RE: Sex kamukta मेरी बेकाबू जवानी
मेरी बेकाबू जवानी--12
गतान्क से आगे......
डेट: 25-जून-96. ठीक रात के 12 बजे मे पति जी के घर के बाहर खड़ी थी और पति जी दरवाजे के पास किसी से फोन पर बात करते सुनाई दिए. मैं उनकी बात सुनने लिए थोड़ी देर वही खड़ी रही. मेने सुना कि वो फोन पर कह रहे थे “ अरे सुनो आज की रात के लिए एक डबल बेड वाला कमरा बुक करना और दो इंसानो के लिए खाने पीने का भी इंतेजाम करना, ठीक है तो हम करीब 1 बजे वाहा पे आ जाएँगे, अच्छा तो मैं फोन रखता हू”. मैं उनकी बाते कान लगा के सुन रही थी और पति जी ने कब दरवाजा खोला और मुझे पीछे से पकड़ लिया और मुझे पता ही नही चला. जब पति जी ने मुझे पीछे से पकड़ लिया तब मैं एक दम से डर गयी और पति जी को ज़ोर से पकड़ लिया. पति जी मुझे बाँहो मे उठाके बेडरूम मे ले गये और मेने कविता जी से आशीर्वाद ले लिया और बेड पे जाके लेट गयी. मेने देखा के पति जी बेडरूम से बाहर चले गये और करीब 5 मिनट के बाद बेडरूम मे आए. वो जब बेडरूम मे आए तो उनके हाथ मे एक जूस का ग्लास था. पति जी बेड पे मेरी बाजू मे आके बैठ के, एक हाथ को मेरी गर्दन मे डाल के मुझे उनके मूह की ओर खीच के मेरे होंठो को चूम लिया और जूस के ग्लास को मेरे होंठो के पास रख के उसे पीने का इशारा किया. मैं सारा जूस पी गयी.
पति जी ने मुझे बेड पे लिटा दिया और खुद मेरे उपर लेट के मेरे बालो को सहलाते हुए मेरे होंठो को चूमने लगे. मैं मदहोश हो रही थी, मेरे जिस्म के अंदर एक ठंडी हवा की लहर दौड़ रही थी और उसे गरम करने के लिए में पति जी के जिस्म को अपने जिस्म के साथ रगड़ ने लगी और पति जी के होंठो को चूमने लगी. कभी कभी मे पति जी के होंठो को ज़ोर से काट लेती थी, क्यूंकी मुझ से जिस्म की आग ठंडी नही हो रही थी. उस वक़्त पति जी को ऐएहसास हो गया था कि मैं काफ़ी नशे मे हू, इसलिए उन्होने मुझे अपने से दूर किया और खुद बेड के किनारे जाके खड़े हो गये और मैं बेड पे नंगी लेटी रही. वो मुझे वाहा से घूर के देख रहे थे और उनकी आँखो मे एक अजीब सा खिचाव था कि मैं उसे रोक नही पाई और उनके पास जाने के लिए बेड से उतरने लगी. बेड से उतर ने के लिए मेने एक पैर को बाहर किया कि तभी पति जी ने कहा “ जया बेड से उतर के नही बलके अपने घुटनो के बल बेड पे चल के मेरे पास आओ”. मैं उनकी बात का अनादर नही कर सकती थी इसलिए में अपने घुटनो के बल होके धीरे धीरे पति जी के पास जाने लगी. पति जी ने कहा “ जया आज तुम सच मे एक जंगली बिल्ली की तरह लग रही हो, तुम्हारे जिस्म की अंदरकी आग बाहर भी दिख रही है, और तुम्हारी आँखे भी बहुत नासीली और कामुकता से भरी है, लगता है आज तुम को कुछ अलग तरीके का प्यार करना पड़ेगा”.
मैं धीरे धीरे करके पति जी के पहोच गयी और जाके उनके पेट की नाभि को चूम लिया और धीरे धीरे करके उनकी छाती और गर्दन को चूम के उनके होंठो को चूमने लगी और अपने दोनो हाथो को उनके बालो मे डाल के उन्हे अपनी ओर खीच ने लगी, लेकिन पति जी मुझे अपने से और दूर करते हुए कविता जी के फोटो के पास चले गये. मैं भी उनकी पालतू कुतिया की तरह उनके पीछे पीछे पति जी के पास जाके उन्हे अपने जिस्म से लगा के उनकी छाती मे मूह छुपा के उनके निपल को चूमने लगी. वो दोनो हाथो को मेरे सिर के बालो मे डाल के उसे धीरे धीरे घुमाने लगे . मानो के मैं एक नन्ही बच्ची हू इस तरह वो मुझे प्यार जाता रहे थे. मैने उनके इस प्यार भरे व्याहार को और पाने के लिए और ज़ोर से उनके जिस्म को अपने जिस्म के साथ दबा दिया और मेने उनके निपल को भी काट दिया.
