Hindi sex मैं हूँ हसीना गजब की
06-25-2017, 12:54 PM,
#14
RE: Hindi sex मैं हूँ हसीना गजब की
वो सिर झुकाए हुए बैठे रहे. मैं गुस्से से बिफर रही थी औरूनको
गलियाँ दे रही थी कोस रही थी. मैने अपना गुस्सा शांत करने के
लिए किचन मे जाकर एक ग्लास पानी पिया. फिर वापस आकर उनके पास
बैठ गयी और कहा,

"फिर?......" मैने अपने गुस्से को दबाते हुए उनसे धीरे धीरे
पूछि.

" कुच्छ नही हो सकता." उन्हों ने कहा, " उन्हों ने सॉफ सॉफ कहा
है.
कि या तो तुम उनके साथ एक रात गुजारो या मैं एलीट ग्रूप से अपना
कांट्रॅक्ट ख़तम समझू." उन्हों ने नीचे कार्पेट की ओर देखते हुए
कहा.

" हो जाने दो कांट्रॅक्ट ख़त्म. ऐसे लोगों से संबंध तोड़ लेने मे ही
भलाई होती है. तुम परेशान मत हो. एक जाता है तो दूसरा आ जाता
है."

" बात अगर यहाँ तक होती तो भी कोई परेशानी नही थी." उन्हों ने
अपना सिर उठाया और मेरी आँखों मे झाँकते हुए कहा, " बात इससे
कहीं ज़्यादा गंभीर है. अगर वो अलग हो गये तो एक तो हमारे माल की
खपत बंद हो जाएगी जिससे कंपनी बंद हो जाएगी दूसरा उनसे
संबंध तोड़ते ही मुझे उन्हे 15 करोड़ रुपये देने पड़ेंगे जो उन्हों
नेहमारे फर्म मे इनवेस्ट कर रखे हैं."

मैं चुप चाप उनकी बातों को सुन रही थी लेकिन मेरे दिमाग़ मे एक
लड़ाईछिड़ी हुई थी.

"अगर फॅक्टरी बंद हो गयी तो इतनी बड़ी रकम मैं कैसे चुका
पौँगा. अपने फॅक्टरी बेच कर भी इतना नही जमा कर पौँगा" अब
मुझेभी अपनी हार होती दिखाई दी. उनकी माँग मानने के अलावा अब और कोई
रास्ता नही बचा था. उस दिन और हम दोनो के बीच बात नही हुई.
चुप चाप खाना खा कर हम सो गये. मैने तो सारी रात सोचते हुए
गुज़ारी. ये ठीक है कि पंकज के अलावा मैने उनके बहनोई और उनके
बड़े भैया से सरिरिक संबंध बनाए हैं और कुछ कुछ संबंध
ससुर जी के साथ भी बने थे लेकिन उस फॅमिली से बाहर मैने कभी
किसी से संबंध नही बनाए.

अगर मैं उनके साथ एक रात बिताती तो मुझमे और दो टके की किसी
वेश्या मे क्या अंतर रह जाएगा. कोई भी मर्द सिर्फ़ मन बहलाने के
लिएएक रात की माँग करता है क्योंकि उसे मालूम होता है कि अगर एक बार
उसके साथ शारीरिक संबंध बन गये तो ऐसी एक और रात के लिए
औरत कभी मना नही कर पाएगी.

लेकिन इसके अलावा हो भी क्या सकता था. इस भंवर से निकलने का कोई
रास्ता नही दिख रहा था. ऐसा लग रहा था कि मैं एक ग्रहणी से एक
रंडी बनती जा रही हूँ. किसी ओर भी उजाले की कोई किरण नही दिख
रही थी. किसी और से अपना दुखड़ा सुना कर मैं पंकज को जॅलील नही
करना चाहती थी.

