांद मे लंड डाल सकता काश मैं....शायद भेन्चोद की यही भावना है)
तीसरा लाल निशान (अक्टोबर 10, 2006. दीदी और विमल जीज़्जा जी की चुदाई देखी खिड़की से...बहुत ईर्षा हुई जीज़्जा जी से...उनकी जगह लेना चाहता हूँ मैं. दीदी की खुली जांघों के बीच फूली हुई चूत ना भूल पाउन्गा कभी और सारी उमर तड़प्ता रहूँगा कि बिंदु को ना चोद पाउन्गा क्यो कि वो मेरी बेहन है माशूक या पत्नी नही.)
अगला लाल निशान,(मार्च 12, 2008 मोना को पटा कर चोदा. बहुत ना नुकर करती थी लेकिन मैने जबरदस्तो चोद डाला. अगर बिंदु दीदी को पत्नी ना बना सका तो मोना से शादी करूँगा) अगला लाल निशान जून 15, 2009. मोना को शक हो गया कि मैं अपनी बेहन को चोदने की नियत रखता हूँ और उसने मुझे बहुत परेशान किया)
क्रमशः.....................
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