पति जी ने कविता जी के फोटो की ओर देखते हुए कहा “ देख कविता आज ये नन्ही सी बच्ची ने मेरे पूरे जिस्म को शांत कर दिया और मुझे कोई शिकायत का मौका भी नही देती, वाकई मे तुमने मेरे लिए भगवान से बड़े दिल से प्रार्थना क़ी के मुझे बिल्कुल तुम्हारी जैसी ही पत्नी मिले. हालाँकि मेने तुम्हारे भगवान के पास जाने के बाद बहुत सी लड़कियो से सेक्स किया है, लेकिन वो सब मुझे संतुष्ट करने मे असफल रही थी. आज बरसो बाद तुम्हारे कहने पर भगवान ने मेरी सुन ली और मेरे लिए एक नादान, अल्हड़, कमसिन और जिस्म की प्यास से तरस ती, नन्ही सी जान को मेरी पत्नी के रूप मे मेरे सामने पेश किया. कविता तुम्हे याद होगा कि मेने जब मिस्टर पटेल को ये घर किराए पे देने के लिए तुम्हे पूछा था तो तुमने मुझे एक संकेत दिया था कि जल्द ही मुझे एक नादान, अपने से बडो का आदर करने वाली और शायद मेरी पत्नी बनने वाली लड़की मिलेगी. मेने जब मिस्टर पटेल के घर के लोगो के बारे मे जाना तो मेने सोचा के उनकी फॅमिली मे तो बस जया ही है जो मेरी पत्नी बन सकती थी, क्यूंकी नाज़ तो पहले से ही शादी सुदा थी. तो मेने तुम्हे जया के बारे मे पूछा भी था तो तुमने कहा था कि “ राज अब तुम्हारी ज़िंदगी बदल ने वाली है और जया ही तुम्हारी पत्नी बनेगी और वो ही तुम्हारी ज़िंदगी मे मेरी जगह ले पाएगी”.
मेरे चेहरे को अपने दोनो हाथो मे लेते हुए पति जी ने कहा “ जया मेने जब तुम्हे देखा था तो मेने कविता को साफ मना कर दिया था मैं इस नन्ही सी जान के साथ जिस्म की प्यास नही बुझा पाउन्गा, लेकिन कविता ने कहा “ राज इस लड़की को मेने ही भेजा है और तुम इसके साथ कुछ भी करो ये तुम्हे कभी भी असंतुष्ट नही करेगी और तुम्हारी जिस्म की प्यास को अपने जीवन का कर्तव्य बना के रखेगी”. इस लिए मेने पहली ही बार मे तुम्हारे नाज़ुक होंठो को चूमा था, क्यूंकी मैं जानता था कि गाव की लड़की को जिस्म की प्यास के बारे मे अधिक जान कारी नही होती है और मैं धीरे धीरे करके तुम्हे अपने और करीब ले आया और आज देखो के तुम मेरे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी होके अपने जिस्म की प्यास को बुझाने के लिए मेरे साथ लिपट के खड़ी हो. जया मैं जानता हू के इतनी छोटी उमर मे लंड को चूत मे लेना बहुत कठिन है, कविता भी जब मेरी पत्नी बनी थी वो 18 साल की थी और मेने सुहागरात मे ही उसे एक नादान कली से फूल बना दिया था और वो जब भगवान के पास चली गयी तो मैं बिल्कुल अधूरा रह गया”. इतना कहते ही पति जी की आँखो मे से आँसू भर गये. मेने उनके चेहरे को अपने हाथो मे लेके उनकी आँखो के पास अपने नाज़ुक होंठो को लेके उनके आँसू को पी लिया और पति जी को अपनी छाती मे दोनो स्तन के बिच मे रख के उनके बालो मे हाथो को डाल के ज़ोर से दबा दिया. मेरी आँखो मे भी आँसू आगये थे और मेने हल्के से कहा “ पति जी अब आप कोई चिंता मत करना, मैं आ चुकी हू आपकी ज़िंदगी मे, आपके हर दुख को सुख मे तब्दील कर ने के लिए”.
मेरे आँसू को पति जी के बालो मे गिरते हुए देख मेने पति जी से कहा “ मैं आपसे एक विनती करती हू के आप कविता जी के फोटो को इस कमरे मे से निकाल के बाहर हॉल मे रख दे, क्यूंकी जब भी आप उनकी तस्वीर को देख ते है तो आप बड़े भावुक हो जाते है और मुझसे ये देखा नही जाता. मे बस यही चाहती हू कि जिस तरह आप मुझे हर वक़्त खुस रख ते है तो आप भी हर वक़्त खुस रहा करे”. इस पर पति जी ने तुरंत ही खड़े होके मुझे देख ने लगे और मैं डर के मारे अपनी नज़र को नीचे झुकाए खड़ी रही. पति जी ने कविता जी के फोटो के पास जाके उसे दीवाल पे से निकाल के अलमारी मे रख दिया. मे बहुत खुस हो गयी और अलमारी के पास ही पति जी को पीछे से पकड़ के उनकी पीठ को चूमने लगी. पति जी ने मुझे पीछे से आगे करते हुए मेरे होंठो को चूमा और अपने दोनो हाथो को मेरे स्तन पे ले जाके उसे के जोश से दबाने लगे. हम दोनो एक दूसरे के जिस्म पे बहुत ही तेज़ी से हाथो को घुमाते हुए होंठो को काट ने और चूमने लगे.
पति जी ने मुझे कमर से उठा के बेड पे लिटा दिया और मेरी चूत मे अपना लंड डाल के मुझे चोदने लगे. इस बार कुछ समय के बाद मुझे भी मज़ा आने लगा और मेने भी मज़ा लेने के लिए अपने पैरो को पति जी के कमर की उपर ओर पति जी की गन्ड के पास रख दिया. लंड जब भी मेरी चूत के अंदर जाता मैं अपने पैरो को ज़ोर से पति जी की गन्ड के उपर दबा ती थी और लंड के बाहर आते ही मे उन्हे ढीला छोड़ देती थी. मेरे ऐसा करने से पति जी काफ़ी खुस हुए और वो लंड को तेज़ी से अंदर बाहर करने लगे. मेरी चूत ने एक बार पानी छोड़ दिया और उसने पति जी के लंड को भीगा दिया. लंड मेरी चूत के पानी से भीगते ही और अंदर तक जाने लगा और हम दोनो को काफ़ी मज़ा आने लगा और हम दोनो काफ़ी लंबे वक़्त तक एक दूसरे को चोद ते रहे. और हम दोनो एक दूसरे की बाँहो मे नंगे ही सो गये.
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