सुबह मैं अलसाई हुई उठी और मैने पंकज को कह दिया, " ठीक है
मैं तैयार हूँ"

पंकज चुपचाप सुनता रहा और नाश्ता करके चला गया. उस दिन
शामको उसने बताया की रस्तोगी से उनकी बात हुई थी और उन्हों ने रस्तोगी
को मेरे राज़ी होने की बात कह दी है."

" हरमज़दा खुशी से मारा जा रहा होगा." मैने मन ही मन सोचा.

"अगले हफ्ते दोनो एक दिन के लिए आ रहे हैं." पंकज ने कहा" दोनो
दिन भर ऑफीस के काम मे बिज़ी होंगे शाम को तुम्हे उनको एंटरटेन
करना होगा.

" कुच्छ तैयारी करनी होगी क्या?"

"किस बात की तैयारी?" पंकज ने मेरी ओर देखते हुए कहा, "शाम
कोवो खाना यहीं खाएँगे. उसका इंतज़ाम कर लेना. पहले हम ड्रिंक्स
करेंगे."

मैं बुझे मन से उस दिन का इंतेज़ार करने लगी

अगले हफ्ते पंकज ने उनके आने की सूचना दी. उनके आने के बाद सारा
दिन पंकज उनके साथ बिज़ी था. शाम को छह बजे के आस पास वो
घर आया और उन्हों ने एक पॅकेट मेरी ओर बढ़ाया.

"इसमे उनलोगों ने तुम्हारे लिए कोई ड्रेस पसंद की है. आज शाम को
तुम्हे यही ड्रेस पहनना है. इसके अलावा बदन पर और कुच्छ नही
रहे ये कहा है उन्हों ने.



मैने उस पॅकेट को खोल कर देखा. उसमे एक पारदर्शी झिलमिलती
सारीथी. और कुच्छ भी नही था. उनके कहे अनुसार मुझे अपने नग्न बदन
पर सिर्फ़ वो सारी पहँनी थी बिना किसी पेटिकोट और ब्लाउस के.
सारीइतनी महीन थी कि उसके दूसरी तरफ की हर चीज़ सॉफ सॉफ दिखाई
देरही थी.

"ये ….?? ये क्या है? मैं ये पहनूँगी? इसके साथ अंडरगार्मेंट्स
कहाँहैं?" मैने पंकज से पूचछा.

"कोई अंडरगार्मेंट नही है. वैसे भी कुच्छ ही देर मे ये भी वो
तुम्हारे बदन से नोच देंगे." मैं एक दम से चुप हो गयी.

"तुम?......तुम कहाँ रहोगे?" मैने कुच्छ देर बाद पूचछा.

" वहीं तुम्हारे पास." पंकज ने कहा.

" नहीं तुम वहाँ मत रहना. तुम कहीं चले जाना. मैं तुम्हारे सामने
वो सब नहीं कर पौँगी. मुझे शर्म आएगी." मैने पंकज से लिपटते
हुए कहा.

" क्या करूँ. मैं भी उस समय वहाँ मौजूद नही रहना चाहता. मेरे
लिए भी अपनी बीवी को किसी और की बाहों मे झूलता सहन नही कर
सकता. लेकिन उन दोनो हरमजदों ने मुझे बेइज्जत करने मे कोई कसर
नही छ्चोड़ी. वो जानते हैं कि मेरी दुखती रग उन लोगों के हाथों मे
दबी है. इसलिए वो जो भी कहेंगे मुझे करना पड़ेगा. उन सालों ने
मुझे उस वक़्त वहीं मौजूद रहने को कहा है." कहते कहते उनका
चेहरा लाल हो गया और उनकी आवाज़ रुंध गयी. मैने उनको अपनी बाहों
मे ले लिया और उनके सिर को अपने दोनो स्तनो मे दबा कर सांत्वना दी.

"तुम घबराव मत जानेमन. तुम पर किसी तरह की परेशानी नही आने
दूँगी."


मैने अपने जेठानी से इस बारे मे कुच्छ घुमा फिरा कर चर्चा की तो
पता चला उसके साथ भी इस तरह के वक्यात होते रहते हैं. मैने
उन्हे दोनो के बारे मे बताया तो उसने मुझे कहा कि बिज़्नेस मे इस
तरह के ऑफर्स चलते रहते हैं और मुझे आगे भी इस तरह की किसी
सिचुयेशान लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए.

उस दिन शाम को मैं बन संवार कर तैयार हुई. मैने कमर मे एक
डोरकी सहयता से अपनी सारी को लपेटा. मेरा पूरा बदन सामने से सॉफ
झलक रहा था कितना भी कोशिश करती अपने गुप्तांगों को छिपाने
कीलेकिन कुच्छ भी नही छिपा पा रही थी. एक अंग पर सारी दोहरी
करतीतो दूसरे अंग के लिए सारे नही बचती. खैर मैने उसे अपने बदन
पर नॉर्मल सारी की तरह पहना. मैने उनके आने से पहले अपने आप को
एक बार आईने मे देख कर तसल्ली की और. सारी के आँचल को अपनी
छातियो पर दोहरा करके लिया फिर भी मेरे स्तन सॉफ झलक रहे
थे.

उन लोगों की पसंद के अनुसार मैने अपने चेहरे पर गहरा मेकप
किया
था. मैने उनके आने से पहले कॉंट्रॅसेप्टिव का इस्तेमाल कर लिया था.
क्योंकि प्रिकॉशन लेने के मामले मे इस तरह के संबंधों मे किसी
परभरोसा करना एक भूल होती है.

उनके आने पर पंकज ने जा कर दरवाजा खोला. मैं अंदर ही रही. उनके
बातें करने के आवाज़ से समझ गयी कि दोनो अपनी रात हसीन होने की
कल्पना करके चहक रहे हैं. मैने एक गहरी साँस लेकर अपने आप
कोसमय के हाथों छ्चोड़ दिया. जब इसके अलावा हुमारे सामने कोई रास्ता ही
नही बचा था तो फिर कोई झिझक कैसी. मैने अपने आप को उनकी
खुशी के मुताबिक पूर्ण रूप से समर्पित करने की ठान ली.

पंकज के आवाज़ देने पर मैं एक ट्रे मे तीन बियर के ग्लास और आइस
क्यूब कंटेनर लेकर ड्रॉयिंग रूम मे पहुँची. सब की आँखें मेरे
हुष्ण को देख कर बड़ी बड़ी हो गयी. मेरी आँखें ज़मीन मे धँसी
जारही थी. मैं शर्म से पानी पानी हो रही थी. किसी अपरिचित के
सामनेअपने बदन की नुमाइश करने का ये मेरा पहला मौका था. मैं धीरे
धीरे कदम बढ़ाती हुई उनके पास पहुँची. मैं अपनी झुकी हुई
नज़रों से देख रही थी कि मेरे आज़ाद स्तन युगल मेरे बदन के हर
हल्के से हिलने पर काँप कांप उठते. और उनकी ये उच्छल कूद सामने
बैठे लोगों की भूकि आँखों को सुकून दे रहे थे.


पंकज ने पहले उन दोनो से मेरा इंट्रोडक्षन कराया,

"माइ वाइफ स्मृति" उन्हों ने मेरी ओर इशारा करके उन दोनो को कहा, फिर
मेरी ओर देख कर कहा, "ये हैं मिस्टर. रस्तोगी और ये हैं…."

"चिन्नास्वामी… ..चिन्नास्वामी एरगुंटूर मेडम. यू कॅन कॉल मी
चिना
इन शॉर्ट." चिन्नास्वामी ने पंकज की बात पूरी की. मैने सामने देखा
दोनो लंबे चौड़े शरीर के मालिक थे. चिन्नास्वामी साढ़े छह फीट
का मोटा आदमी था. रंग एकद्ूम कार्बन की तरह क़ाला और ख्छिछड़ी
दाढ़ी
मे एकद्ूम सौथिन्डियन फिल्म का कोई टिपिकल विलेन लग रहा था. उसकी
उम्र 55 से साथ साल के करीब थी और वेट लगभग 120 केजी के
आसपास होगी. जब वो मुझे देख कर हाथ जोड़ कर हंसा तो ऐसा लगा
मानो बादलों के बीचमे चाँद निकल आया हो.

और रस्तोगी? वो भी बहुत बुरा था देखने मे. वो भी 50 साल के
आसपास का 5'8" हाइट वाला आदमी था. जिसकी फूली हुई तोंद बाहर
निकली हुई थी. सिर बिल्कुल सॉफ था. उसमे एक भी बॉल नही थे.
पूरेमुँह पर चेचक के दाग उसे और वीभत्स बना रहे थे. जब भी वो
बात करता तो उसके होंठों के कोनो से लार की झाग निकलती. मुझे उन
दोनो को देख कर बहुत बुरा लगा. मैं उन दोनो के सामने लगभग नग्न
खड़ी थी. कोई और वक़्त होता तो ऐसे गंदे आदमियों को तो मैं अपने
पास ही नही फटकने देती. लेकिन वो दोनो तो इस वक़्त मेरे फूल से
बदन को नोचने को लालायित हो रहे थे. दोनो की आँखें मुझे देख
करचमक उठी. दोनो की आँखों से लग रहा था कि मैं उस सारी को भी
क्यों पहन रखी थी. दोनो ने मुझे सिर से पैर तक भूखी नज़रों
सेघूरा. मैं ग्लास टेबल पर रखने के लिए झुकी तो मेरे स्तनो के
भर से मेरी सारी का आँचल नीचे झुक गया और मेरे रसीले फलों
की तरह लटकते स्तनो को देख कर उनके सीनो पर साँप लोटने लगे.
मैं ग्लास और आइस क्यूब टेबल पर रख कर वापस किचन मे जाना
चाहती थी की चिन्नास्वामी ने मेरी बाजू को पकड़ कर मुझे वहाँ से
जाने से रोका.

"तुम क्यू जाता है. तुम बैठो. हमारे पास" उन्हों ने थ्री सीटर
सोफे पर बैठते हुए मुझे बीच मे खींच लिया. दूसरी तरफ
रस्तोगी बैठा हुआ था. मैं उन दोनो के बीच सॅंडविच बनी हुई थी.

"पंकज भाई ये समान किचन मे रख कर आओ. अब हुमारी प्यारी
भाभी
यहाँ से नही जाएगी." रस्तोगी ने कहा. पंकज उठ कर ट्रे किचन
मे रख कर आ गया. उसके हाथ मे कोल्ड ड्रिंक्स की बॉटल थी. जब वो
वापस आया तो मुझे दोनो के बीच कसमसाते हुए पाया. दोनो मेरे
बदन
से सटे हुए थे और कभी एक तो कभी दूसरा मेरे होंठों को मेरी
सारी के बाहर झँकति नग्न बाजुओं को और मेरी गर्दन को चूम रहे
थे. रस्तोगी के मुँह से अजीब तरह की बदबू आ रही थी. मैं किसी
तरह सांसो को बंद करके उनके हरकतों को चुपचाप झेल रही थी.

पंकज कॅबिनेट से बियर की कई बॉटल ले कर आया. उसे उसने स्वामी की
तरफ बढ़ाया.

"नाक्को….भाभी खोलेंगी." उसने वो बॉटल मेरे आगे करते हुए कहा

"लो तीनो के लिए बियर डालो ग्लास मे. रस्तोगियान्ना का गला प्यास से
सूख रहा होगा. " छीनना ने कहा

"पंकज युवर वाइफ ईज़ ए रियल ज्यूयेल" रस्तोगी ने कहा" यू लकी
बस्टर्ड, क्या सेक्सी बदन
है इसका. यू आर रियली ए लकी बेगर"
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